Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:08 PM,
#21
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
***** *****दीवाली की छुट्टटयां -सुबह 8:00 बजे 


दीवाली के छुट्टटयां हो गई थीं। इसलिये अनुम देर तक सो सकती थी। 

अमन तो सुबह ही कसरत के लिये उठ जाया करता था। अमन अपनी कसरत खत्म करके गार्डन में सुबह की धूप का मज़ा ले रहा था। उसने सिर्फ़ नाइट पैंट पहना हुआ था। 
पास ही में ख़ान साहब भी अखबार पढ़ रहे थे। 

कुछ देर बाद रजिया दूध का भरा हुआ ग्लास लेकर वहाँ आती है, और अमन की तरफ बढ़ाते हुए-“लो बेटा दूध पी लो, इससे तुम्हें और ताकत मिलेगी…” 

अमन रजिया की डबल मीनिंग बातें खूब समझता था। पर अभी उसे कुछ टाइम अपनी गम्भीरता देखनी थी। अमन जान चुका था कि रजिया और रेहाना उसके बिना नहीं रह सकते, मगर वो अपनी पकड़ इन दोनों औरतों पे और मजबूत करना चाहता था। वो चाहता था कि जब वो इन दोनों को कोई भी हुक्म दे तो वो बिना कोई झिझक के उस काम को पूरा करें, चाहे वो सबके सामने चुदाने का काम ही क्यों ना हो? 

अमन दूध का ग्लास ले लेता है। और धीरे-धीरे दूध पीने लगता है। रजिया वहीं एक चेयर पे बैठ जाती है, और अमन को देखने लगती है। पर अमन रजिया का कोई नोटिस नहीं लेता। 

ख़ान साहब अपना अखबार एक तरफ रखते हुए-“अमन बेटा, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है…” 

अमन-जी बोलिये ना अब्बू। 

ख़ान साहब-“देखो बेटा, मैं पिछले कई सालों से दुबई में हूँ। वहाँ सब कुछ है। मगर सबसे जरूरी चीज़ वहाँ नहीं मिलती…” 

अमन-वो क्या अब्बू? 

ख़ान साहब-“परिवार का प्यार… बेटा, मैंने और तुम्हारे चाचू ने ये फैसला किया है कि अब हम दोनों भाई और तुम मिलकर यहीं इंडिया में गारमेंट्स का बिजनेस शुरू करें। तुम्हारी पढ़ाई भी पूरे होने वाली है। और फिर तुम्हारी और अनुम की शादी भी करनी है। अब बहुत हुआ बाहर रहना। अब मैं तुम लोगों के साथ अपनी बाकी की जिंदगी गुजारना चाहता हूँ। कहो क्या कहते हो?” 

अमन के तो जैसे तोते उड़ गये थे। अगर अब्बू यहीं रहेंगे तो मेरी तो लग गई समझो। अमन एक नज़र रजिया की तरफ देखता है, वो उसे ही देख रही थी और शायद उसकी भी यही फीलिंग्स होंगी। 

ख़ान साहब-कहो बेटा, चुप क्यों हो? 

अमन थूक निगलते हुए-“अब्बू, ये तो बेस्ट आइडिया है। हम भी आपको बहुत मिस करते हैं। आप यहाँ रहेंगे तो हमसे ज्यादा खुश और कौन होगा? पर अब्बू गारमेंट्स के बारे में ना मुझे कोई आइडिया है, और ना शायद आपको। फिर इतना बड़ा बिजनेस कैसे शुरू करेंगे? 

ख़ान साहब खुश होते हुए रजिया की तरफ देखते हैं। 

रजिया भी बनावटी मुश्कुराहट चेहरे पे लाते हुए। 

ख़ान साहब-तुम उसकी फिकर ना करो बेटा। मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त है, शहज़ाद पाशा उनकी एक गारमेंट्स की फक्टरी है। पर उनकी कोई औलाद नहीं है। इसलिये वो सब कुछ बेचकर इंडिया छोड़कर उनके भाई के पास अमेरिका जा रहे हैं। मैंने उनसे बात की है। वो हमें फक्टरी देने को तैयार हैं, और वो चाहते हैं कि तुम उनके पास कुछ दिन फैक्टरी का वर्किंग देख लो ताकी आगे तुम्हें कोई प्राब्लम ना हो। मैंने उन्हें आज रात डिनर पे इनवाइट किया है। तुम भी उनसे मिल लेना। 

अमन कर भी क्या सकता था। उसके अब्बू का फैसला मतलब पत्थर की लकीर। अमन उठते हुए-“जी अब्बू, जैसा आप कहें…” कहकर अमन अंदर के तरफ जाने लगता है। 
तभी रजिया उसे आवाज़ देते हुए-“बेटा, ज़रा अनुम को उठा दो कब तक सोयेगी लड़की…” 

