RE: Sex Kahani आंटी और माँ के साथ मस्ती
मुझसे रहा नही गया ऑर मैं तुरंत घर भाग कर गया मेने मामी ऑर मम्मी को ये बात बताई
मे:मम्मी मे सब कुछ आप पे छोड़ता हूँ,अगर आपकी इच्छा है किसी से चुदवाने की तो मे नही रोकुँगा क्योकि मेरा कोई अधिकार नही बनता कि मे किसी को भी चोदु ऑर तुम्हे किसी से चुदने से रोकू
मम्मी:नही मेरी इच्छा न्ही है किसी से चुदवाने की
मे:आपकी मर्ज़ी,मेने सब कुछ आपे छोड़ दिया है
ऑर मे खेतो की तरफ वापस निकल गया
शाम को चाचा आए
चाचा:मेने सब कुछ मामला सेट कर दिया है,रात को तुम मंजू के खेत मे चले जाना
मे:क्या बात है ,मतलब मंजू मान गयी
चाचा:ऐसा हो नही सकता कि मेरी बात को कोई औरत मना कर्दे
मे:अच्छा है
चाचा:ऑर अब तू मंजू को चोदना ऑर मे तेरे घर जाता हूँ तेरी माँ को चोदने
मे:ठीक है ऑर मेने भगवान पे छोड़ दिया
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रात होते ही मे मंजू के खेत पे भागा
खेत पहुचने पे देखा कि मंजू अपनी कुटिया मे खाट पे बैठी थी
मे मंजू को देखकर मुस्कुराया ,मंजू भी मुझे देखकर मुस्कुराइ
मे:आंटी कैसी है आप
मंजू:ठीक हूँ
मे:आंटी आप,अच्छी लग रही है
मंजू शरमा जाती है
मे मंजू की चुचिया देख रहा था जहाँ मुझे ब्लाउज का कटाव नज़र आ रहा था ,ऑर पसीने मे होने के कारण ऐसी लग रही थी जैसे कामदेव की अप्सरा हो
मंजू जब उपर देखती है तो मुझे अपनी चुचियो की ओर देखता पाते वो शरमा जाती है ऑर वापस नीचे देखने लग जाती है
मे थोड़ा मंजू के पास खिसकता हुआ
मे:आंटी आज आप वाकई मे बहुत सुंदर लग रही हो ,जैसे कोई स्वर्ग की अप्सरा ज़मीन पे आ गयी हो
मंजू हँसते हुए"चल हट,आंटी को मस्का लगाता है"
मे:नही आंटी मुझे आपकी कसम ऑर मे ये कहते हुए अपना हाथ मंजू के सिर पे रख देता हूँ
मे:आंटी आप बहुत काम करती हो ,आज भी शायद बहुत काम किया है,देखो कितना पसीना निकल रहा है ,ऑर मे ये कहते हुए मंजू के गले की ओर इशारा करता हूँ जहाँ से पसीना बहता हुआ ब्लाउस मे जा रहा था ऑर जिस कारण ब्लाउस गीला हो गया था
मेरी नाक मे मंजू के पसीने से भीगे हुए शरीर की खुसबू जाते ही मेरे लंड मे हलचल होना शुरू हो गयी ऑर मेरे पाजामे के अंदर से ही तंबू बन ने लग गया
मंजू भी मेरे लंड को खड़ा होता देख थोड़ा हिचकिचा जाती है
मे अब अपना हाथ मंजू के बाजू मे लेजा कर मंजू को अपने शरीर की तरफ खींचने लगता हूँ ,जिससे मंजू की एक साइड से चुचिया मेरी छाती से अड़ने लग जाती है ,जिससे मंजू का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लग जाता है
मंजू की साँसे ज़ोर से चलने के कारण मंजू की चुचिया उपर नीचे हो रही थी ,जिसे देखकर मेरा लंड बेकाबू हो जाता है
मेने भी बात को इधर उधर घुमाने की जगह सीधे मुद्दे पे आने की सोची क्योकि अब मुझसे रहा नही जा रहा था,जिस औरत को चोदने का ख्वाब मे देखा करता था वो मेरे सामने बैठी है ऑर चुदने को तैयार है
मे:आंटी आपका पसीना देखा कर लगता है आज आपने बहुत काम किया है ,आप लेट जाओ मे आपके पेर दबा देता हूँ
मंजू भी चुदने को तैयार थी ,क्यो कि बहादुर चाचा ने बता दिया था कि आज रात मे उसे चोदने आ रहा हूँ
इसलिए मंजू आंटी कुछ नही कहा ऑर सीधी लेट गयी
मेने मंजू आंटी के पाव दबाने शुरू किए,मे पहले घाघरे के उपर से ही पाँव दबा रहा था ,लेकिन धीरे धीरे मेने घाघरे को उपर करना शुरू कर दिया ,ऑर मंजू मेरी इस हरकत का कोई विरोध नही कर रही थी जो मेरी हिम्मत बढ़ा रहा था
धीरे धीरे घाघरा घुटनो तक ले गया ,मंजू की चिकनी टांगे देखकर ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा
मे अपने मन "इसकी टांगे ही इतनी चिकनी है तो तो अंदर के आइटम मे तो मज़ा ही जाएगा""
मे:आंटी कुछ आराम मिला
मंजू:हाँ थोड़ा थोड़ा मिल रहा है
मे अब मंजू आंटी के पाँव धीरे धीरे उपर तक दबाने लग गया था ,जल्दी ही मे ऐसी इस्थिति मे पहुँच गया था जहाँ से मेरा हाथ चूत से बस कुछ इंच ही दूर रह जाता
मुझे घाघरे के उपर से ही महसूस हो रहा था कि मंजू की कितनी मांसल जांघे है,मुझे तो दबाने मे ही मज़ा आने लगा,
अब मेरी उंगलियों ने चूत को छूना शुरू कर दिया था,मुझे पता चला कि मंजू की चूत गीली है
मे:आंटी एक बात कहूँ
मंजू:हाँ बोल
मे:मुझे आपकी जांघे बहुत पसंद आई
मंजू :अच्छा
मे:मे एक बार इन्हे बिना कपड़ो के देखना ऑर छूना चाहता हूँ
मंजू:तेरी मर्ज़ी है बेटा,तू जो करना चाहता है कर ले
ये बात सॉफ इशारा कर रही थी कि मंजू चुदना चाह रही थी
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