RE: Hindi Porn Kahani गीता चाची
चाची के इस मादक चुदैल स्वभाव की मैंने मन ही मन दाद दी. यह भी मनाया कि उनकी यह इच्छा जल्दी पूरी हो. दोपहर हो गयी थी और हम दोनों अब सो गये. सीधा शाम को पांच बजे उठे.
हमारा अब यही क्रम बन गया. दोपहर और रात को मन भर कर मैथुन करते थे. चाची मुझे सिर्फ़ रात को सोने के पहले आखरी चुदाई में अपनी चूत में झड़ने देती थीं. दिन में दो या तीन बार चूस लेती थीं. मैंने भी लंड पर कंट्रोल करके बिना झड़े घंटों चोदना सीख लिया. बड़ा मजा आता था. चुदाई के इतने आसन हमने आजमाये कि कोई गिनती नहीं. खड़े खड़े, गोद में बिठाकर, पीछे से इत्यादि.
उनमें चार आसन हमें बहुत पसंद आते थे. एक तो सीधा सादा मर्द ऊपर औरत नीचे वाली चुदाई का आसन. दूसरा जिसमें मैं नीचे लेटता था और चाची चढ़कर मुझे चोदती थी. तीसरा यह कि मैं कुर्सी में बैठ जाता था और चाची मेरी ओर मुंह करके मेरी गोद में अपनी चूत में मेरा लंड लेकर टांगें फैला कर बैठ जाती थीं और फ़िर ऊपर से मुझे हौले हौले मजा लेकर चोदती थीं. इस आसन की खास बात यह थी कि चाची की छातियां ठीक मेरे सामने रहती थीं और उन्हें मैं मन भर कर चूस सकता था. जब भी निपल चूसने का मन हो, हम यही आसन करते थे. ।
आखरी आसन जो हमें बहुत भा गया था वह था कुत्ते कुतिया या जानवर स्टाइल की पीछे से चुदाई. इसमें चाची कोहनियों और घुटनों को टेककर कुतिया जैसी बिस्तर पर जम जाती थीं. मैं पीछे से पहले उनकी बुर चाटता और फ़िर लंड डालकर उनके नितंब पकड़कर कचाकच धक्के लगाकर पीछे से कुत्ते जैसा उन्हें चोदता. इसमें धक्के बहुत जबरदस्त लगते थे इसलिये बड़ा मजा आता था. कभी कभी झुककर अपनी बांहों में चाची का शरीर भरकर उनपर चढ़ कर मम्मे दबाता हुआ मैं उन्हें चोदता. पांच मिनिट से ज्यादा वे मेरा भार नहीं सह पाती थीं पर इन पांच मिनिटों में हमे स्वर्ग सुख मिल जाता.
इस आसन की एक और खास बात यह थी कि हम अक्सर इसे आइने के सामने करते. आइने में चाची के लटकते स्तन और उनके बीच लटकता मंगलसूत्र बड़े प्यारे दिखते. जब मैं धक्के लगाता तो चाची के स्तन इधर उधर हिलते.
मंगलसूत्र भी चोदने की लय में पेंडुलम जैसा डोलता. कभी कभी तो मैं इतना उत्तेजित हो जाता कि झड़ जाता. फ़िर चाची को बुर धोने जाना पड़ता जिससे फ़िर रात के पहले बाकी समय में मैं उनकी बुर चूस सकें. इसलिये यह आसन हम सम्हाल कर कभी कभी ही करते.
चूत और लंड चूसने के भी हमने खूब तरीके ढूंढ निकाले. लंड चूसना तो किसी भी आसन में मुझे बहुत अच्छा लगता था. कभी लेट कर, कभी कुर्सी में बैठकर, कभी खड़े खड़े. हां कभी कभी चाची मुझे अपने मुंह को चूत जैसा चोदने देती थीं.
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