Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
05-21-2019, 11:21 AM,
#18
RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
* जी जो आपने समझा कि वो सिर्फ बहन चोद ही नहीं... मादर चोद भी हैं. मैं पूरे मूड में आ गयी थी. बताती हूँ तुझे कह के मेरी सास ने एक झटके में मेरा ब्लाउज खींच के नीचे फेंक दिया. अब मेरे दोनो उरोज सीधे उनके हाथ में.

* बहोत रस है रे तेरी इन चूचीयों में, तभी तो सिर्फ मेरा लड्का ही नहीं गांव भर के मरद बेचारों की निगाह इन पे टिकी रहती है. जरा आज मैं भी तो मजा ले के देखें..." और रंग लगाते लगाते उन्होने मेरा निपल पिंच कर लिया.

* अरे सासू मां, लगता है आपके लड़के ने कस के चूंची मसलना आपसे ही सीखा है. बेकार में अमीं अपनी ननदों को दोष दे रही थी. इतना दबावने चुसवाने के बाद भी इतना मस्त है अप्की चूचीयां” मैं भी उनकी चूची कस के दबाते बोली.


मेरी ननद ने रंग भरी बाल्टी उठा के मेरे उपर फेंकी. मैं झुकी तो वो मेरी चचेरी सास और छोटी ननद के उपर जा के पडी. फिर तो वो और आस पास की दो चार और औरतें जो रिश्ते में सास लगती थी, मैदान में आ गयीं. 

सास का भी एक हाथ सीने से सीधे नीचे, उन्होंने मेरी साडी उठा दी तो मैं क्यों पीछे रहती. मैने भी उनकी साडी आगे से उठा दी. अब सीधे देह से देह, होली की मस्ती में चूर अब सास बहू हम लोग भूल चुके थे. अब सिर्फ देह के रस में डूबे हम मस्ती में बेचैन. मैं लेकिन अकेले नहीं थी.जेठानी मेरा साथ देते बोलीं, तू सासू जी के आगे का मजा ले और मैं पीछे से इन का मजा लेती हूं. कितने मस्त चूतड हैं.” कस कस के रंग लगाती चूतड मसलती वो बोलीं. 

“ अरे तो क्या मैं छोड दूंगी इस नये माल के मस्त चूतडों कों...बहोत मस्त गांड है, एक दम गांड मराने में अपनी छिनाल रंडी मां को पडी है लगता है. देखू गांड के अंदर क्या माल है.” ये कह के मेरी सास ने भी कस के मेरे चूतडों को भींचा और रंग लगाते, दबाते सहलाते, एक साथ ही दो उंगलियां मेरी गांड में घचाक से पेल दीं.

उइइइ मैं चिखी पर सास ने बिना रुके सीधे जड तक घुसेड के ही दम लिया. तब तक मेरी एक चचेरी सास ने एक गिलास मेरे मुंह में, वही तेज वैसी ही महक, वैसा ही रंग....लेकिन अब कुछ भी मेरे बस में नहीं था. दो सासों ने कस के दबा के मेरा मुंह खोल दिया और चचेरी सास ने पूरा ग्लास खाली कर के दम । लिया और बोली, अरे मेरा खारा शरबत तो चख. फिर उसी तरह दो तीन ग्लास और... उधर मेरे सास के एक हाथ की दो उंगलिया, गोल गोल कस के मेरी गांड में घूमती अंदर बाहर होती और दूसरे हाथ की दो उंगलियां मेरी बुर में. मैं कौन सी पीछे रहने वाली थी, मैने भी तीन उंगलियां उनकी बुर में...वो अभी भी अच्छी खासी टाइट थी.
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RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में - by sexstories - 05-21-2019, 11:21 AM

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