RE: Kamukta Story सौतेला बाप
सौतेला बाप--27
अब आगे
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कुसुम चलती हुई उसके पास तक आई और बिल्कुल काव्या के आगे खड़ी हो गयी...काव्या ने इतनी खूबसूरत लड़की और वो भी इतने कम कपड़ो मे आज से पहले कभी नही देखी थी...उसने तो सिर्फ़ अपना और अपनी सहेली श्वेता का शरीर ही देखा था...अपना तो उसे पता ही था और श्वेता की ब्रेस्ट कुछ ज़्यादा ही बड़ी थी और गांड भी काफ़ी गद्देदार...पर इस लड़की का हर अंग साँचे मे ढला हुआ था...लगभग 34 की ब्रेस्ट थी...26 के आस पास कमर और 36 की गांड ...
ऐसा ड्रीम फिगर तो उसने हमेशा से अपने लिए सोचा हुआ था...उसके दूधिया मुम्मे देखकर उसका तो मन कर रहा था की अभी उसकी ब्रा खोले और उसके मोटे-2 निप्पल अपने मुँह मे लेकर चूस डाले...उसकी ऐसी हालत है तो समीर का क्या हाल होगा, उसने समीर की तरफ देखा तो वो अपना मुँह और आँखे फाड़े कुसुम को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था...काव्या ने उसको और तरसाने की सोची..उसने सीधा अपना हाथ आगे किया और कुसुम की पेंटी यानी थोंग के कपड़े को अपने हाथ मे लेकर परखने लगी..उसने महसूस किया की उसका हाथ लगते ही कुसुम के शरीर मे एक अजीब सा करंट लगा था..पर वो खड़ी रही, कुछ नही बोली..
काव्या ने अपनी उंगलियाँ आगे की तरफ बने छोटे से पैच मे घुसा दी और अपनी उंगली और अंगूठे के बीच उस थोंग के कपड़े को रखकर परखने लगी..और ऐसा करते हुए उसकी अंदर वाली उंगली कुसुम की सफाचट चूत से रगड़ खा रही थी..और अंदर से निकल रही नमी को काव्या अपनी उंगलियों पर सॉफ महसूस कर पा रही थी..
काव्या : "आप सही कह रहे थे...ये कपड़ा सचमुच अच्छी फिटिंग दे रहा है...और शायद स्किन पर भी अच्छी फीलिंग दे रहा होगा...''
वो जान बूझकर समीर को पापा नही बोल रही थी अब तक, क्योंकि वो चाहती थी की वहां का स्टाफ बस यही सोचता रहे की शायद कोई अमीर आदमी अपनी जवान गर्लफ्रेंड को शॉपिंग करवाने लाया है...बाप-बेटी के बीच ऐसा खुलापन कोई नही समझ पाएगा ..
कुसुम ने काव्या की बात सुनी और बोली : "येस मेम , ये कपड़ा इंपोर्टेड है, आपको ऐसा फील होगा की आपने कुछ पहना ही नही है...''
उसकी बात सुनकर काव्या हंस पड़ी..और बोली : "आपको शायद पता नही है, मैं अक्सर घर पर बिना पेंटी के ही रहती हू...''
उन दोनो लड़कियों की गर्ल-टॉक सुनकर समीर के लंड की हालत बुरी हो रही थी...काव्या को तो मज़ा आ रहा था समीर को अपनी सीट पर कसमसाते हुए देखकर..वो उसको तरसाने मे कामयाब जो हो रही थी..
काव्या ने कुसुम को घुमा दिया और अब उसकी गांड थी उसके सामने...और थोंग के पीछे की तरफ की महीन सी कपड़े की डोरी कुसुम की गहरी गांड मे फंसकर गायब हो चुकी थी और ऐसा लग रहा था की वो नीचे से नंगी होकर खड़ी है...उसका मोटा और उभरा हुआ पिछवाड़ा देखकर समीर और काव्या दोनो के मुँह मे पानी आ गया...और कोई मौका होता तो काव्या ने अपना मुँह घुसेड देना था उसकी रज़ाई में ..पर अपने पापा के सामने वो कोई सीन नही बनाना चाहती थी.
