RE: vasna story मजबूर (एक औरत की दास्तान)
रुखसाना: "भाभी वो शाम को पाँच बजे के करीब घर वापस आता है... लेकिन हफ़्ते में दो या तीन दिन उसकी नाइट ड्यूटी लगती है तो सिर्फ़ फ्रेश होने आता है थोड़ी देर के लिये!" रुखसाना को कहाँ मालूम था कि सुनील की नाइट ड्यूटी तो दर असल नफ़ीसा के बेडरूम में लगती है।
नज़ीला: "और फ़ारूक भाई...?"
रुखसाना: "आपको तो मालूम ही है कि उनका कोई पता नहीं... वैसे तो सात बजे आते हैं और फिर पीने बैठ जाते हैं... और अगर बाहर से अपने नशेड़ी दोस्तों के साथ पी कर आते हैं तो आने में नौ-दस बज जाते हैं... मुझे उनसे उतनी फ़िक्र नहीं जितना कि सानिया की नज़रों से होशियार रहना पड़ता है!"
नज़ीला: "अच्छा ठीक है... मैं आज शाम को तेरे घर आऊँगी... और सानिया को अपने साथ बातों में मसरूफ़ करके बैठी रहुँगी... तू मौका देख कर सुनील से चुदवा लेना!"
रुखसाना: "हाय तौबा नज़ीला भाभी.... आप कैसे बोल रही हैं ये सब..!" हालाँकि रुखसाना खुद सुनील के साथ खुलकर ऐसे अल्फ़ाज़ बोलती थी लेकिन नज़ीला के सामने अभी भी शराफ़त दिखा रही थी।
नज़ीला: "तो क्या हुआ यार... सैक्स में इन सब बातों से और मज़ा आता है..!"
रुखसाना: "पर नज़ीला भाभी... कहीं कोई गड़बड़ हो गयी तो?"
नज़ीला: "मैं हूँ ना.. तू फ़िक्र ना कर... मैं संभाल लुँगी...!"
उसके बाद नज़ीला से अपनी आई-ब्राऊज़ और फेशियल करवा कर रुखसाना घर आ गयी। करीब चार बजे सानिया कॉलेज से घर आ गयी। रुखसाना को आज काफी बेचैनी सी महसूस हो रही थी कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाये... कहीं सानिया को शक़ ना हो जाये। जैसे-जैसे पाँच बजने को हो रहे थे रुखसाना का दिल रह-रह कर ज़ोर से धड़क उठता था। करीब साढ़े-चार बजे नज़ीला सलील को साथ लेकर रुखसाना के घर आ गयी और रुखसाना को सजी-धजी देखते ही बोली, "माशाल्लाह रुखसाना... सच में कहर ढा रही हो...!" फिर रुखसाना और नज़ीला सानिया के रूम में ही चली गयीं और तीनों बैठ कर बातें करने लगी।
करीब पाँच बजे सुनील घर आया तो रुखसाना ने जाकर दरवाजा खोला। रुखसाना ने सुनील को इशारे से बताया कि सानिया के साथ-साथ और भी कोई घर में है और ये कि वो थोड़ी देर में खुद ऊपर उसके पास आयेगी। सुनील सीधा ऊपर चला गया। रुखसाना फिर से सानिया और नज़ीला के पास आकर बैठ गयी। तीनों थोड़ी देर इधर-उधर के बातें करती रही। सानिया साथ-साथ सलील को उसका होमवर्क भी करवा रही थी। थोड़ी देर बाद नज़ीला ने रुखसाना को इशारे से जाने के लिये कहा।
"भाभी आप बैठो... मैं ऊपर से कपड़े उतार लाती हूँ..." ये कहते हुए रुखसाना ने एक बार ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर थोड़ा सा मेक-अप दुरुस्त किया और पाँच इंच ऊँची पेंसिल हील के सैंडल फर्श पे खटखटाती हुई कमरे से बाहर निकल गयी। ऊपर जाते हुए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था कि कहीं सानिया ऊपर ना जाये... क्या पता नज़ीला भाभी सानिया को संभाल पायेंगी भी या नहीं। पर चूत में तीन दिनों से आग भी तो दहक रही थी। वो ऊपर सुनील के कमरे में आयी तो देखा कि सुनील वहाँ नहीं था। रुखसाना कमरे से बाहर आयी और बाथरूम की तरफ़ जाने लगी। बाथरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था। रुखसाना ने करीब पहुँच कर सुनील को आवाज़ लगायी, "सुनील तू अंदर है क्या?" रुखसाना बाथरूम के दरवाजे के बिल्कुल करीब खड़ी थी। अंदर से कोई जवाब नहीं आया। बस पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी। फिर अचानक से बाथरूम का दरवाजा खुला और सुनील ने बाहर हाथ निकाल कर रुखसाना को अंदर खींच लिया। रुक्खसाना पहले तो कुछ पलों के लिये एक दम से घबरा गयी। अंदर सुनील एक दम नंगा खड़ा था। उसका लंड हवा में झटके खा रहा था। उसके तने हुए आठ इंच के तगड़े लंड को देख कर रुखसाना की चूत में बिजलियाँ दौड़ने लगीं।
