non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:34 PM,
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
रामू- मैंने भी तो मेडम, अपने चुदाई धर्म को खूब निभाया, और आपके छूटने के बाद ही छूटा था।
सुमनलता- चुदाई धर्म खूब निभाया था और मेरे छूटने के बाद ही छूटा था। साले, मेरी फुद्दी के सारे कस-बल ढीले कर दिए तूने। मेरी फुद्दी त्राहिमाम-त्राहिमाम करने लगी थी। तीन बार पानी छोड़ चुकी थी मेरी चूत, तब कहीं जाकर पूरे एक घंटे के बाद अपना पानी निकाला था तूने। पानी क्या निकाला था... पूरा का पूरा टब भर गया होता। वो तो मेरी खेली खाई चूत थी, वरना... कोई मेरी बेटियों जैसी कमसिन चूत होती तो तीन दिन तक बेहोश ही रहती।
रामू- क्या बात करती हैं मेडम? ऐसे भी कहीं होता है?
सुमनलता- मैं जानती हूँ रामू बेटे कि मैं बात में थोड़ी सी नमक मिर्च लगाकर बोल रहीं हैं। ताकी हमारे प्रिय गाशिप के पाठकों को मजा भी तो आना चाहिए ना, इस कहानी को पढ़ने में।
रामू- वो तो है मेडम। फिर हमने ऐसी पारी खेली की पलंग चरमरा उठा। चुन-चुन-चुन करने लगा।
सुमनलता- और नहीं तो क्या? उसके ऊपर आज तक ऐसी दमदार चुदाई हुई भी कहाँ थी। बेचारा पलंग तुम्हारा धक्का बर्दास्त कर लिया यही गनीमत है।
रामू- और आपकी इस फुद्दी का भी मैं तहेदिल से धन्यबाद अर्पित करना चाहता हूँ। जिसने मुझे मेरे इस मस्ताने लण्ड को काफी मजा दिया है।
सुमनलता- अरे रामू बेटे, धन्यबाद तो मुझे तुम्हारा कहना चाहिए। जितने मजा मेरी फुद्दी ने तुम्हें दिया है, उससे कहीं ज्यादा ही मेरी फुदी ने मजा लूटा भी है। आज तक ऐसा मस्ताना लण्ड ना देखा, ना सुना, ना पढ़ा, ना कभी अनुभव किया था। आज मेरी फुदी धान्य-धान्य हो गई तुम्हारे मस्ताने लण्ड से चुद करके। तो रामू बेटे, कैसे रहा अपना पहला इंटरव्यू?
रामू- मेरे लिए तो बड़ा ही जबरदस्त रहा। और आपको मेरा इंटरव्यू देना कैसा लगा मेडम?
सुमनलता- रामू बेटे, मुझे भी बड़ा ही मजा आया। पर ये क्या तुम्हारे पैंट में तंबू जैसे क्या है? कहीं, यहाँ से कुछ छुपाकरके तो नहीं ले जा रहे हो? दिखाओ अपना पैंट? अरे बाप रे... ये तो तुम्हारा लण्ड है रामू बेटे। ये तो फिर से खड़ा हो गया है। कहीं मेरी बातों से तो नहीं खड़ा हो गया है तुम्हारा लण्ड?
रामू- हाँ मेडमजी... वैसे मेरा लण्ड नारी जाति की बहुत ही इज्ज़त करता है। किसी भी खूबसूरत लड़की को देखते ही इज्ज़त देने को फट से खड़ा हो जाता है। लड़की की फुद्दी का मुहाना देखा नहीं की घुसने के लिए तुरंत तैयार हो जाता है। अंदर-बाहर, अंदर-बाहर होकर फुद्दी की सही तरह मालिश करके उसकी खुजली मिटाने की हर कोशिश करता है। अपना जूस उसके अंदर डालकर उसे सही मजा भी देता है। फिर उस महान फुद्दी के सम्मान में अपनी गर्दन झुका देता है।
सुमनलता- अरे वाह.. रामू बेटे, क्या बात कही तूने। मेरी फुद्दी में खुजली होने लगी है। इसे मिटाएगा कौन?
रामू- जांघों के बीच में... झांटों की राहों में... फुद्दी की सुरंग में.. खुजली मिटाने को... एक लौड़ा निकलता है.. जिसे आप चोदू कहते हैं।
सुमनलता- तो मेरे चोदू राजा, आ जा। मेरे जांघों के बीच में आ जा। बजा दे चूत का बाजा।
रामू- मेडम... फिर से चुदाई से पहले कुछ चूत चाटी भी हो जाये।
सुमनलता- हाँ हाँ... क्यों नहीं? मैं भी तेरे लण्ड को चूस लेती हैं। बड़ा मजा देता है, तेरा लण्ड।
रामू- कहीं कोई आ ना जाए?
सुमनलता- कौन आएगा? मेरे पातिदेव तो स्वर्ग सिधर चुके हैं। स्वर्गलोक से कोई राकेट में बैठ के यहाँ वापस आने से रहे। मेरी तीनों बेटियां आफिस जा चुकी हैं। रही नौकरानी की बात... तो उसे मैंने सुबह से ही 100 का नोट देके छुट्टी दे रखी है की दोपहर से पहले नहीं आना।
रामू- जीयो मेडम... आपके दिमाग का कोई जवाब नहीं।
सुमनलता- और मेरे इस खूबसूरत बदन का... मेरी इन मस्तानी चूचियों का... गुलाबी होंठों का... कजरारे नयनों का... मखमली फुद्दी का कोई जवाब नहीं है क्या?
रामू- “तो शुरू करें चूत चाटी। संग में होगी लण्ड चुसाई..” और दोनों ही 69 पोजीशन में आ गये और जैसे कोई प्रतियोगिता शुरू हो गई। रामू फुद्दी के दानों को सहलाते हुए अंदर तक जीभ घुसेड़ते हुए चूत चाटने लगा। सिसकियां भरती हुई सुमनलता भी लण्ड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। कोई भी हार मानने के लिए तैयार नहीं था।
पर थोड़े ही देर सुमनलता मेमसाहेब- “अरे बेटे अब बर्दास्त नहीं हो रहा है। चल मैं हारी तू जीता। अब तो घुसेड़ दे मेरे सैंया। क्यों तड़पा रहा है?”
रामू- जो आज्ञा मेडम जी।
सुमनलता- जब हम दोनों के बीच में कोई पर्दा नहीं रहा तो फिर मुझे मेडम-मेडम क्यों कहता है। सुमनलता या सुमन कहकर पुकार।
रामू अपना लण्ड चूत के मुहाने पर रगड़ते हुए- नहीं मेडम जी, ये नहीं हो सकता है? मैं अपने दोस्त की बहन । को चोदते समय भी दीदी ही कहता हूँ। इससे एक खतरा नहीं होता। मैं अगर आपको सुमनलता या सुमन कहूँगा तो कभी भी आपकी लड़कियों के सामने भी मेरी जवान फिसल सकती है। और मेरा तो खैर कुछ नहीं... पर मैं आपकी इज्ज़त का जनाजा आपकी बेटियों के सामने उठ जाए, ये खतरा मोल नहीं ले सकता।
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