Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
05-26-2019, 01:44 PM,
#11
RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की
ये सब सोचते सोचते मैं आख़िर इस फ़ैसले पे पंहुचा की मुझे अब ज़रा सतर्क रहना चाहिए 
और फरी बाजी के साथ मेरा जो रीलेशन बन चुका है बस उसी तक मसरूफ रहना चाहिए कयुँकि इसी मैं मेरी और फरी बाजी दोनो की भलाई थी इस फ़ैसले से मैं काफ़ी मुतमान हो गया और फिर सो गया
जुब आँख खुली तो शाम होने वाली थी मैं उठा और हाथ मुँह धोया और बाहर निकला और खेतों की तरफ चल दिया जहाँ अबू और फरी भी काम से निपट हो चुके थे 
अब बस भेंसों का दूध निकलना ही बाकी था जो की अबू ने ही निकलना था 
मुझे खेतों की तरफ आता देख के बाजी खुश हो गई और उनका चेहरा भी हल्का गुलाबी सा हो गया तो 
मैने कहा कयूं बाजी काम कर के ज़्यादा तक तो नहीं थक गई आप जो आपका का फेस रेड हो रहा है
बाजी मेरी बात सुन क हंस दी और बोली 
भाई मुझे अभी तुम्हारी तरह शहर की आदत नहीं हुयी जो मैं इतने से काम से थक जाऊं तो 
तभी अबू जो की पास ही बैठे थे बोले बेटा आज सारा दिन तुम ने चक्कर ही नही लगाया खेतों का क्या तुम्हे हमारी याद नहीं आती
मैं अबू की तरफ देख के मुस्कुरा दिया और बोला कैसी बात करते हो आप अबू भला मैं और आप को याद ना करूँ 
बस आज देर अम्मी की वजाह से हुयी अम्मी ने आज मुझसे से शहर की बातें करती रहीं
थोड़ी देर तक अबू और फरी बाजी से इस तरह की बातें करते हुए वक़्त गुज़ारा 
फिर अबू ने भेंसों का दूध निकाला तो मैं बाजी के साथ ही उठाके दूध ले के घर को चल पड़े और 
थोड़ा आगे आते ही मैने बाजी को आज होने वाली सारी बातें बता दी तो बाजी भी थोडा परेशान हो गई 
और बोली यार भाई ये क्या किया तुम ने अब अम्मी को तुम पे कहीं शक ना हो गया हो
मैं भी थोड़ा परेशान हो गया और बोला बाजी पता नहीं वो सब देख के मेरा अपने पे कण्ट्रोल नहीं रहता अब और ..मेरा लंड करा हो जाता है... मै क्याकरूँ ..कुछ समझ मै नहीं आ रहा है ...
लेकिन बाजी अम्मी को किस तरह शक हो सकता है हम पर
कौनसा किसी को बताने वाले हैं जो अम्मी को कुछ पता चलेगा बस अब ज़रा ध्यान से करना होगा जो भी करंगे 
बाजी एक ठंडी साँस भारी और बोली भाई लगता है की मेरी किस्मत मैं ज़्यादा देर तक सकून नहीं है 
तुम्हारे साथ तो मैं भी हेरान हो के बोला क्या मतलब बाजी मैं समझा नहीं आपकी बात 
बाजी ने मेरी तरफ अजीब नज़रों से देखा और बोली तुम्हे आज ही पता चल जाए गा 
अगर मेरा शक सही हुआ था और फिर हम घर तक पहुँच गये और 
थोड़ी देर हँसी मज़ाक क बाद मैने बाजी को ऊपर अपना बिस्तेर लगाने का बोला तो बाजी मेरे साथ ही अपना बिस्तेर भी बिछा दिया 
लेकिन जब मैं ऊपर सोने के लिए चला गया तो थोड़ी ही देर के बाद फरीदा बाजी एक और चारपाई उठा के ऊपर लाई और बिछाने लगी 
तो मैं काफ़ी हेरान हुआ और बोला ये क्या आज तुम भी ऊपर ही सोने आ गई हो क्या तो फ़रीदा ने कहा नहीं भाई ये अम्मी का बिस्तेर बिछा रही हूँ आज वो ऊपर र तुम लोगों के पास ही सोएंगी क्या समझे
फ़रीदा बाजी की बात सुनते ही मुझे बाजी की बात याद आ गई और मैं सच मैं परेशान हो गया की कहीं अम्मी को सच मैं हम दोनो पे शक तो नहीं हो गया 
जो आज अम्मी ने अपना बिस्तेर ऊपर ही लगवा लिया है
ये सोच बहुत ही ख़तरनाक थी और अगर इस मैं थोड़ी भी सचाई थी तो अब हमें ज़रा संभाल के चलना था 

कयुँकि अगर अम्मी को ज़रा सी भनक भी लग जाती तो हमारी गांड फटना तो यक़ीनी था

फ़रीदा बाजीके जाने के थोड़ी देर बाद ही बाजी फरी ऊपर आ गई 

और खामोशी से अपने बिस्तेर पे लेट गई तो मैं उठ के बाजी की तरफ जाने लगा तो बाजी ने हाथ क इशारे से मुझे मना कर दिया और लेते रहने का इशारा किया 

मैं कुछ समझा तो नहीं 

लेकिन खैर वेसे जी लेता रहा तो तभी अम्मी भी ऊपर आ गई और आते ही बोली....

