RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
ड्रस्टी जॉगिंग के लिए निकल आई पर सारी बातें उसके दिमाग़ मे नाच रही थी.... वो जॉगिंग करती हुई भी सारी बातों को ही सोच रही थी.... और फिर से आज दोनो एक साथ उसी बेंच पर बैठे थे.....
"अब्बू ने कहा, पूर्वी और इस लड़के का मसला है, तो फिर इन दोनो ने एक दूसरे को पहचाना क्यों नही. और कितनी पुरानी बात है... क्या दोनो किड थे... और दोनो यदि किड होंगे तो दोनो के बीच कैसा मसला हो सकता है... क्या कोई खिलोने को ले कर झगड़ा हुआ था. या बच्चो का कोई झगड़ा... अन्न्ह्ह्ह कुछ समझ मे नही आ रहा. और बात इतनी पुरानी होती तो अब्बू क्यों उस दिन कहे कि ये लड़का पूर्वी के पिछे आया... नही बात उतनी भी पुरानी नही... पर बात है क्या... इसी से पुच्छ लूँ... पूरी कहानी... बगल मे ही तो बैठा है"...
ड्रस्टी के दिमाग़ मे जैसे सारी बातें स्ट्राइक कर रही हो... उसने मानस की ओर देखते हुए धीमे से "हाई" कही... मानस ने सुना भी लेकिन ड्रस्टी की बात को अनसुना कर वो बेंच से टिका रहा... एक-दो बार फिर से वो "हाई" बोली.. इस बार बोलने का वॉल्यूम भी थोडा तेज था, फिर भी मानस ने उसे अनसुना कर दिया...
ड्रस्टी को गुस्सा आया... वो अपने जगह से उठी, और उसके कान का हेड फोन अपने हाथों से उतार कर फेक दी और चिल्ला कर कहने लगी.... "इतनी देर से चिल्ला रही हूँ, हेड फोन लगा कर क्या बहरे ही हो जाते हो"
मानस.... एक्सक्यूस मी, आप है कौन...
ड्रस्टी और भी ज़्यादा गुस्सा दिखाती.... "कोई नही हूँ... पर तुम आज के बाद मेरा पिच्छा किए तो मैं भी तुम्हे दिखा दूँगी"
मानस.... एक्सक्यूस मी...
ड्रस्टी.... एक्सक्यूस मी, एक्सक्यूस मी... क्या दो ही वर्ड्स आता है... हुहह ! कान खोल कर सुन लो मेरा पिच्छा छोड़ दो....
इतना सुना कर ड्रस्टी वापस अपने घर को चल दी... मानस अपना हेड फोन उठा कर फिर से अपने कानो मे लगाया और आँखें मूंद काए खुद से कहने लगा.... "अब मंज़िल दूर नही, अब तो बातें शुरू हो गयी... जल्द ही अब ये मुझे तुम सब तक भी पहुँचा देगी"...
मानस भी बिना ये जाने सोच रहा था कि कल ही उसकी मज़िल उसके सामने थी, और वो उसे पहचान तक नही पाया.
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मनु एमडी तो बन गया था, लेकिन अब उसे खुद को प्रूफ करने की ज़रूरत थी. राह मे काँटे बहुत थे, लेकिन इरादे फौलादी. एक सब से अच्छी बात जो उसके पास थी वो थी मॅन पवर. कंपनी के लगभग हर एम्प्लोयि उसे दिल से चाहते थे, और जब से मनु ने एमडी की पोस्ट संभाली थी, सब की उम्मीदें काफ़ी बढ़ गयी थी.
मनु कंपनी के प्रॉस्पेक्ट मे अपनी पहली सब से बड़ी प्रॉजेक्ट की मीटिंग लेने जा रहा था. सरकार. जो गूड्स एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट करती है उसके शिप्पिंग का कांट्रॅक्ट एस.एस शिप्पिंग कॉर्पोशन को मिले. एस.एस ग्रूप से कई बार इस कांट्रॅक्ट को पाने के लिए कोसिस की जा चुकी थी, लेकिन आज तक ये कांट्रॅक्ट नही मिला.
मीटिंग हॉल ... और मनु अपना व्यूस देते हुए....
"कंपनी शिप्पिंग कॉर्पोरेशन वैसे तो पहले से काफ़ी स्ट्रॉंग है, लेकिन बात यदि की जाए सरकार. के इस कांट्रॅक्ट की, तो यदि हमे ये मिलता है तो हमारे शिप्पिंग कॉर्पोरेशन को एक नयी उचाई मिलेगी... आप सब के क्या व्यूस हैं"
सभी लोग अपने-अपने विचार एक-एक कर के देने लगे..... लेकिन सभी लोग प्रॉजेक्ट को बढ़िया कहते, पर इस कांट्रॅक्ट को हासिल करना नामुमकिन... क्योंकि हर बार ये कांट्रॅक्ट अग्रॉ इंटरनॅशन ऑफ शिप्पिंग ग्रूप को ही मिलती थी.
नताली (वंश डॉटर).... नतिंग ईज़ इंपॉसिबल. मनु आइ वॉंट टू हॅंडेल दिस प्रॉजेक्ट.
अर्जुन (सेयो) .... इतना बड़ा प्रॉजेक्ट तुम कैसे हॅंडल कर सकती हो. यहाँ मौजूद एक्सपीरियेन्स्ड लोगों से हॅंडल नही हुआ ये प्रॉजेक्ट, फिर तुम अन-एक्सपीरियेन्स्ड कैसे हॅंडल कर लोगि. ये कॉलेज का कोई फंक्षन नही जिसमे जोश के साथ भीड़ जुटाना है.
नताली.... सॉरी, ऐज यू पीपल डिसाइड.... मैं तो बस अपना व्यूस दे रही थी....
मनु.... ह्म ! और किसी को कुछ कहना है....
नेगी (शिप्पिंग कार्पोरेशन का डाइरेक्टर)... सर, हम इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी मेहाँत करेंगे. पूरी शिप्पिंग टीम इस कांट्रॅक्ट को पाने के लिए दिन रात एक कर देगी.
मनु.... थॅंक्स नेगी जी. अर्जुन जी मैं आप की बात से सहमत हूँ, लेकिन जहाँ एक्सपीरियेन्स्ड लोग इतने सालों से नाकामयाब रहे हैं, आज एक फ्रेशर को भी चान्स दे कर देख लीजिए. नताली, दिस प्रॉजेक्ट ईज़ युवर्ज़. नेगी जी की पूरी टीम आज से तुम्हारी. कोई नयी रेक्रूटमेंट चाहिए तो उसके लिए भी तुम फ्री हो... गो अहेड...
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