RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर के हाथ भाभी के शरीर पर घूम ज़रूर रहे थे पर उनका ध्यान तो भाभी के सुंदर सुडोल…गोरे.चिट्टे आकर्षक शरीर पर घूम रहा था…वे अब अपने आप को बड़ी मुश्किल से रोके हुए थे…भाभी भी अपने मुँह को अपने हाथों से छुपाए हुए मंद मंद सिसकारी भर रही थी…मगर अचानक ही……ससुर भाभी के ऊपर आ गये ऑर भाभी के शरीर को बेतहासा चूमने लगे….भाभी कसमसा रही थी…ऑर ससुर उसके पूरे शरीर को चूमने चाटने लगे थे…..
भाभी…पिताजी ये आप क्या कर रहे है…में आपकी बहू हूँ…प्लीज़ मेरे साथ ऐसा ना करें पर कोई विरोध भी नहीं कर रही थी…पर अब ससुर कहाँ रुकने वाले थे….उनके चूमने की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी…इस अचानक हमले से भाभी भी सम्भल नहीं पाई थी…ऑर शायद उसने पहले से ही इसके लिए अपने आप को तैयार कर लिया था….पर वो मात्र दिखाने के लिए कसमसा रही थी ऑर अपने को छुड़ाने का कोई भी प्रयास नहीं कर रही थी….
भाभी…पिताजी प्लीज़ हमारे साथ ऐसा ना कीजिए….हम तो आपकी बहू है…
ससुर…हाँ बेटी तुम हमारी बहू ही हो…पर तुम्हारे इस सुंदर गठीले शरीर पर कुछ तो हक़ हमारा भी है….आज तो हमें भी इसकी सेवा करने दो….
भाभी…पर ये तो पाप है पिताजी….
ससुर…एक औरत ऑर मर्द जब मिलते है तो ये पाप नहीं पुण्य बन जाता है….क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है बेटी…..क्या तुम्हें ये अच्छा नहीं लग रहा है…यदि तुम्हे बुरा लग रहा है तो हम एक ओर हट जाते है….
भाभी…नहीं नहीं पिताजी अच्छा तो लग रहा है…पर ये तो पाप है…हम आपको अलग हटने के लिए कब कह रहे है….
ससुर जान गये…कि अब बहू चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार है…इस लिए उन्होने जल्दी ही भाभी की ब्रा भी उतार फैकि…ऑर भाभी की भारी भारी….सुडोल चुचियों से खेलने लगे ऑर एक चुचि के निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे थे…..भाभी की सिसकार बढ़ गयी…आआआहहीीइसस्स्स्स्स्सुउुुुुुआाहह पिताजी….आअप तो वास्तव में दूध पीने लगे…आअहह थोड़ा धीरे से पिताजी….हमें दर्द होता है…..ऑर ससुर जी बहू की चुचियों से प्यार से खेलते हुए उन्हें चाटने चूमने लगे….उन्होने तो कल्पना भी नहीं की थी…कि उनकी बहू इतनी सुदर गठीले बदन की होगी…..वे बारी बारी से दोनों चुचियों को चूम चाट रहे थे….ऑर भाभी का हाल बहुत खराब हो चुका था……
भाभी…पिताजी आपने हमें तो पूरा नंगा कर दिया है….ऑर खुद….????
ससुर -अभी पूरा नंगा कहाँ किया है बेटी…अभी तो पैंटी पहने हो तुम….
भाभी…तो क्या पैंटी भी उतारोगे पिताजी…पर आपने तो कोई भी कपड़ा नही उतारा है…..
ससुर…हैं बेटी अब पैंटी भी उतारनी पड़ेगी…वर्ना हम उस पवित्र जल को कैसे पीएँगे जो तुम्हारी चूत से बह रहा है…..ससुर ने पहली बार चूत शब्द का इस्तेमाल किया था….
भाभी….प्लीज़ पिताजी…हमारी पैंटी मत उतारना….फिर तो हम बिल्कुल ही नंगी हो जाएँगे…..हमें तो सोच कर ही ना जाने क्या हो रहा है….
ससुर ने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए जब भाभी ने आँखे खूल कर देखा तो वो चोंक गयी ससुर जी का लंड उसकी उम्मीद से कही बड़ा था…वो घबरा गई…कि कही पिता जी ने इससे उसकी चूत में डाल दिया तो वो तो बिल्कुल फट ही जाएगी…..उसका शरीर काँप गया….
