RE: Chudai Story बाबुल प्यारे
बापू : ले आई खाना.
मैं : हां बापू, चलो काम छ्चोड़ो और पहले खा लो बापू खाने लगे.
मैं : बापू आप'की शहर में मुझे कितनी याद आ रहे थी और आप हो की मुझे पह'ले की तरह प्यार ही नहीं करते हो.
बापू : बेटी याद तो हूमें भी बहुत आती है तुम्हारी. तुम शहर क्या चली गयी मेरा तो मन ही नहीं लग रहा था. अब तक बापू खाना खा चुके थे. बापू खड़े हुए तो मैं बापू के गले से लिपट गयी.
मैं : बापू तुम्हारे बिना मुझे शहर में कुच्छ भी अच्च्छा नहीं लग रहा था. यह कह'ते कह'ते मैं बापू की खुली छाति से अपनी संतरे सी चूचियाँ रगड़'ने लगी.
बापू : बेटी मेरे पसीने से तेरे कपड़े कहराब हो जाएँगे मैं बापू से और कस के लिपट गयी और हल्के हल्के अपने ब्रेस्ट बापू की चेस्ट से रगड़ने लगी
मैं : बापू अगर मुझे आपकी बहुत याद आए तो मैं क्या किया करूँ ? इस रगदाई में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.बापू क्या समझते.वो बहुत भोले थे
बापू : जब भी तुम्हे बहुत याद आए तो यहाँ खेत में आ जाया करो. अब मैं बापू से अलग हुई लेकिन अपने हाथ मैने बापू की चेस्ट पर फेरने लगी. फिर मैं बापू से इजाज़त लेकर घर को चल दी.
मेरे प्यारे बाबुल मुझे सच्च में बहुत प्यार कर'ते थे पर यह प्यार वो प्यार नहीं था जो मैं बापू से चाह'ती थी. मैने फ़ैसला कर लिया कि मेरी प्यास को मेरे बापू ही बुझाएँगे.उस रात मैं सो नहीं सकी. रस्मी के साथ कंप्यूटर पर जो वीडियोज देखे थे उनके सीन मेरी आँखों के आगे घूम'ने लगे. बापू मुझे सॅप'नों का राजकुमार लग'ने लगा.
दूसरे दिन जब बापू खेत पर चले गये तो पल पल मेरे लिए भारी होने लगा. मैं बात देख रही थी कि कब खेत मैं खाना पाहूंचाने का सम'य आए और मैं अपने प्यारे बाबुल के पास पहून्च जाऊं. इन दिनों खेत की फसल मेरी हाइट से ऊँची हो गयी थी इसलिए कोई खेत में आसानी से दिखता नहीं था. मैने सोचा यह भी तो अच्छा ही है.
मैं : बापू.मैं आ गयी मैं बापू से जाकर लिपट गयी.और हां, बापू सिर्फ़ लूँगी में थे.
बापू : अर्रे बेटी, तू कब आई
मैं : अभी अभी, मैं अपने ब्रेस्ट बापू की चेस्ट से रगड़ने लगी.मज़ा आ रहा था.
बापू : छेमिया तुम तो कुच्छ ज़्यादा ही उदास रहने लगी हो मैने सोचा सब कुच्छ अभी करने से काम बिगड़ सकता है.आख़िर एक बाप अपनी बेटी को इतनी आसानी से नही चोदेगा. मुझे अपने बापू के डंडे को अपनी चूत की तरफ धीरे धीरे आकर्षित करना होगा. मुझे पता था कि अगर मैं एक दम से ओपन हो गयी तो बात बिगड़ सकती है. मैं चाहती थी के बापू खुद ही बेबुस हो जाए और उन्हे लगे कि इस काम के वो खुद भी रेस्पॉन्सिबल हैं. मैने सोचा सारा काम कल से शुरू किया जाए. रात को हम बाप-बेटी एक साथ तो सोए लेकिन मैने कुच्छ नहीं किया.और बापू ने क्या करना था, उनके लिए तो मैं बेटी के अलावा और कुच्छ ना थी. मैं रात को भी वही पुराने सलवार-कमीज़ में सोई.
अगला दिन मेरे लिए आशा की नयी किरण लिए हुए उगा. मेरे मामा के गाओं का एक आदमी सुबह ही घर पहून्च गया था. रात में मेरे नाना की अचानक तबीयत बहुत खराब हो गयी और मा तुरंत उस आदमी के साथ मेरे नाना के घर जाने वाली थी. सुबेह मैने ही सब के लिए नाश्ता बनाया. नास्ता करते ही मा तो उस आदमी के साथ मेरे मामा के गाओं चली गयी.
मैं : बापू मैं दोप-हर को खेत पर रोटी ले आऊँगी.
बापू : अच्छा. बापू के जाने के बाद मैं नहाई और अपना शहर में सिलवाया हुआ टाइट , डीप-कट सूट पहना. दोप-हर हुई तो बापू का खाना खेत पर लेकर चल्दि.मैं तो एग्ज़ाइट्मेंट से मरी जेया रही थी. मेरे डीप-कट कमीज़ में से मेरे उभार (ब्रेस्ट) काफ़ी एक्सपोज़्ड थे.बटन खोलने की देर थी की उभार सॉफ दिखते.ब्रा तो आज मैने पहनी ही नहीं थी.
मैं : बापू
बापू : ले आई रोटी मेरा सूट फ्लोरोस्सेंट ग्रीन कलर का था.जब बापू ने मुझे देखा तो वो थोड़े हैरान से हुए.आख़िर अपनी बेटी के उभारों की झलक पहली बार मिली थी.
मैं : चलो पहले खा लो
बापू : तूने खा लिया ?
मैं : मुझे अभी भूक नहीं है बापू रोटी खाने लगे.
मैं : बापू, आपने मेरा सूट नहीं देखा
बापू : हां, रंग अच्छा है.पर क्या यह थोड़ा टाइट और छ्होटा नहीं है.
मैं : छ्होटा.कहाँ से ?
बापू : सामने से.
मैं : सामने से ? कहाँ सामने से ?
बापू : सामने से.मेरा मतलब है छाति से.
मैं : ओह छाति से, नहीं तो, यह तो शहर में आम है.
बापू : क्या शहर में तुम्हारी उम्र की छ्हॉक'रियाँ ऐसे ही सूट पहन'ती है?
मैं : सब ऐसे पेहेन्ते हैं.बल्कि यह तो कुच्छ भी नहीं.
बापू : कोई मुझे बता रहा था कि शहर का माहौल ऐसा ही है
मैं : हां वो तो है.लेकिन मुझे तो अपने पर कंट्रोल है
बापू : अच्छी बात है बेटी.तुझे अपने आप को ऐसे माहौल से बच के रहना चाहिए बापू ने रोटी खा ली तो मैं घर जाने के लिए चली, दो तीन कदम पर ही मैने पैर (फुट) मुड़ने (स्प्रेन) का बहाना किया और गिर गयी.
मैं : ओह.बापू. बापू भागते हुए आए
बापू : क्या हुआ बेटी ?
मैं : बापू.पैर मूड (स्प्रेन) गया.बहुत दर्द हो रहा है बापू ने मेरा सॅंडल निकाला और देखने लगे
बापू : कहाँ से मुड़ा है.कहाँ दर्द हो रहा है ?
मैं : ऊ.बापू.बहुत दर्द हो रहा है
क्रमशः......................
|