Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
05-14-2019, 11:27 AM,
#2
RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ
“साले ने, गाँड फ़ैला के भोसडा बना दिया है…”
“हाँ… ये तो साली नॉर्मल लँड ले ही नहीं पायेगी कभी…”
“बेटा रहने दे, जब हम अपना नॉर्मल लँड, अबनॉर्मल तरीके से देंगे ना, तो ये साली भी उछल जायेगी…” आसिफ़ अपने लँड पर अपनी हथेली रगडता हुआ बोला! तभी उसका फ़ोन बजा, उसने देखा!
“अरे, अब्बा भी ना… गाँड में उँगली करते रहते हैं…” कहकर उसने फ़ोन उठाया!
“जी अब्बा… अरे, ले आऊँगा ना…”
“उन्ह…”
“कहाँ से?”
“कितना?”
“उससे कह दिया है ना?” फ़िर उसने फ़ोन काट दिया!
“यार, मेरा बाप भी ना… सिर्फ़ मेरी गाँड मारने के चक्‍कर में रहता है…”
“क्यों, क्या हुआ?” मैने पूछा!
“पहले शीरमाल के लिये बोला, अब कह रहा है दस चीज़ और लानी हैं…” उसने जवाब दिया!
“बेटा, अब तो तुझे ही चलना पडेगा…” वसीम बोला!
“भाई मेरे, तू चला जा ना… मैं सच में, बहुत थक गया हूँ…”
“अबे, अकेले कैसे?”
“अकेले कहाँ… पप्पू ड्राइवर रहेगा ना…”
“उससे हो पायेगा?”
“हाँ हाँ… साला बडे काम का है… तू चला जायेगा तो मैं थोडी देर आराम कर लूँगा…”
“चल, तू इतना कहता है तो मैं अपनी रात खराब कर लेता हूँ… अब भाई भाई के काम नहीं आयेगा तो कौन आयेगा?”
“इसकी माँ की चूत… ये क्या?” जैसे ही वसीम की नज़र आसिफ़ से बात करते हुये टी.वी. स्क्रीन पर पडी हम तीनो ही उछल गये क्योंकि फ़िल्म का सीन ही चेंज हो गया था! अब उस सीन में तीन लडके और एक लडकी थी! एक तो वही लडका था जो पहले से चूत चोद रहा था, मगर नये लडकों में से एक ने पीछे से उस लडके की ही गाँड में लँड डाल दिया था और तीसरा कभी उसको और कभी उस लडकी को अपना लँड चुसवा रहा था! ये देख के वसीम खडा खडा फ़िर बैठ गया!
“बहनचोद, क्या टर्न आ गया है…”
“हाँ साली, अब तो गे फ़िल्म हो गयी…”
“अबे, गे नहीं… बाइ-सैक्सुअल बोल, बाइ-सैक्सुअल…”
“हाँ वही…”
“चलो, लडको को कम से कम इसके बारे में मालूम तो है…” मैने सोचा!
“ये देख, कैसे लौंडे की गाँड में लँड जा रहा है…”
“अबे, तू जल्दी चला जा… वरना मेरा बाप मेरी गाँड में भी ऐसे ही लँड डाल देगा… हा हा हा हा…”
“तो साले, तेरी भी ऐसे ही फ़ट जायेगी… हा हा हा हा…” वसीम ने कहा!
“अबे, तू फ़िर बैठ गया???” वसीम को बैठा देख आसिफ़ ने कहा!
“अरे, इतना मज़ेदार सीन है… देखने तो दे…”
“साले, गाँड मर्‍रौवल… देख के तेरा खडा हो गया?”
“हाँ यार, सीन बढिया है…”
“हाँ… छोटी लाइन का मज़ेदार सीन है… साले ने आज बढिया फ़िल्म लगायी…”
मैं उन लडको के गे सैक्स में इंट्रेस्ट से एक्साइट हो रहा था!
“वाह यार” मैने कहा!
“तुम लोगों को ये भी पसंद आया?”
“अरे भैया, आप हमारी जगह होंगे ना… तो आपको भी सभी कुछ बढिया लगेगा…”
“तुम्हारी जगह मतलब?”
