RE: Muslim Sex Stories सलीम जावेद की रंगीन दुन�...
मुहल्लेदारी से रिश्तेदारी तक
भाग -3
चचा भतीजा
मोना के कराहने की आवाज सुनते ही चाचा रुक गये और बिना लण्ड हिलाये झुककर मोना के बायें बेल पर लगे गुलाबी रंगत के अनार दाने को मुँह में दबाकर चूसने लगे। मोना की पीठ पर हाथ फ़ेरते हुए चाचा लगातार मोना के बेलों पर लगे अनार दानों को मुँह में दबाकर बारी बारी से चूस रहे थे और धीरे धीरे उसका दर्द कम हो्ता जा रहा था और अब उसे फ़िर से मजा आने लगा था। अब वो खुद ही अपने चूतड़ थिरकाने लग़ी। अनुभवी चाचा ने अब उसे धीरे धीरे अपने सुपाड़े से ही चोदना शुरू किया।
मोना की मम्मी अपनी चूची को अपने हाथ से तरुन के मुँह में दे के चुसवा रही थी.. उनका दूसरा हाथ तरुन के कच्छे से उनका लण्ड निकाल उसको सहला रहा था... अचानक मोना की मम्मी ने उसका लण्ड पकड़ा और उसको अपनी और खींचने लगी......
तरुन ने ध्यान से देखा.. मोना की मम्मी की चूत फूल सी गयी थी... उनकी चूत का मुहाने रह रह कर खुल रहा था और बंद हो रहा था.. तरुन अपना लण्ड हाथ में पकड़ कर मोना की मम्मी की जांघों के बीच बैठ गया.. उसे उसका लण्ड मोना की मम्मी की चूत पर टिका दिया. मोना की मम्मी की चूत लण्ड के पीछे पूरी छिप गयी थी...
"लो संभालो.. चाची!" कहते हुए तरुन ने धक्का मार।
उईईईईईईईईईईईईईईईमाँ
मोना की मम्मी छॅटपटा उठी.. तरुन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और वापस धकेल दिया.. मोना की मम्मी एक बार फिर कसमसाई... फिर तो घपाघप धक्के लगने लगे.. कुछ देर बाद मोना की मम्मी के नितंब थिरकने लगे। तरुन जैसे ही नीचे की और धक्का लगाता मोना की मम्मी नितंबों को ऊपर उठा लेती... अब तो ऐसा लग रहा था जैसे तरुन कम धक्के लगा रहा है और मोना की मम्मी ज़्यादा...
सुपाड़े से चुदने में उसे मजा आ रहा था और मैं सोच रही थी कि जब सुपाड़े से चुदने में इतना मजा आ रहा है तो पूरे लण्ड से चुदने में कितना मजा आयेगा। धीरे धीरे मेरा दर्द बिलकुल खतम हो गया मोना की बुर मुलायम हो के इतनी रसीली हो गई कि सुपाड़ा उसे बुर में कम लगने लगा और थोड़ी ही देर बाद उसने चाचा से कहा-
“हाय चाचा अब बचा हुआ भी डाल न ।”
चाचा ने मुँह से निप्पल बिना छोड़े धक्का मारा.. और आधा लण्ड बुर मे चला गया मोना के मुँह से सिसकारी निकल गई।
“इ्स्स्स्स्सइम्म्म्म”
पर उसने दाँत पर दाँत जमाकर धीरे धीरे बचा हुआ लण्ड भी चूत में ले लिया। और बोली-
लो चाचा मैंने पूरा अन्दर ले लिया।
चाचा –
“शाबाश बेटा! तू तो अपनी माँ से भी जबर्दस्त चुदक्कड़ बनेगी।”
बोली-
तो चोदो चाचा जैसे तरुन माँ को चोद रहा है।
और फ़िर चाचा अपने दोनों हाथों से मोना की चूचियाँ दबाते हुए और निप्पल चूसते हुए दनादन चोदने लगे।
ऐसे ही धक्के लगते लगते करीब 15 मिनिट हो गये थे.. अचानक तरुन ने अपना लण्ड मोना की मम्मी की चूत से निकाल लिया। उसने देखा मोना की मम्मी की चूत का मुहाने लगभग 3 गुना खुल गया था.. और रस चूत से बह रहा था...
तरुन तेज़ी से हमारे पास आकर बोला,
" चूत बदल चाचा..."
तरुन के मोना के पास आते ही चाचा मोना की मम्मी के चूतड़ों के पीछे जाकर बोले,
" घोड़ी बन जा!"
