Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
06-14-2019, 01:13 PM,
#9
RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
सुबह होने से पहले ही रीटा दी ने मुझे अपने कमरे में भेज दिया। मैं बाथरूम जाकर अपने रूम में सो गया तो सुबह उठने में मुझे थोड़ी देर हो गई थी इसलिए किरण दी मुझे उठाने चली आई और उस वक़्त में ना तो नींद में था और ना ही में जाग रहा था. में बस अपनी दोनों आखें बंद करके लेटा हुआ था, लेकिन उस समय मेरा लंड उठकर मेरे उठने से पहले ही सलामी दे रहा था और वो मेरी अंडरवियर से बाहर निकलकर खंबे की तरह तनकर खड़ा था.

अब किरण दी आकर मेरे पलंग के पास आकर खड़ी हो गई और जब उनकी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने धीरे से अपनी आँख को खोलकर देखा तो उस समय किरण मेरे तने हुए मोटे लंबे लंड को देखकर अपने दांतों तले अपनी उँगलियों को दबाते हुए कई देर तक लंड को निहार रही थी.

फिर वो धीरे से कमरे के बाहर चली गयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया और वो कुछ देर बाद बाहर खड़ी होकर दरवाजे को खटखटाने लगी. मैंने वो आवाज सुनकर उठकर लंड को ठीक किया और दरवाजा खोला तो किरण बोली कि भाई क्या उठना नहीं है? और फिर में घड़ी की तरफ देखकर तुरंत फ्रेश होकर कपड़े पहनकर नीचे आकर रसोई की तरफ जाने लगा तो मुझे किरण और रोशनी की हल्की हल्की कुछ बातें सुनाई देने लगी और में वहीं पर खड़ा होकर उनकी वो बातें सुनने लगा.

फिर किरण कहने लगी कि आज तो गजब ही हो गया. फिर रोशनी उससे पूछने लगी कि ऐसा क्या हुआ किरण जिसकी वजह से तेरे चेहरे का रंग इतना उड़ा हुआ है और तू इतनी ज्यादा बैचेन दिख रही रही है? तब किरण ने कहा कि में जब आज सुबह सुबह संजू भाई को उठाने के लिए उनके कमरे में गयी थी तो मुझे उनकी मोटे लंबे तनकर खड़े लंड के दर्शन हो गये और में उनके लंड की मोटाई और लंबाई को देखकर तो एकदम दंग ही रह गयी. मुझे अभी भी वो सब अपनी आखों के सामने घूमता हुआ दिखाई दे रहा है.

अब रोशनी उसकी वो बातें सुनकर चकित होने का नाटक करते हुए उससे पूछने लगी कि क्या वाकई में उसका लंड इतना मोटा और लंबा था, जैसा तू मुझे बता रही है और कहीं तू मुझसे झूठ तो नहीं बोल रही है ना? अब किरण दी कहने लगी कि भगवान की कसम में आपसे एकदम सच सच कह रही हूँ और मैंने भी आज तक ऐसा दमदार लंड अपने अब तक के इस जीवन में गंदी फिल्मो में भी कभी नहीं देखा.

एक बार तो उसको देखकर मेरा मन हुआ था कि में उसको उसी समय अपने मुहं में लेकर आईसक्रीम की तरह चूस लूँ, लेकिन थोड़ा सा डर और संकोच की वजह से में आगे नहीं बढ़ी. अब रोशनी पूछने लगी कि क्या उसको पता है कि तू उसके लंड को निहार रही थी. उसने तुझे यह सब करते हुए देखा कि नहीं? तो किरण बोली कि नहीं वो तो उस समय बड़ी गहरी नींद में घोड़े बेचकर सो रहा था और उसका लंड उसकी अंडरवियर के अंदर से उठकर सवेरे की सलामी ठोक रहा था. जिसको में देखकर ललचा रही थी और में करती भी क्या?
उनकी बात सुनकर मेरे को झटका लगा कि रोशनी और किरण इतनी ओपन कैसे है। उस दिन पूछने पर रोशनी ने किरण को बिल्कुल भोली बताया था मैं समझ गया कि जरूर कुछ दाल में काला है। ये रोशनी भी कुछ जरूर छुपा रही है

जब में रसोई के अंदर घुसा तो वो दोनों शायद मेरी आहट को सुनकर चुप हो गई और फिर जब में नाश्ता कर रहा था तब किरण दी मेरी तरफ अपनी ललचाई नज़रों से देख रही थी और में उनके मन में चल रही सभी बातें उनके मेरे लिए अब बदले हुए विचार को पूरी तरह से समझ चुका था कि वो मेरे बारे के क्या और कैसा सोचती है? और फिर मैंने गौर किया कि उनका व्यहवार अब मेरे लिए धीरे धीरे बहुत बदलता जा रहा था, जिसका साफ मतलब यह था कि उनको अब मेरे लंड से अपनी चुदाई की बहुत ज्यादा जरूरत है, जिसके लिए वो अब मरी जा रही थी.
मैं अपनी ही सोच में गुम था कि क्या किरण ही मनोज से बात करती है और चुदने को बेकरार है। मैं अब पक्का सबूत पाना चाहता था फिर किरण से कुछ बात करता। अभी तक एक बात और थी कि घर मे किसी को भी सीसीटीवी कैमरे का मालूम नही चला। हिडेन का तो मतलब ही नही था।
मैं दो दिन से लगातार रिकॉर्डिंग चेक कर रहा था मुझे कुछ भी गलत नजर नही आया। मैं बहुत कंफ्यूज था कि हो क्या रहा है यहाँ। जो भी बात रोशनी और किरन में हुई उससे तो यही लगा कि किरण दी सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानती है।

