RE: Kamukta Story चुदाई का सिलसिला
ससुर…बेटी तुम टाय्लेट कर लो में बाहर इंतजार करता हूँ….
भाभी…ठीक है पिताजी…..ससुर बाथरूम के दरवाजे को बंद कर बाहर आ गये..ऑर भाभी ने साड़ी को उपर उठाकर पैंटी को नीचे किया…ऑर बैठ गई…पेशाब का प्रेशर भी काफ़ी था….ऑर पेशाब बड़ी तेज़ी से….कुछ भाभी का प्लान….सस्स्स्स्स्सुउुुुुउउईईईईईईईईईईई….सस्स्स्स्स्स्स्सीईईई….सस्स्सीईई की धुन ससुर को मदहोश कर रही थी…ऑर भाभी…वहीं पर बैठी बैठी…मुस्कुरा रही थी…..ओर झटके के साथ फिर से सस्स्स्स्स्स्स्सीईईईई उूउउस्स्स्स्स्स्सिईईईईए की धुन…ससुर को घायल करने के लिए काफ़ी थी…
.ये तो भाभी भी जानती थी कि ससुरजी दरवाजे के पास ही खड़े है…ऑर उसकी चूत से निकलने वाले पेशाब की आवाज़ ज़रूर सुन रहे होंगे….इसीलिए…भाभी ने पेशाब भी बड़ी अदा से किया….उससे निकलने वाली धुन खुद आज भाभी को भी निराली लग रही थी….प्प्प्प्प्प्प्पीईईईईईइससस्स्स्सीईईईईईई की धुन पर दो जिस्म पिघलने लगे थे…..
भाभी ने पेशाब करने के बाद …चूत को ताजे साफ पानी से अच्छी तरह से धोया…ऑर हाथ सॉफ करने के बाद उठी…तो आआहह की आवाज़ बाहर तक चली आई….
ससुर….क्या हुआ बहू…तुम ठीक तो हो ना…
भाभी…जी पिताजी…में अब कुछ ठीक हूँ..क्या आप मुझे जरासा सहारा देंगे….
ससुर क्यूँ नहीं बेटी में अभी आता हूँ…ऑर ससुर दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गये….भाभी की शादी अभी अव्यवस्थित थी…ऑर पल्लू भी चुचियों पर ठीक से नहीं ढका था….ससुर मदहोशी में ही बहू के पास गये ऑर उसकी दोनो बगलों में हाथ दे दिए….अबकी बार ससुर की हथेली का दबाव भाभी की चुचियों पर पड़ रहा था….
भाभी…आआहह….
ससुर…क्या हुआ बेटी…
भाभी…जी आपका हाथ….पिताजी….
ससुर…ओह….थोड़ा सा डब गया था…बेटी..क्या दर्द हुआ है….
भाभी…नहीं पिताजी…वो बस…ऑर शरमा कर मुस्कुरा दी….
ससुर जी ने भाभी को अच्छी तरह से पकड़कर अपने ऑर करीब किया ऑर बाथरूम से बाहर लाकर उसके रूम में ले जाने लगे…पर उनका टेंट बना हुआ लंड भाभी के चुतड़ों को बार बार छू रहा था…जिससे भाभी के सरीर में सिहरन सी दौड़ जाती थी…ऑर कई बार तो भाभी जानबूझ कर अपने चुतड़ों को ससुर के लंड पर रगड़ भी देती थी…जैसे सब कुछ अंजाने में ही हुआ हो….
ससुर ने भाभी को बेड पर लिटा दिया…लिटाते हुए उनका मुँह भाभी की चुचियों को छू गया… आअहह…
ससुर…अब दर्द कैसा है बेटी….
भाभी….कुछ कम है पिताजी…
ससुर…बेटी अगर तुम कहो तो में सरसो के तेल की मालिश तुम्हारे पेट पर करके गरम पानी से सिकाई कर दूं…जल्दी आराम मिलजाएगा….
भाभी….पर कैसे पिताजी…मुझे तो शरम आती है….
ससुर…इसमें शरम की क्या बात है बेटी…फिर में तो तुम्हारे पिता समान हूँ…मुझ से क्या शरमाना….
