non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
06-06-2019, 01:10 PM,
#83
RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
मैं- सच में कालिया, भगवान ने इसे बड़े फुर्सत से बनाया होगा।
दूसरे दिन सुबह कारखाने में।
कालिया- गुरू रात कैसी बीती?
दीनदयाल याने मैं- यारा कालिया क्या बताऊँ। साली रात भर मेरे सपने में थी। रात भर चुदवाती रही टाँगें उठाकर।
कालिया हँसते हुए- “इसीलिए गुरू आज जरा लंगड़ाते हुए चल रही थी...”
अब तो क्या मैं, क्या कालिया, क्या श्यमू, क्या भोलू... वो गोरी मेमसाहेब हर किसी के सपने में आने लगी। हर कुँवारा उसके ही नाम का मूठ मारने लगा। और हर शादीशुदा अपनी बीवी को चोदते समय ये कल्पना करने लगा की वो अपनी बीवी को नहीं, उस गोरी मेमसाहेब को चोद रहा है। उनकी बीवियां भी खुश... चलो पतिदेव सुधर गये, अच्छी चुदाई कर रहे हैं।
और ऐसे में एक दिन कालिया सुबह सुबह मेरे घर में आया- अरे गुरू, तुमने सुना? वो गोरी मेमसाहेब?
मैं- अरे बता... गोरी मेमसाहेब का क्या हुआ? किसी के साथ भाग गई या कोई रात को उसका बलात्कार तो नहीं कर दिया। अरे बता ना कालिया? देख मेरा जी घबरा रहा है। जल्दी बता दे मेरी सपनों की रानी को हुआ क्या
है?
कालिया- अरे गुरू आपके वो सपने की रानी। तो हम सभी 1500 कर्मचारियों की सपने की रानी है। आपको तो पता है कि सभी उसके नाम की ही मूठ मारते हैं। किसी लड़की को चोदते समय भी खयालों में वही होती है।
मैं- मैं जानता हूँ कालिया। अपने-अपने सपने में सभी उसे चोदते हैं। पर मेरे सपने में तो केवल और केवल मैं ही उसे चोदूंगा कहे देता हूँ। और किसी को छूने भी ना दूंगा गोरी मेमसाहेब को।
कालिया- ठीक है दीनू भैया, पर मेरे सपने में तो मैं चोद सकता हूँ ना तेरी उस गोरी मेमसाहेब को।
मैं- भाई तेरा सपना... तेरी मेमसाहेब, तेरी मेमसाहेब की फुद्दी, तेरा लण्ड... तू चाहे उसके फुद्दी में लण्ड डाल, उसके गाण्ड में लण्ड डाल या उसके मुँह में मुझे क्या?
कालिया- वाह गुरू... वो क्या कही आपने। मेरा लण्ड मेरी मरजी। वो वाहा आज लगता है दुबारा मूठ मारनी पड़ेगी।
मैं- “मूठ क्यों मरेगा पगले? सीधा जा बँगलो का दरवाजा खोल, घंटी बजा। दरवाजा खोलेगी तेरी वो गोरी मेमसाहेब। सीधा बाहों में ले लेना बाहों में उठाकर सीधा उसे पलंग में पटकना। कपड़े खोलकर पहले उसकी फुद्दी चाटना। उधर वो तेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसेगी। फिर उसकी टाँगें फैलाना। अपना लण्ड उसकी गोरी-गोरी मखमली चूत में घुसाना। ध्यान से कहीं खून ना निकल जाए। फिर धक्का लगाते जाना... लगते जाना... जब तक तेरा...”
कालिया- “हे भैया, निकल गया... निकल गया...”
मैं- अबे गधे, क्या निकल गया?
कालिया- गुरू, मेरा लण्ड का पानी निकल गया।
मैं- अबे हद कर दी। मेमसाहेब को चोदने की बात सुनते ही तेरा लण्ड उल्टी कर देता है तो असल में अगर चोदना पड़े तो? उनकी गोरी-गोरी फुद्दी देखते ही तू तो बेहोश ही हो जाए।
कालिया- सच में, हाँ... गुरू। उसी बात के लिए तो मैं आपके पास आया था।
मैं- उसी बात के लिए तो मैं आपके पास आया था। क्या मतलब है तेरा?
कालिया- सच गुरू, अपना गोरी मेमसाहेब को चोदने का सपना साकार हो सकता है।
मैं- तू पागल तो नहीं हो गया?
कालिया- सच गुरू, ऐसी फड़कती हुई खबर लाया हूँ की आप खुश हो जाएंगे।
मैं- अच्छा अच्छा... पहेलियां ना बुझा और बोल जो बोलने आया है।
कालिया- मुझे खबर मिली है गुरू की वो गोरी मेमसाहेब असल में फर्स्ट क्लास रंडी है।
मैं- कालिया, तेरा दिमाग तो नहीं खराब हो गया?
कालिया- सच कहता हूँ गुरू, पक्की खबर है।
और उसी दिन पूरे कारखाने में ये खबर आग की तरह फैल गई की गोरी मेमसाहेब पैसा लेकर चुदवाती हैं। हम सबके मन में एक आस सी जागी। दोपहर के बाद एकाएक कुछ खराबी के कारण बिजली काट गई और हम सब बाहर बैठके बातें करने लगे।
ढोलू- सच, दीनू भैया... आपने गोरी मेमसाहेब के बारे में सुना?
मैं- कौन सी बात ढोलू?
कालिया- अरे, गुरू सुबह आपको बताया तो था।
मैं- फिर भी कुछ तो लेती होगी? मेमसाहेब, आम रंडियों की तरह तीस-तीस रूपए में तो नहीं ना चुदवाती होगी?
ढोलू हँसते हुए- अरे किस जमाने में हो दीनू भैया। अभी आपको पता है... मैं कुछ दिन पहले मशीन ठीक करने नागपुर गया था। वहाँ मन किया तो रेड लाइट एरिया घूमने निकल गया।
सड़क पर एक लड़की मिली। बोली- चलना है?
मैंने पूछा- कितना लेगी?
उसने कहा- तीस रूपए।
मैं आगे बढ़ा।
दूसरी लड़की ने कहा- पचास रूपए।
तीसरी लड़की ने कहा- सत्तर रूपए।
जब पाँचवी लड़की ने सौ रूपए कहा।
तो मैं उसके संग हो लिया। चुदाई से पहले मैंने उससे पूछा- तुझमें ऐसे क्या खासियत है की बाहर सड़क वाली लड़की तो तीस रूपए में चुदाने को राजी और तेरी डिमांड सौ रूपए।
लड़की ने कहा- एक तो मैं खूबसूरत हैं।
तो जानते हो दीनू भैया।, मैंने कहा- चूत तो तेरी एक ही होगी। वहीं जाँघ के पास ही होगी। चूत में क्या खासियत है ये बता?
लड़की ने कहा- मेरी चूत में एक उंगली घुसा?
मैंने घुसाया।
उसने कहा- दूसरी घुसाओ... फिर तीसरी... फिर चौथी... अब पाँचवीं भी घुसाओ। अच्छा अब एक काम करो। दूसरे हाथ की एक उंगली घुसाओ।
कालिया- अबे तो ऐसे बोल ना की तूने उसकी फुद्दी में अपने दोनों हाथ की दसों उंगलियां घुसेड़ डाली।
ढोलू- हाँ कालिया।
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