RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मेरी बातें सुनकर रजनी की आँखों में चमक आ गई, मगर उसके साथ ही दो आँसू फ़िर उसकी आँखों से टपक कर गिरने के लिए बेचैन हो गये।
तो मैंने फौरन ही उनको अपने होंठों पर ले लिया, और जल्दी से कहा-“अब मत रोना, मुझसे बर्दास्त नहीं होगा…”
रजनी ने मुश्कुराते हुए कहा-“अरे यह तो खुशी के आँसू हैं। एक दुनियाँ जो राज के नाम से खौफ खाती है। राज… जिसका नाम दहशत का दूसरा नाम है, वो मुझसे मुहब्बत करता है। मैं तो अपनी खुशकिस्मती पर नाज करती हूँ। अब तो मुझे लग रहा है कि शायद मैं हारकर भी जीत गई हूँ…” इसी के साथ ही उसने मेरे सिर को दोनों हाथों से पकड़कर अपने करीब कर लिया और उसने अपने गर्म-गर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, और उनको चूमने लगी।
मैं भी उसका साथ देने लगा। वो शोले जो कुछ देर की बातचीत से ठंडे होने लगे थे एक बार फ़िर तेज साँसों की गर्मी से भड़कने लगे। उसने अपनी जबान मेरे मुँह में दाखिल कर दी और मैं उसको चूसने लगा। मेरा एक हाथ
उसके मम्मों पर हरकत कर रहा था। कुछ देर की लिप किसिंग के बाद मैंने उसके होंठों को छोड़कर अपनी जबान को उसके कानों की लोलकी तक ले गया और उनको अपनी जबान से छेड़कर होंठों से चूसने लगा।
रजनी की आँखें बंद हो गई थीं। मैं उसके कानों की लोलकी से होता हुआ उसकी गर्दन पर आ गया और फ़िर वहाँ पर उसको किसिंग करने लगा। रजनी अब नीचे तड़प रही थी, शायद उसकी सुराही जैसी लंबी गर्दन ही उसका टर्निंग पॉइंट था जो उसको फौरन ही सेक्स की इंतिहा पर पहुँचा देता था। दो मिनट की किसिंग ने मुझे महसूस करवा दिया था कि रजनी का सेक्स प्रेशर अब कहाँ तक पहुँच चुका है।
रजनी तड़प रही थी। मैंने धीरे-धीरे एक हाथ उसके मम्मे से हटाकर उसकी पैंटी की तरफ बढ़ा दिया और उसकी पैंटी की बगल में लगी डोरी की गाँठ को खोल दिया, जिससे उसकी पैंटी एक साइड से खुल गई और मेरा हाथ उसे वहाँ से हटाने की कोशिस करने लगा। मगर एक साइड उसकी दूसरी जाँघ और उसके चूतड़ों के नीचे फँसा हुआ था।
रजनी ने महसूस कर लिया कि पैंटी उसके नीचे फँसी होने के कारण उतर नहीं रही है तो उसने अपने पैरों की मदद से खुद को थोड़ा ऊपर किया, जिसकी वजह से पैंटी उसके नीचे से आसानी से निकल गई। अब रजनी मेरे सामने पूरी नंगी पड़ी थी। राज-साइज़ के बेड पर लगी लाइट में ग्रीन सिल्क की चादर पर उसका गुलाबी जिश्म एक नाजुक कली का मंज़र पेश कर रहा था, जो अब फूल की तरह खिलने को बेचैन था। मैंने एक नजर भरकर उसे देखा और एक बार फ़िर उसकी गर्दन पर झुक गया। मगर उसके साथ ही मैंने एक साइड करवट ले ली। मेरा बायाँ बाजू रजनी की एक साइड पर बँधा हुआ था।
मैंने अपना पूरा वजन अपनी कोहनी पर करते हुए, दायें बाजू की मदद से अपनी पैंट का बेल्ट खोला और खुद को पैरों और बायें बाजू की कोहनी पर उठाते हुए पैंट को अंडरवेर के साथ ही कमर के नीचे से निकाल दिया, और फ़िर पैरों में फँसी हुई पैंट को अपने पैरों की ही मदद से खींचकर उतार दिया। अब मैं भी रजनी के दायें तरफ, यानी दायें साइड पर लेटा हुआ था और मेरे होंठ अभी तक रजनी की गर्दन पर हरकत कर रहे थे। रजनी के मुँह से मजे के कारण सिसकियाँ निकल रही थीं।
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