काव्या : "वाव ....देखो ना...कैसे ये कपड़ा अंदर चला गया है...इट्स सो सेक्सी...आई लव इट ...''
काव्या ने उसकी डोरी पकड़ कर उसकी गर्म गांड से बाहर निकाली, एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी कुसुम के मुँह से...और फिर से काव्या ने वो डोरी छोड़ दी, और कुसुम फिर से कसमसा उठी..शायद हर बार वो डोरी उसकी गांड के छेद पर जाकर टिक रही थी..निकल रही थी..
काव्या एकदम से खड़ी हुई और उसने ब्रा के स्ट्रेप्स को पकड़ कर देखा, जैसे हुक की क़्वालिटी चेक कर रही हो...फिर से उसने कुसुम को अपनी तरफ घुमाया और उसके कप्स को अपने हाथों मे लेकर देखने लगी...कुसुम की आँखों मे आ रहा गुलाबीपन काव्या को साफ़ दिख रहा था..
समीर को तो ऐसे लग रहा था जैसे कोई ब्लू मूवी का लेस्बियन सीन चल रहा हो वहाँ..
काव्या ने ब्रा का फेब्रिक चेक करते-2 अचानक कुसुम की ब्रेस्ट को ज़ोर से दबा दिया...और कुसुम के मुँह से एक जोरदार चीख निकल गयी...
''आाआईयईईईईईईईईईईईई........ में, क्या कर रहे हो आप मेम .....''
उसकी साँसे भी तेज हो गयी, शायद समीर वहाँ ना होता तो वो काव्या को कच्चा ही चबा जाती...इतनी आग निकलने लगी थी उसके अंदर से एकदम से.
काव्या समझ गयी की उसने शायद कुसुम को उत्तेजित कर दिया है...
काव्या : "ओह ...सॉरी ....मुझे पता नही अचानक क्या हो गया था...मैं अपने आप पर कंट्रोल ही नही कर पाई...आप हो ही इतनी खूबसूरत...'' फिर वो समीर की तरफ मूडी और बोली : "है ना ....कितनी अच्छी फिगर है इनकी...''
समीर बेचारा बस अपना सिर हाँ मे हिलाने के सिवाए कुछ नही कर पाया...
काव्या ने देखा की कुसुम के होंठ लरज रहे थे...फड़क रहे थे...शायद वो चाहती थी की उन्हे कोई चूम ले, चूस ले, निचोड़ डाले..पर उस वक़्त ऐसा कुछ भी पॉसिबल नही था..
दोनो की आँखो मे एक दूसरे के लिए उत्तेजना का ज्वार भाटा उमड़ पड़ा था, जिसे शायद समीर नही देख पा रहा था..पर वो दोनो महसूस कर पा रही थी..
कुसुम : "मेम , आप कहें तो कुछ और भी पहन कर दिखाऊ आपको ...या ये फाइनल है ...''
काव्या : "मुझे कम से कम 5-6 सेट लेने है...इसको तो मैं एक बार खुद पहन कर देखना चाहूँगी...''
कुसुम : "ठीक है , आप मेरे साथ चलिए...''
इतना कहकर वो काव्या को लेकर अपने साथ चेंजिंग रूम मे आ गयी...जो एक छोटा सा केबिन था..और उसमे हर तरफ शीशे लगे थे..
एक खूंटी पर कुसुम की ड्रेस और उसकी ब्रा -पेंटी टंगी हुई थी..
कुसुम : "में, आप अपने कपड़े उतार कर यहाँ टाँग दीजिए..मैं आपको ये उतार कर देती हू..''
इतना कहकर कुसुम बिना किसी शरम के अपनी ब्रा खोलने लगी..
काव्या : "रूको, मैं हेल्प करती हू तुम्हारी ...''
इतना कहकर वो कुसुम के पीछे गयी और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए...और नीचे सरकती हुई ब्रा के कप्स को उसने आगे हाथ करते हुए अपनी हथेलियो मे थाम लिया...और फिर उन्हे धीरे-2 उजागर कर दिया..
और जैसे ही कुसुम की नंगी चुचियाँ काव्या को सामने लगे शीशे मे दिखी , काव्या के शरीर का तापमान बड़ सा गया, उसकी गोल-2 चुचियाँ और लंबे निप्पल्स कमाल के थे...उसने इतने लंबे निप्पल्स आज तक नही देखे थे..और उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट की जानलेवा शेप...उफ़फ्फ़ ...शायद इसलिए वो वहाँ की सेल्सगर्ल थी..
