RE: vasna story इंसान या भूखे भेड़िए
कॉर्पोरेट अफेर्स मे खुद को सब से स्ट्रॉंग समझने वाला खिलाड़ी, इस वक़्त खुद को काफ़ी तन्हा समझ रहा था. हर्षवर्धन ने कल रात रौनक से बात किया, और मनु के विषय पर चर्चा करना चाहा. लेकिन रौनक ने उससे "तबीयत खराब सी लग रही है" .. ऐसा कह कर फोन रख दिया.
अमृता.... हर्ष, तुम इतना टेन्षन क्यों ले रहे हो, ग़लती तुम्हारी ही है जो तुम ने मनु को कम आँका.
हर्ष.... ह्म्म्म्म ! तुम सही कर रही हो, पर ये रौनक को क्या हुआ, वो मुझे अवाय्ड क्यों कर रहा है.... उसके दिमाग़ मे चल क्या रहा है....
अमृता..... मुझे तो शक़ हो रहा है, क्योंकि कल राजीव, वंश और रौनक तीनो ही एक वक़्त पर निकले थे....
हर्ष..... मुझे क्या पता अमृता, तीनो शायद मनु के पोस्ट को भूना नही पाए, और अनाउन्स के बाद ही निकल गये हो. अब तीनो के बीच कल कुछ हुआ या नही ये तो उन्ही तीनो मे से कोई एक बता सकता है.... लेकिन पापा का यूँ अपना पोस्ट छोड़ देना और मनु को उसकी जगह बिठा देना, ये तो मेरे समझ से परे है....
अमृता..... आप अभी ऑफीस जाओ, मैं आज घर पर रह कर पता करती हूँ, पापा जी ने ऐसा क्यों किया...
हर्षवर्धन ऑफीस के लिए निकल जाता है, और अमृता शम्षेर से बात करने उसके कमरे पहुँच जाती है..... "क्या मैं अंदर आ जाऊ डॅडी जी"
शम्षेर..... आओ, आओ अमृता... तुम्हे आने के लिए इज़ाज़त की क्या ज़रूरत...
अमृता..... डॅडी जी मुझे आप से ये उम्मीद नही थी, आप ने मेरा दिल तोड़ा है...
शम्षेर..... दिल और मैने, वो कैसे अमृता...
अमृता..... अपना पोस्ट उस कुतिया के बच्चे को दे कर...
शम्षेर..... अमृता, अब जाने भी दो इस बात को. नया खून है हमारे बिज़्नेस को बहुत आगे ले जाएगा.... कुछ अच्छा होता है तो खुश होना चाहिए....
अमृता.... इसमे अच्छा क्या था पिताजी. खुद की कंपनी को तो वो डूबा रहा है... और आप ने पूरे ग्रूप की ज़िम्मेदारी उस पर सौंप दिया. अच्छा है डॅडी जी, मेरी सेवाओं का क्या खूब सिला दिया है...
शम्षेर, गुस्से मे..... एहसान ना दिखाओ अमृता, तुम ने जो भी किया था वो बस अपने स्वार्थ मे किया था, उसे सेवा का नाम नही दो...
अमृता..... डॅडी जी, उसमे केवल मेरा हे स्वार्थ नही था, आप का भी अपना स्वार्थ भी जुड़ा हुआ था.... और हां यदि मैं डूबी तो आप को भी नही छोड़नी वाली, याद रखना ये बात.... आप के इस एसएस ग्रूप की बुनियाद मेरे दिमाग़ की उपज से रखी गयी थी....
शम्षेर..... मेरी उम्र तो बीत चुकी अमृता, अब इन धमकियों का मुझ पर कोई असर नही होगा. तुम ने मूह खोला तो मेरा कुछ नही जाएगा, उल्टा तुम्हारे हिस्से के 15% जो हैं वो भी मनु का हो जाएगा.... और तब शायद तुम्हे पछतावा हो कि क्यों तुमने अपना मूह खोला.... नाउ गेट लॉस्ट... जो करना है करो. और कहीं यदि मेरा दिमाग़ खिसका तो मैं पूरा ग्रूप उसके नाम पर कर दूँगा...
अमृता..... सॉरी डॅडी जी, मैं थोड़ा गुस्से मे आ गयी थी. पर मेरी हालत भी तो समझिए. हर्ष के रहते आप ने मनु को एमडी बना दिया....
शम्षेर..... तुम दोनो नकारे हो, और मुझे बस मनु मे फ्यूचर नज़र आता है. मैने ग़लती किया... मुझे उन दोनो भाइयो को भी तुम सब के बराबर शेर्स देने थे...
