RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"भैया, इट्स ओके... इतनी मेहनत के बाद भी अगर शीना को उसकी क्रेडिट ना मिले तो यह इनजस्टिस होगा... आप दोनो इस प्रॉजेक्ट पे काम कीजिए, आंड इन केस इफ़ एनी वन एल्स ईज़ नीडेड तो मैं तो हूँ ही... आंड शीना, प्रेज़ेंटेशन बहुत अच्छा था, आइ लव्ड इट आ लॉट..." ज्योति ने वहाँ खड़े खड़े कहा और कुछ देर में वहाँ से निकल गयी..
रिकी और शीना दोनो जानते थे कि ज्योति हर्ट तो हुई थी, लेकिन इसके अलावा वो लोग कुछ कर भी नहीं सकते थे... रिकी को शीना का सपोर्ट इसके लिए नहीं था कि
वो उसकी बहेन है, बल्कि इसलिए था क्यूँ कि दोनो के दिल करीब थे.. ज्योति यही समझ रही थी कि दोनो भाई बहेन हैं इसलिए एक दूसरे को इतना सपोर्ट कर रहे हैं और यहाँ उसे अकेले होने का खलल हो रहा था.. सोच रही थी कि आख़िर खून तो खून के ही काम आएगा.. ज्योति अंदर से दुखी तो थी लेकिन वो जानती थी कि दुख दिखाने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए उसने ऐसा कहा और वहाँ से निकल गयी..
"भाभी, बूर्नोल लाउ या कुछ और.." शीना ने ज्योति के जाते ही वहाँ खड़ी स्नेहा से कहा.. शीना की यह बात सुन स्नेहा ने ऐसा दिखावा किया जैसे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन वो शीना की बात सुन कुछ कहती उससे पहले फिर शीना बोली
"मेरी डिस्क तो फॉर्मॅट कर दी आपने, लेकिन आपने कभी ऐसा नहीं सोचा होगा ना कि मेरे पास उसका बॅकप होगा... ब्रेकिंग न्यूज़ भाभी, आपकी ननद को आपने इतना ज़्यादा बेवकूफ़ समझ लिया है कि उसका छोटे से छोटा काम भी आपको अब बहुत बड़ा लगेगा.." शीना ने फिर स्नेहा से कहा और आँखों से रिकी को वहाँ से जाने का इशारा किया, बिना कुछ पूछे या कहे रिकी भी वहाँ से निकल गया..
"मेरी बात सुनो शीना.." स्नेहा ने जैसे ही यह कहा कि फिर शीना ने उसे टोकते हुए कहा
"तुम मेरी बात सुनो, मिसेज़ स्नेहा राइचंद... अगर तुम्हे लगता है कि मैने तुमसे जो बातें कही है, वो तुम किसी को बता दोगि तो मुझे कुछ नुकसान होगा... तुम भूल रही हो कि मैं इस घर की बेटी हूँ, मुझे कोई कुछ नहीं करेगा, लेकिन तुम... तुम इस घर में किसी को पसंद नहीं हो.. अगर मुझ पे कोई इल्ज़ाम लगाने की कोशिश भी की उससे पहले यह याद रखना कि तुम इस घर में विक्रम भैया के साथ आई थी.. लेकिन अब तो वो हैं नहीं, अब तुम क्या करोगी..." शीना की यह बातें सुन स्नेहा की हालत सही में खराब हो चुकी थी.. शीना ने उसे आज तक तुम कहके नहीं बुलाया था लेकिन आज अचानक उसका यह रूप देख स्नेहा सहम गयी थी.. उसने सोचा खामोश रहना ही बेहतर होगा उस वक़्त, इसलिए वो खामोश रही
"और एक बात सुनो, तुम्हे क्या लगता है कि मुझे पासवर्ड्स याद नहीं रहते... स्नेहा, तुम शायद यह भूल रही हो कि तुमसे ज़्यादा क्वालिफाइड हूँ मैं.. डिस्क के पास तो मैने अपने पासवर्ड का नोट इसलिए रखा था क्यूँ कि मैने तुम्हे उसी रात देख लिया था जब मैं मेरी आर्किटेक्ट फ्रेंड के साथ घर आई थी और तुमने मेरा पीछा किया था मेरे रूम तक, यह देखने के लिए कि मैं क्यूँ इतनी देर से आई हूँ.. जब मैने तुम्हे यह करते देखा तो मैने सोच लिया था कि शायद मैं तुम्हे आज़मा के देख लूँ, शायद मैं ग़लत निकलूं कि तुम सही में मेरी दोस्त बन गयी हो.. