RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
मेरा लंड तन कर खड़ा था. साफ़ चिकने पेट और गोटियों के कारण लंड बड़ा प्यारा लग रहा था. हेमन्त ने उसे सहलाया और बोला, "इसे अब बांध कर रखना पड़ेगा. और अब चलते समय जरा चूतड़ मटकाने की आदत डाल
मैंने कहा, "हेमन्त, मैं भूल जाती हूं कि मैं अब लड़की हूं. इसलिये चलते समय लड़के जैसे चलने लगती हूं."
"मैं बताता हूँ एक उपाय. चल झुक कर खड़ी हो जा." कहकर वह एक ककड़ी ले आया. अपने मुंह में डाल कर अपने थूक से उसे गीला करके उसने ककड़ी मेरी गांड में घुसेड़ दी और उंगली से गहरी अंदर उतार दी. "अब चल कर देख" वह हंसकर बोला.
मैं जब चला तो ककड़ी गांड के अंदर होने से और हाई हील की सैंडल के कारण मेरे चूतड़ खुद ब खुद लहरा उठे. कमरे के दो चक्कर लगाकर जब मैं लौटा तो हेमन्त मुझसे चिपक गया. "क्या मस्त चलती है तू रंडी जैसी! बाहर न जाना होता तो अभी पटक कर तेरी मार लेता. अब कपड़े पहन और चल. वापस आकर तेरी चूचियों का भी टेस्ट लेना है कि इनमें कितना दूध आता है."
जब हम बाहर निकले तो मुझे बहुत अटपटा लग रहा था. डर लग रहा था कि कोई पहचान न ले कि मैं लड़का हूं. लंड को मैंने पेट पर सटाकर उसपर पैंटी पहन ली थी और फ़िर पेटीकोट का नाड़ा उसीपर कस कर बंध लिया था. इसलिये लंड तो छुप गया था पर फ़िर भी मैं घबरा रहा था. हेमन्त ने मेरी हौसला बंधाया. "बहुत खूबसूरत लग रही है तू अनू रानी."
दो घंटे बाद हम लौटे तो मैं हवा में चल रहा था. मेरे असली रूप को कोई नहीं पहचान पाया था. हेमन्त के एक दो मित्र भी नहीं जिनसे मैं मिल चुका था. और मैंने महसूस किया कि राह चलते नौजवान बड़ी कामुक नजरों से मेरी ओर देखते थे. मैं कुछ ज्यादा ही कमर लचका कर चल रहा था. लोग हेमन्त की ओर वे बड़ी ईष्र्या से देखते कि क्या मस्त छोकरी पटाई है उसने.
जब वापस आये तो हेमन्त का भी कस कर खड़ा हो गया था. घर में आते ही उसने मुझे पटक कर चूमाचाटी शुरू कर दी. वह मेरी गांड मारना चाहता था पर उसमें ककड़ी थी. निकालने तक उसे सब्र नहीं था. इसलिये उसने आखिर मेरे मुंह में अपना लौड़ा घुसेड़ कर चोद डाला.
मुझे अपना वीर्य और मूत पिला कर वह उठा तो मैं अपना गला सहलाते हुए उठ बैठा. इतनी जोर से उसने मेरा गला
चोदा था कि मुझसे बोला भी नहीं जा रहा था. ऊपर से खारे मूत से जलन भी हो रही थी.
उसकी वासना शांत होने पर प्यार से मुझे गाली देते हुए वह बोला, "आज रात भर तुझे चोदूंगा. साली रंडी छिनाल. क्या हालत कर दी है तेरे रूप ने! अब गांव में हम तीनों मिलकर तेरे रूप को कैसे भोगते हैं, तू ही देखना. ऐसे कुचल कुचल कर मसल मसल कर तुझे चोदेंगे कि तू बिना चुदने के और किसी लायक नहीं रह जायेगा साले मादरचोद. अब चुदाने चल" ।
मुझे पटककर उसने मेरे गुदा पर मुंह लगाया और चूस कर ककड़ी बाहर खींच ली. जैसे जैसे वह बाहर निकलती गयी, वह खाता गया. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. ।
रात भर हमारी चुदाई चली. जब हम सोये तो लस्त हो गये थे. हेमन्त बहुत खुश था कि रतन की होने वाली बहू अब पूरी तरह तैयार थी. उसने चिट्ठी लिख कर अम्मा और रतन को तुरंत आने को कहा, "यहीं बुलवा लेते हैं उन दोनों को. यहां घर में कोर्ट के क्लर्क को बुलवाकर तेरी शादी करा देते हैं, फ़िर सब मिलकर गांव चलेंगे."
