RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
हमने सब कुछ किया. मैंने पहले कई तरह से चाची की बुर चूसी और फ़िर उन्हें तरह तरह से चोदा. यह देख देख कर प्रीति सिसकियां भरती हुई अपनी ही छातियां दबाने लगी और पैंटी पर चूत को रगड़ने लगी. आखिर उससे नहीं रहा गया और उसने भी अपने अंतर्वस्त्र उतार दिये. पूर्ण नग्न कमसिन गोरा शरीर ऐसा फ़ब रहा था जैसे रसीली कच्ची गुलाब की कली. लगातार वह अपनी गोरी बुर रगड़ती हुई टांगें हिला हिला कर हस्तमैथुन करने लगी.
पीछे से जब मैं चाची को चोद रहा था तो इस आसन को देख कर तो प्रीति ऐसी तुनकी कि उठकर हमारे पास आ गयी और चाची की लटकती चूचियां दबाती हुई उन्हें जोर जोर से चूमने लगी. बड़ी मुश्किल से चाची ने उसे वापस भेजा नहीं तो भांजी मौसी के उस चुंबन को देखकर मैं जरूर झड़ जाता.
जब मैं झड़ने के करीब आ गया तब चाची ने खेल रोका. वे कई बार स्खलित हो चुकी थीं. मुझे कुर्सी में बिठाकर मेरे चूत रस से गीले लंड को हाथ में लेकर चाटती हुई बोलीं. "अब आ जा बिटिया, तुझे लंड चखाऊ, बड़ा रसीला प्यारा लंड है मेरे भतीजे का, एजदम शिवजी का लिंग समझ ले."
प्रीति झट से पास आकर उनके साथ मेरे सामने बैठ गयी. चाची बड़े प्यार से लंड चूस रही थीं और उस पर लगा अपनी ही बुर का पानी चाट रही थीं. "ले, तू भी चाट, पकड़ ना पगली, काटेगा थोड़े!" उन्होंने हंस कर कहा. प्रीति ने मेरा लौड़ा कांपते हाथों पकड़ा और चाटने लगी. उसकी उस छोटी सी गरम गरम जीभ ने मुझे वह सुख दिया कि मैं और तड़प उठा.
"लड़का बस झड़ने को है रानी. देख, मैं कैसे चूसती हूं, तू भी वैसे ही चूस, मलाई निकलेगी तब देखना क्या स्वाद आता है." कहकर चाची ने मुंह खोला और पूरा लौड़ा निगल कर उसे चूसने लगी. छह सात इंच के मोटे लंड को आसानी से निगला देखकर प्रीति उनकी ओर आश्चर्य से देखने लगी. चाची मुंह से मेरा लंड निकाल कर बोलीं. "ले अब तू चूस. दांत नहीं लगाना"
उसने मुंह पूरा खोला और सुपाड़ा तो अंदर ले लिया पर और नहीं निगल पायी. पर मजे ले लेकर चूसने लगी. "अरे और ले मुंह में" चाची ने कहा पर कोशिश कर के भी वह किशोरी बस दो तीन इंच ही और निगल पायी. फ़िर दम घुटने से गोंगियाने लगी. चाची बोली. "पहली बार है, सिखाना पड़ेगा, चल ऐसे ही चूस"
उसके उस कोमल मुंह ने ऐसा जादू किया कि मैं तड़प उठा. चाची प्रीति को बोलीं. "देख बिटिया, अब अनिल झड़ेगा तो एक भी बूंद बाहर नहीं निकले. पूरा निगल जाना." प्रीति ने समझ कर मुंडी हिलाई और चूसती रही. अगले ही क्षण मैंने हुमक कर उसका सिर पकड़ लिया और उसके मुंह में झड़ गया. पहले तो वह सकपकायी पर फ़िर संभल कर आंख बंद कर के मेरा वीर्य पीने लगी. लगता है कि उसे वह बहुत भा गया क्योंकि एक एक बूंद निचोड़ कर लंड को पूरा शिथिल करके ही उसके मुंह से निकाला.
"कैसा लगा रानी" चाची ने आंख मार कर पूछा. प्रीति आंखें मटकाती हुई बोली. "वाह मौसी, मजा आ गया. तभी तुम इतनी खुश लग रही थीं. अकेले इस मलाई पर ताव मारती रहीं. अब सिर्फ़ में पिऊंगी." "चल हट पगली, दोनों मिल कर चखेंगे, पर अब पहले पूरा मुंह में लेना सिखाती हूं चल." कहकर चाची उठकर एक बड़ा केला ले आई. उसे छीलते हुए प्रीति को सोफ़े पर बिठाया और उसके पास बैठकर मुझे बोलीं. "लल्ला, मैं इसे सिखाती हूं तब तक तू भी इसकी कुंवारी बुर का स्वाद ले ले. मैंने तो कल रात भर चखी है, बहुत मस्त माल है राजा."
मुझे और क्या चाहिये था. तुरंत जमीन पर प्रीति के सामने बैठकर मैने उसकी गोरी जांघे अलग कीं और उन्हें प्यार से चूम लिया. फ़िर मन भर कर उस गुलाबी गोरी कमसिन चूत को पास से देखा. उंगली से फैला कर पूरा मुआयना किया, उसके जरा से मटर के दाने जैसे क्लिट पर जीभ लगाकर उसे हुमकाया और फ़िर मुंह लगाकर उस कच्ची चूत को चूसने लगा. रस पहले ही चू रहा था, मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, जल्द ही वह कुंवारी कन्या मेरे मुंह में स्खलित हो गयी और उसकी बुर अपना अमृत मेरे मुंह में फेंकने लगी.
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