RE: non veg kahani व्यभिचारी नारियाँ
नजीबा... कमीनी... साली... तू... तू मेरी आखों पे मूत रही है...', शाजिया अपनी आँखें बंद करती हुई बोली, “ऐसे ही मूतती रह... मेरे चेहरे पर.. आहाहा... बहुत अच्छा लग रहा है।” शाजिया ने अपना चेहरा ज़रा सा ऊपर उठा कर अपने खुले होंठ नजीबा के मूत की धार की सीध में लाने की कोशिश की और थोड़ी सी कोशिश के बाद वो सफल हो गयी। वो आँखें मींचे, आहें भरती हुई गटागट मुँह भर-भर कर गरम पेशाब पीने लगी। शाजिया को इस गंदे-विकृत खेल में बहुत मज़ा आ रहा था और उसकी चूत और पूरे जिस्म में झनझनाहट होने लगी। वो अपने एक हाथ की अंगुलियों से अपनी चूत और क्लिट रगड़ने लगी और उसका दूसरा हाथ नजीबा के चूतड़ों को सहला रहा था।
अपने एक हाथ में पकड़ी बोतल से नजीबा बीच-बीच में व्हिस्की के घूट गटक रही थी। और अपनी गाँड मटकाती हुई दूसरे हाथ से व्यग्रता से अपनी क्लिट रगड़ रही थी। अपनी सहेली के बाल, चेहरा, चूचियाँ अपने पेशब से सराबोर होते देख और उसे अपने शरीर का अंतरंग रस पीते देख नजीबा के पूरे बदन में कामोत्तेजना की बिजली सी दौड़ रही थी और वो बेकाबू सी होकर लगातार कराह रही थी। दोनों सहेलियाँ जंगली बिल्लियों की तरह जोर-जोर से कराहती और आहें भरती हुई शोर मचा रही थीं।
“मम्म्म्म... ओह गॉड... *गलल गलल* -- ओह गॉड *गटगट* -- मम्म्म्म - ओह हाँ, जानू *गलल गलल* -- लेट मी ड्रिक दिस हॉट पिस शाजिया कराही और अगले ही क्षण उसकी ऐयाश चूत में ज़ोरदार विस्फोट हुआ और वो झड़ गयी।
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शाम से इतनी शराब पीने के बाद नजीबा का मुत्राशय प्रेशर से फटने जैसा हो रहा था और इसलिए शाजिया के मुँह में मूतना बंद होने में कुछ समय लगा। हालांकि शाजिया अपनी सहेली का काफी मात्रा में पेशाब पीने में कामयाब रही थी पर फिर भी काफी सारा पेशाब उसके मुँह से बाहर बहने से और साथ ही शुरू में नजीबा द्वारा छोड़ी गयीं अंधाधुंध मुन्न-धारों से लथपथ होकर शाजिया के बाल, चेहरा और बाकी का जिस्म भी मूत्र-गंधित हो रहा था।
शाजिया ने अपनी गर्दन उचका कर नजीबा की चूत पर चुंबन दिया। नजीबा का स्खलन ट्रिगर आ करने के लिये इतना ही काफी था और उसकी अंगुलियाँ प्रचंडता से उसकी क्लिट को । रगड़ती हुई चूत में अंदर-बाहर होने लगीं। पर अचानक जब शाजिया ने अपना हाथ उसकी टाँगों के बीच में से पीछे ले जाकर उसकी गाँड में अंगुली घुसेड़ दी तो नजीबा धड़धड़ाती हुई झड़ गयी और उसकी चूत ने शाजिया के चेहरे पर अपने चिपचिपे रस का फव्वारा छोड़ दिया।
नजीबा का सिर नशे और उन्मत्तता से चक्करा रहा था। वो और अधिक देर खड़ी ना रह सकी और तुरंत ही शाजिया के सामने ज़मीन पर अपने ही पेशाब के तलैया में पसर गयी। हाऊ वाज़ इट... मजा आया ना...?” मदहोशी भरी आँखों से शाजिया की तरफ देखते हुए नजीबा ने फुसफुसाते हुए पूछा।
अपने होंठ चपचपाते हुए शाजिया मुस्कुराकर बोली, “ग्रेट.. सैक्सी.. ऊम्म मज़ा आ गया... तेरा मूत तो व्हिस्की से भी नशीला था..."
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