RE: Real Chudai Kahani किस्मत का फेर
समीर ने पहली बार अपनी बहन के नरम जिस्म और उसकी मादक गंध को महसूस किया । लेकिन वो जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था । उसके दिल से बोझ उतर चुका था और वो अब बहुत हल्का महसूस कर रहा था । समीर ने अपना सर झुकाकर आँचल को देखा , पहली बार एक लड़के की नज़र से , आँचल खूबसूरत थी और अब तो समीर का दिल भी पिघल चुका था । अब उनके बीच कोई दीवार नहीं थी । समीर ने आँचल के माथे का धीरे से चुम्बन लिया और फिर आँचल के सर के ऊपर अपना चेहरा रख दिया । आँचल ने समीर का चुम्बन अपने माथे पर महसूस किया , उसके पूरे बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और तभी उसको समीर का चेहरा अपने बालों में महसूस हुआ । उसने अपने सर को थोड़ा हटाया और समीर की तरफ देखा । दोनों की नज़रें मिली ।
" तुम ये मेरी खुशी के लिए कर रहे हो ? " आँचल फुसफुसाई ।
"हमारी ख़ुशी के लिए आँचल " समीर मुस्कुराया ।
फिर समीर ने अपना चेहरा झुकाके आँचल के होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये । आँचल ने अपने कंपकपाते होंठ समीर के होठों से लगा लिये । दोनों किसी नए प्रेमी जोड़े की तरह धीरे धीरे एक दूसरे का चुम्बन लेने लगे । शुरू में थोड़ी झिझक हुई पर कुछ पलों बाद दोनों का चुम्बन लम्बा और प्रगाढ़ होता चला गया ।
समीर ने अपने दोनों हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्बों पर रखे हुए थे और आँचल ने अपनी बाहें समीर के गले में डाली हुई थी । आँचल ने अपने होंठ समीर के होठों से अलग किये बिना ही अपना एक हाथ समीर की कमीज के अंदर डाल दिया और उसके पेट , चौड़ी छाती और मजबूत कन्धों पर अपना हाथ फिराने लगी । जब उसकी उँगलियों ने समीर के निप्पल को छुआ तो आँचल ने उसको उंगुलियों के बीच थोड़ा दबाया और गोल गोल घुमाया ।
अपनी बाँहों में लेकर आँचल का प्रेमी की तरह चुम्बन लेते हुए समीर को बहुत अच्छा महसूस हो रहा था । उसके नाजुक और रसीले होठों को समीर चूमते रहा । फिर समीर ने अपना बांया हाथ उसकी पैंटी के अंदर खिसकाया । उसने आँचल के बदन में कम्पन महसूस किया । कुछ पलों तक उसने अपना हाथ आँचल के बड़े गोल नितम्ब पर रोके रखा और अपनी बहन के नग्न शरीर के स्पर्श का सुख लिया फिर उसका हाथ दोनों नितम्बों के बीच की दरार की तरफ बढ़ गया ।जब उसकी उँगलियों ने दरार के बीच से आँचल की चूत को छुआ तो उसको अपनी उँगलियों में गीलापन महसूस हुआ । आँचल ने उत्तेजना से अपने पैर जकड़ लिये । समीर ने चूत के नरम और गीले होठों को अपनी उँगलियों से सहलाया और अपनी दो उँगलियाँ चूत के छेद के अंदर डालकर अंदर की गर्मी और गीलेपन को महसूस किया । दोनों के होंठ अभी भी एक दूसरे से चिपके हुए थे । समीर की उँगलियों के अपनी चूत में स्पर्श से आँचल ने अपने पूरे बदन में उतेज़ना की बढ़ती लहर महसूस की ।
समीर ने आँचल के बदन में उठती उत्तेजना की लहरें महसूस की । उसने भांप लिया कि अगर वो ऐसे ही उसकी चूत में उँगलियाँ अंदर बाहर करते रहेगा तो आँचल झड़ जायेगी । लेकिन वो इतनी जल्दी ऐसा होना नहीं चाहता था । इन मादक पलों को लम्बा खींचने के लिये उसने अपनी उँगलियाँ आँचल की चूत से बाहर निकाल लीं और अपने होंठ उसके होठों से अलग कर लिये । लेकिन आँचल को चुम्बन तोडना पसंद नहीं आया वो तो सुधबुध खोकर आँखें बंद किये चुम्बन लेते हुए किसी और ही दुनिया में खोयी थी ।
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