Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:52 PM,
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
जीशान उसे समझाने के लिए उसके पास आकर बैठ जाता है। मगर लुबना उसे खुद को छूने भी नहीं देती। लुबना कहती है-“आज आपने मुझे मार दिया जीशान , मेरी मोहब्बत की तौहीन की है आपने। मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगी, कभी नहीं ऽऽ… कितना नाज था मुझे अपनी मोहब्बत पर, आप पर। मगर आज आपने ये साबित कर दिया कि मैं कितनी गलत थी। आपको पता है ना मैं कितना प्यार करती हूँ आपसे। नहीं देख सकते मैं किसी को भी आपके साथ, कभी नहीं । आज जो आप अम्मी के साथ कर रहे थे, वो मैं सोच भी नहीं सकती थी। अम्मी भी ऐसी निकलेंगी, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। नफरत है मुझे आपसे और अम्मी से भी। चले जाओ मेरे रूम से…? 

जीशान-“लुब मेरी बात तो सुन एक मिनट…” 

लुबना-“चले जाओ, वरना मैं खुद को कुछ कर बैठूँगी। चले जाओ…” 

जीशान एक समझदार लड़का था। वो जानता था इस वक्त लुबना किस दौर से गुजर रह है। वो उसे रो लेने देना चाहता था। वो जानता था कि रो लेने से दिल का बोझ भी हल्का होता है। बारिश हो जाये तो मौसम अच्छा हो जाता है। 

जीशान जब बाहर आता है तो उसे दरवाजे के बाहर अनुम खड़ी मिलती है। इससे पहले की जीशान कुछ बोल पाता, अनुम अपने उंगली की रिंग उतारकर जीशान के हाथ में दे देती है-“मुझे माफ कर दो, मैं अपनी बेटी की खुशियों के बीच कभी नहीं आना चाहती…” 

जीशान-“अम्मी मेरी बात तो सुन लो…” 

अनुम-“मैंने सब सुन लिया जीशान । बस जज़्बात में आकर अच्छा हुआ हमने कोई गलत कदम नहीं उठाया। आइन्दा मेरे करीब भी मत आना…” ये कहकर अनुम वहाँ से भागकर अपने रूम में चली जाती है और दरवाजा बंद कर लेती है। 

एक तरफ लुबना रो रही थी और दूसरी तरफ अनुम, और इन सबके बीच जीशान परेशान खड़ा था। 

अचानक आई इस आँधी ने जीशान को हिलाकर रख दिया था। कुछ वक्त पहले तक वो खुद को दुनियाँ का सबसे खुशनशीब शख्स समझ रहा था। अनुम उसकी मोहब्बत, उसकी ख्वाहिश, उसकी तमन्ना, जिसे पाने की खातिर वो दर-बदर के ठोकरे खाने को तैयार था। जब वो अपनी मोहब्बत का इजहार जीशान से करने के बाद उसकी दी हुई रिंग पहनने के बाद अचानक से ऐसे रुख़ मोड़कर जीशान का दिल तोड़कर चली गई। ये जीशान के लिए काबिल-ए-नागवार बात थी। 

किसी ने ये जानने की कोशिश नहीं की कि जीशान के दिल का क्या होगा? अचानक से जब खुशी मिल जाए तो इंसान वो भी बर्दाश्त नहीं कर पाता। जीशान को एक ही दिन में खुशी और गम दोनों का सामना करना पड़ा। वो अंदर ही अंदर टूट चुका था। वो चीख-चीख के रोना चाहता था, अपना गम किसी के साथ बाँटना चाहता था। मगर उस वक्त वो खुद को तन्हा महसूस कर रहा था। 

उस वक्त जीशान को बस एक तिनके की ज़रूरत थी, जो उसे उस नाजुक वक्त में सहारा दे सके। जीशान घर से बाहर अपने दोस्तों से मिलने निकल जाता है। 
इधर अनुम अपने रूम में बैठकर आँसू बहा रही थी। 

रज़िया अनुम के रूम में दस्तक करके उसके पास आ जाती है। अनुम झट से अपने आँसू पोंछने लगती है। मगर रज़िया अनुम के आँसू अनुम की आँखों से निकलने से पहले देख चुकी थी। वो अनुम को बिना कुछ कहे अपनी बाहों में समेट लेती है, और अनुम एक छोटे से बच्चे की तरह अपनी अम्मी से लिपट कर सिसक-सिसक के रोने लगती है। 

रज़िया-“चुप हो जा मेरे बच्चे, बस इतना नहीं रोते। चुप हो जा। देख तू ऐसे रोएगी तो मैं भी रो दूँगी …” 

अनुम-“अम्मी ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है? अमन से मोहब्बत दिल की गहराईयों से की, मगर उन्हें हमेशा आपके करीब पाया, और अब जब जीशान दिल के रग-रग में बस गया है, वहाँ तक जहाँ से उन्हें निकालना मेरे इख्तियार में नहीं है, तो ऐसा क्यों हो रहा है कि मेरी अपनी बेटी मेरे और उनके बीच में खड़ी है? मैं क्या करूँ? अम्मी मैं क्या करूँ?”

रज़िया सकून की साँस लेती है ये जानकर की अनुम के दिल में भी जीशान ने अपनी मोहब्बत की रोशनी कर दिया है। मगर जैसे ही अनुम से लुबना का नाम सुना, उसे यकीन हो गया कि किस्मत का पहिया एक बार फिर से उसी मुकाम पर आ गया है, जहाँ 20 साल पहले रज़िया, अमन और अनुम खड़े थे। उस वक्त अमन ने रज़िया का हाथ मजबूती से थामा था। 


मगर अब रज़िया जानती थी उससे क्या करना है? वो अपनी बेटी को ऐसे तिल-तिल मरते नहीं देखना चाहती थी। रज़िया ने अनुम से कहा-“इधर देख मेरी तरफ…” 

अनुम रज़िया की आँखों में देखने लगती है। 

रज़िया-“मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई की तुमने सही फैसला किया है, अपने हाथ जीशान के हाथों में देकर। देखो अनुम जिंदगी हमें बार-बार ऐसे मौके नहीं देती। जब तुम जीशान से इतनी मोहब्बत करती हो तो चाहे कुछ भी हो जाये, उसका हाथ मत छोड़ना। कितनी बार मैंने जीशान के मुँह से तुम्हारे बारे में कहते सुनी हूँ कि वो तुमसे घर में सबसे ज्यादा प्यार करता है…” 

रज़िया-अब तुम्हारे बारे में अनुम, उसकी मोहब्बत का जवाब मोहब्बत से दो। लुबना की फिकर मत करो। जीशान जैसा पठान का बच्चा दो क्या पूरे मुहल्ले को संभाल सकता है। अनुम खबरदार जो हमारे सिवा किसी और के बारे में सोचे भी तो उन्हें जान से मार दूँगी …” वो बोलते-बोलते हँस पड़ी। 

अनुम रज़िया के सीने से चिमटी जाती है। 
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