विकी क्या बात है कहीं तुम दोनो मैं कोई नाराज़गी तो नहीं हो गई.......................

जो इस तरह दोनो चुप चाप लेटे हो

मैने जल्दी से कहा नहीं अम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है बस बाजी आज सारा दिन खेतों के काम से थकी हुई है ना इस लिए मैने कोई बात नहीं की सो जाए ज़रा जल्दी से थकावट ख़तम हो

बड़ा ख्याल है तुम्हे अपनी बहिन का चलो ठीक है होना भी चाहिए और इतना बोल के अपने बिस्तेर पे लेट गई सोने के लिए और 

उस के बाद हम सब चुप लेकिन अपनी जगह , पता नहीं ,,,,,,, 

कब तक जागते रहे और जब आँख खुली तो पता चला की सुबह हो चुकी है मैं उठा और नीचे आ के फिर से सो गया

दोबारा आँख अम्मी के उठाने से खुली तो अम्मी ने नहा के नाश्ता करने को बोला और बोली पता नही विकी क्या होता जा रहा है तुम्हे भला कोई इतनी देर तक भी सोता है सूरज तो देखो कितना निकल आया है और तुम हो की अभी तक लंबी तान के सो रहे हो चलो जल्दी करो

मैं अपनी आँखें मलता हुआ उठ बैठा और बोला क्या अम्मी कोई काम तो है नहीं तो मैं इतनी सुबह उठ के क्या करूँगा सोने दिया करो ना अम्मी 

और ये बोलते ही मैने अपनी आँखें पूरी तरह खोल के अम्मी की तरफ देखा जो की अभी तक मेरी चारपाई के पास ही खड़ी हुयी ई थी और मेरी तरफ ही देख रही थी 

लेकिन जब थोड़ा गौर किया तो अम्मी की आँखें मुझे लगा की मेरी तरफ नहीं बल्कि मेरे फेस से थोडा नीचे कुछ देख रही .

जब मैने गौर किया तो मुझे एहसास हुआ की सोते मैं मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो की अभी तक फुल हार्ड था और अम्मी की नज़र मेरे खड़े लण्ड पे ही टिकी हुयी थी

अम्मी का इस तरह मेरे लण्ड की तरफ देखना मुझे अच्छा लगा तो मैने भी मुस्कुराते हो अपने लण्ड को झटका दिया और बोला 

कयूं अम्मी क्या बनाया है नाश्ते मैं तो अम्मी ने झट से अपनी नज़र मेरे लण्ड से हटाई और मेरी तरफ देखा तो मुझे अपनी तरफ ही देखते पा कर अम्मी का फेस रेड हो गया और अम्मी ने अपनी नज़र घुमा ली और बाहर की तरफ चल पड़ी और जाते हो बोली क्या 

तुम्हे नहीं पता की सुबह नाश्ते मैं क्या बनता है

अम्मी के जाते ही मैं भी खड़ा हो गया और थोड़ी देर इधर उधर हाथ पावं धोता रहा जिस से मेरा ज़हन बात गया तो खड़ा हुआ लण्ड भी नीचे आ गया तो मैने टवल उठाया और नहाने क लिए बाहर निकला और बात रूम मैं जा घुसा नहाने क लिए. (कयुँकि हम गांव के रहने वाले हैं तो हमारे घर पे बाथरूम था यह बड़ी बात थी और अच्छी बात तो था नहीं बाहर ही नहाना होता सब ने और खड़े लण्ड के साथ मैं रूम से निकल नहीं सकता था कयुँकि अम्मी तो अब मुझ पे शक करने ही लगी थी )

मैं नहा के बाहर निकला तो आज फिर फरी मुझे कहीं नज़र नहीं आयी तो मैं समझ गया की अम्मी ने बाजी को फिर से खेतों मैं भेज दिया होगा और खुद घर पे ही रहेगी 

तो मैं खामोशी से बाहर बरामदे मैं ही बैठ गया और अम्मी ने नाश्ता ला के दिया जिसे खाने के बाद मैं उठा और बाहर निकल गया सलीम की तरफ जो मुझे देखते ही बोला सुकर है यार की तू भी घर से निकला और तुझे मेरी याद भी आ ही गई सुना क्या चल रहा है

