RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
"आज तुझे डबल मजा है प्रीति, चूत में अनिल का लंड और गांड में तेरे मौसाजी का. तू तो निहाल हो जायेगी." चाचीने प्रीति के गाल पर चूंटी काटकर कहा.
मैंने प्रीति की आंखों में देखा तो मजा आ गया. डर से उसकी घिघ्यी बंध गयी थी. आंखों में ऐसी कातर भावना थी जैसे शेर के सामने आकर हिरनी की हो जाती है. वह रोने को आ गयी थी. "पर आपने तो वादा ---" मैंने अपने होंठों से उसका मुंह बंद कर दिया और उसके होंठ चूसने लगा.
चाची मुस्करायीं और अपने पति के लंड को मख्खन लगाने लगी. अब वह सूज कर सच में किसी बड़ी ककड़ी जैसा हो गया था. "वैसे खयाल अच्छा है. कायदे से तुम्हें इसकी कुंवारी गांड मारनी थी तब असली मजा आता. अब एक बार मरा चुकी है इसलिये थोड़ी ढीली हो गयी है. पर अनिल का लंड चूत में है इसलिये गांड की म्यान फ़िर सकरी हो गयी होगी. काश यह लंड मेरा होता तो मैं इस कन्या की गांड मारती."
चाचाजी तैयार थे. वे वासना से थरथराते हुए झुक कर पैर जमा कर बैठे और सुपाड़ा प्रीति के गुदा पर रख कर दबाने लगे. "अनिल, तू खोल प्रीति बेटी की गांड . कस कर फैला इसके चूतड़ नहीं तो अंदर जाना मुश्किल है. क्या नाजुक छेद है छोरी का! वैसे मैं धीरे धीरे डालूंगा, फ़ट न जाये इसलिये और धीरे धीरे डालने में मजा भी आयेगा. प्रीति बेटी तू मन भर कर चिल्ला और रो, तेरे मौसाजी को मजा आयेगा."
मैंने प्रीति के नितंब कस कर अलग किये. अब वह रो रही थी और मेरे दांतों में दबे अपने मुंह से दबी आवाज में सिसक रही थी. चाचाजी ने पेलना शुरू किया. प्रीति छटपटाने लगी. जैसे जैसे वह घूसे जैसा सुपाड़ा उसके चूतड़ों के बीच गड़ता गया, उसकी छपटाहट बढ़ती गयी.
आधा सुपाड़ा डाल कर चाचाजी रुके. अब प्रीति का छेद पूरा चौड़ा हो गया था, उसमें सुपाड़े का सबसे बड़ा भाग फंसा हुआ था. मैंने प्रीति का मुंह छोड़ कर झुक कर देखा. वह चीखने लगी. बेचारी से ठीक से चिल्लाया भी नहीं जा रहा था. गला बैठ गया था. चाची ने भी बड़े कुतूहल से यह नजारा देखा. "अरे लगता है कि गांड का छल्ला नहीं, रबर का तना बैंड है जो टूटने ही वाला है."
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