RE: Hindi Kamuk Kahani मेरी मजबूरी
सरोज ने मुझे उस लड़की का नंबर बताया जैसे ही मैने नंबर देखा तो मेरे पैरों तले जमीन निकल गयी। मैने पूछा कि सरोज तुम कैसे जानती हो इस लड़की को, तो उसने बताया कि ये उसकी फसबूक फ्रेंड है और अभी कुँवारी है और सेक्स करना चाहती है।
मैंने तुरंत सरोज की कॉल काटी और मनोज को फोन किया और बोला कि तुरंत लैपटॉप ले कर आये। मुझे अर्जेंट काम आ गया है।
मनोज ने रिक्वेस्ट की एक दिन रुक जाओ लकिन मैंने आज ही लेपटॉप देने को बोला।
वो उसी जगह लेपटॉप ले कर आ गया। मैंने पूछा कि कोई बात हुई लड़की से उसने मना किया।
मैंने लेपटॉप लिया और घर आ गया। ओर रूम में आकर हिस्ट्री चेक की लेकिन वास्तविकता में मनोज की कोई बात नही हुई लड़की से।
वो नंबर मेरे ही घर का नंबर था जोकि पापा ने मम्मी को लेकर दिया था।
वो फ़ोन घर पर ही रहता था और कोई भी यूज़ कर लेता था।
अब मुंझे पता लगाना था कि वो लड़की कौन हैं।
सरोज की बात के अनुसार वो किरण या रानी दोनो में से हो सकती थी।
मेरी जानकारी में सिर्फ रीटा दी के पास ही अपना मोबाइल था या फिर घर वाला मोबाइल।
किरण या रानी के पास मोबाइल नही था।
पहले पापा और अब मैने दोनों को मोबाइल अलाऊ नही किया था।
मैंने हिस्ट्री से वो fb id निकाल ली और उस पर एक फेक id से रिक्वेस्ट भेज दी शमशेर के नाम से।
मैं बहुत बैचैन था कि यहा मै लड़कियों को चोदता फिरता हूँ और मेरे घर की लड़की ही चुदना चाहती है।
ये आदमी की फितरत है कि खुद कुछ भी करे लेकिन घर का मामला आते ही गांड जलने लगती है।
वैसे ही मेरे साथ हो रहा था।
मैं भगवान को सुक्रिया अदा कर रहा था कि मुझे समय से पता चल गया नही तो खुद ही अपनी बहन को अपने दोस्त से चुदवा बैठता।
मैं अपनी सोच में डूबा था कि रानी मेरे रूम में आ गयी
क्या कर रहे हो भैया,
कुछ नही, मैं बोलै
रानी- भैया आपसे कुछ बात करनी थी।
हां बोलो क्या बात है- मैं बोला
भैया स्कूल का टूर जा रहा है नैनीताल मैं भी चली जाऊ?
रानी की बात सुनते ही मैंने उसको गौर से देखा, एक मस्त जवान होती लड़की जिसकी छोटी में अभी अभी उभार आये है, गांड थोड़ा बाहर लकीन हरकत वही बच्चों वाली। क्या ये हो सकती है वो। मैं मन मे सोचने लगा।
बोलो न भैया क्या जाऊ में टूर पे।
मैं अपने खयाल से बाहर आया और पूछा , और कौन कौन जा रहा है
भैया मेरी सभी सहेली जा रही हैं और 5 टीचर जाएंगे दो मेल और तीन हमारी मैड़म है। रानी ने जवाब दिया
क्या लड़के भी जा रहे है तुम लोगो के साथ,मैं ने पूछा
नही भैया सिर्फ लडकिया ही जा रही है, लड़के अलग टूर पर जा रहे है--रानी
मैं ने कल बताने को बोला और रानी बाहर चली गयी।
मैं फिर आपनि सोच की दुनिया मे खो गया।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई ,मैंने दरवाज़ा खोला, रोशनी थी वो अंदर आ गई।
मैं अपने लैपटॉप पर fb देख रहा था।
मेरा मन रोशनी को देख कर मचल गया । मैं अपनी परेशानी भूल गया। काले ब्लाउज और सफ़ेद साड़ी में वो बड़ी ही बेहतरीन माल लग रही थी।
वो अभी भी बेहद खूबसूरत और जवान थी।
जब वो मेरे कमरे में आई तो उसके स्तन मुझे उसके ब्लाउज से झांकते हुए दिखे।
उसके उभारों में इतनी गोलाई थी कि मैं उनमें ही खो गया।
और भूल गया कि मैं अभी किस परेशानी में हु।
किसी नदी के मचलते पानी की तरह ही उसका बदन था.. बिल्कुल लचीला.. हर तरह के सांचे में ढल जाए मानो…
मुझे तो उसने अपनी खूबसूरती का कायल ही कर दिया था।
जब मेरी नज़र उसके ब्लाउज से झांकते स्तनों को निहार रही थी.. तब रोशनी की नज़रें मुझे ये चोरी करते देख चुकी थीं और वो मेरे इरादे भांप गई थी।
इसलिए उसने अपने साड़ी का पल्लू ठीक किया और मुँह घुमा कर झाड़ू लगाने लगी..
