RE: Adult Kahani छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
एक दिन में कुछ खरीद दारी करने मार्केट गयी हुई थी, खीरदारी करते हुए मुझे किसी ने मेरा नाम लेकर पुकारा, जब मेने पीछे देखा, तो पीछे अमित मेरी तरफ हाथ हिलाते हुए, मुझे बुला रहा था…..में उसके पास गयी और कहा.
में: ये क्या बदतीम्ज़ी है…..तुम यहाँ मुझे ऐसे क्यों बुला रहे हो…..
अमित: ओह्ह इतना गुस्सा रेखा जी………इतना गुस्सा सेहत के लिए ठीक नही होता.
में: हां बोलो क्या कहना है….
अमित: यार तुम तो मुझे भूल ही गयी. कहो तो कल तुम्हारे घर आ जाउ.
में: नही ऐसा मत करना…..घर पर बहुत से किरायेदार रहते है….
अमित: फिर तुम वही आ जाओ…..जहा मेने पहली बार तुम्हें चोदा था…..
में: में नही आउन्गि. अब मुझे तुम से कुछ लेना देना नही…..
अमित: चलो जैसी तुम्हारी मर्ज़ी…..बस एक बार मेरे लंड के बारे में सोच लेना…क्यों कहर ढा रही हो मेरे लंड पर……कल आ जाओ ना……तुम्हारी चूत की बहुत याद अत्ती है…..तुम्हें कभी वो पल याद नही आते…जब तुम मेरे लंड पर उछल -2 कर चुद रही थी……याद नही आता वो सब…..कल आ जाना…देखो इतनी सर्दी में अगर चुदाई का मज़ा नही लिया तो फिर कब लोगी….में तुम्हारा कल इंतजार करूँगा……
अमित बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया……में घर वापिस आ गयी…..मेरे जहन में रह रह कर उसकी बातें घूम रही थी….और उसकी बातें सच भी थी. में उस रात की चुदाई को याद करके-2 रात को तड़पती थी…पर अपने मन को ये समझा कर शांत कर लेती थी…कि अब मुझे इन सब बातों को भूल कर आगे बढ़ना चाहिए…….
उस रात में सो नही पे…..वासना के कारण मेरी बुरी हालत हो चुकी थी….मेरी चूत की आग ऐसे भड़क रही थी….जैसे कभी शांत ही ना होगी. पूरे एक महीने बाद जब अमित को देखा तो, फिर से उस रात की यादें ताज़ा हो गयी…..किसी तरह रात गुज़री…..और मेने सुबह उठ कर नाश्ता बनाया, घर के काम निपटा कर नाश्ता कर लिया…….
उसके बाद में अपने सिलाई के काम में लग गयी……पर मेरा मन काम में नही लग रहा था…….सारी रात मेरी चूत में आग सी लगी रही थी…जो अभी तक शांत होने का नाम नही ले रही थी…..में उठ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी…….आज सनडे था, हमारे जो किरायेदार नीचे वाले रूम में रहते थे……उसका पति घर पर ही था…..
जब में उनके रूम के सामने से गुज़री, तो मेरी नज़र अंदर चली गयी. वो दोनो पति पत्नी रज़ाई ओढ़े एक दूसरे को बाहों में लिए हुए लेटे हुए थे..मेने देखा विशाल अपनी पत्नी के होंटो को चूस रहा था. और उसका एक हाथ उसके मम्मो पर था….जो उससे ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था…….
ये देख कर मेरे अंदर की आग और भड़कने लगी…..में जल्दी से बाथरूम में गयी…..अपनी सलवार खोली, और फिर पैंटी को नीचे जाँघो तक सरका दिया. मेने वाइट कलर की पैंटी पहनी हुई थी……जो कि नीचे से एक दम गीली हो चुकी थी” हाए रब्बा हुन इस उम्र विच क्यों पानी छड रही है” में मूतने के लिए नीचे बैठ गयी…….पेशाब करके पैंटी ऊपेर की, फिर सलवार ऊपेर करके बाँध कर बाथरूम से बाहर आ गयी……
मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में कैसे अपनी चूत की आग को ठंडा करूँ……दूसरी तरफ सोनिया अपने रूम में टीवी देख रही थी…..मेरा दिल बार -2 यही कर रहा था कि, काश अमित यहाँ होता, और मुझे ज़बरदस्ती ही चोद देता. कम से कम मेरी चूत की आग तो ठंडी हो जाती,
में अपने आप से हार रही थी…….में इस कदर गरम हो चुकी थी कि, में अपना सब कुछ ताव पर रखते हुए अपने रूम में गयी, और अमित को फोन किया…..पर अमित ने फोन नही उठाया…….मेने दो तीन बार ट्राइ किया. पर उसने फोन नही उठाया……..अब में करू……मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था. मुझे याद आया कि, कल अमित ने मुझे वही वाले घर में आने को कहा था..
अब तो जैसे में लंड के लिए पागल सी हो गयी थी……पति की मौत के 6 साल बाद तक मेने अपने अरमानो को मारे रखा था..पर आज में अपनी उतेजना को दबा नही पा रही थी……..में सोनिया के रूम में गयी,
में: सोनिया वो में बाज़ार जा रही हूँ..कुछ सामान लेने जाना है….
सोनिया: ठीक माँ….
में: घर पर ही रहना……
सोनिया : ठीक है माँ आप जाओ में घर पर ही हूँ……..
मेने घर से निकल कर ऑटो किया, और सीधा उस पते पर चली गयी. जहाँ पहले गयी थी……मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में कैसे उसके सामने जाउ. अगर उसने मुझसे पूछ लिया कि में मना करने के बाद क्यों आ गयी, तो में उसे क्या जवाब दूँगी……..
पर अपने ही दिल में पैदा हुए सवालों के जवाब मेरे पास भी ना थे. थोड़ी देर में ही में वहाँ पहुँच गयी…….मेने ऑटो वाले को पैसे दिए. और गली में अंदर बढ़ने लगी……..जैसे -2 में उसके घर की तरफ बढ़ रही थी….वैसे वैसे मेरे दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थी…….मुझे आज खुद पर ही शरम आ रही थी…..मेने गेट के सामने पहुँच कर डोर बेल बजाई….थोड़ी देर बाद गेट खुला तो सामने अमित खड़ा था…..
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