मोना की मम्मी उठी और पलट कर घुटनों के बल बैठ कर अपने भारी चूतड़ों को ऊपर उठा लिया... तरुन की जगह अब चाचा ने ले ली थी.. घुटनो के बल पिछे सीधे खड़े होकर उन्होने मोना की मम्मी की चूत में अपनी लण्ड डाल दिया... और मोना की मम्मी की कमर को पकड़ कर आगे पिछे होने लगे....
इधर मोना के पास आकर तरुन अपने लण्ड को हिला रहा था.... तरुन ने मोना की मम्मी के चूत रस से गीला अपना हलव्वी लण्ड मोना की नई नवेली बुर से चूत बनी में ठांस दिया। चचा भतीजों ने दोनो माँ बेटी की धुआंदार चुदाई की । तरुन का लण्ड चाचा के लण्ड से बड़ा होने के कारण मोना को थोड़ी देर तकलीफ़ तो हुई पर एक ही रात में मोना की बुर से खाई खेली चूत बन गई।
अपनी धुआंदार चुदाई से दोनो चूतों की प्यास बुझाने और बुरी तरह झड़ने के बाद चचा भतीजों के चूतों से नीचे उतरते ही दोनों माँ बेटी निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी.. बिस्तर की चादर खींच कर अपने बदन और चेहरे को ढक लिया...वो दोनो कपड़े पहन वहाँ से निकल गये....
कुछ दिनो तक ये सिलसिला चला फ़िर बल्लू चाचा की शादी हो गयी ऊपर से मोना के बापू को कुछ शक हो गया तो उन्होंने निगरानी बढ़ा दी। दोनों ने मोना की मम्मी के यहाँ आना जाना बन्द कर दिया क्योंकि पकड़े जाने क खतरा बढ़ गया था पर मोना से तरुन का सम्बन्ध गाहे बगाहे चोरी छिपे जारी रहा । अचानक बल्लू ने महसूस किया कि चचा भतीजे का मिलना जुलना भी कम होता जा रहा है पूछने पर तरुन ने बताया –
“मेरे एक रिश्ते के मामा चन्दू मेरे से कुछ साल बड़े हैं पास ही रहते हैं । आपके अपने बाल बच्चों और डिस्पेन्सरी में व्यस्त रहने की वजह से खाली रहने पर मैं उनके यहाँ वख्त काटने आने जाने लगा और हम दोनो की दोस्ती बढ़ गई, क्योंकि चन्दू मामा चालू बदमाश लड़कियाँ पहचानने में उस्ताद हैं । अब हमदोनों ऐसी लड़कियाँ फ़ँसा साथ साथ मजे करते हैं ।
आगे की मामा भान्जे की दास्तान जो तरुन ने बल्लू को सुनायी उपन्न्यास के अगले हिस्से “मामा भान्जा” में पढ़िये
मामा भान्जा
इसी बीच चन्दू मामा की भी शादी हो गयी शादी के तीसरे दिन अचानक चन्दू मामा आये और बोले –
“यार तरुन तुम आज रात को मेरे घर आना। ”
मैंने पूछा-
“क्या कोई खास बात है?”
उसने उत्तर दिया –“कोई खास नही लेकिन आना जरूर।”
खैर मैंने बात मान ली और उसके पास चला गया उस दिन चन्दू मामा और उनकी बीवी के अलावा घर में कोई नही था चन्दू मामा बोला-
“तरुन यार आज तुम मेरी बीवी को एक बार मेरे सामने चोद दे क्योंकि मैं चाहता हूँ कि तू उसे नियमित रूप से आकर चोदा कर ।”
मैंने कहा- “अरे यह तुम क्या कह रहे हो।”
उसने जबाब दिया- “देख भई मैं तो चोदता ही हूँ लेकिन उसे ज्यादा मज़ा नही आता क्योंकि मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा नहीं है औसत है। वह बिचारी कसमसाकर रह जाती है तुम्हारा लण्ड पाकर वह मस्त हो जाएगी। यार अगर उसने मुझे लात मार कर निकाल दिया तो मेरी बेज्जती हो जाएगी न, बिल्लू।” मैं बोला- अगर मामी बिदक गयीं तो कौन सम्हालेगा।” उसने जबाब दिया-
“नही भई वह चुदवाने के लिए तैयार है मैंने उसे सब बता दिया है।”
तब मैं मान गया और कहा-
“अच्छा ठीक है।”
