RE: Chudai Story बाबुल प्यारे
गतान्क से आगे....................
मैं : आह.मेरे बापू.
बापू : ओह छ्हम्मो . मेरी जान..मेरे लौदे की भूखी.
मैं : मेरी जान.ले ले मेरी. मेरे हरामी बाप.आ.ओ.अपनी बेटी की ले रहा है. इतना मोटा डंडा है तेरा. करता रह अंदर बाहर.आगे.पीछे.फफफ्फ़.
बापू : आ.म.बेटी.तेरी चूत कितनीईई.मज़्ज़ेदार है.जितना मुलायम तेरा बदन है.उतनी ही टाइट तेरी चूत है.
मैं : आई.एम्म. टुक.टुक.लेता रह मेरी. आह.मेरी जान्न.मेरे बदन की मालिश तो बहुत करली.अब मेरे अंदर की मालिश भी करो. बापू.कब से आपके लौदे के लिए मर रही हूँ. बापू ने धक्के और तेज़ कर दिए.
मैं : आ.यह.और .और तेज़.और तेज़ डालो बापू.आआआअ..मेरा निकलने वाला है
बापू : उश. ईएश..एयेए.
मैं :आ..ह..म्म्माआ.. आआहह मैं पूरी मस्ती मैं.मेरा निकल गया.मुझे इतना मज़ा आज तक नहीं आया था.चूत-रूस निकलते समय मैं तो जन्नत में पहुच गयी थी..जब मेरा ऑर्गॅज़म ख़त्म हुआ तो बापू ने मेरी चूत से अपना लॉडा निकाल लिया.और मेरी चूत के ऊपर झाड़ दिया.उनका गरम गरम सीमेन का मेरी चूत और पेट पर गिरना बहुत अच्छा लगा. हम दोनो थक गये थे .इसलिए झाड़ते ही कुच्छ देर बाद सो गये.
सुबह मेरी आँख खुली तो बापू जाग चुके तह.उनके बाथरूम में नहाने की आवाज़ आ रही थी.मैं पूरी नंगी थी पर बापू मेरे ऊपर चादर डाल गये थे .मैने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने और बापू के लिए नाश्ता बनाने लगी.मैने स्कर्ट और टाइट टॉप पहना था.घी ख़तम हो रहा तो मैं शेल्फ पे चढ़ गयी ड्रॉयर में से नया पॅकेट निकालने के लिए.मैं शेल्फ पे चढ़ के घी का पॅकेट ढूंड रही थी तभी बापू रसोई (किचन) में आ गये.
बापू : क्या हुआ.क्या ढूंड रही है.
मैं : बापू वो घी का पॅकेट नहीं मिल रहा था मैं शेल्फ पर खड़ी थी.बापू ज़मीन पर.हमारी शेल्फ इतनी ऊँची नहीं थी इसलिए.बापू का फेस मेरी हिप्स की हाइट तक था...मेरी स्कर्ट काफ़ी छोटी थी जिससे मेरी टांगे नंगी थी..बापू धीरे से मेरे पास आए और मेरी टाँगों पर हाथ फेरने लगे.मैं तो घी निकालने में बिज़ी थी. बापू ने अपना हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डाल लिया.और मेरी हिप्स को प्रेस करने लगे.मैने कुच्छ नहीं कहा.क्यूँ कहती. बापू स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी हिप्स पे किस करने लगे.उन्होने मेरी स्कर्ट हिप्स से ऊपर कर दी.मैने कछी नहीं पहनी थी.मेरी हिप्स पे किस करने लगे.
मैं : ऊ.बापू.
बापू : छ्हम्मो.कल रात तेरे कूल्हों का सेवन (टेस्ट) नहीं किया. बापू मेरे हिप्स/बट्स को जीभ से चाट-ने लगे....बापू शेल्फ पर मेरी टाँगों के बीच में बैठ गये और मेरी चूत पर जीभ मारने लगे.मेरे जिस्म में से एक करेंट सा दौड़ा.
मैं : उउउशश्.ऊ.बापू यह क्या कर रहे हो.
बापू : चुप कर.मुझे नाश्ता करने दे.
मैं : मेरी चूत का नाश्ता.उउउउम.और .चॅटो..एक बेटी नाश्ते में अपने बाप को अपनी चूत से ज़्यादा और क्या दे सकती है..एयाया.पेट भर के खाओ अपनी बेटी की चूत.ऊईए..हाय्य.मेरे पपिताजी..ख़ालो अपनी बेटी की जवान चूत.. उूुउउफफफफफफफफफफफ्फ़... इस्पे आपका ही तो नाम लिखा है.मेरी चूत में अपनी जीभ तो घुस्स्स्ाओ.ऊऊ. बापू मेरी चूत में अपने जीभ घुसा घुसा के चाट-ने लगे.
बापू : चल अब ज़मीन पर आ जा. मैं शेल्फ से उतार के ज़मीन पे आ गयी.बापू ज़मीन पर बैठ गये.मैने खड़े होकर टाँगें खोल ली.बापू ने बैठ कर मेरी टाँगों के बीच अपना मुँह (फेस) दे कर कहा.
बापू : चल अब अपने कूल्हे मेरी तरफ कर. मैने अपनी हिप्स बापू के फेस की तरफ कर दी
|