Antarvasna kahani नजर का खोट
04-27-2019, 12:32 PM,
#11
RE: Antarvasna kahani नजर का खोट
मैंने अब अपनी चिकने तेल से सने हाथ चाची के हलके फुले हुवे मुलायम पेट पर रगड़ने शुरू कर दिए “आह कुंदन क्या कर रहा है ”
“मालिश चाची आज आपके पुरे बदन की मालिश करूँगा चाची आप एक दम तारो ताजा हो जाएँगी ”
चाची ने अपने सर के निचे सिराहना लगाया और लेट सी गे मैं चाची की बार बार ऊपर निचे होती चुचियो को देखते हुए चाची के पेट को सहलाता रहा तभी चाची ने अपना पैर मेरी गोद में रख दिया और बोली “बहुत आराम मिल रहा है कुंदन जी तो चाहता है की तुझसे अपनी पीठ की मालिश भी करवा लू रे ”
“तो किसने मना किया है चाची करवा लो ” 
“एक काम कर चटाई उठा ले और ऊपर चल ” कुछ देर बाद मैं और चाची दोनों ऊपर आ गए चाची ने सीढियों पर जो गुम्बद बनाया हुआ था वहा चटाई बिछाई और बोली यहाँ सही है थोड़ी धुप भी आएगी और मालिश भी हो जाएगी “
“चाची, पीठ की मालिश के लिए ब्लाउज उतारना होगा आपको ”
“साफ़ क्यों नहीं कहता तुझे मेरी चूची देखनी है ” चाची हस्ते हुए बोली 
“चूची क्या मुझे आपका सब कुछ देखना है मेरी प्यारी चाची ”
अब चाची जब खुद इतनी लाइन दे रही थी तो कौन रुक सकता था विसे भी मुझे पता था की वो चुदना चाहती है मैंने चाची को पीछे से पकड़ लिया और अपने हाथ चाची की चूची पर लगा ही रहा था की उन्होंने मना किया और खुद ब्लाउज के बटन खोलने लगी 
“ले कुंदन जितनी मालिश करनी है कर ले नस नस का दर्द मिटा दे आज ”
मैंने अपने हाथ चाची की चुचियो पर रखे और उनको दबाने लगा वो और फूलने लगी “आह कंदन पकड़ मजबूत है तेरी ” चाची ने अपनी गांड को हलके से पीछे किया तो मेरा तना हुआ लंड चाची की गांड की दरार पर रगड़ खाने लगा चाची ने आँखे मूंद ली और मैं उनकी चुचियो को मालिश करने के बहाने दबाने लगा 
जल्दी ही चाची की छातियो में कसाव आने लगा उसके चुचक तन गए मै उंगलियों से कुरेदने लगा उनको चुंटी काटने लगा चाची अपनी गांड को मरे लंड पर रगड़ते हुए आहे भरने लगी 
“आह कुंदन ये मेरे पीछे क्या चुभ रहा है ”
“पता नहीं चाची मेरे हाथ तो आगे है आप ही देख लो ना ”चाची अपना हाथ पीछे ले गयी और मेरे लंड को पायजामे के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगी ”
“उफ्फ्फ्फ़ चाची ”मैंने उसकी चूची को कस के दबाया 
“आज दूध नहीं पिएगा मेरे बेटे ” चाची ने हाँफते हुए कहा 
“पियूगा ” मैं बोला 
और तभी चाची मेरी बहो ने निकल गयी और मैंने पहली बार चाची के उपरी हिस्से को निर्वस्त्र देखा हाहाकार मचाती उसकी चुचिया हवा में तन के खड़ी थी चाची ने अपने बोबे को हाथ में लिए और इशारा किया मैंने बिना कुछ कहे चाची की चुचक को अपने मुह में भर लिया और चाची का बदन कांप गया “आह रे ” उसके बदन का स्वाद मेरी जीभ को लगते ही मेरा लंड बेकाबू हो गया मैंने अपनी जीभ चुचक पर फेरी और चाची ने मेरे पायजामे के नाडे को खोल दिया और मेरे कच्छे में हाथ डाल के मेरे लंड को पकड़ लिया

चाची ने मेरे सुपाडे की खाल को पीछे किया और अपनी उंगलियों को सुपाडे पर रने आगी मेरा पूरा बदन हिल गया उसकी इस हरकत पर मैंने उसकी चूची पर काट लिया तो वो सिसक पड़ी और उसकी पकड़ मेरे लंड पर और मजबूत हो गयी कुछ देर तक वो मेरे लंड से खेलती रही फिर वो चटाई पर लेट गयी और अपने पैरो को फैला लिया काले काले बालो से ढकी हुई उसकी लाल चूत मेरी आँखों के सामने थी जिसे उसने छुपाने की बिलकुल कोशिश नहीं की 



“पैर दबा मेरे जरा ” मैंने थोडा सा तेल और लिया शीशी से और चाची की जांघो को मसलने लगा मालिश तो बस बहाना थी असल में जोर आजमाईश हो रही थी मेरे हाथ फिसलते हुए चाची की जांघो के जोड़ की तरफ बढ़ रहे थे और फिर जल्दी ही मेरी उंगलिया चाची की चूत के निचे वाले हिस्से से जा टकराई पर तभी चाची ने मुझे तद्पाते हुए करवट बदल ली और उसकी पीठ मेरी तरफ हो गयी 
चाची की गोरी पीठ और कहर ढाते हुए नितम्ब देख कर मेरा तो हाल बुरा हो गया मैंने अपने कांपते हाथो से चाची के चूतडो को छुआ तो बदन में हलचल मच गयी इतने कोमल चुतड “कुंदन जरा मेरे कंधो पर तो दबा थोडा ”


