RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
प्रीति बेहोशी में ही हाथ पैर फ़कने लगी. पर चाचाजी मस्त होकर उसका मुंह चोदते रहे. "अरे ऐसा लग रहा है कि किसी बहुत छोटी चूत को चोद रहा हूं. क्या सकरा और मुलायम गला है लड़की का! मजा आ गया."
चाची ने प्रीति के पैर पकड़कर उसे अपने पास खींचा और उसकी चूत चूसने लगीं.
जब चाचाजी झड़े और उठ कर बैठे तब प्रीति के नाजुक गुलाबी होंठ ऐसे लग रहे थे कि किसी ने गुलाब की कली को मसल कुचल दिया हो. चाचाजी ने अब अपना ध्यान मेरी ओर किया. आज वे गजब के मूड मे थे. उनकी वासना शांत ही नहीं हो रही थी. मेरे मुंह में लंड देकर उन्होंने चूसने को कहा और खुद पेंटी के छेद में से मेरी गांड चूसने लगे. बोले "अनू रानी, जब तक तेरी गांड नहीं मारता, मुझे नींद नहीं आयेगी"
लंड खड़ा करके वे मेरे ऊपर चढ़ गये और मेरी गांड में उसे घुसेड़ दिया. आज मुझे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई क्योंकि चार पांच बार झड़ कर उनका लौड़ा उतना कड़ा और तना नहीं था. फ़िर भी एक दो हिचकी तो मेरे मुंह से निकल ही गयीं.
हमारी यह आखरी चुदाई बहुत देर चली. झड़ झड़ कर अब हम दोनों के लंड काफ़ी तृप्त हो गये थे इसलिये बहुत देर खड़े रहे. करीब करीब सुबह हमारी चुदाई खतम हुई. चाची भी मुझ से चुद चुद कर पूरी संतुष्ट हो गयी थीं.
इस भयानक चुदाई के बाद प्रीति की हालत दो दिन खराब रही. एक दिन तो वह बेहोश रही. उठी तो रो रो कर बुरा हाल हो गया. उसकी गांड और चूत तो दुख ही रहे थे, गला भी बैठ गया था, बोला नहीं जा रहा था. हमने परवाह नहीं की और दो दिन के आराम के बाद फ़िर उस पर टूट पड़े. दो हफ्ते में चुद चुद कर बिचारी की वह हालत हुई कि कहा नहीं जा सकता. हमें देखते ही वह रो पड़ती थी. और उस रोती बिलखती कन्या पर चढ़ने में हमें और मजा आता था.
आखरी एक हफ्ते में चाची ने उसे खूब प्यार किया. हमने भी उसे चोदना बंद कर दिया. सिर्फ उसकी बुर चूसते. धीरे धीरे वह संभल गयी. घर वापस जाते जाते वह अपना जो हाल हुआ था वह भुला बैठी थी. यहां तक कि उसने चाची को बताया कि अगली छुट्टी में वह फ़िर आयेगी.
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