Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-01-2019, 02:03 PM,
#38
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
चाचा भी स्कूल से आ गये थे, और खाना खा रहे थे, चाची ने मुझे भी बिताया और खाना दे दिया.. हम दोनो ने साथ-साथ खाना खाया..

कुच्छ देर इधर-उधर की बातें हुई.. फिर चाचा अपने खेतों की ओर चले गये..


तब तक चाची भी खाना खा चुकी थी.. चाचा के जाने के बाद मेने भी चाची से कहा – चाची मे भी निकलता हूँ.. तो वो बोली –

तुम रूको तुमसे अभी एक ज़रूरी काम है…

मे फिर से उनके पलंग पर बैठ गया…और बोला- हां चाची बताइए, क्या काम है…?

वो मेरे पास बैठ गयी.. और कुच्छ देर मेरी ओर देखती रही…फिर उनकी नज़र नीचे को हो गयी और अपनी सारी के पल्लू को अपनी उंगली में लपेटे हुए बोली..

वो – लल्ला मे वो ना ! वो जो कपड़े तुमने पसंद किए थे ना ! उनके बारे में बात करनी थी तुमसे…

मे – उनके बारे में मुझसे क्या बात करनी है चाची..?

वो – अब ऐसे कपड़े मेने कभी लिए तो नही थे, ना जाने कैसे लगेंगे.. ?

मे – अरे तो इसमें क्या है, एक बार पहन कर देख लीजिए ना ! पता चल जाएगा..

वो – लेकिन मे खुद कैसे देख पाउन्गि..?

मे – पहन कर शीशे के सामने खड़ी होकर देख लेना और कैसे…

वो – इतना बड़ा शीशा होना भी तो चाहिए ना… और मेरे पास मोहिनी बहू जैसी वो क्या कहते हैं, हां वो.. दर.दर्शन्णन्न् टेबल तो है नही..

मे – ओह ! ड्रेसिंग टेबल….

वो – हां ! वही… ! तो अब कैसे देखूं..? क्या तुम मुझे देखकर बता दोगे..?

मे ? मे…मे कैसे देख सकता हूँ.. आपको उन कपड़ों में..? आप एक काम करिए, भाभी या रामा दीदी को दिखा दीजिए… वो आपको बता देंगी कैसे लगते हैं आप पर…

वो – कैसी बातें करते हो लल्ला… मे भला ऐसे कपड़ों को मोहिनी बहू या रामा बिटिया को कैसे दिखा सकती हूँ..?

वो क्या सोचेंगी मेरे बारे में..? की देखो चाची को इस उमर में ऐसे कपड़ों की क्या ज़रूरत पड़ गयी…

सच में तुमने तो मुझे फँसा दिया लल्ला…! अब तुम्हें ही देखकर बताना पड़ेगा हां ! और वैसे भी तुम हमारे घर में सबसे छोटे हो, उपर से तुमने एक दिन मुझे वैसी हालत में देख भी लिया था.. तो तुम्हारे सामने मुझे झिझक थोड़ी कम होगी….!

मे – ओह चाची ! तो आप चाचा को ही क्यों नही दिखा देती…

वो – वो तो देखते ही मारखाने बैल्ल की तरह भड़क उठेंगे, .. छूटते ही कहेंगे ये क्या रंडियों जैसे कपड़े ले आई हो..

फिर वो मेरे हाथ अपने हाथों में लेकर बोली – अब अगर तुम भी नही देखना चाहते तो कल उन कपड़ों को वापस कर देना, जब कॉलेज जाओ तब…

मे - ओह चाची ! अच्छा चलो अब !.. ठीक है आप पहनो मे देख लेता हूँ कि आप कैसी लगती हो उन कपड़ों में…

वो – तुम एक काम करो.. दो मिनिट बाहर चले जाओ, मे तब तक वो पहन लेती हूँ, फिर तुम्हें आवाज़ दे लूँगी..

मे उठकर बाहर उनके आँगन में चला गया… फिर कोई 10-15 मिनिट के बाद चाची ने मुझे आवाज़ देकर अंदर बुलाया…

वो गले तक एक चादर ओढ़े हुए पलंग के पास खड़ी थी.. मुझे देखते ही उन्होने नज़रें झुका ली.. मेने पुचछा – हां चाची वो कपड़े पहने या नही…दिखाओ..!

तो उन्होने झेन्प्ते हुए.. धीरे-2 अपने बदन से चादर अलग की और अपनी नज़रें नीची किए पैर के अंगूठे से फर्श को कुरेदने लगी….....

एक मिनी ब्रा और छोटी सी पेंटी में कसे उनके मादक गदराए.. गोरे बदन की सुंदरता में मे तो खो सा गया.. वो इन कपड़ों में मियाँ खलीफा को भी मात दे रही थी…

बड़े-बड़े पपीते जैसे उनके कठोरे वक्ष, जो अब भी अपनी कठोरता बरकरार रखे हुए थे, जिनका निपल से उपर का पूरा हिस्सा खुला हुआ था,

ब्रा के कप की चौड़ाई भी मात्र 3” से ज़्यादा नही थी, जिससे दोनो चुचियों की पुश्टता एकदम साफ-2 दिखाई दे रही थी.

30 की उमर में भी उनका पेट ज़रा भी बाहर नही निकला था, हां हल्की सी मासलता ज़रूर थी, जो उनके हुश्न में और चार चाँद लगा रही थी,

खूब गहरी नाभि, जो थोड़ी सी नीचे की तरफ झुकी हुई… उनकी सेक्स अपील को डरसा रही थी.

मांसल केले के तने जैसी जांघों के बीच, दुनिया का अनमोल खजाना.. माइक्रो बिकनी में सही से ढक भी नही रहा था, साइड से उनकी झान्टो के बाल निकल कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे, शायद महीने भर से साफ नही किए होंगे..

कसी हुई पेंटी में उनकी रसीली के होंठ अपनी पुश्टता दिखाने से बाज़ नही आए.. और उनका उठान, फिर उनके बीच की दरार साफ-साफ अपना इंप्रेशन दे रही थी.

जब बहुत देर तक मेने कुच्छ नही कहा, बस यूँ ही खड़ा उनके रूप लावण्य में खोया रहा, तो चाची ने अपनी नज़र उठाकर एक बार मेरी ओर देखा, और मुझे अपने बदन को निहारते पाकर, एक बार फिरसे उनकी नज़र शर्म से झुक गयी…

बताओ ना लल्ला..! कैसी लग रही हूँ मे इन कपड़ों में…?

आंनन्ज्ग…हां…! मे जैसे नींद से जागा… थोड़ा पलटना चाची… मे एक बार पीछे से भी तो देख लूँ.. तब बताउन्गा…!

वो जब पलटी तो….तो…उनके कुल्हों की पुश्टता देखकर मेरा मूह खुला का खुला रह गया…उनके 38” की गान्ड पर वो छोटी सी पेंटी की पट्टी सिर्फ़ उनकी दरार को ही ढक पा रही थी…

ढक भी नही पारही थी, बस उसमें फँसाने से अपने आप को किसी तरह बचाए हुए थी..
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RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस - by sexstories - 06-01-2019, 02:03 PM
Nise story - by Ram kumar - 01-07-2020, 11:26 PM

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