लेकिन फायदा क्या??
अब मुझे उसके चूतड़ नज़र आ रहे थे।
क्या उभरे हुए चूतड़ थे उसके.. मैं तो देखते ही मानो पागल हो गया था।
मैंने अपना मन बना लिया था की रोशनी के साथ कुछ न कुछ हो ही जाए।
उसके बदन की मादक नक्काशी ने मानो मेरे मन में कई मीनार बांध दिए थे।
मैं अपने लण्ड को शांत नहीं कर पा रहा था पर फिर रोशनी भी तो इंसान ही है ना उसे भी वही सारी चीजें मिली हैं जो दूसरी लड़कियों के पास हैं और फिर उसके इतने सुन्दर और इतने गठीले जिस्म को देख कर किस का मन नहीं होगा उसे गन्दा करने को…
मुझे अपने लण्ड को आज फिर उसकी चूत में डाल कर पवित्र करना था..
मेरे तन्नाए हुए लौड़े को रोशनी की जवानी का रस चखना ही था।
ऐसा लगता था कि अब मेरे इस लंड का यही उद्देश्य रह गया था।
मैने उठकर बाहर देखा कि कोन क्या कर रहा है।
सभी अपने अपने कमरे में थे।
रोशनी मेरे कमरे से निकल कर जाने लगी थी।
मैंने आव देखा न ताव और पीछे से जा कर उसके स्तनों को पकड़ कर चूचियाँ अपनी मुट्ठी से भींचने लगा।
अपना लण्ड उसकी गांड को चुभाने में मज़ा आ रहा था.. उसने तनिक विरोध किया तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से रोक लिया और चूमने लगा, धीरे से उसे अपनी तरफ घुमाया और तेज़ी से उसके वक्षों को ब्लाउज से आज़ाद किया।
उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
वो मुझे रोकने लगी तो मैंने उसे कहा- चुप रहो और मज़ा लो।
मैंने धीरे से उसकी साड़ी ऊँची कर अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी।
मैं उसे नंगा करने लगा.. तो वो बोली- कोई देख लेगा…संजू
वो विरोध करने लगी..
उसका विरोध मैं निरंतर अपने होंठों को उसके होंठों पर चिपका कर रोक रहा था।
वो नंगी हो चुकी थी और अब चुदने का मन भी बना बैठी थी।
मैं उसे नंगी ही अपने बिस्तर पर ले गया और उसके बदन को गद्दा समझ उस पर चढ़ गया।
उसकी चूचियाँ मानो जैसे आइसक्रीम का स्वाद दे रही थीं।
मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को छेड़ना शुरू किया और फिर उसने भी मेरा लण्ड मुँह में लेकर बहुत देर तक चूसा।
एक बार तो मैं उसके मुँह में ही झड़ गया..
फिर मैंने धीरे से अपने लण्ड को रोशनी की चूत के मुहाने पर रख कर अन्दर सरकाया और धीरे-धीरे चुदाई आरम्भ की..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसकी ‘आह.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.. ह्हाआआऐईईई’ मुझे और ताकत दे रही थी।
मैं अपनी रफ़्तार से कहीं ज्यादा रफ़्तार रख कर उसे चुदाई की शांति दे रहा था और वो और कामुक होती जा रही थी।
उसकी चुदाई की आग का वहशीपन बढ़ता ही जा रहा था।
मैंने भी अपनी पूरी ताकत लगा कर उसकी वासना को ठंडा किया। कुछ देर उपरान्त झड़ने के बाद हम दोनों नंगे पड़े रहे।
चुदाई का नशा उतरते ही मेरे मन मे फिर वही खयाल आया कि कौन है वो?
मेरे मन मे आईडिया आया कि रोशनि पूरा दिन घर पर रहती है शायद इसको कुछ मालूम हो।
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