"कब से आपकी वेट कर रहा था... कितना इंतज़ार करवाती हो आप भाभी!" सुनील ने कहा तो रुखसाना बोली, "वो नीचे सानिया है... इस लिये ऐसे नहीं आ सकती थी ना!" सुनील ने उसकी तरफ़ देखते हुए रुखसाना का हाथ अपने फुंफकारते हुए लंड पर रख दिया। रुखसाना का पूरा जिस्म सुनील के गरम लंड को अपनी हथेली में महसूस करते ही काँप उठा। उसकी मुट्ठी अपने आप ही सुनील के लंड पर कसती चली गयी और उसके होंठ सुनील होंठों के करीब आते गये। फिर जैसे ही सुनील ने रुखसाना के होंठों को अपने होंठों में दबोचा तो वो पागलों की तरह रुखसाना के होंठों को चूसने लगा। रुखसाना की चूत उबाल मारने लगी और वो सुनील की बाहों में कसती चली गयी। रुखसाना की कमीज़ उतारने के बाद सुनील उसकी गर्दन और फिर उसकी चूचियों को चूमने लगा। फिर रुखसाना की सलवार का नाड़ा खोल कर उसकी सलवार भी निकाल दी और फिर नीचे उसके पैर और सैंडल चूमने के बाद टाँगों से होते हुए सुनील उसकी जाँघों को को चूमने लगा। फिर सुनील खड़ा हुआ और रुखसाना की एक टाँग के नीचे अपनी हाथ डाल कर ऊपर उठा दिया। रुक्खसाना का पूरा जिस्म जैसे ही थोड़ा सा ऊपर उठा तो उसने दूसरा हाथ भी रुखसाना की दूसरी टाँग के नीचे डालते हुए उसे हवा में उठा लिया और रुखसाना के कान में सरगोशी करते हुए बोला, "भाभी मेरी जान! अपने दिलबर लौड़े को पकड़ कर अपनी फुद्दी में डाल लो!" रुखसाना उससे लिपटी हुई उसकी गोद में हवा में उठी थी। उसे ये पोज़िशन बड़ी दिलचस्प लग रही थी। सुनील ने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को दबोच रखा था। रुखसाना ने एक हाथ नीचे ले जाकर उसके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया। सुनील ने बिना एक पल रुके उसके चूतड़ों को दबोचते हुए एक ज़ोरदार धक्का मारा और सुनील का लंड रुखसाना की फुद्दी की दीवारों को चीरता हुआ एक ही बार में पूरा का पूरा समा गया। "ऊऊऊईईईई सुनील तूने तो मार ही डाला... आअहहहल्लाह!" रुखसाना चिहुँकते हुए सिसक उठी। सुनील ने हंसते हुए उसके होंठों को चूमा और फिर अपने लंड को आधे से ज्यादा बाहर निकाल कर एक ज़ोरदार धक्का मारा। सुनील का लंड फ़च की आवाज़ से रुखसाना की चूत की दीवारों से रगड़ खाता हुआ फिर से अंदर जा घुसा। "आहह सुनील धीरे कर ना...!" रुखसाना ने अपनी बाहों को सुनील की गर्दन में कसते हुए कहा। उसकी चूचियाँ सुनील के चौड़े सीने में धंसी हुई थी और सुनील का मोटा मूसल जैसा लंड उसकी चूत की गहराइयों में समाया हुआ था। "क्या धीरे करूँ भाभी!" सुनील अब धीरे-धीरे रुखसाना की चूत में अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए बोला।
रुखसाना समझ गयी कि सुनील क्या सुनना चाहता है। वो कसमसाते हुए बोली, "ऊँहहह... धीरे प्यार से चोद!" सुनील ने उसकी गाँड को दोनों तरफ़ से कस के पकड़ कर तेजी से अपने लंड को उसकी चूत में अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया... जब उसका लंड जड़ तक रुखसाना की चूत में समाता तो उसकी जाँघें रुखसाना के चूतड़ों पे नीचे से टकरा कर थप-थप की आवाज़ करने लगती। सुनील के ताबड़तोड़ धक्कों ने उसकी चूत की दीवारों को रगड़ कर रख दिया। रुखसाना की चूत से पानी बह कर सुनील के लंड को भिगो रहा था। "ओहहहह सुनील.... हाँ ऐसेऐऐऐ हीईई चोद मुझे मार मेरी फुद्दी.... आहहहह फाड़ दे मेरीईईई फुद्दी आज.... आहहहहहह चोद मेरी चूत को.... आआह भर दे इसे अपनी लंड के पानी से... ऊँईईईंईं!" रुखसाना चुदाई की मदहोशी में बिल्कुल बेपरवाह होकर सिसकते हुए बोले जा रही थी। उसकी टाँगें सुनील की कमर में कैंची की तरह कसी हुई थी।