मैने सलीम की तरफ देखा और बोला यार क्या चलना है बस सारा दिन घर पे पड़ा ख़ाता और सोता रहता हूँ या फिर खेतों पे चला जाता हूँ तो सुना क्या हो रहा है आज कल कोई नहीं चीज़ भी सेट की है या उन्ही पुरानी वालियों के साथ अपना टाइम पास कर रहा है

सलीम थोड़ा हंस दिया मेरी बात पे और बोला बस यार क्या करें तुम्हे तो पता ही है की कोई ना कोई मिल ही जाती है अपनी चुत का रस पिलाने के लिए और फिर हमारा जाता भी क्या है 2 क़तरे पानी क बस

सलीम की बात सुन क हम दोनो हंस दिए और फिर इधर उधर की बातें करने के बाद जब मैं वहाँ से आने लगा तो सलीम ने मुझे रोक लिया और बोला यार मिला नहीं तो कभी उसके बाद रीदा से क्या मज़ा नहीं आया तुम्हे उस क साथ या तेरी गांड फॅटती है 

उस देख के अभी भी मैं हंस दिया और बोला .............बस यार 

अब क्या ब्ताओं तुम्हे की मुझे डर लगता है घरवालों से की अगर उन्हें पता चल गया की मैं अब ये सब भी करने लगा हूँ तो मेरा कॉलेज ख़तम समझो फिर 

सलीम हेरात से मुझे देखता हुआ बोला यार तुम तो इक्लोटे बेटे हो अपने मा बाप के वो भला तुम्हारे साथ कोई सख्ती किस तरह कर सकते हैं बस बात इतनी है की तुम हिम्मत तो करो

मैने बड़ी बेचारगी से सलीम की तरफ देखा और फिर आअहह भरते हो बोला यार दिल तो मेरा भी बहुत करता है 

लेकिन क्या करें दिल नहीं मानता कयुँकि घर मैं अम्मी अबू के इलावा मेरी बेहनैन भी मेरा बड़ा ध्यान रखती हैं 

और सब इतने अच्छे हैं की मेरा दिल नहीं चाहता की मैं किसी को ज़रा भी दुख दूँ बस इसी वजाह से डरता हूँ यार और कोई बात नहीं है

सलीम भी अब की बार मुझे देखता रहा और फिर जब मैं उठ गया तो इतना बोला देख लो

यार विकी की कहीं आज जिस तरह तुम अपने मा बाप और बहनों की वजाह से फटो बने फिरते हो अपना आप मार के कहीं कल शादी के बाद कहीं तुम्हारी बीवी भी तुम्हारी इस आदत का फाइयदा ना उठाए और तुम हमेशा के लिए एक बुज़दिल और औरतों के पॅलो मैं छुपने वाले ना बन जाओ

सलीम की बात तो सच ही थी लेकिन क्या करता मेरी आदत ही कुछ ऐसी हो गई थी अब की शायद बदल ही नहीं सकती थी लेकिन मैने सलीम से और कोई बात नहीं की और गावँ से बाहर रोड पे आ गया जो की शहर की तरफ जाता था और वहाँ बैठ की अपने बारे मैं सोचने लगा की आख़िर क्या करूँ तभी मुझे शहर की तरफ जाने वाली बस आती नज़र आयी और मैने बिना सोचे उसे हाथ के इशारे से रोक लिया और बस के रुकते ही उस मैं चढ़ गया और शहर चला गया

शहर आ के मुझे ख्याल आया की मैने तो घर मैं या गावँ मैं किसी को बताया भी नहीं की मैं शहर जा रहा हूँ वो परेशान होंगे 

मेरे इस तरह आने से की तभी मेरे दिमाग मैं ख्याल आया की मुझे अब कुछ दिन वापिस नहीं जाना चाहिए 
कयुँकि अब मुझे ये ही एक हल नज़र आ रहा था की जिस तरह घर वाले मुझे अपने प्यार से ब्लॅकमैल करते आए थे आज तक अब मैं भी उन्हें उन्ही के अंदाज़ मैं ब्लॅक मैल करूँ 

शायद मैं भी थोडा सर उठा की चल सकों और लड़कों की तरह घूम फिर सकों एन्जॉय कर सकों

अपनी लाइफ को ये ख्याल जितना परफेक्ट था उतना ही मुझे पसंद आया और मैं अपने एक दोस्त के पास चला गया और उसे जब सारी बात बताई तो वो हंस दिया और बोला चल शूकर है 

तुझे भी मर्द बनने का शौक हुआ और मुझे अपने साथ घर ले गया जहाँ उस ने मुझे अपनी बैठक मैं रुकवाया 

और इस के साथ मेरे खाने पीने का इंतज़ाम उस ने घर से कर दिया
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RE: Desi Sex Kahani चुदाई घर बार की - by sexstories - 05-26-2019, 01:44 PM

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