और अमन बिना जवाब दिए अनुम के रूम की तरफ चल देता है। अनुम अपने रूम में एक करवट सोई हुए थी। उसके चेहरे से लग रहा था कि वो कोई बहुत अच्छा सपना देख रही है। अमन उसके पास बैठ जाता है। और उसके चेहरे पे हाथ फेरने लगता है। अनुम गहरी नींद में सोई हुई थी, वो कोई रेस्पॉन्स नहीं देती। अमन धीरे से अपनी होंठ अनुम के गाल पे रख देता है, और कहता है-“उठो राजकुमारी…” 

अनुम आँखें खोलते हुए अपने इतने करीब अमन को देखकर हड़बड़ा जाती है। और सीधे होकर-“त्…त…तुम यहाँ क्या कर रहे हो और क्या हरकत की तुमने? सच बोलो…” 

अमन-“अम्मी ने तुम्हें उठाने भेजा है…” और अमन अपने होंठ फिर से अनुम के गालों पे रखकर काट लेता है-“ये हरकत की मैंने, सच्ची…” 

अनुम उसे तकिया मारते हुए-“कम्बख़्त कहीं के… जाओ यहाँ से गंदे इंसान…” 

अमन-“लो जी, अब बताओ तो मुसीबत… चलो उठो और मुझे नाश्ता दो…” 

अनुम-“मैं क्या तेरी बीवी…” अनुम बोलते-बोलते रुक जाती है, और अपना चेहरा घुटनों में छुपाते हुए-“जा ना अमन मैं आती हूँ…”

अमन उसके कानों में धीरे से-“आज तुम बहुत सेक्सी लग रही हो…” और रूम से निकल जाता है। 

अनुम-“तुउउ…” तबतक अमन जा चुका था, पर अनुम के चेहरे पे खुशी के लकीर छोड़ गया था। अनुम फ्रेश होकर नाश्ता बनाने लगती है। 

उधर मलिक अपनी बीवी रेहाना को कहते हुए-“रेहाना, मैं ज़रा भाई जान से मिलकर आता हूँ…” 

फ़िज़ा-“मैं भी चलती हूँ अब्बू…” 

रेहाना-जल्दी आइएगा। 

मलिक-“ओके…” और दोनों बाप बेटी चल देते हैं। 

अमन अपने रूम में था और ख़ान साहब रजिया और अनुम हाल में बातें कर रहे थे। तभी मलिक और फ़िज़ा हाल में दाखिल होते हैं। 

ख़ान साहब और रजिया उनका गर्मजोशी से वेलकम करते हैं। अनुम और फ़िज़ा अनुम के रूम में चली जाती है। अपनी फिल्म आक्टर्स के बारे में बातें करने लगती हैं। इधर ख़ान साहब मलिक से अपनी बातें शुरू करते हैं। वो सुबह वो अमन के साथ कर रहे थे। 

रजिया किचिन में उनके लिये कुछ बना रही थी। 

मलिक-अरे अमन नज़र नहीं आ रहा। 
ख़ान साहब-“अमन, बाहर आओ बेटा, तुम्हारे चाचू आए हैं…” 

अमन को पता चल चुका था कि फ़िज़ा और चाचू घर पे हैं। इसका मतलब रेहाना अकेले होंगी। उसका लण्ड टाइट होने लगता है। और वो उसे अड्जस्ट करके अपने कान से मोबाइल फोन लगाकर रूम से बाहर आता है। अमन फोन में-“हाँ हाँ इमरान, मैं बस अभी आ रहा हूँ। तू वहीं रुक बस दो मिनट…” ये अमन के शातिर दिमाग़ की एक चाल थी। उसका मोबाइल बंद था पर जाहिर ऐसे कर रहा था जैसे वो अपने दोस्त इमरान से बात कर रहा हो। 

अमन हाल में दाखिल होकर मलिक को सलाम करता है। 

ख़ान साहब-कहीं जा रहे हो बेटा? 

अमन-जी अब्बू, इमरान की अम्मी के तबीयत खराब है। उन्हें हॉस्पीटल ले जाना था। क्यों कोई काम था? 

ख़ान साहब और मलिक एक साथ-“नहीं बेटा, तुम जाओ हम रात में बात करेंगे…” 

अमन-“ठीक है अब्बू…” और अमन घर के बाहर निकल जाता है। वो जानता था कि उसके पास सिर्फ़ एक घंटा है। वो रेहाना के दरवाजे की बेल बजाता है। 

रेहाना नहाकर अभी-अभी बाथरूम से निकली थी। उसने सिर्फ़ एक तौलिया बाँध रखा था, अंदर ना ब्रा थी ना पैंटी। रेहाना दरवाजा खोलती है तो सामने अमन को देखकर खुश हो जाती है, और उछलकर अमन के सीने से चिपक जाती है। 

रेहाना-“मेरी जान, मेरे शौहर आपको मिलने के लिये तड़प रही हूँ मैं हर पल, मेरी जान…” और रेहाना पागलों की तरह अमन के होंठों को चूमने लगती है। 

