Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:46 PM,
#47
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
जब मैं सोकर उठा तो चारो तरफ अँधेरा फैला हुआ था मैंने देखा बिजली नहीं थी मैंने लैंप जलाया और नीचे आया तो घर पर कोई दिख नहीं रहा था न कोई उजाला था घर के बाहर आकर देखा तो वहा भी कोई नहीं था न ही गाड़िया थी सिवाय मेरी गाड़ी के मैं सोचने लगा कहा गए सब लोग 

अब जब कोई नहीं घर पर तो मैं रह कर क्या करूँ मैंने अंदर से चाबी ली और अपनी गाड़ी का दरवाजा खोला पर फिर बंद कर दिया औऱ अपनी साइकिल उठा ली और चल दिए अपनी उस अंजानी मंज़िल की ओर मैंने अपने खेतों को पार किया इलाके में बिजली न होने से चारो तरफ घुप्प अँधेरा फैला हुआ था 

धीरे धीरे मैं पूजा के घर की तरफ बढ़ रहा था कि तभी मेरी सायकिल पंक्चर हो गयी 

"हो गयी मुसीबत" मैं गुस्से से बोला और अब कोई चारा नहीं था तो उसे घसीटते हुए मैं आगे बढ़ने लगा और कुछ देर बाद एक दुराहा आया जहा से दो रास्ते पूजा के घर की तरफ जाते थे एक में थोड़ा समय लगता था और एक खारी बावड़ी के पास से जाता था हमेशा की तरह मुझे ही चुनाव करना था पर चूँकि मेरी साइकिल पंचर थी तो मैंने सोचा की खारी बावड़ी के पास से ही गुजर जाऊंगा टाइम बचेगा

वहाँ से गुजरने में मुझे डर भी लगता था पर मुझे बस पूजा का दीदार करने की जल्दी थी तो मैंने उसी रास्ते पर अपने कदम बढ़ा दिए अब इंतज़ार करना जो मुश्किल था
वक़्त पता नहीं कैसे बीता जब होश संभला तो ऊपर आसमान में सूरज चमक रहा था आँखे खुलने से मना कर रही थी पर जैसे तैसे होशो हवास संभाले तो देखा की मैं बावड़ी के चबूतरे पर पड़ा था मैंने अपने आप को राख में लिपटे हुए पाया 
इससे एक बात स्पष्ट थी की कल जो भी हुआ वो न कोई छलावा था न कोई आँखों का धुआं मैंने जो भी देखा था वो सच था मैंने राख को अपनी हथेली से टटोला अब भी गर्म थी पर अगर ये सच था तो वो औरत कौन थी और अगर वो जली थी तो फिर उसका शरीर कहा गया
किसी तूफान की तरह बहुत सारे सवाल अनचाहे ही दस्तक दे रहे थे जिनके जवाब जानना बहुत ही जरुरी था चूँकि चोटे लगी थी तो अब उनका दर्द भी हो रहा था प्यास से गला सुख रहा था वो अलग अपने बदन से राख झाड़ते हुए मैं उस पुराने से कमरे के पास आया
तो मैंने पाया कि कुण्डी अपनी जगह पर सही तरीक़े से लगी हुई थी जबकि मुझे अच्छे से याद था की कल मैंने कब्ज़ा तोड़ कर दरवाजा खोला था मैंने फिर से प्रयास किया पर इस बार कब्ज़ा जरा भी हिला नहीं मेरे आश्चर्य की सीमा नहीं रही कल तो झट से टूट गया था पर एक सवाल ये भी था की जब कल टूट ही गया तो आज ये लगा कैसे
तभी मेरी नजर पास रखे मटके पर पड़ी मटका एकदम नया था मैंने ढक्कन हटाया और देखा अंदर बिलकुल ताज़ा पानी था मैंने उसे अपने मुह से लगाया और पीने लगा पानी पीकर कुछ चैन मिला तो मैंने रात की हर बात पे गौर करना शुरू किया शुरू से लेकर अंत तक 
की कैसे क्या हुआ औऱ एक बार फिर से मैं उस राख़ वाली जगह पर आया तो मुझे याद आया कैसे उस जलती हुई औरत ने मुझे देख कर अपनी बाहे फैलायी थीं और उसकी आँखे ।।।।उसकी वो आँखे उस जलते चेहरे को जैसे मैंने पहले भी कही देखा था पर कहा मैं सोचने लगा 
अब मेरे सामने दो ही रास्ते थे की या तो किसी से पूछा जाये या फिर इस पुरी जगह को बारीकी से खंगाला जाये ताकि कुछ सुराग सा मिले अच्छा खासा पूजा से मिलने जा रहे थे कहा इस बावड़ी के झमेले में फस गए जान सलामत थी ये ही बड़ी बात थी


