Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:53 PM,
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"यस.. दा किड ईज़ माइन.. मैने शीना को एक डाइयरी दी है, तुम इसके साथ बैठ के पढ़ो.. हो सकता है इसे पढ़ के शायद शीना को अच्छा ना लगे, झटका लगे, पर मैं नहीं चाहता शीना को कुछ भी हो.. तुम इसके साथ यहाँ रहो, और दोनो डाइयरी पढ़ो..." रिकी ने ज्योति से कहा जो अभी भी शीना को उसकी प्रेग्नेन्सी की न्यूज़ सुनके घूरे जा रही थी




"ज्योति.. मेरा प्यार अब तुम्हारी ज़िम्मेदारी है, अगर इसे कुछ हुआ तो मैं भी इस दुनिया में नहीं रहूँगा.." रिकी ने अपने आँसुओं को कंट्रोल किया और वहाँ से बाहर जाने लगा..




"ज्योति... यह क्याआअ...." शीना डरते हुए ज्योति से बोली




"शीना रिलॅक्स कर..सबसे पहले बैठ..और पानी पी..." ज्योति ने शीना को पानी पिलाया और खुद उसके साथ बैठ गयी




"तू तैयार है..." ज्योति ने शीना से कहा जो अपने आँसू पोछने लगी और हां में गर्दन हिला दी.. ज्योति ने एक लंबी साँस ली अपनी आँखें बंद कर.. आँखें खोल के, दिल को मज़बूत किया और डाइयरी खोल दी..




सन्नी डेज़... माइ लाइफ... किताब के सबसे पहले पेज पे ब्लॅक पेन से यह शब्द लिखे थे..

"हॅपी बर्तडे सन्नी..." मेरे 19थ बर्तडे की सुबह की शुरुआत थोड़ी अलग थी.. आज से पहले हर बर्तडे की सुबह मुझे मेरे मोम डॅड को याद दिलवाना पड़ता था मेरे बर्तडे के बारे में.. नहीं नहीं, जैसा आप सोच रहे हैं हैं वैसा नहीं है.. मेरे मोम डॅड मुझसे प्यार तो बहुत करते हैं लेकिन उनके प्यार करना का स्टाइल थोड़ा सा अलग है.. उनका प्यार उनके चेहरे या उनके एमोशन्स से कम, मेरे वॉलेट में ज़्यादा दिखता था..




"थॅंक यू माँ.." मैने सिर्फ़ इतना ही कहा और मैं फ्रेश होने चला गया.. उन्हे इग्नोर करके नहीं, बल्कि हॅपी बर्तडे बोलके वो फिर कमरे के बाहर चली गयी क्यूँ कि उनकी फ्रेंड पुशी बाहर किसी वजह से वेट कर रही थी.. पुशी मेरी मोम की फ्रेंड थी, सोशियल फ्रेंड.. हमारे वहाँ, मतलब मुंबई में आप घर पे कितना टाइम स्पेंड करते हैं वो ज़्यादा मॅटर नही करता, पर उससे ज़्यादा मॅटर करता है कि आपकी किटी पार्टी में कितने लोग आए, आपने कितने कनेक्षन्स बनाए और आपने क्या पहना था..




"गुड मॉर्निंग डॅड..." मैं फ्रेश होके आया और नाश्ता करने बैठ गया.. सांताक्रूज़ वेस्ट में हमारा घर खुद में एक अजूबा था.. आर्किटेक्चर की वजह से नही, बल्कि लोगों की वजह से..




"गुड मॉर्निंग सन्नी.. हाउ आर यू.." पापा ने जवाब दिया पर उनकी आँखें अभी भी एकनामिक टाइम्स के फर्स्ट पेज पे ही थी.. मेरे पापा मेरे मार्क्स से ज़्यादा सेंसेक्श के नंबर्स पे ज़्यादा ध्यान देते थे.. मेरी बर्त डेट के बदले इपो लिसटिंग डेट को ज़्यादा याद रखते थे..




"आइएम ग्लॅड यू आस्क्ड मी.." मैने बिना आँख उपर किए जवाब दिया और अपना जूस पीने लगा..




