Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:37 PM,
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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दादी माँ ( निर्मला देवी ) की यादें 
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जब शांति दीदी ने बीऐ पास कर ली तो उनके उन्नीस साल होते होते शादी की तारिख तय हो गयी। जीजू हमारे परिवार के करीब के दसौत थे और उनका बेरोकटोक आना जाना था। जीजू दीदी से एक साल बड़े थे। उन्होंने शादी तय हॉट ही अपने हक़ जाताना शुरू कर दिया था पानी सा;ली के ऊपर। मेरे बचपने को अनदेखा कर जब मौका मिलता जीजू मेरे आपके शरीर को मसलते नौचते। मैं भी ना चाहते हुए उनकी बढ़तीं इच्छाओं का इन्तिज़ार करती। शादी के एक महीने पहले होली थी और जीजू अब बीस साल के लम्बे चौड़े ऊंचे सुंदर जवान थे। होली पर उन्होंने मेरी आफत मुला दी। खूब मसला मेरी उगती चूचियों को। जीजू ने मेरी मम्मी पापा और दीदी और और घरवालों के सामने ही ही मेरी कुँअरि चूत को कुरेदने लगे। मैं बिलबिला कर गुस्सा हो गयी और चीख कर उन्हें दूर कर दिया। उनका चेहरा दुःख से एकदम उदास हो गया। शायद मेरा बचपना था या जीजू का बेसबरापन पर होली के आनंद में पत्थर फिंक गए। मैं पैर पटकती अपने कमरे में चली गयी। मुझे पता भी नहीं चला जीजू के आँखों में आंसूं आ गए। उन्होंने तुरंत मम्मी से माफ़ी मांगीं पर मेरे पीछे मम्मी ने उन्हें गले लगा कर कहा , "नन्ही है पर तुमने कुछ गलत नहीं किया। एक गलती की तो उसे छोड़ दिया। एक बार दबा लिया था तो चाहे चीखे चिल्लाये छोड़ने का ता सवाल ही नहीं होता। "
पापा ने भी उन्हें उत्साहित किया , "बेटे छोटी साली तो नखरे दिखाएगी ही। उसके नखरों से डरना थोड़े ही चाहिए। यदि मैं डर जाता तो तीन तीन छोटी सालियाँ हैं मेरी। तीनो की सील कौन तोड़ता ? एक तो निरमु से एक साल छोटी थी जब मैंने उसकी सील तोड़ी। "
मम्मी ने मेरे कमरे आ कर मुझे डांटा। मैं अब तक अपनी गलती समझ चुकी थी। मैं रुआंसी हो गयी। आखिर माँ तो माँ ही होती है मम्मी ने मुझे गले लगा कर मांफ कर दिया और ऊंच-नीच समझायी जीजू-साली के रिश्तों की। 
मैं अब नए ज्ञान से परिचित हो कर बेधड़क हो गयी। रात के खाने के समय मैंने सिर्फ एक टी-शर्ट पहनी मम्मी के कहने से। ना नीचे कच्छी। 
जब जीजू ने मुझे देखा तो तुरंत सॉरी कहने लगे मैं भड़क कर उनकी गोद में बैठ गयी, "सॉरी किसे कह रहे हैं जीजू। सॉरी कहना अपनी अम्मा को। मैं तो आपकी साली हूँ। यहाँ सॉरी की कोई जगह नहीं है। "
जीजू का सुंदर चेहरा खिल उठा। दीदी का सुंदर मुँह ने मुझे दूर से चुंबन भेजा। मम्मी और पापा मुस्करा दिए। मैंने जीजू की गोद नहीं छोड़ी। पापा ने जीजू को ख़ास स्कॉच दी और दोनों थोड़े टुन्न होने लगे। मुझे लगा की जीजू ज़्यादा स्कॉच न पीलें। मैंने मटकते हुए कहा ," जीजू आप मेरे कंप्यूटर को ठीक करो प्लीज़। "
मेरा बहन इतना ढीला था की मम्मी और दीदी की हंसी फूट पड़ी। पर जीजू ने दोपहर की गलती को याद करके मेरा मज़ाक नहीं उड़ाया और सबसे माफ़ी मांगने के बाद मुझे उठा कर मेरे कमरे में ले गए। 
पहुँच कर जैसे जीजू शैतान बन गए। उन्होंने मुझे मेरे बिस्तर पे फेंक दिया और मेरी टी-शर्ट के चिट्ठड़े कर दिए। अब मैं पूरी नंगी जीजू के सामने कांप रही थी। जीजू ने अपने सारे कपडे उतार दिए और उनका लम्बा मोटा लंड तन्नाया हुआ था। 
जीजू ने प्यार से मेरे थिरकते होंठों को चूमा फिर उनके होंठ मेरे अविकसित चूचियों को चुसते मेरे उभरे बचपने के पेट के ऊपर थे। उन्होंने मेरी नाभि को जीभ से खूब कुरेदा। मैं अब वासना के रोमांच से मचलने लगी। 
जब जीजू ने मेरी कोरी चूत को जीभ से खोला तो मैं बिस्तर से उछल पड़ी। जीजू ने मुझे बिस्तर पर दबा कर खूब मन लगा कर मेरी चूत को चूसा और अचानक मैं अपनी कमसिन उम्र के पहले रतिनिष्पत्ति के कवर में जल उठी। 
"जीजू अब मुझे चोदिये ,"ना जाने कहाँ से ऐसे अश्लील शब्द मेरे मुँह से फूट पड़े। 
जीजू ने अपना लंड अपनी किशोरावस्था के पहले चार महीनों में लडखती साली की कुंवारी चूत के द्वार के ऊपर टिका दिया। 
"साली जी थोड़ा दर्द होगा ,"जीजू ने हौले से कहा। 
"हाँ जीजू मम्मी ने सब बता दिया है। मैं चीखूँ तो आप मेरा मुँह दबा देना ,"मैंने जीजू को विश्वास दिलाया अपने निर्णय का। 
फिर क्या था। जीजू बिफर गए कामोत्तेजित सांड की तरह। उन्होंने मुझे अपने नीचे दबा लिया। काफी आसान काम था उनके लिए। कहाँ मैं चार चार दस इंच की बालिका कहाँ जीजू छह फुट दो इंच के भारी भरकम मर्द। उनका लंड मेरी कुंवारी चूत के द्वार के ऊपर दस्तक देने लगा। जीजू ने मेरा मुँह दबा लिया अपने चौड़े हाथ से, और भयंकर धक्का लगाया। मेरी चीख सारे घर में गूँज उठती यदि मेरा मुँह नहीं बंद होता जीजू के हाथ के नीचे। जीजू न मेरे बिबिलाने की परवाह की और न ही मेरे बहते आंसुओं की। एक के बाद एक भयंकर धक्के लगा लगा कर जड़ तक ठूंस दिया अपने विकराल लंड मेरी कुंवारी चूत में। मैं रो रो कर तड़पती रही पर जीजू ने पिशाचों की तरह बिना तरस खाये मेरी चूत का मर्दन करते रहे। मैं अब शुक्रगुज़ार हूँ जीजू की। आधे घंटे में मेरा दर्द काफूर हो गया और मैं अब सिसक रही और ज़ोर से चुदने के लिए। एक घंटे बाद जब मैं कई बार झड़ गयी तो जीजू ने मेरी कुंवारी चूत को अपने वीर्य से सींच दिया। 
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 05-18-2019, 01:37 PM

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