अमन उसे ऐसे ही अपनी गोद में उठा लेता है, और नीचे से उसकी गाण्ड मसलते हुए, रेहाना को चूमते हुए उसके रूम में ले जाता है। दोनों जाने से पहले मुख्य दरवाजा बंद कर देते है। उनके घर में पीछे की तरफ एक दरवाजा खुलता था। अमन का प्लान उसी दरवाजे से जाने का था वो गली में खुलता था। दो जिस्म प्यार की आग में जल रहे थे, एक दूसरे को खा जाना चाहते थे। 
अमन रेहाना को बेड के पास खड़ा करते हुए उसके मुँह में जीभ डालते हुए किस कर रहा था-“मुआह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प मुआह्म्मह…” 

रेहाना को अमन के कपड़े रुकावट लग रहे थे। वो जल्द से जल्द उसे नंगा करना चाहती थी। वो अमन के कपड़े उतारने लगती है। 

अमन भी रेहाना का तौलिया खींच देता है। अब दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे। वो एक दूसरे से ऐसे चिपके किसिंग कर रहे थे मानो फिर कभी नहीं मिलेंगे। अमन का लण्ड पूरा टाइट हो चुका था और रेहाना की जाँघ में चुभ रहा था। 

रेहाना अमन के लण्ड को सहलाते हुए-“उंह्म्मह… जानू, आपके लण्ड के लिये तरस गई थी, आपकी बीवी। आज आपके लण्ड से इस चूत की आग बुझा दो जी अह्म्मह… उंह्म्मह…” 

अमन रेहाना के चुचियाँ मसलते हुए अपना लण्ड उसकी चूत पे रगड़ रहा था जिससे रेहाना मचलने लगी थी। अमन ने कहा-“नीचे बैठ…” 
रेहाना नीचे बैठ जाती है। 

अमन-“आँखें बंद कर रेहाना और मुँह खोल…” 

रेहाना अपनी आँखें बंद कर लेती है, और मुँह खोल देती है। 

अमन रेहाना के बाल पकड़कर अपना मूसल लण्ड उसके मुँह में डाल देता है-“अह्म्मह… अह्म्मह… रेहाना, चूस साली तेरे मर्द का लण्ड अह्म्मह… अह्म्मह… देख कैसे तना हुआ है, तेरी चूत में जाने के लिये अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प अगलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह… उंह्म्मह…” उसे सांस लेना मुश्किल हो रहा था मगर वो लण्ड को बाहर निकालने को तैयार नहीं थी। अमन का लण्ड उसके मुँह में था, उसे तो जैसे जन्नत मिल रही थी “उंह्म्मह… घून्ं-घून्न्ं…” 

अमन-“अह्म्मह… आह्म्मह…” इतने दिनों बिना चुदाई के रहने से अमन अपना पानी जल्दी छोड़ने लगता है-“या अह्म्मह… रेहाना अह्म्मह… अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ जानू, पिलाओ मुझे आपका पानी उंह्म्मह… मेरा मुँह, चूत गाण्ड प्यासे हैं उंह्म्मह… जानू उंन्ह…” और रेहाना अमन के लण्ड का पानी पीती जा रही थी। उसे पता था कि एक बार अमन का पानी जल्दी निकल गया तो उसके बाद अमन लगातार चोदता है। और आज वो बिना रुके चुदना चाहती थी। 

अमन का लण्ड पानी छोड़ चुका था। वो बेड पे बैठ जाता है। पर रेहाना उसके लण्ड को छोड़ने वाली नहीं थी। वो उसके लण्ड को चाटने चूसने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प ओह्म्मह… गलप्प्प…” 

अमन भी झुक के रेहाना की चुचियाँ दबाने लगता है-“अह्म्मह… ऊऊऊ… ऊओह्म्मह…” 

तकरीबन 5 मिनट बाद अमन के लण्ड में तनाव आने लगता है। जिसे अपने मुँह में महसूस करके रेहाना की चूत पानी छोड़ने लगती है। 
अमन के लण्ड में अब अकड़न बढ़ने लगी थी-“अह्म्मह… रेहाना आराम से कर… खा जायेगी क्या? अह्म्मह…” 

रेहाना-“हाँ, खा जाऊँगी, मेरा है उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

अमन का लण्ड पूरी तरह तन चुका था। अब रेहाना से बदा़शत नहीं हो रहा था। वो अमन को बेड पे लेटा देती है, और उसके ऊपर चढ़ जाती है। रेहाना अपनी दोनों टाँगें अमन के आिू बाजू करके अमन के लण्ड को हाथ में पकड़ लेती है। अमन रेहाना की चुचियाँ मसल रहा था कितने नरम हो गई हैं तेरी, साली…” 

रेहाना-“आपने ही किया है जानू…” और रेहाना अमन के लण्ड को चूत के मुँह पे लगाकर बैठती चली जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंह्म्मह… जानू…” 
अमन जोर से नीचे से झटका देता है-“ले अह्म्मह…” 

रेहाना दनादन अपनी कमर पटकने लगती है-“हाँ हाँ जानू, मेरी चूत… ऐसे ही चोदो…” 
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