“जी चाची ” थूक गटकते हुए बोला मैं 



मैं उसके ऊपर थोडा सा झुक गया ताकि कंधो पर पहुच सकू और मेरा लंड अपने आप उसकी चूतडो की दरार में धंस गया “आह कितना गरम है ” चाची के मुह से निकला 



“आह और थोडा आराम से दबा आःह्ह ”


मैं कंधो की मालिश करने लगा इधर मेरा लंड निचे हलचल मचाये हुआ था उसकी रगड़ से चाची का हाल बुरा था मैं अब लगभग चाची के ऊपर ही लेट गया था उसकी गांड की हिलने से मुझे बहुत मजा आ रहा था उफफ्फ्फ्फ़ ऐसा मजा मैंने कभी महसूस नहीं किया था चाची मेरे निचे दबी हुई उत्तेजक आवाजे निकाल रही थी मुह से पर मजा मजा ही रह गया 



इस से पहले की गाड़ी और आगे बढती बाहर से मुनीम जी की आवाज मेरे कानो में आई जो जोर जोर से पुकार रहे थे मैं हटा वहा से और जल्दी से अपने कपड़े पहने चाची ने मेरी और देखा पर मैं क्या कर सकता था “आता हु चाची ” मैंने अपने तेल वाले हाथ साफ़ किये उअर निचे आया 



“क्या काका क्यों पुकार रहे हो ”


“छोटे सरकार वो जमीन देखने चलना है न ”


“ठीक है चलो ” मैं मुनीम जी के साथ जीप में बैठ गया और चल दिए फर्राटे मारती हुई जीप हमारे खेतो की तरफ से होते हुए नद्दी को पार कर गयी और फिर खारी बावड़ी भी पीछे रह गयी दरअसल हम उस तारफ जा रहे थे जिधर पूजा कर घर था पर जीप वहा से भी आगे निकल गयी और फिर ऐसी जगह जाके रुकी जिसकी मैंने कल्पना भी नहीं की थी 



“उतरो सरकार ”


मैं गाड़ी से उतरा मुनीम जी के पीछे “यहाँ कहा है जमीन ”


“ये जमीन ही हो है छोटे सरकार ”


मैंने अपने आस पास देखा बेहद अजीब सी जगह थी कई जगह पथरीली सी और कई जगह केवल भूड जगह जगह आकडे के पौधे उगे थे और कुछ विलायती कीकर “यहाँ कैसे होगी खेती काका और होगी भी तो सिंचाई के लिए पानी कहा सी आएगा ”


“राणाजी का हुकम है की आपको इसी जमीन में फसल उगानी है क्या करना कैसे करना वो आपकी जिम्मेदारी है आप अपनी मर्ज़ी से कही भी एक बीघा जमीन नाप लो ”


“पर कैसे यहाँ तो ट्रेक्टर भी नहीं चल्लेगा मैं कैसे करूँगा ”


“ट्रेक्टर तो छोड़ो आपको राणाजी किट तरफ से जोतने को ऊंट या बैल भी भी नहीं मिलेंगे आपको अपने दम पर फसल उगानी है यहाँ ”


“यो तो ना इंसाफी है ”


“मैं तो नौकर हु सरकार जो राणाजी का हुकम मैंने बता दिया ”


“कोई ना काका ये भी देख लेंगे ”


कुछ देर मैंने आस पास का इलाका देखा फिर पूछा “ये जमीन वैसे है किसकी ”


“थारे दादा खेती करते थे कभी यहाँ अब वीरान पड़ी है आओ अब चलते है ”


“आप चलो काका मैं थोड़ी देर रुकुंगा यही”


“पर आप कैसे आयेंगे ”


“आप टेंशन न लो मैं आ जाऊंगा ”


जीप के जाने के बाद मैंने अपना माथा पीट लिया इस अजीबो गरीब जमीन पे क्या उगेगा और कैसे इस से अच्छा तो कोई बंजर टुकड़ा दे देते पर अब क्या करे खैर धुप भी थोड़ी ज्यादा सी थी तो मैं घुमने लगा एक तरफ कुछ गहरे पेड़ थे तो मैं उस तरफ गया तो करीब तीन सौ मीटर दूर मैं मैं गया तो देखा की एक पुराना सा कमरा सा था कुछ कमरा नहीं तो दो तरफ की दिवार थी पुराने पत्थरों और चुने में चिनी हुई 



मैंने आस पास देखा तो मुझे एक पुराना कुवा मिल गया मैंने झुक के देखा पानी से लबालब था मेरे होंठो पर मुस्कान आ गयी पर पानी बहुत गन्दा लग रहा था कुवे की दीवारों में जगह जगह कबूतरों के घोंसले बने हुए थे पर कुवा मिल गया ये भी बड़ी बात थी पर यहाँ खेती की जमीन बनाना ही टेढ़ी खीर थी फसल कैसे उगेगी 



सोचते सोचते मैं बैठ गया कीकर की छाया में और तभी “धप्प्प ”..................
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RE: Antarvasna kahani नजर का खोट - by sexstories - 04-27-2019, 12:32 PM

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