सुनील अब पूरी ताकत से रुखसान को हवा में उठाये हुए चोद रहा था। रुखसाना उसके लंड के धक्के अपनी चूत की गहराइयों में महसूस करते हुए इस कदर मदहोश हो चुकी थी कि उसे इस बात की परवाह भी नहीं रही कि नीचे सानिया भी घर में है। रुखसाना भी अपनी गाँड को ऊपर-नीचे करने लगी थी। सुनील उसके होंठों को चूसते हुए अपने लंड को पूरी रफ़्तार से उसकी चूत की गहराइयों में पेल रहा था। "हाय सुनील मेरीईई फुद्दी तो गयीईईई... हाँ येऽऽऽ ले आआहह ऊँऊँहहह ऊऊऊईईईई ये ले मेरीईईईई फुद्दी ने पानी छोड़ा... आहह आँहहह..! रुखसाना का जिस्म झड़ते हुए बुरी तरह काँपने लगा। सुनील का लंड भी इतने में झड़ने लगा, "ओहहह रुखसानाआआहहहह भाआआभी येऽऽऽ लेऽऽऽ साली येऽऽऽ ले मेरेऽऽऽ लंड का पानी ऊँह ऊँह ऊँह!" दोनों झड़ कर हाँफने लगे और थोड़ी देर बाद सुनील का लंड सिकुड़ कर रुखसाना की चूत से बाहर आ गया तो सुनील ने रुखसाना को नीचे उतारा।
रुखसाना ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर आ गयी। जैसे ही वो बाहर आयी तो उसे नज़ीला ऊपर आती हुई नज़र आयी। नज़ीला उसके पास आकर बोली, "यार वो सानिया पूछ रही थी कि अम्मी को इतना वक़्त क्यों लग गया ऊपर... और ऊपर आने को हो रही थी... मैंने उसे मुश्किल से रोका है सॉरी यार!"
रुखसाना मुस्कुराते हुए बोली, "कोई बात नहीं नज़ीला भाभी... आप जिस काम के लिये आयी थी वो तो हो गया!" नज़ीला ने पूछा, "क्या हो गया... पर तू तो अभी बाथरूम से बाहर आ रही है... इतनी जल्दी...?" नज़ीला के कान में फुसफुसाते हुए रुखसाणा बोली, "मैं जब ऊपर आयी थी तो सुनील अंदर नहा रहा था... उसने मुझे अंदर ही खींच लिया..!" नज़ीला ने शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ पूछा, "तो बाथरूम में ही तेरी फुद्दी मार ली उसने... कैसे?" रुखसाना शर्माते हुए बोली, "वो मुझे अपनी गोद में ऊपर उठा कर!"
"क्या खड़े-खड़े ही तुझे उठा कर चोद दिया... वाह... काश हमारी भी किस्मत ऐसे होती... तू कहे तो मैं सानिया को अपने घर ले जाऊँ.!" नज़ीला ने पूछा तो रुखसाना ने कहा कि उसकी जरूरत नहीं क्योंकि सुनील नाइट-ड्यूटी पे जा रहा है जबकि सुनील तो नफ़ीसा के घर उसके साथ अपनी रात रंगीन करने जा रहा था। फिर दोनों नीचे आ गयी। नज़ीला कुछ और देर बैठी फिर वो अपने घर चली गयी। रुखसाना ने महसूस किया कि सानिया उसकी तरफ़ थोड़ा अजीब नज़रों से देख रही थी। रुखसाणा ने तो कुछ ज़ाहिर नहीं होने दिया लेकिन रुखसाना की लिपस्टिक मिट चुकी थी और उसकी सलवार- कमीज़ पे भी कईं जगहों पे भीगने के निशान सानिया के दिमाग में शक पैदा कर रहे थे।
दिन इसी तरह गुज़र रहे थे। उस दिन के बाद नज़ीला की बदौलत रुखसाना को अब अक्सर ऐसे मौके मिलने लगे जब शाम को नज़ीला सनिया को किसी बहाने से एक-दो घंटे के लिये अपने घर बुला लेती थी। पर रुखसाना को ऐसा कोई मौका नहीं मिला जब वो पुरी रात सुनील के साथ शराब के नशे में मदहोश होके चुदाई के मज़े ले सके। उधर सानिया को तो पहली बार सुनील से चुदने के बाद दूसरा मौका मिला ही नहीं था। इसके अलावा सानिया को रुखसाना पे भी थोड़ा शक तो होने लगा था पर वो भी श्योर नहीं थी। उसका रवैया वैसे रुखसाना के साथ नॉर्मल था। इस दौरान रुखसाना और नज़ीला आपस में कुछ ज्यादा ही फ्रेंक हो गयी थीं। जब भी नज़ीला उसके घर आती या रुखसाना उसके घर जाती तो दोनों सिर्फ़ सैक्स की ही बातें करतीं। रुखसाना और नज़ीला अक्सर दिन में नज़ीला के घर ब्लू फ़िल्में देखने के साथ-साथ शराब भी पीने लगीं। जब से रुखसाना ने उसे बताया था कि वो शराब के नशे में मदहोश होकर खूब मज़े से रात भर सुनील से चुदवाती है तब से ही नज़ीला को भी शराब पीने की ख्वाहिश थी।
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