RE: Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
में अमित के बात सुन कर शरमा गयी….और उसके ऊपेर से उठ कर खड़ी हो गयी….उसका लंड अभी तना हुआ झटके खा रहा था….पता नही मुझे क्यों अमित का लंड इतना प्यारा लगने लगा था…..मेने नीचे बैठते हुए, उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया…अमित ने मुस्कुराते हुए कहा”क्या हुआ”
पर मेने उसकी बार का कोई जवाब नही दिया……और अपनी आँखें बंद करते हुए, उसके लंड के मोटे सुपाडे को अपने मूह में भर लिया….मेरी चूत के पानी का स्वाद मेरे मूह में घुलने लगा…..में झड़ने के बाद एक दम मस्त हो चुकी थी…..और उसके लंड के सुपाडे को अपने होंटो में दबा -2 कर चूसने लगी.”अहह आंटी चूस इसी इसका ख़याल तुझे ही रखना है”
अमित ने मेरे सर को दोनो हाथों से पकड़ लिया……..में कभी उसके लंड के सुपाडे को चुस्ती, तो कभी उसके लंड के सुपाडे पर जीभ घुमाने लगती….और अपने दोनो हाथों से उसके बॉल्स को सहलाने लगी……में करीब 5 मिनिट तक उसके लंड को ऐसे ही चुस्ती रही…..और फिर जब मुझे लगा कि, अब अमित झड़ने वाला है, मेने उसके लंड को मूह से बाहर निकाल लिया…..और उसके पेशाब वाले छेद को अपने जीभ के नोक से कुरदेने लगी…….
अमित: अह्ह्ह्ह सीईईई आंटी मेरा छूटने वाला है……..
पर में नही रुकी, और फिर उसके लंड से वीर्य की पिचकारिया छोटने लगी…जिससे मेरा पूरा फेस भर गया…..अमित का लंड रह रह कर झटके खा रहा था….जब वो शांत हुआ तो, में खड़ी हुई, और बाथरूम में चली गयी……अपने आप को सॉफ करके बाहर आई तो, अमित अपने कपड़े पहन चुका था…..
हम दोनो के बीच कोई बात नही हो रही थी……मैने अपनी पैंटी और सलवार पहनी, और अमित के साथ बाहर आकर अपने घर के तरफ चली गयी…..जाते हुए अमित नी भी कुछ नही बोला…..
उस दिन के बाद मुझे पता नही क्या हो गया….मुझे अब रोज लंड की ललक लगाने लगी थी…..जिसके लिए में बेशरम होकर तीन चार बार अमित के पास जा चुकी थी……अमित भी मेरी चूत के पूरी तसल्ली करवा देता था…..फिर एक दिन की बात है, मौसम बहुत ठंडा था……उस दिन भी सनडे था……और मेरी चूत में सुबह से खुजली होने लगी थी…..मेने अमित को फोन किया…….पर अमित ने इस बार मुझे सॉफ इनकार कर दिया……
उसके इस इनकार के कारण में एक दम से तड़प उठी, ऐसे ही दो तीन तक चला. पर अमित ने मुझे इनकार करना जारी रखा…..आख़िर एक दिन में अपनी चूत की आग से मजबूर होकर उसके घर पहुच गयी….जब में और अमित रूम में आई, तो में अमित से पागलो के तरह चिपक गयी….और उसके पूरे चेहरे पर चुंबनो की बोछार कर दी…..
में: अमित तुम क्यों मुझे तडफा रहे हो…….पहले तुमने खुद ही मेरी फुद्दि में आग लगाई. अब तुम पीछे हट रहे हो..तो तां मेनू कमली कर देता…..दस की करा में…..
अमित: आंटी आप यहाँ से चली जाओ….अब मुझे तुम से कुछ लेना देना नही है..
में: (अमित की ये बात सुन कर में गुस्से में आ गयी) क्यों लगता है उस गस्ति नीता से तेरी सुलहा हो गयी है……अमित मेने पहले भी कहा था कि, वो तुम्हारी जिंदगी खराब कर देगी…..
