Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:56 PM,
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैं- तो जब मेनका नहीं रही राणाजी किस पर सबसे ज्यादा भरोसा कर सकते है 

पूजा-शायद खुद पर
पूजा- हाँ, मेनका के बाद कोई भी ऐसा नहीं जिस पर वो विश्वास करेंगे 

मैं- बात सही है पर उन्होंने भी ये बात सोच ली होगी की सबसे पहले हम अनपरा जायेंगे 

पूजा- तो क्या न जाये 

मैं- चलना तो होगा ही क्योंकि कुछ ना कुछ तो मिलेगा हमे

अनपरा पहुचने तक बहुत बेचैनी सी रही मन में पर जब वहां पहुचे तो उस हवेली का दरवाजा खुला था मैं और पूजा अंदर गए पर वहां कोई नहीं था हमने मुख्य द्वार को बंद किया और तलाशी लेने लगे और जब मेरी नजर उस शेल्फ पर पड़ी जो पूरी तरह किताबो से भरी थी 

मुझे ये अटपटा सा लगा क्योंकि कौन इतनी किताबो में दिलचस्पी लेगा जबकि जिंदगी की डोर उलझी हो मैंने कुछ किताबो को हटाया और मुझे एक दरवाजा दिखा जिस पर एक जंग खाया ताला था कोई खास देर न लगी उसे तोड़ने में और जैसे ही अंदर गया आँखे खुली रह गयी 

इतना धन इतना सोना आँखे उस पीले पन से चुंधिया गयी मेरी ,

पूजा- बाप रे ये तो ये तो 

मैं- असली सोना है

पूजा- जानती हूं कुंदन पर यहाँ कैसे

मैं- उनका ही होगा 

पूजा- ये तो मै भी जानती हूं पर गौर से देख जरा ये जेवर ये मुर्तिया ये झालर कुछ अजीब नहीं है क्या 

मैं- घरेलु सा नहीं लगता 

पूजा- घर में किसी के पास इतना सोना होता नहीं होगा 

मैं- अपने पुरखों के पास होगा 

पूजा- होगा, पर ऐसा नहीं जरा इस मूर्ति को देख एक दिव्यता सी लगती है जैसे किसी मंदिर की मूर्ति हो ये 

मैं- पूजा मंदिर की मूर्ति यहाँ कैसे आएगी 

पूजा-खैर, जाने दे वैसे ही तेरे बाप ने जान को इतना जंजाल लगाया हुआ है अब उनसे ही पूछ लेना इस सोने के बारे में भी

एक कमरे के कुछ तस्वीरें थी राणाजी और मेनका की पर उसके अलावा पूरी हवेली में कुछ भी ऐसा न मिला जिससे कुछ पता चले, तलाशी लेते लेते रात होने को आयी थी पर हाथ खाली थे

पूजा- लगता नहीं यहाँ कुछ है कविता से सम्बन्धित

मैं- अब क्या करूँ कहा ढूंढू 

पूजा- हौंसला रख सब ठीक होगा वैसे राणाजी किसकी सबसे ज्यादा परवाह किसकी करते है 

मैं- मेनका की 

पूजा- और वो रही नहीं जैसा की तुमने बताया राणाजी कितने उग्र हो गए और फिर एकदम शांत जबकि उस स्तिथि में कोई इंसान शांत नहीं हो सकता 

मैं- कहना क्या चाहती हो 

पूजा- देखो मेरा बस ख्याल है की ये सब अभिनय हो एक नाटक हो हमे वो सब दिखाने का जो हम देखना चाहते है

मैं- पूजा साफ़ साफ़ बोल 

पूजा- देख जब हम यहाँ आये तो हर चीज़ खुली है मतलब गहने पैसे कपडे और यहाँ कोई भी नहीं है मेरा मतलब कोई नौकर नौकरानी तो होता इतनी बड़ी हवेली कोई कैसे खुली छोड़ देगा 

पूजा की बात में दम था पर मैं उसके आगे ये नहीं बताना चाहता था की यहाँ एक नौकरानी थी जब मैं पहली बार आया था 

मैं- अभी बस ध्यान उस काम पर रख जिसके लिए आये है

पूजा- न जाने क्यों जस्सी फिट नहीं होती सारे मामले में

मैं- बताया न तुझे 

पूजा- देख, जब कविता के लिए जस्सी राणाजी के पास जा रही थी तो वो क्या ऐसा नहीं कर सकती थी की राणाजी को बोलती की कविता की घर ले आये बदले में वो , वो सब करती रहेगी 

मैं- राणाजी घाघ है 

पूजा- जानती हूं तो इस बात का क्या सबूत है कि कविता जिन्दा ही होगी 

मैं- मेरा हौंसला मत तोड़ 

वो- विरोधाभास कुंदन राणाजी के चरित्र का शायद एक पक्ष ऐसा है जो हमसे छूट रहा है कोई ऐसी बात मतलब तूने बताया था न की उस तहखाने में तुम सब की तस्वीरें थी एक क्रम में परिवार के सब लोग एक साथ 

मैं- वहां, एक चीज़ अजीब थी 

वो- क्या 

मैं- वहां, तेरी तस्वीर भी थी 

पूजा- मेरी तस्वीर, पर कैसे ऐसा कैसे हो सकता है इसका मतलब राणाजी जानते है मेरे बारे में 

मैं- पर किस तरह से 

पूजा- मुझे क्या मालूम 

मैं- ऐसी एक डोर है जिससे हम सब बंधे है पर उद्देश्य क्या है ये कोई नहीं जानता 

पूजा-वास्तव में मेरी तस्वीर का वहां होना अचंभित करता है कुंदन मैं एक बार वो तहखाना देखना चाहूंगी 

मैं- सारा घर ही तेरा है तू जब कहे तब 

पूजा- आज रात को 

मैं- पर उसके लिए यहाँ से वापिस मुड़ना होगा 

पूजा- हां, थोड़ी बहुत और देख लेते है फिर चलते है 

पर कुछ नहीं मिला हार गए वो अलग पर सवाल ज्यो का त्यों था की कविता है तो कहा है और किस हाल में है राणाजी ने क्या कोई अन्य गुप्त ठिकाना बनाया हुआ था या वो एक बार फिर कोई खेल रच रहे थे जिसके मोहरे हम थे या फिर ये शांति किसी आने वाले तूफ़ान से पहले की शांति थी 

मैं- एक काम कर सकती क्या 

वो- बोल तो सही 

मैं- जस्सी को धर ले 

पूजा- धर तो लूंगी पर फिर तू कहना मत की ऊपर नीचे हो गया क्योंकि वो भी शातिर है आसानी से काबू नहीं आएगी 

मैं- तुझे जो करना है कर 

पूजा- एक बात और 

मैं- क्या 

वो- बताती हु 

पूजा मेरे पास आई और हौले से अपने लरजते हुए होंठ मेरे होंठो पर रख दिए जैसे ही उसके लबो का स्वाद मुझे आया जिस्म में सुरसुराहट बढ़ गयी मेरे हाथ अपने आप उसकी कमर पर कस गए और इससे पहले की मैं उस चुम्बन को ठीक से महसूस कर पाता एक तेज चीख से पूरी हवेली गूंज गयी
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:56 PM

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