अमृता.... डॅडी जी, ज़रा ये भी तो सोचिए कि पूरे ग्रूप को खड़ा करने मे मेरा क्या योगदान था....
शम्षेर.... मैं भुला नही कुछ भी अमृता, लेकिन शायद तुम लोग भूल चुके हो.... दिमाग़ के घोड़े दौड़ाओ और सोच को बदलो पहले, और इस बात पर गौर करो कि आख़िर मनु ही क्यों एमडी के लायक है.... जब तुम्हे बात समझ मे आ जाएगी, समझ लेना तुम्हे जो चाहिए वो तुम्हे मिल गया....
अमृता, शम्षेर को गयी थी तो समझाने, लेकिन खुद ही समझ कर आ गयी.... इधर पूरा ऑफीस और फॅक्टरी वर्कर फूल-माला लिए, ऑफीस गेट पर मनु का इंतज़ार कर रहे थे.... जैसे ही मनु की कार गेट पे पहुचि सारे वर्कर ने उसका रास्ता रोक लिया....
किसी की आखों मे आँसू थे, तो किसी के होंठो पर खुशी.... सब ने मनु के कल के फ़ैसले का स्वागत किया.... कयि सारे वर्कर्स और सब की कुछ ना कुछ परेशानिया, सब ने अपनी परेशानी भी रखनी चाही, लेकिन भीड़ मे सब की बात हवा हो गयी....
मनु सब लोगों की बधाइयाँ स्वीकार कर सीधा एमडी चेंबेर मे आया.... आज उसके पास दो पीए थे... एक तो उसकी अपनी स्नेहा... और दूसरा अर्जुन.....
मनु.... अर्जुन बॉस अब क्या आप मेरे पिछे रहेंगे....
अर्जुन.... मौका मिला है सर, प्लीज़ मना मत करना ......
मनु.... पर एक समस्या है अर्जुन बॉस.... मैं स्नेहा को हटा भी तो नही सकता.... अच्छा एक काम करो आप, मेरी पिच्छली चेयर खाली है, उसे जा कर आप देखो.. मुझे वहाँ के सीईओ के लिए किसी ना किसी को तो अपायंट करना ही है, तो आप क्यों नही....
अर्जुन..... क्या बात कर रहे हैं सर, सच मे मैं ये सही सुन रहा हूँ....
मनु.... हां बिल्कुल सही सुन रहे है, जा कर एचआर से अपना नया अपायंटमेंट लेटर कलेक्ट कर के आज ही वहाँ का काम संभालिए....
अर्जुन के जाते ही..... मनु क्या वो सीईओ के काबिल था....
मनु..... चिल स्नेहा और आज का काम बताओ....
स्नेहा.... आज का सब से ज़रूरी काम, मिस स्नेहा की सॅलरी केवल 20% ही क्यों बढ़ी.... उसे तो 200% बढ़ना चाहिए था....
मनु..... हा हा हा .... चलो मज़ाक छोड़ो, और मुझे एक सीरीयस पॉइंट पर डिसकस करना है...
स्नेहा..... एस बॉस, बताइए....
मनु..... स्नेहा मुझे लगता है ऑफीस स्टाफ और फॅक्टरी वर्कर की कयि तरह की समस्या है, जो सुनी नही जाती.... मैं सोच रहा हूँ एक ग्रीवेन्स कमिटी बनाऊ, जो वर्कर्स की परेशानी सुन'ने और उसे सॉल्व करने के लिए बने.....
स्नेहा..... ह्म ! मनु इसमे ग्रीवेन्स कमिटी की कोई ज़रूरत नही समझ मे आती है. ऑलरेडी एचआर है ना उनकी सुन'ने के लिए.... बस नियमों मे थोड़े बदलाव लाने होंगे.... और उसके लिए अपने लॉ अड्वाइसर की राई ले लो.....
मनु..... हां ठीक है... कल की एक मीटिंग उनके साथ रख दो.... और ये एमडी चेंबर तुम्हारा.... बैठ कर फाइल्स चेक करते रहना .... कोई ज़रूरी फाइल लगे तो मुझे मसेज करना, कॉल कर के डिस्ट्रब मत करना...
स्नेहा.... लेकिन मनु, आज पहले दिन ही कहाँ जा रहे हो.....
मनु..... मुझ से कोई जला है... उसकी जली को बुझाने या भड़काने जा रहा हूँ ... अभी कुछ कह नही सकता ......
स्नेहा.... बेस्ट ऑफ लक मनु.... मुझे पूरी डीटेल बता देना ......
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