RE: Porn Kahani हसीन गुनाह की लज्जत
आज मैं कल जैसी नर्म दिली से पेश नहीं आ रहा था, उरोज़ का निप्पल हाथ में आते ही फूल कर सख़्त हो गया था, मैं अंगूठे और एक उंगली के बीच में निप्पल लेकर हल्के हल्के मसलने लगा।
प्रिया का दायां हाथ मेरे हाथ के ऊपर रखा था, जहां जहां उसे तीव्र आनन्द की अनुभूति होती, वहीं वहीं उसका हाथ मेरे हाथ पर कस जाता।मेरा मन कर रहा था कि मैं प्रिया के उरोज़ों का अपने होंठों से रसपान करूँ लेकिन उस में अभी भयंकर ख़तरा था सो मैंने अपने मन पर काबू पाया और इसी खेल को आगे बढ़ाने में लग गया।
मैंने अपना दायां हाथ प्रिया के उरोजों से उठा कर प्रिया के बाएं हाथ पर (जो मेरी छाती पर ही पड़ा था) रख दिया।प्रिया के हाथ को सहलाते सहलाते मैंने प्रिया का हाथ उठा कर पजामे के ऊपर से ही अपने गर्म, तने हुए लिंग पर रख दिया।
प्रिया को जैसे 440 वाट का करंट लगा, उसने झट से अपना हाथ मेरे लिंग से उठाने की कोशिश की लेकिन उस के हाथ के ऊपर तो मेरा हाथ था, कैसे जाने देता?
दो एक पल की धींगामुश्ती के बाद प्रिया ने हार मान ली और मेरे लिंग पर से अपना हाथ हटाने की कोशिश छोड़ दी।
मैंने अपने हाथ से जो प्रिया का वो हाथ थामे था जिस की गिरफ़्त में मेरा गर्म, फौलाद सा तना हुआ लिंग था, को दो पल के लिए अपने लिंग से हटाया और अपना पजामा अपनी जांघों से नीचे कर के वापिस अपना लिंग प्रिया को पकड़ा दिया। प्रिया के शरीर में फिर से वही जानी-पहचानी कंपकंपी की लहर उठी।
अब के प्रिया का हाथ खुद ही लिंग की चमड़ी को आगे पीछे कर के मेरे लिंग से खेलने लगा, कभी वो शिशनमुंड पर उंगलिया फेरती, कभी लिंग की चमड़ी पीछे कर के शिशनमुंड को अपनी हथेली में भींचती, कभी मेरे अण्डकोषों को सहलाती।
ऊपर मेरे हाथों द्वारा प्रिया की छातियों का काम-मर्दन जारी था। धीरे धीरे मैं अपना दायां हाथ प्रिया के पेट पर ले गया, नाईट सूट के अप्पर को पेट से ऊंचा करके मैंने प्रिया के पेट पर हल्के से हाथ फेरा और फिर से प्रिया के शरीर में वही जानी पहचानी कंपकंपी की लहर को महसूस किया, प्रिया का हाथ मेरे लिंग पर जोरों से कस गया।
*********मैं धीरे धीरे अपना हाथ प्रिया के पेट पर घुमाता घुमाता नाभि के आस पास ले गया, प्रिया के शरीर में रह रह कर कंपन की लहरें उठ रही थी।
जैसे ही मेरा हाथ प्रिया के नाईट सूट के लोअर के नाड़े को टच हुआ, प्रिया ने अपने दाएं हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और मजबूती से मेरा हाथ ऊपर को खींचने लगी।मैंने जैसे-तैसे अपना हाथ छुड़ाया और फिर से दोबारा जैसे ही प्रिया के नाईट सूट के लोअर के नाड़े को छूआ, प्रिया की फिर वापिस वही प्रतिक्रिया हुई, उसने मजबूती से मेरा हाथ पकड़ कर वापिस ऊपर खींच लिया।
ऐसा लगता था कि प्रिया मुझे किसी कीमत पर अपना लोअर खोलने नहीं देगी।मजबूरी थी… प्यार था, लड़ाई नहीं जो जोर जबरदस्ती करते, जो करना था खामोशी से और आपसी समझ बूझ से ही करना था।
मैंने प्रिया का हाथ उठा कर वापिस अपने लिंग पर रख दिया और अब की बार अपना हाथ चादर के अंदर पर उसके नाईट सूट के सूती लोअर बाहर से ही प्रिया की बाईं जांघ कर रख दिया प्रिया के शरीर में कंपन की लहर उठी और अब मैं प्रिया की जांघ सहलाते सहलाते अपना हाथ जांघ अंदर को और ऊपर की ओर ले जाने लगा।
मेरी स्कीम काम कर गई, आनन्द स्वरूप प्रिया के मुंह से हल्की-हल्की सिसकारी निकलने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ उसका हाथ जोर-जोर से मेरे लिंग पर ऊपर-नीचे चलने लगा।प्रिया की बाईं जांघ पर स्मूथ चलती मेरी उंगलियों ने अचानक महसूस किया कि उंगलियों और रेशमी जांघ के बीच में कोई मोटा सा कपड़ा आ गया हो।
मैं समझ गया कि यह प्रिया की पेंटी थी। धीरे धीरे मैं जाँघों के ऊपरी जोड़ की ओर बढ़ा।उफ़! एकदम गर्म और सीली सी जगह… मैंने वहां अपना हाथ रोक कर अपनी उंगलियों से सितार सी बजाई।फ़ौरन ही प्रिया ने मेरे लिंग को इतने जोर से दबाया कि पूछो मत!
मैंने नाईट सूट के सूती लोअर के बाहर से ही प्रिया की पेंटी को साइड से ऊपर उठाया और नाईट सूट के कपडे समेत अपनी चारों उंगलियां प्रिया की पेंटी के अंदर डाल दी। मेरे हाथ के नीचे जन्नत थी पर मुझे इस जन्नत पर कुछ जटाजूट सा कुछ महसूस होता। शायद प्रिया अपने गुप्तांगों के बाल नहीं काटती थी।
मैं कुछ देर अपनी उंगलियों से सितार बजाने जैसी हरकत करता रहा और इधर प्रिया मेरे लिंग को मथती जा रही थी।अचानक ही मैंने अपना दायां हाथ प्रिया की योनि से उठाया और फुर्ती से प्रिया के नाईट सूट के लोअर का नाड़ा खोल कर अपना हाथ प्रिया की पेंटी के अंदर से प्रिया की बालों भरी योनि पर रख दिया।
प्रिय ने फ़ौरन अपना दायां हाथ मेरे हाथ पर रखा और मेरा हाथ अपनी योनि से उठाने की कोशिश करने लगी लेकिन अब तो बाज़ी बीत चुकी थी, अब मैं कैसे हाथ उठाने देता।मैंने सख्ती से अपना हाथ प्रिया की योनि पर टिकाये रखा और साथ साथ अपनी बीच वाली उंगली योनि की दरार पर ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर फिराता रहा।
कुछ ही देर बाद प्रिया ने मेरे उस हाथ की पुश्त पर जिससे मैं उसकी योनि का जुग़राफ़िया नाप रहा था, एक हल्की सी चपत मारी और अपना हाथ उठा कर परे करके जैसे मुझे खुल कर खेलने की परमीशन दे दी।
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