RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
मैं कोई 4 दिन तक अपने दोस्त के घर रहा और फिर वहाँ से घर की तरफ रवाना हो गया तो जो पैंट क़मीज़ मैने यहाँ आते हो पहनी थी
मेरे दोस्त के मशवरे के मुताबिक मैं उन्ही कपड़ों मैं ही रहा, वो अच्छी तरह से गंदे हो गए और जब मैं उन्ही गंदे और मैले कपड़ों मैं 4 दिन बाद घर आया तो
मुझे देखते ही
अम्मी की आँखों मैं पानी आ गया और वो रोते हो मेरी तरफ भागी और मुझे लीपेट के ज़ोर से अपने साथ भींच लिया
मेरी अपनी हालत उस वक़्त अम्मी को इस तरह रोता देख के खराब होने लगी थी की
मैने अपने आप को ज़रा संभाला और अम्मी को खुद से अलग किया और अपने रूम की तरफ चल दिया
किसी से भी बात किए बिना बाजी फरी जो की मेरे लिए मेरा सब कुछ बन चुकी थी उन की तरफ भी अपना दिल कड़ा कर की देखे बिना मैं अपने रूम मैं आया और अपने कपड़े निकल के जा के नहाया और फिर से रूम मैं जा घुसा और दरवाजा को अंदर से लॉक कर क लेट गया जो की मैं ये सब जान बुझ के ही कर रहा था
घर वाले जितना मेरे वापिस आने से खुश थे वहाँ उस से भी कहीं ज़्यादा मेरे रविए पे हेरान भी थे
की आख़िर मुझे हो क्या गया है इसी तरह थोडा वक़्त गुज़रा था की मेरे रूम के दरवाजे पे नॉक होने लगी और
जब मैने ना तो दरवाजा खोला और ना ही कुछ बोला तो एक बार फिर से दरवाजा नॉक हुआ और साथ ही अबू की आवाज़ भी सुनाई दी जो की दरवाजा खोलने का बोल रहे थे
अबू की आवाज़ सुन के
मैं थोड़ा घबरा भी गया लेकिन दिल को मजबूत कर के दरवाजा खोल दिया और
जब अबू पे मेरी नज़र पड़ी तो मैं जहाँ था वहीं का वहीं किसी बुत की तरह खड़ा रह गया कयुँकि अबू इन 4 दीनो मैं ही बिल्कुल बूढ़े नज़र आने लगे थे और उनके कंधे भी झुके नज़र आ रहे थे
मैं हेरनी से अबू की ये हालत देखता हुआ सामने से हट गया
अबू मेरे रूम मैं आए और मेरी तरफ देखते हो रो पड़े तो मेरी समझ मैं नहीं आया की आख़िर मैं करूँ
तो क्या करूँ और अबू को कैसे चुप करवाऊं की तभी अम्मी और बाजी फरी रूम मैं आ गई और अबू को संभाल के चारपाई पे बैठा दिया तो
अम्मी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा विकी ये तूने ने क्या किया बेटा आख़िर कहाँ हमारे प्यार मैं तुम्हे कमी नज़र आयी
मैं... पता नहीं उस वक़्त मेरे अंदर इतनी दलेरी कहाँ से आ गई की
मैं अम्मी की आँखों मैं आँखें डॉल के बोला आप को तो प्यार था ही नहीं मेरे साथ तो कमी कहाँ से आ गई
अम्मी... हेरनी से मेरी तरफ देखते हुयी बोली
विकी ये तो क्या बोल रहा है बेटा मैं माँ हूँ तेरी और मैं अपनी सारी औलाद मैं तुम्हे सब से ज़्यादा प्यार भी तुम से ही करती हूँ
मैं... तल्ख़ लहजे मैं अम्मी से बोला की जितना प्यार आप मुझ से करती हैं उस से ज़्यादा शक भी करती हो आप
और अगर आप मुझे प्यार करती ना अम्मी तो शक कभी नहीं करती वो भी इतना घटिया
अबू... जो की अभी तक सर झुका के बैठे हमारी बात सुन रहे थे
