RE: Free Sex Kahani चमकता सितारा
मैं तो खोया ही हुआ था कि उसके पहले निवाले ने मेरी तन्द्रा भंग की। मैंने नाश्ते की प्लेट पर नज़र डाली, चावल.. चिकन अफगानी और टमाटर की बनी ग्रेवी थी। मेरा सबसे पसंदीदा खाना.. जो मैं अक्सर डॉली के साथ रेस्टोरेंट में खाया करता था।
डॉली शायद ही कभी अपने घर में कुछ बनाया करती थी। मैं अक्सर उसे ताने देता कि तुम अगर मेरी बीवी बनी.. तब तो बस जली हुई चपातियों से ही काम चलाना होगा।
वो हर बार जवाब में मुझसे यही कहती- अभी शादी को बहुत वक़्त है.. तब तक सीख लूँगी न..
मैं- कब सीखा ये बनाना तुमने?
डॉली- तुम्हें अपने हाथों से बनाई हुई डिश खिलानी थी.. वर्ना जाने के बाद भी मुझे ताने मारते। अब वैसे भी वक़्त बचा नहीं है.. सो मैंने…
मैंने अपने हाथ उसके मुँह पर रख कर उसकी बात यहीं रोक दी।
‘वक़्त की याद दिलाओगी.. तो शायद इस वक़्त को भी मैं जी ना पाऊँ!’
अब हम दोनों चुप थे, ये खामोशियाँ भी चुभन देती हैं.. इस बात का एहसास मुझे उसी वक़्त हुआ।
मैंने खाना ख़त्म किया और अपनी शर्ट पहनने लगा, डॉली को शायद ये लगा कि मैं अब जाने वाला हूँ, वो सब छोड़-छाड़ कर मुझसे लिपट गई।
मैंने कहा- जान हाथ तो धो लो.. मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ..
डॉली- ठीक है.. पर ये शर्ट मेरे पास रहेगा.. मैं तुम्हें ये देने वाली हूँ ही नहीं।
मैं- अरे यार.. तो मैं घर कैसे जाऊँगा।
डॉली- वो सब मैं नहीं जानती.. मैं ये शर्ट नहीं देने वाली हूँ तुम्हें.. बस..
वैसे भी बिना हाथ धोए ही उसने इसे पकड़ लिया था.. सो सफ़ेद शर्ट में दाग भी लग गए थे। मैं इसे ऐसे में घर पहन जा भी नहीं सकता था।
सो मैंने कहा- ठीक है जी.. आपका हुकुम सर आँखों पर..
डॉली रसोई ठीक करने में लग गई और मैंने अपने फ़ोन को स्पीकर से जोड़ा और तेज़-तेज़ गाने बजाने लगा। उस पर भी अजीब से मेरे डांस स्टेप्स।
डॉली के दादा-दादी की बोलचाल की भाषा भोजपुरी थी और जब भी मुझे डॉली को चिढ़ाना होता.. मैं या तो उससे भोजपुरी में बातें करने लगता या फिर ऐसे ही भोजपुरी गाने तेज़ आवाज़ में बजाने लगता। आज भी मैं वही सब कर रहा था।
मैं ऐसे ही डांस करते हुते रसोई में गया और डॉली के दुपट्टे को अपने दांतों में फंसा कर बारात वाले नागिन डांस के स्टेप्स करने लग गया।
डॉली चिढ़ती हुई बाहर आई और उसने गाना बंद कर दिया..
मैंने उसे अपनी ओर खींचते हुए कहा- का हो करेजा? (क्या हुआ मेरी जान)
डॉली- ने अपना मुँह अजीब सा बनाते हुए कहा- अब कहो..
मैं- रउरा के हई डिजाइन देख के मन करतवा कि चापाकल में डूब के जान दे दई.. (तुम्हारे इस फिगर को देख कर ऐसा लग रहा है.. जैसे हैण्ड पंप में कूद के जान दूँ मैं..)
डॉली ने अपना सर पकड़ते हुए कहा- आज तो तुम कूद ही जाओ.. मैं भी देखूँ आखिर कैसे एडजस्ट होते हो तुम उसमें?
मैं हंसने लग गया.. मैंने वाल-डांस की धुन बजाई और डॉली को बांहों में ले स्टेप्स मिलाने लगा।
यह डांस डॉली ने ही मुझे सिखाया था। एक-दूसरे की बांहों में बाँहें डाले.. आँखें बस एक-दूसरे को ही देखती हुई।
मैं धीरे से उसके कानों के पास गया और उससे कहा- सच में चली जाओगी मुझे छोड़ के?
डॉली ने मुझे कस कर पकड़ते हुए कहा- नहीं.. बस झूटमूट का.. मैं तो हमेशा तुम्हारे पास ही रहूँगी। जब कभी अकेला लगे.. अपनी आँखें बंद करना और मुझे याद करना। अगर तुम्हें गुदगुदी हुई तो समझ लेना मैं तुम्हारे साथ हूँ।
वो फिर से मुझे गुदगुदी करने लग गई और मैं उससे बचता हुआ कमरे में एक जगह से दूसरी जगह भागने लग गया।
आखिर में हम दोनों थक कर बैठ गए। मेरे जन्मदिन वाले दिन को जो हुआ था.. उसके बाद शायद ही कभी हंसे थे हम दोनों..
उस दिन को हमने जी भर के जिया।
मैं एक बार तो भूल गया था कि उसकी शादी किसी और से हो रही है। शायद मैं आज याद भी नहीं करना चाहता था इस बात को…
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