उस रात को मैं और चन्दू मामा उनके कमरे में रजाई ओढ़ के बैठे टी वी पर एक उत्तेजक फ़िल्म देख रहे थे कि मामी आयी और वो भी उसी बिस्तर में हम दोनो के बीच रजाई ओढ़ के बैठ गयी मैने देखा कि रजाई में घुसने मामी की साड़ी और पेटीकोट ऊपर को सिमट गये उनकी संग़मरमरी मांसल जांघे खुल गईं थीं और और रजाई की हलचल से लग रहा था कि चन्दू मामा रजाई के अन्दर उन्हें सहलाने लगे थे। ये सोच सोच के मेरा लण्ड खड़ा हो रजाई को तम्बू का आकार दे रहा था । जिसे देख चन्दू मामा ने मामी से कहा-
“मैने तुमसे तरुन के लम्बे मोटे लण्ड का जिक्र किया था पर तुम्हें विश्वास नहीं हुआ था आज खुद देख के मेरी बात की पुष्टि कर लो।”
मामी ने कहा- “अच्छा ।”
और रजाई उलट दी मैने देखा कि रजाई के अन्दर मामी की साड़ी और पेटीकोट चूतड़ों से भी ऊपर तक सिमटे हुए थे उन्होने कच्छी नही पहन रखी थी । उनके संग़मरमरी बड़े बड़े भारी गुदाज चूतड़ और केले के तने जैसी गोरी मांसल जांघों के बीच पावरोटी सी चूत भी दिख रही थी जिसपर चन्दू मामा हाथ फ़िरा रहा था । तभी मामी ने मेरी लुंगी हटाई और मेरा लण्ड देख वह हक्की बक्की रह गयी और उसे हाथ से पकड़ बोली-
“अरे क्या लण्ड इतना बड़ा हलव्वी भी होता है ।”
ऐसा कहकर वो मेरा लण्ड सहलाने लगी। मैं शर्मा रहा था ये देख चन्दू मामा ने मामी का ब्लाउज खोल उनके बेल के आकार के उरोज आजाद कर दिये मुझे दिखा दिखाकर सहलाते हुए कहा-
“ लड़का झेंप रहा है इसकी झिझक दूर करने के लिए चल हम इसके सामने ही चुदाई करते हैं।”
मामी एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ दूसरे से सहलाते हुए प्यार से बोली-
“ये ही ठीक रहेगा इससे मेरी चूत का मुँह भी थोड़ा खुल जायेगा फ़िर मैं आसानी से इस घोड़े के जैसे लण्ड से चुदवा पाऊँगी वरना तो ये मामी की फ़ाड़ ही देगा।”
मामी लेट गयी और मेरा सर पकड़कर मेरा मुँह अपनी बेल के आकार की एक चूची पर लगा दिया उधर चन्दू मामा दूसरी चूची चूसते हुए मामी को चोद रहा था अब मैं भी खुल के सामने आगया और मामी की बगल में लेटकर उनके मामा की चुदाई से हिल रहे बदन से खेलते हुए, चूची चूसने लगा । मुझे उनकी चूंचियों चूसने में बहुत मजा आ रहा था मामा जैसे ही चोद के हटे मामी अपने हथों से मामा के रस से भीगी अपनी चूत के दोनों मोटे मोटे होठ फ़ैलाकर बोली- आ जा तरुनबेटा अब ये घोड़ी तेरे घोड़े के लिये तैयार है। अब देखना ये है कि दोनों मामा भांजे आज इस घोड़ी को कितना दौड़ाते हैं। ये सुनना था कि मैंने मामी पर सवारी गाँठ ली और अपना घोड़े के जैसे लण्ड का सुपाड़ा उनकी पावरोटी सी चूत के दोनों मोटे मोटे होठों के बीच रखा और एक ही धक्के मे पूरा लण्ड ठाँस दिया और धकापेल चोदते हुए उनकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने लगा । मारे मजे के मामी अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए किलकारियाँ भर रही थी- "उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओह नहियीईईईईईईईईईईईईईईईई अहहोह ओउुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउ गाययययययययययययीीईई"
मैं और चन्दू मामा एक ही औरत को साथ साथ चोदने के माहिर थे उस रात हमदोनों ने मिलकर छ: बार जमकर मामी को चोदा । मैं खुश था की पहलीबार एक जानदार औरत को चोदा है मामी इसलिए खुश थी की उसे एक तगड़ा लण्ड मिला और अपने हसबैंड के सामने पराये मर्द से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया चन्दू मामा इसलिए खुश था की उसकी बीवी को चुदाई से बड़ी संतुष्टि मिली फ़िर तो मामी जबतब मुझे बुलवा लेती और फ़िर मैं और चन्दू मामा जमकर मामी की चूत का बाजा बजाते।