झटके से सर उठा के पहले मुझे और फिर अम्मी को देखते ही बोले क्या बात है रहना
ये विकी क्या बोल रहा है किस बात का शक करती हो तुम मेरे बेटे पर की जो ये इस तरह घर से चला गया था
अम्मी... जो की पहले ही काफ़ी परेशान लग रही थी अबू की बात सुन के उन का रंग फीका पड़ गया
लेकिन वो कुछ बोली नहीं बस सर झुका के खड़ी रही
अबू... जब अम्मी की तरफ से कोई जवाब ना मिला तो मेरी तरफ देखते हो बोले विकी तो बता मुझे बेटा की क्या बात है जिस की वजाह से तुम घर से निकल गये थे मैं तेरे साथ हूँ
मैं...अम्मी की तरफ देखता हुआ जो की अभी तक सर झुका के खड़ी अपनी उंगलियाँ मरौदरही थी और उन का फेस पसीने से भीग चुका था बोला
अबू आप अम्मी से ही पूछ लेना हो सकता है की मैं कुछ ग़लत समझा हूँ और बात वो ना हो कुछ और ही हो
मेरी बात सुन के अबू फॉरन खड़े हो गये और अम्मी का हाथ पकड़ के बोले चलो अभी मेरे साथ बताओ
मुझे की क्या बात है और फरी की तरफ मुड़ते हो बोले अपने भाई का ध्यान रखो ये कहीं नहीं जाए
फरी ने अबू की बात सुन के हाँ मैं सर हिलाया तो
अबू अम्मी का हाथ पकड़े हो मेरे रूम से निकल गये तो फरी मेरे पास आयी और जब बोली तो उस की आवाज़ मैं भी आँसू घुले महसूस हो रहे थे
फरी.... भाई तुम कहाँ चले गये थे और क़्यू क्या तुम मुझे भी नहीं बता सकते
मैं... बाजी अब मैं आपके और अपने दरमियाँ कोई दूरी बर्दाश्त नहीं ई कर सकता हूँ और इस के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ
मै आपसे बहुत प्यार करता हूँ बाजी... आप ही मेरा पहला और आखिरी सच्चा प्यार हो...
ओह मेरे बही... फरी आब्जी अवाक् रह गई .. यह सुनके .....
मै तुमसे बहुत प्यार करती हूँ मेरे भाई पर... पर हमरा रिश्ता.. कुछ एस्सा है जिसे हम दोनों.. संभाल के रख सकते थे.. सब से छिप के चोरी से....... सारी जिंदगी...... यहाँ तक की मेरे निकाह के बाद भी...
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फरी... भाई तुम ने ये कोई अच्छा काम नहीं किया
हम अगर प्यार से, समझ से काम लेते तो हो सकता है अम्मी हमारे दरमियाँ कोई रुकावट ना बनती केलिन......
अब तुम ने सारा काम खराब कर दिया है
मैं... क्या मतलब बाजी मैं आप की बात नहीं समझा
बाजी... अरे पागल तुम अब यहाँ ज़्यादा नहीं रहते लेकिन मैं यहाँ ही रहती हूँ हर वक़्त और सब कुछ और सब को जानती हूँ की कौन क्या है और क्या करता फिर रहा है
इस लिए अगर तुम थोडा सबर और कर लेते तो अम्मी को मैं खुद ही समझा लेती.... किस तरह से...
लेकिन तुम ने बात अबू तक पंहुचा दी है
अब मुझे अम्मी के साथ अबू के बारे मैं भी सोचना पड़ेगा और यह बात बहुत महंगी पड़ेगी मेरे भाई.... अब्बू ... और अब्बू के साथ............ ..कह के ...बाजी , कुछ सोचने लगी
अभी हम ये बताईं कर ही रहे थे की फ़रीदा बाजी रूम मैं आती दिखाई दी तो हम चुप हो गये और फिर फ़रीदा बाजी ने आते ही मेरी तरफ देखा और बोली भाई अबू बुला रहे हैं तुम दोनो को...