"सन्नी, आज का क्या प्लान है..." मम्मी ने किचन से चिल्ला के पूछा




"कुछ नहीं मोम.. बस आप लोगों के साथ कहीं बाहर चलूँगा, फिर आप लोगों के साथ वापस घर आके अच्छी तरह बातें करूँगा और फिर केक कट करके आप लोग मुझे अपनी गोद में सुलाएँगे.. बस यही प्लान है..." मैने रूखे टोन में जवाब दिया




"ओह शिट... हॅपी बर्तडे बेटा..." पापा ने कहा और आज पहली बार उनकी आँखें न्यूसपेपर से बाहर निकली




"यू मेड माइ डे डॅड.. वाउ... नाइस मेमोरी हाँ..." मैने अपने लिए टोस्ट बनके कहा




"सन्नी, पापा से कोई ऐसे बात करता है... और आप भी.. आज की डेट कैसे भूल सकते हैं.." मोम ने मेरे पास बैठ के कहा




"हां डॅड, आपको याद रखनी चाहिए मेरी बर्थ डेट, जैसे मोम ने मार्क कर रखी है.. देखिए.." मैने कॅलंडर दिखा के कहा




"25 ऑगस्ट.. किटी पार्टी अट पुशी'स रेसिडेन्स आंड मिसेज़ गोस्वामी सोशियल पार्टी.. फिर यह रहा, मेरी बर्त डेट का छोटा सा रिमाइंडर.." मैने कॅलंडर उनके पास इज़्ज़त से फेंकते हुए कहा और मोम डॅड को देखने लगा




"खुद से तो कुछ याद रहता नहीं, और मुझे सिखाने चली हो.." डॅड ने न्यूसपेपर को बंद करके मोम से कहा और अपने वॉलेट में से 500 के 20 कड़क नोट मेरे मूह पे दे मारे.. मूह पे दे मारे मीन्स फेंके नहीं, हाथ आगे बढ़ा के दिए





"सन्नी.. बेटा एंजाय ओके, टेक दिस" डॅड ने पैसे वाला हाथ आगे बढ़ा के कहा




"आप मुझसे कितना प्यार करते हैं डॅड... यह देखिए.. आप का प्यार, मेरे पास बहुत है.. इतना डर लगता है इसे खोने से मुझे, कि मैं इन्हे खर्च करता ही हूँ कि यह फिर मेरे पास खुद बा खुद आ जाते हैं.." मैने डॅड से पैसे लिए और उन्हे मेरा भरा हुआ वॉलेट दिखा दिया




"सिखा नहीं रही हूँ, बता रही हूँ, पूरा दिन बस स्टॉक स्टॉक और मार्केट... घर की तो कुछ पड़ी ही नहीं है आपको.. बेटे की तो छोड़िए, मेरी बर्थ डेट कब याद रखी है आपने.." मोम ने अपना जूस साइड में रख के कहा




"तुम तो मुझे बड़ा विश करके थकि हुई हो.. मुझसे ज़्यादा तो उस पुशी और गोस्वामी की डेट्स याद रहती हैं तुम्हे.." डॅड ने अपने स्पेक्स निकाल के जवाब दिया..




मैने शांति से अपना जूस उठाया और पीते पीते मेरा मॉर्निंग शो देखने लगा..




"आप यीह.... तुम ववोह.... आअप आईसीईए..... तुम वैसीए......" मोम डॅड की आवाज़ हमेशा मेरे कानो में गूँजती ही रहती, वो अगर प्यार की बात भी करते तो ऐसा लगता था कि खुद पे एहसान कर रहे हो..




"सुबह सुबह यह सब लेके बैठ गयी.. शरम करो कुछ बच्चे के आगे.." पापा ने मेरी ओर इशारा करके कहा




"ओह.. आइ आम सो सॉरी.. मुझे पता नहीं था मेरे आगे आप खुल के लड़ भी नहीं सकते.. प्लीज़ कंटिन्यू.." मैने शांति पूर्वक कहा और अपना बॅग लेके बाहर निकल गया




"सन्नी, बेटा वेट.. वी नीड टू..." बस, मैं कॉरिडर से गायब होने से पहले सिर्फ़ इतना ही सुन पाया था..




मेरी रोज़ सुबह की शुरुआत ऐसे ही होती... रोज़ मोम डॅड का हर छोटी बात पे लड़ना, उसपे ऐसे चिल्लाना जैसे वो देश की सबसे बड़ी समस्या हो.. कभी कभी सोचता था कि पार्लिमेंट के लाइव डिस्कशन के बदले मेरे घर का डिस्कशन टेलीकास्ट होना चाहिए.. उधर 543 लोग चिल्लाते हैं, इधर 2 लोग ही 543 पायंट्स लेके बैठ जाते हैं, वैसे एक बात समझ नहीं आती थी कि इन्हे इतनी पायंट्स पे डिस्कशन के लिए एनर्जी कहाँ से आती है.. खैर, मैं अभी अपने अपार्टमेंट की पार्किंग में पहुँचा ही था कि सामने से हमारी बिल्डिंग के शंभू काका ने मुझे देखा




"सन्नी बाबा.. एक मिनिट.." शंबू काका ज़ोर से चिल्लाए और दौड़ते हुए मेरे पास आए




"जी काका, बोलिए.." मैने अपना मोबाइल निकाला और दोस्त को कॉल करने लगा




"हॅपी बर्तडे सन्नी बाबा.." शंभू काका आए और मुझसे गले लगा कर मुझे लड्डू खिलाने लगे