अमित: और तुम? तुम क्या कर रही हो?
अमित की ये बात सुन कर में एक दम से चुप हो गये……पर अब में उसके लंड की इस कदर दीवानी हो चुकी थी कि, में उसे इस तरह खोना नही चाहती थी.
में: फिर आख़िर तुम चाहते क्या हो…..क्यों मेरे अरमानो के साथ खेला…
अमित: वेट वेट में कहाँ खेला तुम्हारे अरमानो के साथ….सॉफ-2 क्यों नही कहती जब चूत की आग ठंडी नही होती तो तुम्हे मेरे याद आती है….
में: अमित तुम समझ नही रहे……….में नही रह सकती तुम्हारे बिना…..
अमित: ओह्ह भूल जाओ मुझे…….मेरे आगे मेरे सारी जिंदगी पड़ी है….मुझे अपने बारे में भी सोचना है….तुम कब तक मेरा साथ दोगी….
में: अमित में सारी उम्र तुम्हारा साथ देने के लिए तैयार हूँ….तुम जैसे कहोगे में वैसे करने को तैयार हूँ……
अमित: हम्म अच्छा….जैसे में कहूँ…..वैसा तुम करोगी ?
में: हां एक बार बोल कर तो देखो……
अमित: ठीक है तो फिर सुनो….में और सोनिया एक दूसरे से प्यार करते है….अगर तुम मुझे चाहती हो तो, मेरी शादी सोनिया से करवा दो….
में: अमित मेने पहले भी तुमसे कहा था कि, तुम सोनिया से दूर रहोगे…उसकी तरफ देखने की सोचना भी मत….अर्रे तुम हो कॉन जो उसके साथ शादी करने के ख्वाब देख रहे हो….
अमित: क्यों क्या कमी है मुझ मे……सब कुछ तो है…कुछ महीनो बाद मुझे गवर्नमेंट जॉब मिल जयगी…दिखने में भी ठीक ठाक हूँ…..और मेरे लंड का तो तुझे पता ही है……खुस रखूँगा तेरे बेटी को और साथ में तुझे भी…
में: नही अमित ये नही हो सकता…..
अमित: ज़रा सोच जब में तुम्हारी और तुम्हारी बेटी की चूत को एक साथ चोदुन्गा. तो मज़ा दुगना हो जाएगा….और अगर तू सोचती है कि ऐसा नही हो सकता तो, मुझे भूल जा……और हां ये बात याद रखना, कि सोनिया आज भी मुझे उतना ही प्यार करती है……तू कैसे भूल गये कि, उसकी चूत के सील भी मेने तोड़ी है……और वो भी तेरी तरह मेरे लंड के दीवानी है…….
अमित: चल अभी मुझे काम पर जाना है……अगर तू मेरी शादी सोनिया से नही करवा सकती तो मुझे भूल जा…..
में अमित की बातें सुन कर बहुत परेशान हो गये…..मेने मन ही मन फैंसला कर लिया था…….कि चाहे कुछ भी हो जाए…..में सोनिया की शादी उससे नही होने दूँगी………..में घर वापिस आ गयी, और अपने मन को समझा कर आगे की जिंदगी के बारे में सोचने लगी……कुछ दिन और बीत गये……पर मेरी चूत की आग मुझे जीने नही दे रही थी……में अक्सर रात को अमित के लंड के बारे में सोचते हुए, अपनी फुद्दि में उंगली करती,
पर आग शांत होने की बजाए…….और भड़क उठती……..एक दिन में ऊपेर छत पर बैठी धूप सेंक रही थी……छत पर आगे की तरफ एक रूम था….जिसमे अर्साद नाम का आदमी अपनी नयी नयी पत्नी सलमा के साथ रहता था.उनकी शादी को अभी तीन महीने हुए थे….. मुझे उनके रूम से सलमा के सिसकने के आवाज़ आ रही थी…..रूम के एक साइड में विंडो थी……जो बारिश के पानी से भीग कर थोड़ी खराब हो गयी थी……
और उसमे जगह-2 दरार पड़ गयी थी…….
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