RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मेरे चेहरे पर के भाव देखकर वह हंसने लगी. "अरे तेरे पति को, तेरे देवर को मैंने ही तो पिलाया है. अब भी पीते हैं। बदमाश, जो बचता है उनकी मां पी लेती है. अब बैठ नीचे." मुझे नीचे बिठाकर वह मेरे मुंह में अपनी चूत देकर खड़ी हो गयी और मुझे चूसने को कहा. एकदम देसी माल था उसका, चिपचिपा और तीव्र गंध वाला. उसकी बात सच थी. उसकी चूत चूस कर मेरा फ़िर ऐसा खड़ा हुआ जैसे बैठा ही न हो.
फ़िर उसने प्यार से वहीं बाथरूम के फ़र्श पर बैठकर मुझे गोद में लिया और अपना दूध पिलाया. एकदम मीठा और गरम दूध था. मैं तो निहाल हो गया. उसकी मोटी चूची पकड़कर बच्चे जैसा उसका स्तनपान करने लगा. दोनों स्तन आधे आधे पिला कर चन्दा ने मेरा बदन पोंछ कर जल्दी जल्दी साड़ी और चोली पहनायी. मेरे होंठों पर लिपस्टिक लगायी और मांग में सिंदूर भरा "ब्रा पहन और चल जल्दी बाहर, सब इंतजार कर रहे होंगे."
बाहर सब नहा धोकर मेरी राह देख रहे थे. "आओ बहू, बहुत सुंदर लग रही हो. चन्दा जरा नजर उतार देना मेरी बहू
की. बहू अब तुझे समझाती हूं कि तेरा दिन भर का क्या टाइम टेबल है. तुम लोग भी सुनो."
अम्माजी फ़िर मुझे गोद में बिठाकर चूमते हुए बोली. "बहू, तेरा काम है सिर्फ संभोग, दिन रात हमसे चुदवाना और गांड मरवाना और जैसा हम कहते हैं वैसा करना. जब कोई चाहेगा, तुझे जैसे मन आये भोग लेगा. और हमारे लिये
अपना मुंह हमेशा तैयार रखना. हम उसमें जो दें, वह प्यार से प्रसाद समझ कर निग
"मैं दिन भर घर में रहती हूं इसलिये मेरी सेवा तो तू हमेशा करेगी. रतन सुबह काम पर जाता है और दोपहर में आता है. सुबह वह तुझे अपना मूत पिला जायेगा. जाने से पहले जैसे चाहे तुझे चोद लेगा. उसके बाद तेरा नहाना धोना होगा. चन्दा तुझे नहलायेगी और तैयार करेगी. इसके बाद हेमन्त तुझे दोपहर तक चोदेगा. मैं तो रहूंगी ही. दोपहर को हेमन्त तेरी प्यास बुझायेगा और फ़िर काम पर जायेगा."
"रतन आकर सो जायेगा कि रात को तुझे ठीक से चोद सके. दोपहर को तू मेरी सेवा करेगी. चन्दा भी अपनी सेवा तुझसे करायेगी. हेमन्त भी आकर आराम कर लिया करेगा. फ़िर हर रात तेरी ठुकाई होगी जैसे कल सुहागरात में हुई थी. हम तीनों मिलकर तुझे चोदा करेंगे. आज से चन्दा भी अब साथ रहा करेगी. जब भी किसी भी कारण से तू खाली रहे, वह तुझे चोद लिया करेगी."
फ़िर वे आगे बोलीं. "और एक बात सुन. मैंने चन्दा का जिक्र नहीं किया, पर वो मेरी प्यारी नौकरानी है, जब तेरे साथ अकेले में हो तो तेरे साथ कुछ भी कर सकती है, तुझे प्यार से कुछ भी खिला पिला सकती है, क्यों री चन्दा? आज कुछ दिया बहू को?"
चन्दा हंसते हुए बोली "आज दूध पिला दिया मालकिन. बाद में और कुछ भी पिला देंगी. वैसे बुर का शरबत मेरा मस्त होता है, मेरा बेटा कहता है, रोज पीता है ना! बहू रानी को भी पिला दिया करूंगी"
सहसा अम्मा गंभीर हो कर मांजी वे बोलीं "बहू, तेरी बहुत दुर्गत भी करेंगे हम. असल में कब से हमारे मन में है, बहू आये तो उसे खूब पीटें, उसे तरह तरह की यातनायें दें और मजा लें. हमने बहुत सी चीजें लाकर रखी हैं. रबड़ के कोड़े, बांध कर लटकाने के लिये रबड़ की रस्सियां, बड़े बड़े डिल्डौ, वैसे पिटाई तेरी रबड़ की चप्पलों से ही होगी, तुझे अच्छी लगती हैं ना?"
मैं डर और वासना से बेहोश होने को था. रुलाई भी छूट रही थी और लंड तन कर उछल भी रहा था.
अम्मा बोलीं. "बहू को बात पसंद आ गयी. चल बहुत हो गया. चन्दा जा, उसे तैयार कर, हेमन्त और रतन के लंड अब फ़ट जायेंगे बहू को नहीं चोदा तो. देखा बहू तू कितने प्यारे परिवार में आ गयी है! और सुन, आज चोदने के पहले सब मिलकर जरा चप्पलों से उसकी पिटाई करो. कल पिटाई नहीं हुई थी उसकी, बुरा मान जायेगी. आज सटासट चप्पलें लगा लगा कर उसे कुचल डालो, फ़िर चढ़ जाना!"
चन्दा मुझे पकड़कर ले गयी और मैं अपनी अगली जिंदगी के बारे में सोचता खिंचाखिंचा उसके पीछे चल दिया.
--- समाप्त ---
|