फिर अगली रात में जब में पेशाब करने उठा तो मैंने पीछे क्वाटर में देखा कि रोशन उस समय नशे में बिल्कुल धुत होकर क्वाटर की आँगन में पड़ी खाट पर पड़े हुए खर्राटे भर रहे थे । मैं पिछली सीढ़ियों से नीचे गया और जब में रोशनी के कमरे के पास पहुचा तो मुझे उनके कमरे से सिसकियों की आवाज सुनाई देने लगी, लेकिन उस समय मुझे इतनी ज़ोर से पेशाब लगा था कि में इसलिए बिना देर किए तुरंत सीधा वही बाथरूम में जाकर हल्का हुआ और जब में वापस उनके कमरे के पास से गुजर रहा था, तो मुझे फिर कुछ फुसफुसाहट और साथ में सिसकियों की आवाज़े सुनाई दी.

अब में उनके कमरे की खिड़की से जो कि उस समय थोड़ी सी खुली हुई थी, उससे मैंने अंदर की तरफ झाँककर देखा तो में वो सब कुछ देखकर एकदम दंग रह गया, क्योंकि मैंने देखा कि वो मेरी बहन किरण और रोशनी उस समय एकदम नंग धड़ंग थी. ये हिस्सा कैमरे में नही आता था। रोशनी उस समय अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी और किरण उसकी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी, जिसकी वजह से रोशनी जोश में आकर सिसकियां भर रही थी. वैसे मुझे उन दोनों की चूत बहुत ध्यान से देखने पर भी साफ नहीं दिखाई दे रही, लेकिन हाँ मुझे किरण की गोरी गांड के दर्शन हो गए थे और दोनो कुछ देर तक चुसाई करके अपने को शांत किया और किरण वापिश पिछली सीडी से ही अंदर चली गई। ये देखने के बाद कुछ सोचकर में वापस अपने कमरे में आकर सो गया.

दूसरे दिन में सुबह उठने के बाद से ही अपनी दुकान पर था और फिर दोपहर को ही अचानक से जोरदार बारिश होने लगी, जो कि बहुत देर तक चलने के बाद भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी

फिर इतने में किरण मेरे लिए दोपहर का खाना लेकर आ गई वो पूरी तरह से भीग गयी थी और उसकी सलवार कमीज़ जो कि सफेद रंग की थी वो पानी में भीगने की वजह से उसके बदन पर चिपक गई थी, जिससे उसके कूल्हे और बूब्स बहुत ही मस्त शानदार और जानलेवा दिखाई दे रहे थे और जिसकी वजह से में बहुत चकित था. फिर मैंने उससे कहा कि किरण दी आप इतनी तेज बारिश में क्यों चली आयी? दीदी कहने लगी कि मैं सुबह भी बिना नास्ता किये ही घर से आ गया इसलिए मैं तुमारे लिए खाना लेकर आ रही थी।जब मैं घर से निकली तो उस समय बिल्कुल भी बारिश नहीं हो रही थी और तभी अचानक से आते समय रास्ते में ज़ोर से बारिश होने लगी.

में बहुत देर तक बारिश रुकने का इंतज़ार करती रही, लेकिन जब मैंने इतना इंतजार करने के बाद देखा कि बारिश अब रुकने का नाम नहीं ले रही है तो में यहाँ पर चली आई. फिर मैंने अपना मूड थोड़ा ठीक करते हुए कहा कि खैर चलो अब सबसे पहले तुम यह गीले कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हे जुकाम हो जाएगा और फिर दीदी दुकान के अंदर वाले केबिन में चली गयी. वहाँ पर दीदी को कोई कपड़े नहीं मिले, इसलिए दीदी वापस आ गई और बोली कि संजू अंदर तो मेरे पहनने के लिए कोई भी कपड़े नहीं है.

तब मैंने दीदी से कहा कि तुम एक काम करो अंदर से चेयर पर बड़ा टावल है वो लेकर
अपने को सूखा लो। तब तक मे मंजू को कहता हूं तुम्हे नई टीशर्ट और लेगी दे देगी। वो मेरे कहने पर टावल लेकर आई और मंजू ने उसको एक महीन कॉटन की शर्ट दे दिया और दीदी ने महीन शर्ट पहन ली थी और उस महीन शर्ट से दीदी के गोरे गोरे बूब्स मुझे साफ साफ दिख रहे थे और उस पर गहरे रंग के निप्पल भी मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे और दीदी कुछ देर बाद मुझे खाना परोसने लगी.

फिर में दीदी से कहने लगा कि हम खाना बाद में खाएँगे पहले थोड़ा चाय पी लेते है और दीदी बोली कि हाँ ठीक है. तभी राजन चाय बना कर ले आया, चाय देते हुए राजन भी दीदी के बॉब्स को घुर रहा था और दीदी भी उसको अजीब नजरो से देख रही थी और हल्का हल्का मुस्करा रही थी। मेरी गांड फिर जलने लगी । साला दीदी को ये हुआ क्या है जो ऐसे बीहेव कर रही है। मन मे आ रहा था कि अभी साली को पटक कर चोद दु और इसकी आग को ठंडा कर दु। लेकिन में दुकान पर हंगामा नही करना चाहता था इसलिए खामोश रहा और राजन को टरका दिया वहा से।
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RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी - by sexstories - 06-14-2019, 01:13 PM

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