Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 04:05 PM,
#74
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आप ना बहुत मस्ती करने लगे हो अभी...." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ के कहा... शीना और रिकी बाल्कनी में अपनी कुर्सियों पे बैठे बियर पी रहे थे... रात के सन्नाटे में सिर्फ़ एक डिम लाइट जला के दोनो आपस में बातें कर रहे थे और समंदर की लहरों की आवाज़ का मज़ा ले रहे थे.. रात का माहॉल काफ़ी अलग सा होता है, दिन भर की भाग दौड़ के बाद आदमी को जो सुकून चाहिए होता है वो सिर्फ़ रात के अंधेरे में, रात की खामोशी में ही प्राप्त होता है... रात के चाँद तारों को देख आदमी दिन भर की थकान को भूल जाता है और उस वक़्त वो सिर्फ़ अपने बारे में सोचता है, चाहे वो फिर दिन भर जो काम किया वो उसके बारे में हो या फिर आने वाली सुबह के बारे में... रात की ऐसी खामोशी में आदमी अपने दिल की, अपने दिल की धड़कनो को सुन सकता है, महसूस कर सकता है... शीना और रिकी ठीक ऐसा ही महसूस कर रहे थे, दोनो अपने अपने ख़यालों में खोए हुए था, लेकिन दोनो एक दूसरे की दिल की धड़कनो को भी सुन सकते थे.. दोनो सॉफ महसूस कर सकते थे दिल में चल रही खामोशी को, यह खामोशी दोनो को ही सता रही थी, लेकिन फिर भी दोनो में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था...



"ऐसा लग रहा है कि कुछ होने जा रहा है....
कोई मीठे सपनो में खोने जा रहा है...
धीमी कर दे तेरी रोशनी ए चाँद....
ये मेरा यार अब सोने जा रहा है......"



रिकी के लफ़्ज़ों से यह शब्द सुन के शीना का मूह खुला का खुला रह गया... रिकी अभी भी चाँद की तरफ देखता जा रहा था और शीना उसे देखे जा रही थी... रिकी की आँखों में एक अजीब सी चमक थी आज, चाँद से भी ज़्यादा उसकी आँखें चमक रही थी... उसका चेहरा बिल्कुल अलग रहा था, शीना को एक पल के लिए लगा मानो कोई और ही बैठा था उसके पास... रिकी की आवाज़ में एक अजीब कशिश थी... शीना कुछ कहती उससे पहले रिकी ने उसकी तरफ देखा और फिर बोला



"तेरे होने से एक खुशी जुड़ी है....
तेरी आँखों से एक रोशनी जुड़ी है....
अपने होंठों की हँसी कम ना होने देना....
क्यूँ कि तेरी हँसी से मेरी ज़िंदगी जुड़ी है...."




रिकी के इन लफ़्ज़ों से मानो शीना इस दुनिया में थी ही नहीं.. हक्की बक्की बैठी वो बस रिकी के चेहरे को ही देख रही थी, कितनी कोशिश कर ली उसने, लेकिन वो मान ही नहीं पा रही थी के उसके पास रिकी बैठा है, ऐसा लग रहा था मानो पूरा का पूरा चाँद रिकी के चेहरे पे उतर आया है, उसकी आँखें, उसका रंग, उसके होंठ.. ऐसे चमक रहे थे कि इतने अंधेरे में भी उसके चेहरे की चमक ही काफ़ी हो.... कुछ देर दोनो एक दूसरे को ही देखते रहे, जहाँ रिकी एक हल्की मुस्कान लिए शीना के चेहरे को देख रहा था, वहीं शीना का मूह खुला का खुला था और आँखें बड़ी करके बस रिकी के चेहरे को ही देख रही थी...



"अब अपना मूह बंद भी करो, नहीं तो कोई मच्छर ना चला जाए अंदर..." रिकी ने हल्के हाथोंसे उसके मूह पे हाथ फेरके कहा, जिससे शीना होश में आई और फिर कुर्सी पे लेट गयी



"आप को शायरी कब आई... और वो भी इतनी अच्छी...." शीना ने अपना चेहरा आसमान की तरफ रख के कहा, मानो वो रिकी से अभी तक कुछ छुपा रही थी



"कैसी लगी.." रिकी ने बस उसे देखते रहते हुए ही कहा... शीना ने रिकी की बात का कोई जवाब नही दिया और वो बस नज़रें आसमान में रखे हुए थी..



"अच्छी नही लगी क्या, बताओ ना..." रिकी ने उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमा के कहा, शीना के चेहरे पे एक हल्की सी शरारती मुस्कान थी जिसे वो कब से छुपा रही थी



"कहाँ से कॉपी की..." शीना ने आख़िर में एक ज़ोर की हँसी हँसके कहा



"इतनी मुश्किल से मैने लर्न की थी तुम्हारे लिए, और तुम हो के तारीफ़ नही कर रही बल्कि कॉपी की बात कर रही हो..." रिकी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा और शीना को छोड़ अपनी कुर्सी पे सीधा बैठ के समंदर की तरफ देखने लगा



"तड़पने दो अभी मुझे... मोहब्बत जुर्म है मेरा...
मेरी आँखों में रहने दो ये आँसू और बहने दो...
मुझे इल्ज़ाम कोई दो... मोहब्बत जुर्म है मेरा.."




शीना ने रिकी को देख के एक हल्की सी मुस्कान के साथ यह लफ्ज़ कहे, जिसे सुन रिकी को बहुत अच्छा लगा, लगता भी क्यूँ नही रिकी आवाज़ में एक शिद्दत थी, उसकी आवाज़ में एक मासूमियत थी.. लेकिन फिर भी रूठे रहने की आक्टिंग करने के लिए रिकी ने कोई रियेक्शन नहीं दिया और सामने ही देखता रहा... शीना अपनी कुर्सी से खड़ी हुई, रिकी की कुर्सी के आगे अपने घुटनों पे बैठी , रिकी के हाथों को अपने हाथों में लिया, हल्के से उसके चेहरे को अपने चेहरे को सामने किया, और उसकी आँखों में देख के कहा



"मेरी पलकों को तो बस उनका इंतेज़ार रहता है....
दिल के किसी कोने में उनका ही प्यार रहता है...
गुज़र रहे हैं रात और दिन उनकी याद में...
बस हमे तो उनका इंतेज़ार और प्यार ही याद रहता है...."
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RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - by sexstories - 07-03-2019, 04:05 PM

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