“जब साला लौडा हुँकार मारता है और तकिये के अलावा कुछ मिलता नहीं है…” आसिफ़ ने हँसते हुये कहा!
“साला, कभी कभी तो बिस्तर में छेद कर देने का मूड होता है भैया…” वसीम ने उसका साथ दिया!
“हाँ, मेरा भी ऐसे ही होता था…”
“लाओ भैया, इसी बात पर एक सिगरेट जलाओ ना…”
“वैसे, लौंडे की गाँड में आराम से जा रहा है…” मैने उनको थोडा भडकाया!
“हाँ… देख नहीं रहे हो, देने वाला भी तो सटीक फ़िट कर के दे रहा है… साला कोई गुन्जाइश ही नहीं छोड रहा है ना, इसलिये जा रहा है…” आसिफ़ ने कहा!
“और साला, कौन सा पहली बार चुदवा रहा होगा… ब्लू फ़िल्म का है, डेली किसी ना किसी का लँड अंदर पिलवाता होगा…” वसीम ने उसी में जोडा!
“हाँ, तभी साले की गाँड फ़टी हुई है…” मैने कहा!
“अभी तो, हमारा आजकल… ये हाल है भैया… कि साला, ये मिले ना… तो इसी की गाँड मार लें…” आसिफ़ ने फ़्रैंकली कहा!
“हाँ यार, जब मिलती नहीं है ना… तो ऐसा ही हो जाता है… तभी तो इसके जैसों का भी धन्धा चलता है… वरना इसकी गाँड कौन मारेगा…” मैने कहा!
“अबे, जा ना यार… ले आ सामान…” इतने में आसिफ़ को फ़िर काम याद आ गया!
“जाता हूँ यार… साला, ये सब देख के मुठ मारने का दिल करने लगा… हा हा हा…”
“पहले सामान ले आ… फ़िर साथ बैठ के मुठ मार लेंगे… वरना मुठ की जगह गाँड मर जायेगी… जा ना भाई…”
“अबे, बस पाँच मिनिट… बाथरूम में घुस के मार लेता हूँ यार…” वसीम माना ही नहीं!
“नहीं यार, जा ना… जल्दी जा…”
“यार, जब कह रहा है तो चले जाओ ना… आकर मार लेना ना…”
“अरे, आप इस बहन के लँड को जानते नहीं हैं…. साला तब तक खुद पाँच बार मार लेगा…”
“नहीं मारेगा यार, तुम आओ तो…” मैने कहा!
“अच्छा, आप साले को मारने मत देना… पकड लेना साले का… हा हा हा…”
“हाँ, पकड लूँगा…” मुझे वो कहते हुये भी मज़ा आ रहा था!

फ़ाइनली वसीम चला गया तो मैं और आसिफ़ कमरे में अकेले हो गये! फ़िल्म में गे चुदायी धकाधक चल रही थी! क्लोज अप से गाँड में लँड आता जाता दिख रहा था!
“आपने कभी ऐसा किया है?” तभी अचानक आसिफ़ ने पूछा!
“ऐसा मतलब क्या? चुदायी?”
“हाँ… मतलब… लौंडा चुदायी… छोटी लाइन… मतलब समझे आप?”
“क्यों यार?”
“बस ऐसे ही… क्योंकि आपने इतनी देर से चैनल चेंज करने को नहीं कहा ना…”
“चैनल तो तुमने भी नहीं चेंज किया…” मैने कहा!
“शायद मुझे मज़ा आ रहा हो….”
“शायद मुझे भी…”
आसिफ़ की भरी भरी जाँघें फ़ैली हुई थीं और उसकी हथेली बार बार कभी जाँघ कभी ज़िप को रगड रही थी!
“इसमें भी मज़ा आता है…”
“हाँ, उसमें क्या है… तुमने ही तो कहा कि बस चुदायी होनी चाहिये…”
“वो तो ऐसे ही कहा था…”
“अब क्या मालूम” उसने कहा फ़िर एक ठँडी सी आह भरी!
“हाय… आज कोई लडका ही मिल जाता तो उसी से काम चला लेता… आज मूड बहुत भिन्‍नौट है…”
“अच्छा कहाँ मिलेगा?”