काव्या उसके कान मे फुसफुसाई : "यू आर ब्यूटिफुल ...."
उसकी साँसे तेज हो चुकी थी...
कुसुम भी उत्तेजना के शिखर पर थी,क्योंकि उसके लगभग एक इंच लंबे निप्पल फटने को हो रहे थे......वो धीरे से बोली : "थेंक्स मेम ...''
सामने के शीचे मे काव्या उसके टॉपलेस हिस्से को देख पा रही थी..
फिर उसने उसकी पेंटी को भी नीचे खिसका दिया...कुसुम की चूत से जैसे चाशनी बह रही थी...जो उस छोटे से कपड़े से चिपक कर एक रेशम के धागे का निर्माण कर रही थी..
कपड़ा तो अलग हो गया पर उस चाशनी से बना धागा टूटने का नाम ही नही ले रहा था...आलम ये था की पेंटी घुटने से नीचे तक आ गयी पर एक गोल्डन से धागे ने उसकी चूत और पेंटी को अभी तक आपस मे जोड़ रखा था..इतना सेक्सी सीन काव्या ने अपनी पूरी लाइफ मे आज तक नही देखा था...
उसने अपना हाथ आगे किया और अपनी उंगली में उस रेशमी और गीले धागे को लपेट कर उसे तोड़ दिया....और अपना पंजा एकदम से कुसुम की चूत पर रखकर ज़ोर से दबा दिया...
बस इतना काफ़ी था उस मासूम सी दिखने वाली लड़की के अंदर का जानवर जगाने के लिए...वो एकदम से पलटी और काव्या के चेहरे को पकड़ कर उसके होंठों पर जोरदार हमला कर दिया....उसके रेशमी होंठों का रस ऐसे चूसने लगी मानो उसके अंदर कोई सकिंग मशीन लगी हो...वो तो पूरी नंगी थी...और आनन फानन मे उसके हाथ चलने लगे और एक मिनट के अंदर ही उसने काव्या को भी अपनी तरह नंगा कर दिया..और दोनो जवान जिस्म एक दूसरे को रोंदने लगे...
उस छोटे से केबिन में मानो एक तूफान सा आ गया..आज काव्या को पहली बार कोई अपनी टक्कर का मिला था..जो उससे ज़्यादा उत्तेजना मे भरकर अपना उतावलापन दिखा रहा था..ठीक ऐसी ही बनना चाहती थी वो भी, ताकि वो जिसके साथ भी सेक्स करे,वो उसके जंगलीपन का दीवाना बन जाए..वो कुसुम को ओब्सर्व करने लगी, अपने आप को उसके हवाले कर दिया और उसकी हरकतों को नोट करने लगी, ताकि कुछ सीख पाए..
कुसुम तो जैसे पागल हो चुकी थी, इतनी देर तक अपने आप पर कंट्रोल करने के बाद वो जैसे फट सी पड़ी थी, काव्या को खा जाने वाली हरकतें कर रही थी वो..उसके होंठ, गर्दन, और गालों को आम की तरह चूस रही थी..और अपनी चूत को उसकी चूत पर रगड़कर मज़ा ले रही थी..
वो पहले से ही उत्तेजित थी, इसलिए लगभग 8-10 घिस्से लगाने के बाद ही वो छूट गयी और उसके अंदर का लावा बहकर उसकी जांघों से नीचे सरकने लगा..
बाहर बैठा हुआ समीर व्याकुल सा हो रहा था...वो उठकर केबिन तक गया और उसने धीरे से दरवाजा खड़काया...
समीर : "काव्या....काव्या...बड़ी देर लगा दी...तुम ठीक तो हो ना...''
अंदर दोनो नंगी खड़ी होकर एक दूसरे को चूम रही थी..कुसुम तो एकदम से घबरा गयी और अपने कपड़े पहन लिए..अब वो डर रही थी की शायद उसे अपने कस्टमर के साथ ऐसा नही करना चाहिए था..