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.. डाटा डेलीट कर के तुमने यह यकीन दिला दिया है मुझे कि तुम मेरी दोस्त तो नहीं हो, लेकिन फ़ैसला अब तुम्हारे हाथ में है... या तो मेरे साथ दुश्मनी चुनो, या तो अपने काम से मतलब रखो... और याद रखना, इस घर में हर वक़्त कोई ना कोई किसी को देख रहा होता है, तुम्हे लगता है कि तुम अकेली इस घर की जेम्स बॉन्ड हो तो तुम ग़लत हो..." शीना मिसेज़ स्नेहा राइचंद से अब सिर्फ़ स्नेहा पे आ चुकी थी.. स्नेहा यह भाँप रही थी कि शायद अब तुम से तू पे आने में भी यह वक़्त नहीं लेगी, इसलिए उसने चुप चाप वहाँ से जाने की सोची और जैसे ही मूडी शीना ने फिर उसे चोन्का दिया
"उस दिन तुम किसी से फोन पे बात कर रही थी ना, विक्रम भैया के लिए..."
शीना की यह लाइन सुन स्नेहा पे जैसे बिजली सी गिरी, उसके कदम वहीं जम से गये और उसके कानों में जैसे किसी ने खोलता हुआ तेल डाल दिया हो, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कहे, वो फिर पलटी जवाब देने के लिए, लेकिन आज शीना का दिन था... यह वक़्त.. शीना का था
"डोंट वरी, मैं किसी से नहीं कहूँगी, क्यूँ कि मैं ही तुम्हे सब के सामने नंगा करूँगी.. और हां दूसरों के कमरे पे नज़र रखने के चक्कर में तुम अपने कमरे की हिफ़ाज़त तो करती नहीं.. देखना जाके के कहीं कुछ मिस्सिंग तो नहीं है तेरे रूम से..."
स्नेहा जल्दी से अपने कमरे की तरफ भागी जैसे कुत्ते उसके पीछे लग गये थे.. जल्दी से अपने कमरे में पहुँच के उसने सब चीज़ें चेक की, सब कुछ ठीक था.. वॉर्डरोब से लेके उसके बिस्तर के नीचे रखी सब चीज़ें, उसने ध्यान से देखा लेकिन सब ठीक था... कमरे में बैठे बैठे वो कुछ याद ही कर रही थी तभी फिर शीना की आवाज़ आई
"अरे पागल औरत, अपना मोबाइल कैसे भूल गयी हाँ.." शीना उसके कमरे के पास खड़ी थी और उसने अपने हाथ में उसका मोबाइल दिखाते हुए कहा... शीना की बातें सुन स्नेहा अचंभे में पड़ गयी थी, भाभी से मिसेज़ राइचंद, मिसेज़ राइचंद से स्नेहा और स्नेहा से पागल औरत.. शीना जिस तरह स्नेहा का लेवेल गिराती जा रही थी हर गुज़रते सेकेंड में, वैसे तो स्नेहा को यह लगने लगा था कि अगली लाइन में शीना कहीं उसे रंडी या बाज़ारू ना बुला दे
"ज़बान पे लगाम लगाओ शीना.." स्नेहा ने ताव में आके उसे कहा
"यह गर्मी किसी और को दिखाना समझी... यह ले तेरा मोबाइल, जो काम मेरे को करना था वो तो मैं कर चुकी हूँ.. अब याद रखना.. तू जहाँ.. जहाँ चलेगा..... मेरा साया.. साथ होगा.." गुनगुनाके शीना वहाँ से निकल गयी और अपने कमरे में घुसने से पहले फिर स्नेहा की ओर देखा