भाभी…पर पिताजी….
ससुर…पर वर कुछ नहीं…तुम लेटी रहो में सरसों का तेल लेकर आता हूँ….ऑर ये कहकर ससुर बाहर चले गये…..
भाभी…उनको जाते हुए देखकर मंद मंद मुस्कुरा दी…यही तो शायद उनकी प्लॅनिंग का पहला चेप्टर था…..
कुछ ही देर के बाद ससुर एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर आ गये…ऑर एक बोटेल में गरम पानी भी भर लाए थे….
ससुर…लो बहू तुम सीधी लेट जाओ में तुम्हारे पेट पर तेल की मालिश कर दूं…फिर इस गरम पानी की बोतल से सिकाई कर दूँगा…
भाभी..सीधी लेटते हुए…पर पिताजी…में आपके सामने अपने पेट को नंगा कैसे कर सकती हूँ…
ससुर…कोई बात नहीं बेटी…मुझसे क्या परदा…में तो तुम्हारे पिता समान हूँ ऑर फिर ये दर्द भी तो ठीक करना है ना…
भाभी…हाँ ये तो ठीक है…ये दर्द तो ठीक करना है पर मुझे तो शर्मा आ रही है….
ससुर…मुझसे क्यूँ शरमा रही हो बेटी…क्या मेरा ये भी फ़र्ज़ नहीं कि में तुम्हारे पेट की मालिश ही कर सकूँ…तुम तो डेली मेरे पैर दबाती हो…
भाभी…हैं ये तो ठीक है पिताजी…पर में कैसे अपने पेट से पल्लू को हटाऊ…मुझे तो आपके सामने शर्म आती है….
ससुर…तुम ऐसा करो बेटी…आपनी आँखें बंद कर्लो…बाकी में खुद कर लूँगा….पर तुम्हारा दर्द तो हटाना ही हैं ना….बेटी….
भाभी…जी वो तो है पिताजी…पर…
ससुर…पर कुछ नहीं…ऑर ये कहते हुए बहू के पेट से साड़ी का पल्लू एक ओर हटा दिया….भाभी ने अपनी आँखों पर शर्म से हाथ रख लिया….
बहू का सुडोल गोरा पेट देखकर ससुर जी के तो होश ही उड़ गये….नाभि का छेद तो ससुर जी को ऑर उत्तेजित कर रहा था….ससुर जी का मन बहू के पेट को चूमने के लिए मचल उठा…पर थोड़ी…शांति भी रखनी थी…नहीं तो मामला बिगड़ भी सकता था….यही सोच कर ससुर जी ने अपने उपर कंट्रोल किया…ऑर हाथ में तेल लेकर बहू के पेट पर लगाने लगे….
भाभी….पिताजी,…मुझे गुदगुदी हो रही है….प्लीज़ रहने दो ना….
ससुर..कैसे रहने दूं बेटी…मेरा भी तो कुछ फर्ज़ है कि नहीं….आज तो पहली बार तुम्हारी सेवा का मौका मिला है….भला वो कैसे छोड़ दूं…वरना हमेशा तुम ही मेरी सेवा करती हो…..
ससुर का हाथ लगते ही भाभी की हालत खराब होने लगी…उनकी साँसे तेज होने लगी…उनकी गालों पर शुर्खी आ गई थी…पूरे सरीर में बिजलियाँ सी दौड़ने लगी थी….ऑर ससुर बड़ी चालाकी से पूरे पेट पर मालिश कर रहे थे…कई बार तो उनका हाथ भाभी के ब्लाउस तक ऑर कभी…नीचे साड़ी ऑर पीटिकोट के नाडे तक जा रहा था….पर अब तो हद ही हो गयी…..ससुर जी ने एक उंगली…भाभी की नाभि के छेद में डाल दी ऑर उसको अंदर घुमाने लगे…….
भाभी….मुझे बहुत गुदगुदी हो रही है पिताजी…ये आप क्या कर रहे है….
ससुर…कुछ नहीं…बेटी तुम्हारे इस छेद का दर्द दूर करने की सोच रहा हूँ…. बेटी अगर तुम कहो तो तुम्हारी साड़ी ऑर पेटिकोट थोड़ा नीचे कर दूं कही कपड़ो पर तेल ना लगे जाए…..
