Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
07-19-2019, 12:47 PM,
#97
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
पार्टी ख़तम हो गयी . सब जाने लगे... रूबी और उसकी सहेलियों के कदम भी हॉस्टिल की तरफ बढ़ने लगे. कमल से रहा नही गया भागता हुआ रूबी तक पहुँचा.... रूबी जी --- कॅन वी हॅव कॉफी टुगेदर ....

कमल जी ::: जितना आपके बारे में सुना है... आप एक अच्छे इंसान हैं, पर आप ग़लत दरवाजा खटखटा रहे हैं.... फिर कभी इस तरहा मेरा रास्ता रोकने की कोशिश मत करना.

कमल को यूँ लगा किसी ने थप्पड़ो की बारिश कर दी हो उसपे.

जिंदगी में पहली बार एक लड़की पसंद आई और वो भी तिरस्कार कर चली गयी. कमल वहीं खड़ा रह गया ... रूबी को जाता हुआ देखता रहा .... टूटे हुए कदम और टूटा हुआ दिल उसे उसके कमरे तक ले गये.

क्या कमी है मुझ में... बस यही सोचता रहा.

ऐसा नही था के रूबी को कमल पसंद नही आया था... पर एक डर उसके अंदर समा चुका था... वो अपनी जिंदगी का कोई कदम सुनील से पूछे बिना नही उठा सकती थी .... चाहे वो कदम उसे प्यार की तरफ ही क्यूँ ना ले जाना चाहते हों... सुनील उसकी जिंदगी में सागर से भी बड़ा स्थान ले चुका था.... एक ऐसा भाई... जो उसे बरसों बाद मिला था... एक ऐसा भाई जो उसके लिए कुछ भी कर सकता था....... यहाँ आ कर ही उसे पता चला था .... सुनील ने क्या किया था सोनल के लिए...... और तब से वो सुनील को अपने दिल में वो स्थान दे चुकी थी ... जहाँ तक कोई नही पहुँचा था...... लेकिन उसे खुद भी नही पता था ... कि सुनील को वो किस हद तक चाहने लगी है... दिल की कुछ बातें दबी रह जाती हैं... उनके मतलब समझ नही आते हैं.... और जबाब आते हैं बहुत देर हो चुकी होती है.
......................................................................
सुमन की नींद जब खुली सुबह के 8 बज चुके थे …. इतने सकुन की नींद…..शायद बरसो बाद नसीब हुई थी…. वो बिल्कुल निर्वस्त्र थी… सुनील साथ में सोया हुआ था… अपने नाइट सूट में… रात की बातें ताज़ा होने लगी…. बाल्कनी में वो छेड़ छाड़….. एक मुस्कान आ गयी उसके चेहरे पे…. कैसे उसे धरती से उठा गगन की वादियों में ले गया था… ‘बेशर्म !! खुल्ले में… पता नही किस किस ने देखा होगा’ --- रात का वो रोमांच…. याद कर एक झुरजुरी सी आ गयी …. फिर ख़याल आया…. वो तो अपने चर्म पे पहुच कब आनद मे लेटी हुई सो गयी थी…. कब लाया ये कमरे में… और इसने कुछ भी नही किया…. मुझे सुख दे कर.. खुद तड़प्ता हुआ सो गया…. क्या कोई ऐसा भी होता है… किस पे गया है ये… ना सागर पे… ना समर पे…. दोनो में से कोई भी होता… रात भर सोने ना देता…. प्यार का ये रूप वो पहली बार महसूस कर रही थी.


आज भी वो दिन जब याद आता छटपटा के रह जाती थी वो - समर कब से स्वापिंग का मेसेज भिजवा रहा था सागर के थ्रू, सागर भी उसकी बातों में आता जा रहा था और वो हर बार मना करती थी - उस दिन जब सागर को सवी के साथ देखा - बहुत लड़ी थी सागर से --- इतना की घर छोड़ के जाना चाहती थी - पर सागर के आँसुओं और सोनल के भविश्य ने उसे रोक दिया और मजबूरन उसे समर के नीचे लेटना पड़ा - धीरे धीरे आदत हो गयी और इसमे उसे मज़ा आने लगा...... काश ये सब उसकी जिंदगी में ना होता..... फिर जब सुनील पे नज़र पड़ी तो लगा अच्छा ही हुआ .... अगर ये सब ना होता तो सुनील उसकी जिंदगी में ना होता.

चेहरे पे मुस्कान आ गयी और वो सुनील से लिपट गयी - उसके चेहरे को चूमने लगी ......सुनील की नींद भी खुल गयी और उसने सूमी को अपने उप्पर खींच लिया और उसके होंठ चूमने लग गया.

कितनी देर दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे फिर सूमी अलग हुई - गुड मॉर्निंग लव

'मेरी आदतें बिगाड़ रही हो तुम ...... अब हर रोज ऐसे कॉन उठाएगा ... जब हॉस्टिल में रहना पड़ेगा'

'कुछ साल की ही तो बात है' फिर सारी कसर पूरी कर दूँगी - सूमी थोड़ा सीरीयस हो गयी थी... ये जुदाई अब उस से बर्दाश्त नही होनेवाली थी.

'अब ये थोबड़ा मत सुजाओ' सुनील ने फिर सूमी को अपनी बाँहों में भर लिया .

'अच्छा चलो फ्रेश हो जाओ --- भूख लग रही है - ब्रेकफास्ट के लिए चलते हैं'

दोनो फ्रेश हुए और ब्रेकफास्ट के लिए नीचे रेस्टोरेंट में चले गये .

आज सुनील के कहने पर उसने टॉप और जीन्स पहनी थी.

ब्रेकफास्ट के बाद दोनो घूमने चले गये - सुनील उसे केंप्टी फॉल ले गया ...... फॉल के ठंडे पानी में दोनो मस्ती करने लगे --- सूमी का भीगा बदन बहुत ही कामुक लग रहा था - टॉप थोड़ा ट्रॅन्स्परेंट थी तो उसके बूब्स सॉफ सॉफ नज़र आ रहे थे और कितने मनचलो की नज़र बस सूमी पे जम के रह गयी थी.

दोपहर तक दोनो वहीं फॉल पे रहे और अच्छी तरहा भीगने के बाद ये अहसास हुआ कि एक्सट्रा कपड़े तो लाए ही नही. फटाफट दोनो होटेल की तरफ चल पड़े - कार की सीट भी नहा गयी - कोई चारा ही नही था ... होटेल पहुँच सुनील ने कार सर्विसिंग के लिए भिजवा दी और दोनो रूम में घुस फटाफट गीले कपड़े उतार खुद को सुखाने लगे.

बदन तो सुख गये पर सूमी का थरथराना नही रुका - उसका पूरा बदन ठंड के कारण कांप रहा था - सुनील ने उसे बिस्तर पे लिटा दिया और कंबल ऊढा दिया पर सूमी को कंबल की गर्मी का कोई असर ना पड़ा फिर सुनील भी कंबल में घुस्स के उसे बदन की गर्मी देने लगा --- उसके उरोज़ ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा और और उसके होंठ चूसने लग गया.
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