ससुर…क्या हुआ बहू….तुम ही तो कह रही थी…कि हमने आपने कपड़े नहीं उतारे है ये लो अब हम तो बिल्कुल नंगे हो गये है पर तुम अभी भी पूरी नंगी नहीं हो…..पर भाभी तो ससुर जी के लंड को ही देख रही थी…कितना बड़ा ऑर मोटा था….इसको कोई औरत कैसे झेल सकती है….
ससुर…क्या देख रही हो बहू….
भाभी…पिताजी…आपका ये कितना बड़ा ऑर मोटा है….इसे कोई औरत कैसे झेल सकती है….प्लीज़ पिताजी…मुझे बहुत डर लग रहा है…आप फिर से कपड़े पहन लो….मेने तो इतना भारी देखा तो नहीं पर सुना भी नहीं है….
ससुर…डरो नहीं बेटी…कुछ नहीं होगा…तुमने देखा था ना वो मोटा लंबा साँप उस बारीक से छेद में कैसे घुस गया था…इसी तरह से ये भी अपनी जगह बना लेगा….तुम्हे कोई परेशानी नहीं होगी…
भाभी तो क्या पिताजी….आप ऐसे हमारी इसमें डालेंगे….भाभी ने डरते हुए कहा…..
तब तक ससुर ने भाभी की पैंटी को भाभी के शरीर से अलग कर दिया…ऑर भाभी ने भी भारी चूतड़ ऊपर को किए जिससे वो आसानी से निकल गयी….
भाभी…पिताजी ये आपने क्या किया…हमारी पैंटी भी उतार दी…हमें पूरा ही नंगा कर दिया है…ऑर अपने हाथों से अपनी चूत को छुपाने का प्रयास करने लगी…….
ससुर…तो क्या हुआ बेटी…हम भी तो पूरी तरह से नंगे हो चुके है….
भाभी…पिताजी आप को तो शर्म नहीं आती है…पर हमें तो शर्म आ रही है….ऑर आपने लाइट भी बंद नहीं की है…इस तरह से तो हमारे साथ कभी उन्होने भी नहीं किया…वो भी पहले लाइट तो बंद कर ही देते थे…
ससुर…आरे बेटी…इतने सुंदर शरीर को कोई भला अंधेरे में कैसे निहार सकता है…वो तो बेवकूफ़ है…जिसने इस सुंदर,सुडोल ऑर मांसल काया का आसली मज़ा ही नहीं लिया है…पर में तो अंग अंग निहरना चाहता हूँ बेटी….
भाभी…क्या हम वास्तव में सुंदर है पिताजी….
ससुर- हां बेटी तुम बहुत सुंदर हो…तुम्हारा अंग अंग महक रहा है…मन कर रहा है..तुम्हारा अंग अंग पी जाऊ…..
भाभी…वो कैसे पीओगे पीताजी…..
ससुर…तुरंत बहू के ऊपर फिर से आ गये ऑर बहू के रसीले होंठो को चूमने लगे उन्हें अपने मुँह में भर लिया…ऑर रसमलाई की तरह से चूसने लगे….बहू भी मस्ती में होंठ चुसवाती रही…ऑर अचानक अपनी जीभ ससुर जी के मुँह में डाल दी…अब क्या था…ससुर जी आइसक्रीम की तरह से जीभ को पीने लगे थे….कुछ देर तक ऐसे ही होंठ ऑर जीभ पीने के बाद ससुर जी बहू की गर्दन को चूमने लगे….
जब ससुर जी ने बहू के इयर्स (कान) को चूमा तो बहू सिहर उठी….ससुर जी ने तुरंत बहू के कान के पीछे का हिस्सा चूमना शुरू कर दिया…वो चुदाई के एक माहिर खिलाड़ी थे…वो जाने थे कि औरत के खास अंग कोन्से होते है….थोड़े देर के बाद ससुर जी फिर से होंठो को चूम कर भाभी की चुचियों को मसल मसल कर चूसने लगे थे….भाभी की सिसकारियाँ अब तेज हो चली थी…वो लगातार सिसिया रही थी….उूुउउम्म्म्ममम ईईईईआआआआईईईइसीईईउउुुउउम्म्म्ममममहाआाआऊओंम्म्ममह…..भाभी की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था….ससुर जी का भारीभरकम गधे का लंड कई बार उनकी चूत पे हल्की चोट कर चुका था…ऑर भाभी के मुँह से आआहह निकल कर रह जाती थी…भाभी इतनी गर्म हो चुकी थी,,,कि उनकी चूत किसी भी पल अपना पूरा पानी छोड़ सकती थी….या यूँ कहूँ कि भाभी आज सातवे आसमान पे थी…वो आज पूरा आनंद ले रही थी….
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