Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:36 PM,
#34
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
भाभी ने सीधा परमाणु बम ही फोड़ दिया था जैसे सैकड़ो बिजलिया गिरा दी हो उन्होंने मुझ पर मी चेहरे का रंग पल भर में ही उड़ गया गले में थूक अटक सा गया मैंने भाभी के चेहरे पर एक चमक देखी 

मैं- चाची और बेटे के आलावा क्या सम्बन्ध होगा भाभी 

वो- वो ही मैंने पूछा 

मैं- कहना क्या चाहती है आप 

वो- वही जो तुमने छुपाया 

मैं- क्याआआआअ 

वो- कुंदन मैं जानती हु तुम्हारे और चाची के बीच अनैतिक सम्बन्ध है मुझे गुस्सा भी है तुम पर की तुमने माँ सामान चाची के साथ ही और तुमसे ज्यादा गुस्सा उन पर है की अपने बेटे के साथ ही छी पर तुमसे ये उम्मीद नहीं थी मुझे 

मैं- क्या अनाप शनाप बक रही हो भाभी 

भाभी मुसकुराते हुए उठी और मेरी अलमारी खोली और मेरे कपड़ो के बीच से वो चीज़ निकाली जिसके बाद मैं कुछ कहने की हालत में नहीं था मेरी छोरी पकड़ी गयी थी भाभी के हाथ में चाची की कच्छी थी 

मैं- क्या है ये 

वो- यहाँ नहीं होनी चाहिए ना 

मैं- किसकी है ये 

वो- जाहिर है मेरी तो नहीं है दरअसल ये मुझे उस दिन मिली जिस रात चाची तुम्हारे कमरे से सोयी थी तुम्हारी चादर के निचे जब मैं सफाई करने आई तो मैंने देखा की एक बिस्तर बस ऐसे ही था जबकि एक की चादर की सिलवटे पूरी कहानी कह रही और फिर मुझे ये मिली एक पल तो मैंने सोचा की शायद तूमने मेरे कपडे चुराए है पर फिर मैंने गौर किया अब इतनी नासमझ भी नहीं हु मैं है ना 

मैंने मन ही मन चाची को हज़ार गालिया दी ऐसी भी क्या मदहोशी कपड़ो का तो ध्यान रखना चाहिए था ना अब मेरी गांड मर गयी थी मैं तो नंगा हो गया भाभी के सामने अब क्या कहता पर फिर भी अपने बचाव की एक आखिरी कोशिश की और बोला 

मैं- भाभी हो सकता है की उन्होंने कपडे बदले हो तो रह गयी हो 

भाभी- हां, पर चाची को उसी कमरे में कपड़े बदलने की क्या जरुरत जहा जवान बेटा हो 

मैं- मुझे नहीं मालूम भाभी 

वो- कुंदन, मैं बस तुमसे ये सुनना चाहती हु की ये सच है न और तुम सिर्फ सच बोलोगे वर्ना मैं अभी चाची से ये सवाल करती हु की उनके कपडे मेरे देवर के कमरे मी क्या कर रहे है 

मैंने अपनी नजरे नीची कर ली अब क्या कहते भाभी चाची से पूछती तो और फजीती होती और माँ सा तक बात पहुचती तो और समस्या होती राणाजी तो मार ही डालते 

भाभी- तो कब से चल रहा है ये 

मैं- माफ़ी भाभी सा माफ़ी 

भाभी- माफ़ी किस लिए ठाकुर कुंदन सिंह ठाकुरों को बस इस चीज़ की ही तो प्यास होती है फिर चाहे कही से भी मिले ठाकुरों की हवस कहा कायदे देखती है चाची क्या मैं भी हो सकती हु या कोई और हैं ना या घर में कोई और या जो भी आखिर सब औरतो का निचला हिस्सा एक सा ही तो होता है 

भाभी ने पता नहीं किस अंदाज में कही थी ये बात क्या हिकारत थी या बातो से ही मुझे जलील कर रही थी वो 

भाभी-कोई ताज्जुब नहीं मुझको जो तुम्हारा ये रूप देखा मैंने ठाकुरों की परवर्ती को बहुत अच्छे से जानती हु मैं कोई रिश्ता कोई नाता मायना नहीं रखता उनके लिए अगर कुछ है तो ये प्यास ये प्यास जो कभी बुझती नहीं बस तरीके बदल जाते है कोई ताज्जुब नही 

मैं- कुंदन को कोई प्यास नहीं भाभीसा, ना कोई प्यास न कोई चाह ये और बात है की जो कुछ पिछले दिनों मेरे जीवन में घटा है मैं बतला सकता आपका हर सवाल जायज है और मैं जानता हु की आप अपने जवाब तलाश कर भी लेंगी जिन्दगी में बहुत से ऐसे रिस्ते होते है जो ना होकर भी होते है उनके कोई नाम नहीं होते पर उनकी अहमियत बहुत होती है ऐसा ही रिश्ता मेरा चाची से है जिस्मानी ही नहीं नहीं बल्कि एक दोस्त का भी जिस्म के आलावा भी कुछ बंधन होते है पर आप नहीं समझोगे 