"इस बार मेरा पीछा नहीं किया तूने... रंडी कहीं की..." कहके शीना मुस्कुरा दी और अपने कमरे में चली गयी... स्नेहा पसीना पसीना हो चुकी थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या से क्या पोज़िशन हो गयी उसकी... उसे पता नहीं था कि शीना ऐसा बिहेव कर सकती है, बिहेव छोड़ो, शीना इतना दिमाग़ लगा सकती है... उसकी सारी मेहनत धरी की धरी रह गयी, अब उसका काम तो छोड़ो, उसका यहाँ टिकना भी बहुत मुश्किल लगने लगा था उसे... उसने जल्दी से अपना कमरा लॉक किया और फोन करने लगी, लेकिन जैसे ही उसे ख़याल आया कि फोन शीना के पास था, उसने फिर कट कर लिया और सिम कार्ड निकाल लिया... उसे डर था कि कहीं उसके कॉल्स शीना भी ना सुन ले, इसलिए वो तुरंत घर से निकली और अपने लिए एक न्यू फोन और सिम कार्ड लेने गयी.. कुछ ही देर में स्नेहा एक कॉफी शॉप पे पहुँची जहाँ वो किसी का इंतेज़ार कर रही थी कि तभी उसे शीना का फोन आया... उसका कॉल देख के स्नेहा एक पल के लिए घबरा गयी और फोन कट कर दिया, लेकिन बार बार शीना उसे कॉल करती रही जब तक की स्नेहा ने आन्सर नहीं किया
"न्यू फोन, न्यू सिम कार्ड क्या करेगी लेके स्वीटहार्ट...तेरी जॅक तो मैं लगा के ही रहूंगी, और अभी कॉफी शॉप में किसका इंतेज़ार कर रही है है.. ज़रा मुझे भी
पिला दे कॉफी अपने हाथों से" शीना ने उसे फोन पे कहा और खुद ही कट कर दिया.. स्नेहा की आँखें लाल हो चुकी थी, उसके सर पे बाल इससे पहले कभी नहीं
आए थे, इसलिए वो वहाँ से जल्दी उठी और घर की तरफ निकल गयी.. रास्ते में उसने एक बूथ पे गाड़ी रोकी और किसी को कॉल किया
"नहीं आज नहीं आ सकती मैं.." स्नेहा ने फोन करके पहला ही वाक्य यह कहा और आगे सब बता दिया जो जो शीना ने उसके साथ किया और उसे कहा
"तुम पागल हो स्नेहा, मैने तुम्हे पहले ही कहा था शीना जितनी ज़मीन के बाहर है, उतनी ही ज़मीन के अंदर भी.. तुम ने उसे अनडरएस्टीमेट कर के बहुत बड़ी ग़लती
कर दी.. दुश्मनी का पहला क़ायदा होता है कि कभी अपने दुश्मन को कमज़ोर ना समझो, और तुम यही भूल गयी स्नेहा... अब जो भी हुआ है उसे ठीक तुम करोगी, और याद रखो, मैं तो किसी तरह नहीं फन्सू इसमे, लेकिन तुम एनीवेस घर से निकली जाओगी अपने.. नुकसान सब तुम्हारा है, बेहतर है कुछ रास्ता निकालो इसका नहीं तो..."
सामने शख्स ने बस इतना ही कहा के फिर स्नेहा बोली
"शीना को ख़तम करना पड़ेगा अब, इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है"
"तुम बौखला चुकी हो... अगर शीना को कुछ भी होता है तो उसमे हमारा कोई फ़ायदा नहीं है, अब तक तो उसने रिकी को सब बता दिया होगा. क्या फिर रिकी को भी
मारोगी, इसके अलावा कुछ सोचो तुम, मुझे भी वक़्त दो, बाद में बात करते हैं.." कहके फोन कट हो गया और स्नेहा डर डर के अपनी गाड़ी में बैठी के तभी फिर शीना का फोन आ गया.. वो जानती थी कि फोन कट करके कोई फ़ायदा नहीं है, इसलिए उसने पहली रिंग में ही फोन उठा लिया
"अरे ज़रा सुन, तूने बिल नहीं भरा क्या अपने मोबाइल का, जो बूथ पे खड़ी हुई है हाँ... यार मुझे बोल देती, मैं बिल भर देती, अभी तू राइचंद'स की बहू ही है,
जब घर से निकली जाएगी, तभी तेरे ऐसे दिन आएँगे, अभी फिलहाल ऐश कर ले जितनी हो सके... और हां, अभी कहीं रुकना नहीं, वरना फिर मुझे मेरी उंगलियों को
तकलीफ़ देके तुझे कॉल करना पड़ेगा..." कहके शीना ने फिर कॉल कट किया और स्नेहा बीच सड़क पसीने से भीगी हुई खड़ी रही..
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