भाभी…पिताजी…मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है…भला कोई ससुर बेटी के साथ ऐसे भी करता है….
ससुर…अभी तो मेने कुछ भी नहीं किया है बेटी…बस तुम्हारे पेट की मालिश ही कर रहा हूँ…पर ऐसे तुम्हारे कपड़े खराब हो सकते है….
भाभी…अगर ऐसा है पिताजी तो फिर थोड़ा सा नीचे कर दो…
ससुर…ठीक है बेटी…ऑर ससुर कपड़ो को थोड़ा नीचे सरकाने लगे…अरे बेटी तुम्हारा पेटिकोट का नाडा टाइट बँधा है..कपड़े तो नीचे नहीं हो पा रहे है….अब क्या करूँ….अभी तक ससुर जी का लंड एक टाइट मोटी रोड़े की तरह से टाइट हो चुका था…ऑर बहू के कूल्हे पर चोट मार रहा था…जिसे भाभी महसूस करके ऑर उत्तेजित हो रही थी….
भाभी…पर पिताजी…
ससुर…क्या हुआ बेटी…में तो थोड़ा ही नीचे करूँगा….इससे मालिश ऑर गरम पानी की बोटेल से सिकाई भी ठीक से हो सेकेगी….
भाभी…पिताजी…शरमाते हुए…कोई आ गया तो…क्या सोचेगा….
ससुर…अब कॉन आएगा…बेटी…आज में तुम्हारी पूरी सेवा करना चाहता हूँ…यदि तुम इजाज़त दो तो बेटी….पेटिकोट का नाडा कुछ ढीला कर दूं तभी तो कपड़े नीचे हो पाएँगे….ऑर पूरी तरह से मालिश भी हो पाएगी….
भाभी…में कैसे कहूँ…पिताजी…ये तो ग़लत होगा…ऑर मुझे शर्म भी आ रही है…..ऐसा तो कभी उन्होने भी नहीं किया है….
ससुर…तो फिर उन्होने कैसे किया है बेटी…ज़रा में भी तो जानू…
भाभी…आप बड़े खराब है…पिताजी…भला…ये में कैसी बताऊ कि उन्होने…..कैसे किया है…..
ससुर…आज जान ही चुके थे…कि बहू को कोई एतराज नहीं है…बस थोड़ा शरमा रही है…ऑर वैसे भी ज़्यादातर महिलाए…कभी भी शुरआत नहीं करती…ये तो बहू है…अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा….ससुर ने बहू की साड़ी थोड़ी एक तरफ को सर्काई…ऑर जैसे ही पेटिकोट के नाडे पर हाथ लगे तो बहू चौंक कर उठ बैठी…ये क्या कर रहे हैं आप पिताजी…..कुछ नहीं बेटी बस थोड़ा सा ढीला करके…थोड़ा नीची कर दूँगा…जिससे मालिश भी ठीक होगी ऑर तुम्हारे कपड़े भी खराब नहीं होंगे…..
भाभी…पिताजी….पर हमे तो शर्म आ रही है….आपके सामने ऐसे कैसे लेट सकते है हम…..
ससुर…क्यूँ बेटी इसमें क्या बुराई है….हम तुम्हारे पिता समान है ऑर तुम हुमारी बेटी हो…क्या हमारा ये भी हक नहीं है कि हम अपनी बेटी की मालिश कर सके….
भाभी…ये तो ठीक है पिताजी…पर….पर…वो हमें लाज आती है….
ससुर…बेटी जब तुम सुबह लता से किचन में बाते कर रही थी…तो कुछ मेने भी सुनी है….वो अपने ससुर की कितनी सेवा करती है….कितना ख़ुसनसीब है उसका ससुर….ऑर एक हम है….कि हमारी बहू…हमे मालिश भी नहीं करने दे रही है…लो बेटी हम चले जाते है…तुम पर हमारा अधिकार ही क्या है….
भाभी..आप बड़े खराब है पिताजी…आपने छुप कर हमारी बातें सुन ली….
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