Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 12:34 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
वो तेरी माँ का चाचा नही है सन्नी,,,,वो अशोक का बाप है,,,,,और बदक़िस्मती से वो
तेरा भी बाप है,,,,,,,,तेरी बास्किस्मती ये है कि उसने तेरी माँ का एक बार रेप किया
लेकिन मेरी माँ का रेप तो वो हर रोज करता था,,,,हर दिन करता था हर पल करता था
और मैं बेबसी से सब कुछ देखता रहता था,,,,इतना बोलकर सुरेंदर रोता हुआ मेरे पैरो
मे गिर गया,,,,



सुरेंदर की बातों से मैं परेशान हो गया,,,,और सब लोगो की तरफ देखने लगा,,,माँ और
भुआ रोती हुई अपना सर हिला कर मुझे ये बता रही थी कि सुरेंदर जो बोल रहा है वो
सच है,,


अशोक ने आगे बढ़ कर सुरेंदर को उठाया और सामने सोफे पर बिठा दिया,,,,,गीता चलके उसके
पास चली गयी ,,,साथ वाले सोफे पर अशोक खुद बैठ गया,,इधर मैं बड़े सोफे पर अकेला
बैठा हुआ था तभी माँ मेरे पास आके बैठ गयी और माँ के पास सोनिया आके बैठ गयी,,,



तभी गीता सुरेंदर के सोफे की एक तरफ थोड़ी सी साइड पर बैठ गयी,,और उसका हाथ पकड़
लिया,,,,,,और सुरेंदर को बोलने को कहा,,,,


सुरेंदर बोलने लगा,,,,,,



मैं तेरा मामा नही सन्नी,,,,,और ना ही गीता तेरी भुआ है,,,,,गीता मेरी बहन है और
गाँव मे रेखा मेरी बहन है,,,,,हम तीनो भाई बहन है,,,,,और गीता अशोक की बहन
नही अशोक की पत्नी है,,,,


तभी मैं थोड़ा हैरान रह गया लेकिन तभी मुझे याद आया उस तस्वीर के बारे मे जो
मैने रेखा के घर देखी थी,,,,मैं उसको पहचान नही पा रहा था,,,उस तस्वीर मे 5
लोग थे जो जाने पहचाने लग रहे थे लेकिन 2 को मैं बिल्कुल भी नही पहचान रहा था
,,अब पता चला मैं 3 लोगो को क्यूँ पहचान रहा था वो तीन लोग सुरेंदर गीता और रेखा
और हो ना हो बाकी के 2 लोग इनके माँ बाप होंगे,,,,,




सुरेंदर ने आगे बोलना शुरू किया ,,,,,,,,,



मेरी माँ किशन लाल के घर काम वाली थी,,,किशन लाल के घर का सारा काम करती थी
और मैं भी माँ के साथ रसोई के काम मे हाथ बटाने उनके साथ जाता था,,,जबकि रेखा
पुष्पा देवी के साथ गाय भेँसो को संभालने का काम करती थी,,,,गीता की अशोक से बहुत
बनती थी इसलिए गीता अशोक के साथ स्कूल जाती थी,,,,,हम लोगो को भी स्कूल जाने का
दिल करता था लेकिन हम लोगो का बाप हमे स्कूल नही जाने देता था और ना ही किशन लाल
हमे स्कूल जाने देता था,,,वो चाहता था कि मैं माँ के साथ किचन का काम करूँ और
रेखा पुष्पा देवी के साथ गोबर संभालने मे उसकी मदद करे,,,,,वो गीता को भी नही जाने
देना चाहता था स्कूल लेकिन अशोक की ज़िद्द की वजह से किशन लाल गीता को स्कूल जाने
देता,,,,


मेरा बाप एक नंबर का शराबी था ,,,कोई काम नही करता था और किशन लाल इसी बात का
पूरा फ़ायदा उठाता था,,,,वो रोज मेरे बाप को शराब के लिए पैसे दे देता और बदले मे मेरी
माँ के साथ अपनी हवस मिटाता,,,मेरी माँ भी बेबस थी कुछ कर नही सकती थी,,,क्यूकी
जिस घर मे हम रहते जो हम लोग खाते पीते वो सब किशन लाल का था,,,,बाप ने तो पूरी
उमर कोई काम ही नही किया था,,,माँ मजबूर थी,,,,एक तो ग़रीब थी दूसरी एहसानो के बोझ
तले दबी हुई थी,,,,,,और मजबूरी मे किशन लाल को अपने जिस्म से खेलने देती कभी मना
नही करती,,,और किशन लाल भी उसकी मजबूरी का पूरा फ़ायदा उठाता ,,,,,,