"वाह शंभू काका.. लड्डू मस्त है.." मैने एक और उठाया और उन्हे भी खिला दिया.. मेरे मोम दाद से ज़्यादा खुश तो मुझे शंभू काका करते थे, स्पेशली मेरे हर बर्तडे पर वो महालक्ष्मी का प्रसाद लेके आते थे




"आज भी कॉलेज.." शंभू काका ने मेरा बॅग देख कहा




"पता नहीं काका.. हां घर से दूर ज़रूर जा रहा हूँ.." मैने अपने ग्लासस पहेन कहा




"ऐसा नहीं बोलते बेटा, माँ बाप ही बच्चो के मार्गदर्शक होते हैं.." शंभू काका ने मुझे समझाते हुए कहा




"फिलहाल तो मुझे ऐसा कुछ नहीं दिखा, अब तक तो मुझे बस..." मैने अपनी बात अधूरी छोड़ी और अपने वॉलेट से निकाल के उन्हे कुछ पैसे दिए




"बेटा इतने नहीं.." शंभू काका ने वापस देते हुए कहा




"ले लीजिए सर, इसकी कमी नहीं है.. जिसकी कमी है वो कभी वॉलेट में नहीं आ सकता.." मैने अपनी कार ढूँढते हुए कहा




"बाबा यह बहुत है.. इतने नहीं" शंभू काका ने फिर गिनते हुए कहा




"यह तो 10.."




"कम हैं... और देता हूँ काका, " मैने वॉलेट निकाला और फिर उन्हे दूसरे दिए




"अरे बाबा, यह 10 हज़ार हैं, इतने क्या करूँगा..." काका ने मुझे वापस दिए




"काका, अब ज़्यादा बिल्ड अप ना करो आप भी, आप खर्च करना 2000 और बाकी के बच्चों के स्कूल की फीस हैं.. आप ना.." ज़्यादा कुछ कहे या सुने बिना मैं वहाँ से निकल गया




घर से कॉलेज कुछ ज़्यादा दूरी पे नहीं था, 10-15 मिनट इन हेवी ट्रॅफिक.. मितिबाई कॉलेज फॉर जूनियर्स.. नाम ही सिर्फ़ जूनियर्स था, बाकी कोई ऐसा काम नहीं था जो कोई ना करता हो.. उसके बारे में आगे पता चल ही जाएगा..




"हॅपी बर्तडे सन्नी... हॅपी बर्तडे भाई... भाई को जनमदिन की बधाई हूऊऊ..." जैसे ही मैं कॉलेज में पहुँचा, मेरे दोस्त मुझे विश करने लगे, खैर फ़ॉर्मलटी के लिए तो सब को थॅंक्स बोल दिया लेकिन मेरे कान अब तक वो नहीं सुन पा रहे थे, जो मैं दिल से सुनना चाहता था...




"भाई.. आज तो पार्टी तेरी तरफ से.." जैसे ही मेरे एक फरन्ड ने कहा, इट वाज़ लाइक आ म्यूज़िक फॉर माइ इयर्स... थॅंक यू भगवान, एक और जनमदिन जिसमे मेरे डॅड का प्यार काम आएगा, मैने आँखें उपर की और आसमान को देखने लगा




"चलो चलो... कहाँ चलना है.." मैने फिर अपनी गाड़ी अनलॉक की और सब लोग उसमे बैठ गये




"हुक्का हुक्का.. काफ़ी दिन हुए, आज वहाँ जाना है.." मेरी एक फरन्ड ने कहा और सब लोग उसके हां में हां मिलाने लगे




"चलो.." मैने सिर्फ़ इतना कहा और गाड़ी जुहू की तरफ बढ़ने लगा




ओह.. वो तो बताना ही भूल गया, मेरे लास्ट बर्तडे पे यानी की 18थ पे, मेरे पापा को बहुत ज़्यादा प्यार आया था मुझ पे.. उनका इतना प्यार उनके शरीर में समाया ही नहीं, तो उसे हल्का करने के लिए उन्होने मुझे नयी एसयूवी दिलाई थी.. होंडा सीआरवी... अब गाड़ी बड़ी थी तो उसके लिए अंदर बैठने के लिए लोग भी तो होने चाहिए.. इसलिए मेरे दोस्तों ने मुझपे एहसान किया और मुझसे दोस्ती करके मेरी ज़िंदगी में आ गये और गाड़ी की शोभा बढ़ा दी उसमे रोज़ रोज़ बैठ के.. मेरे दोस्त, वैसे तो दोस्त थे, लेकिन आज तक दोस्ती.. खैर, उनका इंट्रो देता हूँ.. अभी मेरे साथ जो बैठा है उसका नाम है


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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:53 PM

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