RE: Sex Hindi Kahani रेशमा - मेरी पड़ोसन
मिस्टर गुप्ता- आजकल के लड़के तो माँ बाप की बात नही सुनते पर तुम वैसे नही हो , तुमसे मिलके अच्छा
लगा
मिसेज़ गुप्ता- अच्छे लड़के हो तुम , मुझे तो लगा कि पता नही कौन यहाँ रहने आया होगा लेकिन तुम
अच्छे लड़के को अपने काम से काम रखते हो
अवी- मुझे भी लोगो से मिलना अच्छा लगता है पर यहाँ तो हर कोई घर के अंदर ही रहते है , डोर
बंद करके जीना जानते है ,जिस से किसी से बात ही नही हुई है ,
मिस्टर गुप्ता-वैसे सेक्रेटरी बोल रहा था कि तुम ये बिल्डिंग छोड़ना चाहते हो
अवी- हाँ , मुझे ऐसा लगता है कि किसी को मेरा यहाँ रहना पसंद माही है , तो मैं बात बढ़ने से
पहले यहाँ से जाना चाहता हूँ , बिना वजह मेरी वजह से किसी को प्राब्लम हो ये मैं नही चाहता
मिस्टर गुप्ता- कोई परेशनी हो तो मुझे बताओ , मैं मदद कर दूँगा
अवी- कभी कभी कुछ बाते ऐसी होती है कि जो दिखता है वैसा होता नही ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हारी बाते तो समझ मे नही आ रही
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी तुम क्यूँ चुप चाप खाना खा रही हो
रेशमा- कुछ नही , ऑफीस से सीधा यहाँ आई तो थोड़ी थकि हुई हूँ
मिसेज़ गुप्ता- बेटी तू अपना भी ख़याल रखा कर
रेशमा- मुझे क्या हुआ है मैं ठीक हूँ आंटी
मिस्टर गुप्ता- तुम्हारा हज़्बेंड कब आने वाला है
रेशमा- उनको अभी टाइम है , अच्छा अब मैं चलती हूँ
मिसेज़ गुप्ता- इतनी जल्दी क्या है , कभी तो हमारे साथ भी बैठ कर बाते किया करो
रेशमा- जी
और रेशमा मिसेज़ गुप्ता से बाते करने लगी
और मैं मिस्टर गुप्ता से बात करने लगा
चलो अच्छा हुआ जो रेशमा को इनडाइरेक्ट्ली बात बता दी
अब कहीं जाके वो मेरी बात पे कुछ सोचेगी
उसको ये भी पता चला कि मैं यहाँ से वापस जाने वाला हूँ
और सिर्फ़ उसका नाम ही रेशमा नही दूसरो का भी नाम रेशमा होता है
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रेशमा से इनडाइरेक्ट्ली बात हो गयी
शायद मेरी बात से उसका गुस्सा कम.हो जाए
फिर भी मैं रेशमा से दूर ही रहा
मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के घर के डिन्नर से कुछ बात बन गयी
लेकिन जब तक आमने सामने बात ना हो कुछ बोल नही सकते
लेकिन इस से बात बन गयी
उस दिन के बाद नेक्स्ट सनडे को मैं फिर से गार्डन मे घूमने लगा
सनडे को बच्चे फुटबॉल ज़रूर खेलते है
बच्चे- भैया चलो फुटबॉल खेलते है
अवी- तुम सब खेलो , मैं बस आज खेल देखूँगा
बच्चे - भैया वो देखो आंटी जिसको आपने बॉल मारा था
अवी- चुप रहो वरना फिर मुझपर गुस्सा करेंगी
रेशमा हमारे तरफ ही देख रही थी
बच्चे खेल रहे थे पर मुझे चुप चाप बैठा डेक कर पता नही क्या सोच रही होगी
मैं कुछ देर वैसे खेल देखता रहा फिर वॉचमन से मिलने चला गया
वॉचमन से बात करके वापस आया तो बच्चे मेरे पास आ गये
अवी- खेलना बंद क्यो किया
बच्चे- भैया देखो हमारी बॉल वापस मिल गयी
अवी- किसने की वापस
बच्चे- वही आंटी जिसको आपने बॉल मारी थी
अवी- आंटी ने वापस की बॉल , मेरे बारे कुछ कहा
बच्चे- आंटी पूछ रही थी कि उस दिन क्या हुआ था ,
अवी- तुमने क्या बताया
बच्चे- हमने कहा कि बॉल मैं ने मारा था पर पिटाई से बचने के लिए आपका नाम बताया
अवी- झूठ क्यूँ बोला
बच्चा- झूठ बोला तभी तो बॉल वापस मिल गयी , और अब आंटी आप पर भी गुस्सा नही करेंगी
बच्चा- चलो भैया अब खेलते है , अब तो आंटी भी आप पर गुस्सा नही है
बच्चों ने तो मुझे बचा लिया
फिर क्या था
मैं भी खेलने लगा
रेशमा जब शॉप से कुछ खरीदी करके वापस आई तो मुझे खेलते हुए देखा
रेशमा समझ गयी होगी कि ग़लतफहमी थी
मेरे लिए ये अच्छी बात थी
ऐसे धीरे धीरे दूरिया ख़तम होगी तो अच्छा होगा
अब मैं फिर से रेशमा के बारे में सोचने लगा
रेशमा को फिर से मेरे लिए नॉर्मल देख कर मेरे अंदर भी फीलिंग पैदा हो रही थी
अब कुछ बात बन सकती है
मैं ने तो आज रेशमा के नाम पर गोल पर गोल किए
और बच्चों को जूस पिलाने भी ले गया
अब जाके मुझे चैन आया
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