रतन और अम्मा आने तक हेमन्त ने मुझसे संभोग बंद कर दिया. बोला. "अब सुहागरात की तैयारी कर रानी. नयी दुल्हन की ठीक से खातिर करने को कुछ दिन सब का आराम करना जरूरी है. मैंने मां और रतन को भी लिख दिया है. वहां उनकी चुदाई भी बंद हो गयी होगी."
जिस दिन रतन और अम्मा आने वाले थे, मैं बहुत खुश था. शरमा रहा था और डर भी रहा था कि उन्हें मैं पसंद
आऊंगा या नहीं. शादी करके उसी दिन हम गांव को रवाना होने वाले थे.
२४
मैं खूब सजा धजा. मेरे रूप को देखकर हेमन्त बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू रख पाया, दो मिनिट तो उसकी गुलाबी आंखें देख कर मुझे लगा था कि कहीं वह वहीं पटक कर मेरी गांड न मारने लगे. पर किसी तरह उसने अपने
आप पर काबू किया. हां मेरे सामने बैठ कर झुक कर खूबसूरत सैंडलों में लिपटे मेरे पैर वह चूमने लगा. "रानी, आज तो तू एकदम जूही चावला जैसी लगती है, मां कसम अब तुझे न चोदूं तो मर जाऊंगा." उतने में बेल बजी तो किसी तरह अपने आप को सम्हालकर वह दरवाजा खोलने चला गया.
रतन और अम्मा आये तो मैं सहमा हुआ सोफे पर बैठा था. रतन को देखते ही मेरा दिल धड़कने लगा. आखिर मेरा होने वाला पति था. अच्छा तगड़ा ऊंचा पूरा जवान था. दिखने में बिलकुल हेमन्त जैसा था. उसके पैंट के सामने के फूले हिस्से को देखकर ही मैं समझ गया कि उसका लंड कैसा होगा. अम्मा सादी साड़ी पहने हुए थीं. फ़ोटो में तो उनकी मादकता का जरा भी अंदाज नहीं लगा था, उनका भरा पूरा शरीर, आंचल के नीचे से दिखती भारी भरकम छातियां और पहाड़ सी मोटी मतवाली गांड मुझे मन्त्रमुघ्न कर गयी.
मुझे देखकर उन दोनों की भी आंखें चमक उठीं. अम्मा मुझे बांहों में लेकर चूमते हुए बोलीं. "सच में परी जैसी बहू है, हेमन्त तूने जादू कर दिया. पर हमें झांसा तो नहीं दे रहा? मुझे तो यह सच मुच की लड़की लगती है."
जवाब में हेमन्त ने हंसकर उनका हाथ मेरे पेट पर रखकर साड़ी के नीचे से मेरे तन कर खड़े पेट से सटे लंड पर रखा तब उन्हें तसल्ली हुई. रतन ने भी टटोल कर देखा कि मैं सच में लड़का हूं तो उसकी आंखों में खुमारी भर आयी. वह शायद मुझे वहीं बांहों में भर लेता पर अम्मा ने उसे डांट दिया. बोलीं शादी के बाद गांव में ही वह मुझे भोग पायेगा, यहां नहीं.
कुछ देर में कोर्ट का क्लर्क आया. हेमन्त ने उसे काफ़ी पैसे दिये थे. बिना कुछ पूछे उसने हमारी शादी रचायी और हमारे दस्तखत लिये. मैंने अनुराधा के नाम पर साइन किया. फ़िर रतन ने मुझे मंगलसूत्र पहनाया और मैंने झुक कर सब के पैर छुए.
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