Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
05-18-2019, 01:32 PM,
RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार
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१५०
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नसीम आपा और अब्बू ७ 
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अब्बू कुछ और कहे बिना मेरे पट्ट बदन के ऊपर अपने पूरे वज़न से लेट गए। उनके भारी बदन से दब कर मेरे दोनों उरोज़ 

और सारा बदन चटाई के मोटे मोटे दानों के ऊपर कुचल गए। 

अब्बू को अब कुछ और कहने की ज़रुरत भी नहीं थी। उन्होंने मेरी गुदाज़ भारी भरकम जांघों को को फैला कर पीछे से मेरे 

कसी तंग चूत में अपना लन्ड ठूसने लगे। उस तरह लेते हुए मेरी चूत तंग हो गयी थी। अब्बू का घोड़े जैसा लन्ड अब और 

भी मोटा महसूस हो रहा था। 

अब्बू ने मेरे वासना से जलते लाल मुंह को चूमते हुए मेरी चूत लंबे धक्कों से मारते हुए मेरे कान के पास फुसफुसाए ,"नूसी 

बेटा जब हम आपकी गांड मारेंगें तो जितना दर्द भी हो आपको हम धीमे नहीं होंगें। "

मैं अब्बू के लन्ड के जादू से वैसे ही बेचैन हो चली थी और अब उनके आने वाले लम्हों के हुलिए से मेरी चूत में रस की बाढ़ 

बह चली। 

अब्बू ने मेरी चूत में एक और धक्का मारा और मस्ती और दर्द से मेरी हलकी सी चीख का मज़ा लेते हुए मेरे फड़कते 

नथुनों को चूमने चूसने लगे। 

"नूसी बेटा जब आपके अब्बू का लन्ड अपनी बेटी की गांड मारते हुए आपकी गांड के रस से लिस जाएगा तो कौन उसका 

स्वाद चखेगा ?"अब्बू ने मुझे और भी वासना के मज़े से चिढ़ाया। 

मैं अब झड़ने वाली थी , "अब्बू मुझे झाड़िए अब। आपकी बेटी अपने अब्बू का लन्ड चूस कर साफ़ कर देगी अपनी गांड 

मरवाने के बाद। "मैं मस्ती के आलम से जलती हुई बदमस्त हो गयी थी। 

अब्बू चूत को और भी ज़ोर से चोदने लगे। उनके हर धक्के से मेरे उरोज़ , मेरी चूत का मोटा लंबा सूजा दाना चटाई के 

दानों से मसल उठता। मेरे सारे बदन पे उन दानों की रगड़ अब्बू की चुदाई के मज़े में और भी इज़ाफ़ा कर रही थी। 

मैं कुछ लम्हों की चुदाई से भरभरा कर झाड़ उठी। अब्बू ने बिना रुके आधा घंटे और मेरी चूत मारी। मैं चार पांच बार झाड़ 

गयी थी। अब्बू ने अपना लन्ड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया। अब आ गया था वो लम्हा जिसका मुझे छह साल से 

इन्तिज़ार था। 

अब्बू ने मेरे मांसल भारी नितम्बों को अपने फावड़े जैसे बड़े हाथों से मसलते हुए उन्हें दूर तक फैला दिया। उनके सामने अब 

मेरी गांड का नन्हा छल्ला आने वाली गांड - चुदाई के मज़े और दर्द के सोच से फड़क रहा होगा। अब्बू ने झुक कर मेरी

गांड के ऊपर अपने मीठे थूक की लार टपका दी। अब्बू का लन्ड मेरी चूत के रस से लिसा बिलकुल गीला था। 

अब्बू ने अपना मोटे सेब जैसा सूपड़ा मेरी गांड के छले पे टिकाया और बिना कोई इशारा दिए एक गांड-फाड़ू धक्का मारा। 

मैं दर्द से बिलबिलाते हुए चीख उठी। 

अब्बू का पूरा सूपड़ा एक धक्के में ही मेरी गांड में धंस गया था। मुझे लगा जैसे मेरी कुंवारी गांड में जैसे किसीने गरम मोटी 

सलाख ठूंस दी हो। 

मेरी आँखे आंसुओं से भर गयीं। अब्बू अपना वायदा पूरी तरह से निभाने वाले थे। मेरी गांड की अब खैर नहीं थी। मैंने 

अपनी गांड को अल्लाह और अब्बू के भरोसे छोड़ दिया। और बस अब्बू के लन्ड को अपनी गांड में जड़ तक लेने के लिए 

बिलबिलाने लगी। चाहे जितना भी दर्द हो। मुझे अब अपनी गांड फटने का भी डर नहीं था। यदि खून भी निकले फटने से तो 

कुछ दिनों में ही दुरुस्त हो जाएगी। पर उस रात अब्बू के लन्ड से पहली बार गांड मरवाने का जन्नत जैसा मज़ा बार बार तो 

नहीं मिलने वाला था। 

अब्बू ने बिना मेरे सुबकने बिलबिलाने की परवाह किये अपने वायदे को निभाते हुए अपना पूरा वज़न ढीला छोड़ कर मेरे 

बदन के ऊपर गिर पड़े। उनके भारी वज़न से ही उनका लन्ड तीन चार इंच और मेरी बिलखती गांड में ठूंस गया। मैं अब दर्द 

से बिलबिला रही थी। मेरी आँखें गंगा जमुना की तरह बह रहीं थीं। मैं जितना भी कोशिश करती पर मेरे सुड़कने के बावज़ूद 

मेरे आंसू मेरे नथुनों में बह चले। 

अब्बू ने मेरे हाथों की उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंस ली और मेरे हांथो को पूरा फैला कर अपने लन्ड की कई और इंचोन 

को मेरी कुंवारी गांड में ठूंसने लगे। 

मेरा सुबकना बिलबिलाना मेरे मज़े के दरवाज़े पे खटखटाहट दे रहा था। अब्बू के पहलवानी भरी बदन और चूतड़ों की 

ताकत के कमाल से उनके हर धक्के से उनके घोड़े जैस लन्ड की कुछ और इन्चें मेरी गांड में सरक रहीं थी। 

जब मैंने अब्बू की घुँघराली खुरदुरी झांटों की खुरच को अपने चिकने गुदगुदे नितम्बों पे महसूस किया तो मैं समझ गयी कि 

अब्बू ने किला फतह कर लिया था। उनका टेलीफोन के खम्बे जैसा मोटा लंबा लन्ड मेरी कुंवारी गांड में जड़ तक धंस गया 

था। 

मैं दर्द से बिलबिलाती हुई रो तो रही थी पर मेरे अंदर फिर भी एक अजीब से पथभ्रष्ट चाहत थी की अब्बू मेरी गांड खूब 

ज़ोर से मारें और मुझे दर्द से बेहोश कर दें। वासना में जलते हुए ना जाने मेरे दिमाग़ में कैसे कैसे ख्याल आने लगे थे। मैं

बस अब्बू के लिए उस रात को यादगार बनाना चाह रही थी। 
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RE: Parivaar Mai Chudai हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 05-18-2019, 01:32 PM

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