फ़रीदा बाजी की बात सुन के मैने फरी की तरफ देखा जो की मेरी तरफ ही देख रही थी और आँखों ही आँखों मैं फरी से पूछा की अब क्या होगा
अबू ने किस लिए बुलाया होगा
तो बाजी ने हल्के से कंधे हिला दिए और रूम से बाहर की तरफ चल दी तो
मैं भी अपना सर झुका के अबू के रूम की तरफ फरी के पीछे ही चल दिया
लेकिन उस वक़्त मैं इसी सोच मैं गुम था की
आख़िर अम्मी ने अबू को ऐसा क्या बता दिया है की........,, अबू ने मेरे साथ फरी को भी बुलवा लिया है
लेकिन कुछ भी समझ मैं नहीं आया
तो मैं तक़दीर मै जो होगा देखनेग..
अबू की रूम मैं फरी की साथ चला गया जहाँ अबू अम्मी के साथ ही पलंग पे बैठे थे और सामने की चारपाई खाली पड़ी थी जिस पे बैठने के लिए अबू ने हम दोनो को बोला तो हम चुप वहाँ जा बैठे
अबू... थोड़ी देर हम दोनो की तरफ देखते रहे और फिर फरी की तरफ अपना फेस घुमा लिया और बोले
फरी तुम्हारी अम्मी का कहना है की उसे तुम्हारा विकी क साथ ज़्यादा रहना शक मैं डॉल रहा है जिस की वजाह से वो तुम दोनो पे नज़र रखने लगी तो विकी नाराज़ हो गया क्या ये सच है
मेरे साथ साथ फरी भी एस बात पे चोंक गए...
फरी... हेरनी से अबू की तरफ देखते हो बोली अबू विकी मेरा एक ही तो भाई है जो की अब हमारे साथ नही रहता यहाँ गावँ मैं शहर मैं रहता है और अब जब की वो छुट्टियों पे गावँ आया हुआ है तो क्या मैं अपने ही छोटे भाई के साथ हंस बोल भी नहीं सकती
अम्मी... देखो फरी जिस तरह तुम विकी की बहिन हो वेसे ही फ़रीदा और फ़रज़ाना भी तो विकी की बहन हैं क्या वो भी तुम्हारी तरह विकी क साथ चिपकी रहती हैं और ख़ुसर फुसर करती हैं
मैं... अम्मी मुझे लग रहा है की अब मेरा इस घर मैं कोई काम नहीं रहा और मुझे यहाँ से अब हमेशा के लिए चले जाना ही बहेतर है नेमे कुछ शक्त लहजे मै कहा....मेरे आवाज.. कुछ ज्यादा भारी होने लगी थी.. जिसे अब्बू अम्मी और फरी बाजी ने भी महसूस किया... बाजी ने आखंसे इशार किया .. तो मै थोड़े नरम लहजे मै फिर बोला..
कयुँकि जहाँ मेरी माँ ही मुझ पे मेरी बहिन से तालुकात का गंदा इल्ज़ाम लगा दे तो फिर अब मेरे पास बाकी कुछ नहीं बचता
अबू... देखो बेटा तुम बैठो और जो भी बात है वो हम यहाँ बैठ की ख़तम कर सकते हैं
मैं... (गुस्से की आक्टिंग करता हुआ खड़ा हो गया लेकिन मैं ये भी समझ रहा था की अगर घर छोड़ेगा तो दर बदर हो जायेगा कोई असरा नहीं बनता मेरा ) नहीं
अबू अब कोई बात नहीं बची प्लीज अब मुझे यहाँ से जाने से मत रोकिएगा और रूम से निकालने लगा
अबू ने भाग के मेरा हाथ पकड़ लिया और रोते हो बोले ठीक है बेटा मैं समझ रहा हूँ की..........
तुम्हारे साथ ज़्यादती हुयी है जिस के लिए तुम्हारी मा जिम्मेदार है
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