पर समस्या ये थीं की ये पूरी ज़मीन तक़रीबन दो ढाई एकड़ में फैली हुई थी और कुछ तरफ बेहद घने पेड़ झाड़िया थी और अकेले के बस का काम भी नहीं था अब किसकी मदद ली जाये मैंने सोचते हुए उस पूरी जमीन के टुकड़े का एक चक्कर लगाया और फिर वापिस उसी जगह पर आ गया
कल रात जो हुआ किसी को बताये तो कोई विश्वास नहीं करेगा और इस बात का पता लगाना अब तो बेहद जरुरी सर में दर्द होने लगा तभी ध्यान आया साइकिल का अब जो भी था उसको साइकिल की क्या जरुरत आन पडी वो भी पंक्चर वाली की
सोचा पूजा से मिल लिया जाये कुछ बाते करेंगे कुछ रोटी पानी खाएंगे तो पैदल ही चल दिया पर उसके घर पर ताला लगा था ये पूजा भी न भटक रही होगी पता नहीं कहा तो कुछ देर इंतज़ार करके फिर मैं अपने दादा की जमीन की तरफ चल दिया
झोपडी का दरवाजा खोला और अंदर देखा तो पूजा सो रही थी मैंने उसे जगाया तो आँखे मलती हुई वो उठी
पूजा- कब आये और ये क्या हाल बना रखा है और ये खून क्या हुआ कुंदन 
मैं- कुछ नहीं गिर गया था तो चोट लग गयी
वो- ऐसे कैसे लग गयी तुम इतने लापरवाह कैसे हो सकते हो पहले के ज़ख्म भरे नहीं और नए पाल रहे हो 
मैं- शांत हो जा मेरी झाँसी की रानी और ये बता तू यहाँ क्या कर रही हैं
वो- तेरी याद आ रही थीं तो इधर आ गयी
मैं- और तेरे पशु
वो- बेच दिए 
मैं- क्यों 
वो- बस यु ही सोच रही हु घर की मरम्मत करवा लू साथ ही एक दो नए कमरे बनवा लू
मैं- ह्म्म्म तू बस बोल मैं मजदुर भेज देता हूं
वो- रहने दे मैं करवा लुंगी 
मैं-कभी हमे भी सेवा का मौका दो 
वो- सोचती हूं तुम बताओ 
मैं- बस बढ़िया तुम्हारी याद आ रही थी तो चले आये 
वो-और याद न आती तो 
मैं- तब भी चले आते 
वो- कहा से सीखा ये बाते बनाना 
मैं- तुमसे 
वो- अच्छा जी 
मैं- भूख लगी है खाना खिलायेगी 
वो- थोड़ी देर बैठ पास मेरे फिर घर चलते है 
मैं- ठीक है
कुछ तो बात थी इस लड़की में मैं बस खिंचता चला आता था इसकी और जैसे वो पल पल छा रही थी मुझ पर मुझ तनहा को अगर कही कुछ घडी सुकून मिलता था तो बस इसके पास ऐसा लगता था की जैसे बरसो की पहचान है मैंने अपना सर उसकी गोद में रख दिया
वो मेरे बालो में हाथ फेरने लगी मेरी चोट को सहलाने लगी उसके आगोश में आराम सा मिला मेरी आँखे नींद के बोझ से बंद सी होने लगी तो मैंने अपने आप को उसके हवाले कर दिया 
वो- नींद आ रही है 
मैं- हाँ 
वो- आराम करो मैं यही खाना ले आती हु 
मैं- नहीं मैं भी चलता हूं नहा भी लूंगा और कपडे भी बदल लूंगा तो हम वहाँ से चल पड़े उसके घर की तरफ आपस में हंसी मजाक करते हुए पर कल रात का पूरा घटनाक्रम अभी भी मेरे जेहन में था 
खैर मैं फिर नहाने चला गया और वो खाना बनाने लगी उसके बाद हम साथ बैठ कर खाना खा ही रहे थे की मैंने पूछा - पूजा खारी बावड़ी के बारे में कुछ जानती हो क्या 
और उसका निवाला उसके हाथ में ही रह गया कुछ देर वो खामोश रही और बोली- जानना क्या कभी वो हमारी होती थी
मैं- मतलब
वो- कभी मेरे पुरखो ने उसे बनवाया था पर अब वो किसी खँडहर की तरह है अपने वजूद की कोशिश करता खंडहर किसी ज़माने में आने जाने वाले वहा बैठ कर सुस्ता लिया करते थे पानी पी लिया करते थे पर काफी साल से उसकी हालत खस्ता है 
मैं - मैंने सुना है कि वह बावड़ी भुतहा है 
वो - सुना है तो होगी 
मैं -तुझे क्या लगता है 
वो - कुछ नहीं रोटी खा पहले 
मैं - पुजा एक बात कहु 
वो - बोल 
मैं - कल पूरी रात मैं खारी बावड़ी पर था 
उसने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने कुछ गलत बोल दिया हो पर फिर वो चुपचाप खाना खाती रही पर उसके चेहरे पर एक गंभीरता का भाव देखा मैंने मैं भी अपना खाना खाते हुए सोचने लगा की पूजा क्या बताती हैं
मेरी नजरे उसके चेहरे पर जम गयी थी पर वो जैसे बहुत गहरी सोच में डूबी थी फिर वो बोली- घूमने चलेगा 

मैं- कहा 

वो- जहा तू कल रात था 

मैं- चल 

वो- अभी नहीं रात को 

मैं- जैसा तू कहे 

वो-कुंदन पर तुझे पक्का विश्वास है कि वहाँ जो तूने देखा वो ।।।

मैं- तुझसे कभी झूठ बोला है मैंने और तू तो खुद जादू करती है ऐसी वैसी बात होगी तो तू पकड़ लेना 

वो- मुझे कहा जादू आता है वो तो मैं किताब में पढ़ के कोशिश कर रही थी फिर तू मिला तबसे जादू किया नहीं 

मैं- छोड़ आ थोड़ी देर आराम करते है फिर रात को पता करेंगे 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:46 PM

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