सुरेंदर रो रहा था और बोल रहा था,,,,,,,






किशन लाल जब दिल करे मेरी माँ के जिस्म से खेलना शुरू कर देता,,,,कभी कमरे मे तो
कभी आँगन मे,,,,कभी खेतो मे तो कभी किचन मे,,,,मैं माँ के साथ काम करता था
किचन मे तो किशन लाल वहाँ आता और माँ के जिस्म से खेलना शुरू कर देता,, कभी वो
अकेला आता तो कभी दूसरे गाँव का ठाकुर( सरिता का बाप) भी आ जाता जो सरिता का बाप
था और किशन लाल का अच्छा दोस्त भी,,,,,,वो दोनो मिलकर मेरे सामने मेरी माँ के जिस्म के
साथ खेलते और मैं बस खड़ा तमाशा देखता रहता,,,,मैं बहुत छोटा था कुछ कर नही
सकता था,,,मुझे तो ये भी नही पता था कि वो लोग क्या कर रहे है,,,मुझे तो ऐसा लगता
जैसे वो लोग मेरी माँ को मार रहे है,,,,,कभी कभी गुस्से मे खून खौल जाता मेरा और
हाथ मे पकड़े चाकू को किशन लाल के सीने मे उतारने का दिल करता लेकिन माँ मना कर देती



कुछ टाइम बीत-ता गया और हम लोग थोड़े बड़े होने लगे,,,,रेखा और गीता भी बड़ी होने लगी
जवान होने लगी,,,,,गीता तो अशोक की वजह से बच जाती क्यूकी अशोक हमेशा उसके साथ ही
रहता था ,,,दोनो प्यार करते थे एक दूसरे को,,,लेकिन रेखा नही बच पाई,,,,पुष्पा देवी
ने भी कोशिश की उसको बचाने की लेकिन किशन लाल पुष्पा देवी को बहुत मारता था,,,


रेखा जवान हो गयी और किशन लाल ने ठाकुर के साथ मिलके उसको भी अपनी हवस का शिकार
बनाना शुरू कर दिया और जब मैं कुछ करने की कोशिश करता तो मुझे बाँध कर रखा
जाता और बहुत मारा जाता,,,,जब मार से भी कुछ नही हुआ तो मेरे परिवार को जान से मारने
की धमकी देके मेरे से ही मेरी माँ के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाने पर मजबूर किया जाने
लगा और मैं अपने परिवार की हिफ़ाज़त के लिए इस गंदे रास्ते पर चलने लगा,,


अगर मना करता तो किशन लाल और ठाकुर मेरे परिवार को मार देते,,,,मैं बेबस था बहुत
लाचार था,,,,,


रेखा के साथ साथ भी वही सब होने लगा जो मेरी माँ के साथ होता था,,,और माँ सारा दिन
किशन लाल और ठाकुर की गुलामी करती थक जाती और मेरे बाप के साथ रात को कुछ नही कर
पाती तो मेरे बाप ने भी रेखा के जिस्म का सहारा लेना शुरू कर दिया,,,मेरा बाप भी रेखा
के साथ हवस मिटाने लगा,,,,


कुछ टाइम बाद उन लोगो ने गीता पर हाथ डालने की कोशिश की ,,,मैने मना किया तो मेरे
बाप को मार डाला उन लोगो ने,,,,,मार कर नहर मे फैंक दिया और बोला कि शराब के नशे
मे नहर मे गिर गया है मेरा बाप,,,,



मैं गीता को नही बचा सकता था,,,अगर कोशिश भी करता तो अपने ही परिवार के किसी और
शख्स को खो देता,,,,,,लेकिन गीता ने अशोक को सब कुछ बता दिया और अशोक भी जानता था
वो कुछ नही कर पाएगा इसलिए वो गीता को लेके गाँव से भाग गया और शहर आ गया,,,



अशोक शुरू से गाँव के स्कूल मे पढ़ा था और बाद मे शहर मे पढ़ने जाने लगा था और
गीता भी साथ मे जाती थी इसलिए इन लोगो को शहर की काफ़ी जानकारी थी,,,,,,और उधर
पुष्पा देवी का केवल से बहुत प्यार था इसलिए शुरू से ही उसको शहर मे पढ़ने भेज दिया
गया था ताकि उसपे अपने बाप का गंदा साया नही पड़े,,उसको अपने बाप की करतूतों के बारे
मे कुछ पता नही चले,,,,,



गीता सुरक्षित हो गयी थी,,लेकिन मेरी माँ और रेखा नही,,,,,मेरे बाप की मौत के बाद
मेरी माँ ने भी उसी नहर मे कूद कर ख़ुदकुशी करली जहाँ मेरे बाप को मार कर फेंका
था ठाकुर और किशन लाल ने,,,,वो अब ज़िल्लत की जिंदगी को और ज़्यादा बर्दाश्त नही कर
सकी,,,,,,,