भाभी- समझती हु तभी तो किसी से कुछ नहीं कहा और अब भी नहीं कहूँगी क्योंकि भरोसा है तुझ पर इसलिए नहीं की तू मेरा देवर है बल्कि इसलिए की इंसानियत जिन्दा है तुझमे बस इसी बात की ख़ुशी है की कुंदन जब तू किसी अनजान के लिए अपना जीवन दांव पर लगा सकता है तो हमारे लिए इस परिवार के लिए क्या कर जायेगा एक और मुझे नाज है तुझ पर पर शिकवा भी है की बाते छुपाते हो मुझसे
मैं- भाभी क्या छुपता हु आपसे सब खुली किताब की तरह ही तो है 

वो- खैर, मैंने और तुम्हारे भैया ने तुम्हारे लिए एक तोहफा लिया है आओ दिखाती हु 

मैं- आप मेरे साथ हो इससे अच्छा तोहफा क्या हो सकता है मेरे लिए 

वो- अब तुम तो हमारी देवरानी की बाते बताते नहीं हो पर हम तो तुम्हारे लिए कुछ कर सकते है न आओ 

मैं और भाभी निचे आये हमे देख कर भाई भी हमारे पास आ गया और हम घर से बाहर आये तो देखा की बाहर एक चमचमती हुई गाड़ी खड़ी थी 

भाभी- तुम्हारी नयी गाड़ी हमने सोचा तुम्हे जरुरत होने लगी है 

मैं- इसकी क्या जरुरत थी 

भाई- एक छोटी सी भेंट हमारी तरफ से 

अब भाई- भाभी को मैं मना भी तो नहीं कर सकता था तो बस हाथ जोड़कर चाबी ले ली कल तक इस घर में कोई पुराणी जीप नहीं चलाने देता था आज गाड़ी मिल रही थी तो हसी आ गयी 

मैं- आओ आपको घुमाऊ 

भाई- मुझे राणाजी के साथ कही जाना है जरुरी काम से तू अपनी भाभी को ले जा और थोडा ध्यान से अभी तबियत ठीक नहीं हुई तुम्हारी 

मैं- जी 

मैंने भाभी को बिठाया और नयी गाड़ी दौड़ा दी 

मैं- भाभी कहा चले 

वो- जहा तुम्हारा दिल करे 

मैं- दिल का क्या भाभी दिल तो कुछ भी कहेगा 

वो- तुम्हारा दिल क्या कहता है 

मैं- भाभी एक बात कहू 

वो- हाँ 

मैं- चाची से कुछ बात मत करना उस बारे में 

वो- ठीक है पर मेरी भी एक शर्त है 

मैं- जी 

वो- हम उस वजह से मिलना चाहते है और तुम इंकार नहीं करोगे 

मैं- ठीक है भाभी पर मुझे थोडा वक़्त चाहिए 

वो- हम्म गाड़ी पीर साहब की मजार की और ले लो पास ही है आये है तो दर्शन करके चलते है 
उसके बाद हम वहा गए मेरी नजरे छजे वाली ओ तलाश कर रही थी क्योंकि वो अक्सर वहा आते-जाते रहती थी पर ख़राब किस्मत हो तो कोई नहीं मिलता उसके बाद घर आये और आते ही चाची मिल गयी भाभी ने शरारती नजरो से देखते हुए मुझे छेड़ा और अन्दर चली गयी 

चाची- कहा गए थे 

मैं- भाई ने नयी गाड़ी दी है तो बस घूम रहे थे आप बताओ 

वो- तेरे मामा ने नयी फक्ट्री लगायी है तो उसका संदेसा आया है की कोई पूजा करवा रहा है आना है 

मैं- तो हो आओ उसमे क्या है 

वो- हाँ जाना तो है ही पर मैं सोच रही थी की तू साथ चलता तो ठीक रहता 

मैं- क्या करूँगा मैं 

वो- तू चलता तो मैं भी बहाना बनाके जल्दी वापिस आ जाती और फिर तेरा भी फायदा हो जाता 
चाची ने इशारो इशारो में अपनी बात कही 

मैं- बात तो थारी चोखी है पर प्यारी चाची माँ सा मुझे जाने न देगी तबियत का पंगा पड़ेगा 

वो- तू हां कर मैं संभालती हु बाकि 

मैं- तो फिर ठीक है पर वादे से ना फिरना 

वो- कभी मना किया क्या तुझे 

पर हमारी ऐसी किस्मत कहा थी जो बात इतनी आसानी से बन जाती माँ सा ने भाई को भेज दिया चाची के साथ और हमारा प्लान शुरू होने से पहले ही दम तोड़ गया तो बस रह गए कलेजे पर पत्थर धर कर अब घर पर कहा मन लगना था तो थोड़ी जोर जबर करके गाँव में घुमने निकल गए पता नहीं क्यों गाँव में रुतबा सा बढ़ गया था तो अपने उसी कैसेट वाले के पास पहुच गए वैसे भी बहुत दिनों से कुछ नए गाने सुने नहीं थे 
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:36 PM

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