“आप ही बुला दो किसी को… वो.. वो शाम में जिसके साथ थे…”
“कौन… वो ज़ाइन??”
“कोई भी हो… ज़ाइन फ़ाइन… उससे क्या… अभी तो साला कोई भी चलेगा…”
“बडे डेस्परेट हो?”
“हाँ बहुत ज़्यादा… आप इस वक़्त चड्‍डी के अंदर की हालत नहीं जानते… बस ज्वालामुखी होता है ना, वो हाल है…”
“मगर इस ज्वालामुखी का लावा सफ़ेद है… हा हा हा…” मैने कहा!
“हाँ, अभी तो साला चड्‍डी ही गीली कर रहा है… ज़रा सा मौका मिला ना, तो बुलेट की तरह निकलेगा…”
“अच्छा?”
“तो बुलायो ना… उस लडके को… उसी को ही बुला लो…”
“अबे पागल है क्या… रहने दे…”
“पागल तो हूँ… बहुत बडा… आप मुझे जानते नहीं हो…”

“खोल दू क्या? फ़िर वो अचानक अपना लँड सहलाते हुये बोला!
“क्या?
“लौडा…
“पागल हो?
“हाँ… अच्छा चलो, नीचे वाले बाथरूम के कैबिन में ही चलो…” उसने कहा तो मैं सब कुछ समझ गया!
“अरे भैया… आप हमें जानते नहीं हो… इलाहबाद के नामी लोगो में हमारा नाम है…” उसने अपनी ज़िप खोलते हुये कहा तो मेरी तो ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी!
“ये क्या कर रहे हो आसिफ़?” मैने कहा!
“मुठ मारने जा रहा हूँ… आप सोच लो फ़िल्म है…”
“नहीं करो ना आसिफ़…”
“क्यों नहीं? क्यों.. उस भँगी की याद आ जायेगी?” उसने कहा और अपनी ज़िप के अंदर से अपना मुसलाधार गोरा, लम्बा मोटा खडा हुआ लौडा बाहर निकाला तो उसका जादू तुरन्त मेरे ऊपर छा गया!
“किस भँगी की यार?”
“जिसके साथ आप कैबिन में बन्द थे…” उसने अपने लौडे को अपनी मुठ्‍ठी में दबाते हुये कहा! उसके ऐसा करने से लँड हुल्लाड मार रहा था और वीर्य की कई बून्दें बाहर आ कर सुपाडे से बहती हुई उसके हाथ पर आ गयी! मैं तो अब तक ठरक चुका था! मैने अपनी कोहनी बेड पर टिका दी और अधलेटी अवस्था में एक सिसकारी भरी… मगर आसिफ़ उतने पर ही नहीं रुका! उसने अपनी जीन्स का बटन खोल दिया! जीन्स बहुत चुस्त थी, इसलिये वो उसको बडी मुश्किल से अपनी जाँघ तक खींच पाया और फ़िर अपने लँड को मेरी नज़रों के सामने झूलने दिया! उसका लँड सीधा हवा में था, जाँघ गोरी और चिकनी थी! भूरी भूरी झाँटें थी! लडके का हुस्न बढिया था, गदरायी नमकीन जवानी थी! वो हल्के हल्के अपने लँड की मुठ मारने लगा!
“मुठ क्यों मार रहे हो?” मैने तेज़ साँसों के बीच सूखते गले से पूछा!
“आप तो कुछ कर ही नहीं रहे हो… इसलिये मुठ ही मारनी पड रही है…”
“क्या करूँ?”
“अब क्या पूछते हो… जो दिल करे, कर लो… अब जब लौडा निकाल ही दिया है तो समझो लाइसेंस दे दिया है… अब क्या पूछना…”
मैं बेड से उतर के कुर्सी के पास उसके पैरों के पास बैठ गया और अपने होंठों से उसकी जाँघ सहलाते हुये उसके लँड को अपने हाथ में ले लिया!
“बहन के लौडे, तुम्हें देखते ही ताड लिया था!”
“कैसे?”
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RE: Adult Kahani समलिंगी कहानियाँ - by sexstories - 05-14-2019, 11:27 AM

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