अब मैं और रेखा ही रहते थे,,,,,रेखा मेरी जान की हिफ़ाज़त के लिए कुछ नही कर सकती
थी और मैं रेखा की हिफ़ाज़त की वजह से कुछ नही कर पा रहा था,,,,माँ के मरने के बाद
मैं किशन लाल के घर का काम करने लगा,,खाना पकाने लगा,,,,


कुछ टाइम बीता तो किसी बीमारी के चलते ठाकुर भी मर गया,,,,ठाकुर ने मरने से पहले
सरिता की शादी अशोक से पक्की करदी थी लेकिन अशोक गीता के साथ भाग गया था,,ठाकुर
के मरने के बाद सरिता किशन लाल के घर रहने आ गयी थी,,,किशन लाल ने कभी गंदी
नज़र नही डाली थी सरिता पर क्यूकी वो ठाकुर की बेटी थी और जब सरिता की शादी होनी
थी अशोक से तो काफ़ी पैसा मिलना था किशन लाल को ,,इसलिए वो ना तो खुद सरिता पर
गंदी नज़र डालता और मुझे भी धमकी देता कि अगर मैने सरिता के साथ कुछ ग़लत किया तो
मुझे और रेखा को मार देगा,,,,

इधर अशोक शहर तो आ गया था लेकिन ना काम ना रहने की जगह,,,घर से थोड़े पैसे
लेके आया था उसमे 1-2 महीना ही गुज़रा हुआ था,,,,फिर पढ़ाई भी करनी थी और गीता को
भी पढ़ाना था,,,,जो पैसे थे उनसे किराए का कमरा लेके दोनो रहते थे और पार्ट टाइम जॉब
करने लगे थे,,,,,लेकिन इतने पैसे से शहर मे गुज़ारा नही होता था,,,,इसलिए गाँव जाके
बाप से पैसे माँगना चाहता था अशोक लेकिन उसको पता था उसका बाप उसकी हेल्प नही करेगा
और गीता भी उसको रोक देती गाँव जाने से,,,,

लेकिन जब दोनो ने शादी करली और गीता पेट से हो गयी तो पैसे की ज़रूरत आन पड़ी और
अशोक को मजबूरी मे गाँव जाना पड़ा क्यूकी गीता को बस कुछ दिनो मे बच्चा होने वाला था


लेकिन जब अशोक गाँव गया तो किशन लाल ने पैसे देने से मना कर दिया,,,और शर्त रखी
कि अगर अशोक सरिता से शादी करेगा तो ही उसको पैसे मिलने थे और वो भी इतने पैसे कि
वो अपना खुद का घर ले सकता था,,,,अशोक मजबूर था उसको पैसो की ज़रूरत थी इसलिए
वो सरिता से शादी करने को मान गया,,,


अशोक ने सरिता से शादी की और उसको अपने साथ शहर ले गया और शहर जाके कुछ पैसा
लगाया बच्चे की डेलीवरी पर और एक नया घर भी ले लिया,,,,,लेकिन गीता को अशोक की दूसरी
शादी मंजूर नही थी,,,,वो ना तो खुद सरिता के नये घर मे जाना चाहती थी और ना ही
विशाल को जाने देना चाहती थी,,,,




,,,,,,,,,,,,,,इस बात से मैं थोड़ा हैरान हो गया




हां सन्नी तुम ठीक समझे,,,,विशाल अशोक और गीता का बेटा है ,,,,,




गीता अपने किराए वाले घर मे ही रहने लगी थी,,,,अशोक कभी गीता के पास रहता तो
कभी सरिता के पास क्यूकी घर तो ले लिया था आगे पढ़ने और काम के लिए भी अशोक को पैसे
चाहिए थे,,,,उसने पैसो के लिए ही सरिता से शादी की थी,,,,लेकिन सरिता की भी अपनी
ज़रूरत थी,,,,उसकी शादी हो गयी थी वो चाहती थी उसका पति उस से प्यार करे उसको शादी
का हर सुख दे जो एक पति अपनी पत्नी को देता है,,,अशोक थक गया था बार बार एक घर
से दूसरे घर जाते जाते,,,,लोग बातें करना शुरू कर रहे थे लोगो की बातों से बचने
के लिए अशोक गीता को लेके सरिता वाले घर मे आ गया क्यूकी अब नया घर छोड़कर किराए
वाले घर मे रहना तो बेवकूफी होती,,,,लेकिन जब गीता विशाल के साथ सरिता के पास रहने
आई तो लोगो ने अशोक के घर बच्चा देखा तो उसको सरिता का बेटा समझ लिया,,,अशोक ने
भी लोगो की बातों से बचने के लिए यही कह दिया कि ये बेटा उसका और सरिता का है,लेकिन
अब दूसरी औरत घर मे आ गयी तो उसका क्या करना था,,,अशोक ने ग़लती से किसी को बता
दिया कि गीता उसकी बहन है,,,
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