काव्या ने उसे शांत किया और बाहर खड़े समीर से बोली : "जी पापा, मैं ठीक हू...बस फिटिंग चेक कर रही थी...''
समीर वापिस जाकर सोफे पर बैठ गया.
काव्या के मुँह से पहली बार समीर के लिए पापा निकलता देखकर कुसुम के तो होश उड़ गये, वो तो इतनी देर से उसे उसकी गर्लफ्रेंड या नाजायज़ संबंध का नतीजा समझ रही थी..पर ये तो उसका बाप निकला..
पर वो कैसा बाप था वो ये नही जानती थी..
पर अपने बाप के साथ ऐसी शॉपिंग के लिए वो आई थी, ये सोचकर एक बार फिर से कुसुम के अंदर चींटियाँ सी रेंगने लगी..उसने आज तक अपने पापा के बारे मे ऐसा नही सोचा था, पर उनके इस तरह के खुले रिश्ते को देखकर एक दम से उसका ध्यान अपने पापा की तरफ चला गया और वो एक गहरी सोच मे डूब गयी..
तब तक काव्या ने भी वो ब्रा और थोंग पहन लिया था और वो ग़ज़ब की लग रही थी...उसकी ब्रेस्ट छोटी थी, पर कपड़ा स्ट्रेचेबल था , इसलिए वो सिकुड कर उसकी ब्रेस्ट को भी सही से कवर कर पा रहा था...और वो थोंग , जिसपर अभी तक कुसुम की चूत का जूस लगा हुआ था, उसे अपनी मुनिया पर महसूस करते ही एक अजीब सा एहसास हुआ उसको...
कुसुम ने कपड़े पहन लिए थे..और वो बाहर जाने लगी..
कुसुम : "ये बिल्कुल फिट है आपके उपर, में....आप अपने पापा को दिखाना चाहोगी इसको...''
उसने शरारत भरे स्वर मे काव्या से पूछा..
क्योंकि वो जानती थी की वो जितनी भी खुल जाए, पर अपने पापा के सामने ऐसी हालत मे हरगिज़ नही जाएगी..
पर उसकी आशा के विपरीत काव्या बोली : "उन्हे एक बार दिखाना तो होगा ही ना...तुम ऐसा करो, उन्हे यहीं अंदर भेज दो..मुझे ऐसे बाहर निकलने मे शर्म आ रही है..''
उसकी बात सुनकर कुसुम के तो होश उड़ गये..उसने तो सोचा भी नही था की काव्या ऐसा कहेगी...बाप बेटी मे ऐसे खुलेपन का रिश्ता उसने आज तक नही देखा था..और ना ही सोचा था..
पर ये कैसी शर्म है, जो उसके पापा बाहर देखेंगे, वही तो अंदर भी होगा, दोनो मे फ़र्क क्या है..
पर ये बात काव्या ने काफ़ी सोच समझ कर कही थी..क्योंकि वो समीर को जानती थी..बाहर आकर वो सिर्फ़ अपने आप को उसे दिखा सकती थी..पर अंदर के छोटे से केबिन मे वो काफ़ी कुछ कर भी सकती थी उसके साथ..
काव्या की बात मानकर कुसुम बाहर गयी और उसने हकलाते हुए से स्वर मे कहा : "सर ...वो ..आपकी बेटी...आपको अंदर केबिन मे बुला रही है..''
समीर के दिल की धड़कने एकदम से रेलगाड़ी की तरह चलने लगी...वो सोचने लगा की आख़िर क्या दिखाएगी काव्या उसको..
वो लगभग भागता हुआ सा केबिन की तरफ गया..और धीरे से धक्का देकर अंदर आ गया...केबिन का दरवाजा खुला ही हुआ था..
अंदर पहुचते ही जो उसने देखा उसके बाद उसने अपने आप पर कैसे कंट्रोल किया ये तो वो खुद भी नही जानता था...क्योंकि ऐसी सेक्सी लड़की और वो भी सिर्फ़ एक छोटी सी ब्रा और पेंटी मे...और वो भी उसके इतने पास...उसका लंड तो फटने को हो रहा था..
और काव्या भी बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल करती हुई सी,नॉर्मल बिहेव कर रही थी..और घूम-घूमकर शीशे मे अपना फिगर चेक कर रही थी..
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