RE: vasna story जंगल की देवी या खूबसूरत डक�...
मोंगरा की गर्म सांसे रणधीर के चहरे में पड़कर रणधीर के दिल को पिघला रही थी , जीवन में पहली बार वो मोंगरा के इतने नजदीक था ,दिल की धड़कने किसी ट्रेन की तरफ दौड़ रही थी ,ये रणधीर का ही कमरा था जंहा से निकलते हुए मोंगरा को उसने बस इतना कहा था की ‘रानी इधर भी आ जाओ ‘
हर बार की तरह उसने सोचा था की मोंगरा बुरा सा मुह बनाकर चली जाएगी लेकिन मोंगरा अंदर आ गई ,ना सिर्फ आयी बल्कि रणधीर से चीपक कर खड़ी हो गई,मोंगरा की उन्नत छतिया रणधीर के सीने में धंस रही थी ,और रणधीर अपनी सांसे रोके हुए खड़ा था,रणधीर ने अब तक मोंगरा को लेकर कई ख्वाब देखे थे ,वो सोचता था की जब मौका मिलेगा तब वो उसे दबोच लेगा,लेकिन आज मौका था जो खुद मोंगरा ने दिया था लेकिन रणधीर किसी भीगी हुई बिल्ली की तरह सहम गया था,वो असल में मोंगरा के इस अचानक बदले व्यव्हार से ही घबरा गया था क्योकि इसकी तो उसने कभी कल्पना भी नही की थी …
उसके सब ख्वाब बस ख्वाब ही रह गए थे,
वही मोंगरा को पता था की रणधीर की ऐसी ही हालत होगी ,ये उसकी मुह बोली माँ पूनम ने उसे पहले ही बता दिया था,आखिर इतने सालो से वो रणधीर को जानती थी ..
रणधीर की सांसे अटकी हुई थी और मोंगरा के होठो में एक कातिल मुस्कान थी ,वो अच्छे से सिख रही थी…
“क्या बोलना है ठाकुर साहब ,रोज बुलाते हो आज आ गई तो ऐसे क्यो घबरा रहे हो,कभी लड़की नही छुई क्या …”
रणधीर जल्दी से जगह बना कर थोड़ा अलग हुआ ..
“तुझमे ना जाने इतना करेंट कहा से आया “
वो हड़बड़ाकर बोल गया ,और मोंगरा हँस पड़ी ..
“करेंट तो हमेशा से था इसलिए तो आज तक तू मुझे नही छू पाया,बस मुझे घूरता रहा,छेड़ता रहा लेकिन …”
“वो ...वो तो मैं पिता जी और माँ के कारण …”
“ओहो बहाने तो देखो ,,”मोंगरा फिर से मुस्कुराई लेकिन तब तक रणधीर सम्हाल चुका था और उसके लिंग ने फुंकार मारनी शुरू कर दी ,
जब इंसान अपने लौड़े की सुनने लगता है तो डर कोसो दूर भाग जाती है,रणधीर भी मोंगरा के पास आकर उसके कमर को अपने हाथो में फंसा उसे अपने से सटा लेता है,
मोंगरा जिसने एक नई फ्रॉक पहनी थी जिसे बलवीर ने उसे लाके दिया था,उसे अपने जांघो के बीच रणधीर की मर्दानगी का अहसास होने लगा,उसका लिंग लोहे से कड़ा हो गया था,
उसकी सांसे उखड़ी हुई थी शायद वो अपने ख्वाब को पूरा करना चाहता था ,उसकी लुंगी से उसका लिंग बाहर झकने लगा था ..
मोंगरा ने उसके कमर को अपनी ओर और खिंच लिया और उसका लिंग मोंगरा के जांघो के बीच से होता हुआ उसके पेट तक रगड़ खा गया ..
“आह …”
रणधीर की आंखे बंद हो गई क्योकि मोंगरा ने उसे ऐसे जकड़ा था की उसके लिंग की चमड़ी भी खिसक गई थी ,सूखे हुए कपड़े में रगड़ खाने से उसे थोड़ा दर्द तो हुआ लेकिन मजे के असीम आकाश में वो दर्द कही गुम ही हो गया था,
मोंगरा ने उसे थोडा और पीछे किया और उसके खड़े हुए लिंग को अपने हाथो में भर लिया,रणधीर बस उस हसीना के अदांओ पर आश्चर्यचकित हुआ आंखे फाडे अपने किस्मत पर इठला रहा था,वो क्या करने वाली थी इसका अंदाज लगा पाना उसके दिमाग के बाहर ही था..
मोंगरा ने मुस्कुराते हुए उसे देखा ,
“यही सब कुकर्मो की जड़ है बोल तो इसे काट दु “
मोंगरा के हाथ में पास ही पड़ा हुआ एक चमकदार चाकू था जिसे उसने अभी अभी उठाया था ,रणधीर का डर से बुरा हाल हो गया ,जिसका पता उसके लिंग के तनाव से ही पता लग रहा था वो ऐसे सिकुड़ा जैसे गुबबरे से हवा निकल रही हो ..
मोंगरा जोरो से हँसी ,इतने जोरो से की पूरे कमरे में सिर्फ उसकी हँसी गूंजने लगी…
उसने रणधीर के लिंग को छोड़ दिया और उसके चहरे का भाव अचानक ही बदलने लगा ,वो दृढ़ हो चुका था आंखे जैसे अंगारे थी ..
“मोंगरा को पाने के लिए शेर का दिल चाहिए,तेरे जैसे गीदड़ का नही जो बात बात पर डर जाए,जब ऐसी हिम्मत हो तो मेरे पास आना ,सब कुछ दूंगी तुझे ..”
रणधीर बस उसे जाते हुए देखता रहा उसके मोंगरा के इस रूप को देखकर उसका चहरा पसीने से तर हो चुका था ...
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