पूरी कहानी सुनकर बल्लू ने कहा – यार तरुन अकेले अकेले मजे कर रहे हो मुझसे भी मिलवाओ ऐसे मजेदार लोगों से।”
तभी अचानक एक दिन खबर मिली कि मोना के बापू का देहान्त हो गया तो मैंने बल्लू चाचा से सम्पर्क किया और दोनों साथ साथ अफ़सोस प्रकट करने मोना के घर जा पहुंचे। मोना अब पूरी जवान हो चुकी थी बड़ी बड़ी ऑंखें गोल गोल गाल हँसती तो गाल में गड्ढे बन जाते ,गुदाज़ बाहें उभरे हुए चूतड और बड़ी बड़ी चूचियाँ, चूचियों की बनावट बड़ी मनमोहक थी उसे देख कर ही किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता है। मोना की मम्मी अभी भी बेहद हसीन और उनका बदन बेहद खूबसूरत और गुदाज था । वो रोते हुए बल्लू चाचा से और मोना मुझसे लिपट गयी । मैने देखा कि चाचा सान्त्वना देने के बहाने से उनका मांसल बदन सहला बल्कि टटोल रहे थे इधर मैं भी मोना के साथ लगभग यही कर रहा था। मेरी और चाचा कि नजरें मिलीं और हम उनका ख्याल रखने के बहाने से उस रात वहीं रुक गये। उस रात मैं और मोना बिना बिना उसके बापू के डर के खूब खुल के खेले । उधर बल्लू चाचा ने मोना की मम्मी को चोद चोद के उनका दुखी मन और चूत शान्त की। दूसरे दिन मैं और बल्लू चाचा वापस चले । हम चाचा के घर पहुँचे तो चाचा ने मुझे अन्दर ले जाकर अपनी बैठक में बैठाया। तभी चाची (बल्लू चाचा कि पत्नी) चाय ले आयी । चाचा ने कहा,
“बल्लू मैंने मोना की मम्मी की देखभाल का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया है ।”
चाची, “ये तो बड़ी अच्छी बात है।”
मेरा मन हुआ कि कह दूँ कि चाची ये देखभाल के बहाने अपने लण्ड के लिए एक और चूत का इन्तजाम कर रहे हैं पर मैं वख्त की नजाकत जान के चुप रहा।
चाचा ने आगे कहा,
“मैं चाहता हूं कि तू मोना से शादी कर के इस नेक काम में मेरी मदद करे। अगर तुझे मंजूर हो तो मैं तेरे पिता जी से बात करूँ।”
वख्त की नजाकत के हिसाब से न तो मैं ना करने की स्थिति में था और वैसे भी ये सौदा बुरा नहीं था मोना के साथ साथ चाची की चूत मिलने की भी उम्मीद थी सो मैने हाँ कर दी।
कुछ दिन बाद मेरी शादी मोना से हो गयी से हो गयी । दोनो एक दूसरे से जाने समझे थे। सुहागरात में हमने खूब जमकर चुदाई की खूब मज़ा लिया। उसने भी बेशरम होकर चुदवाने में कोई कसर नही उठा रखी। हम दोनों बहुत खुश थे।
आज एक नई बात पता चली कि मेरी सास मोना की मम्मी नहीं थीं बल्कि चाची थीं चाची ने ही उसे पाला था मेरी सास(चचिया सास) और मेरी बीवी दोनों चाची बेटी की तरह नही बल्कि दो सहेलियों की तरह रहती थी हलाकि मोना कहती उन्हें मम्मी ही थी । एक दिन जब मैं ससुराल गया तो मेरी सास ने खूब खातिरदारी और मेरा बड़ा ख्याल रखा । एक दिन अचानक मैं उनके कमरे में घुसने वाला था जहाँ मेरी बीवी और सास आपस में बातें कर रही थी कि मैंने सुना कि सास कह रही थी-
“मोना अच्छा ये बता तरुन का लण्ड तो अब और भी बड़ा हो गया होगा कितना बड़ा हुआ ?”
मैं कान लगा कर सुनने लगा।
मोना - अरे मम्मी बड़ा मोटा तगड़ा हो गया है खूब मज़ा आता है मुझे चुदवाने में।
सास:- क्या तुम्हारे बल्लू चाचा के लण्ड की तरह है ?
मोना :- नही मम्मी बल्लू चाचा के लण्ड से ज्यादा लंबा और मोटा है
मम्मी:- वाह और चुदाई कितनी देर तक करता है?
मोना :- अरे बड़ी देर तक चोदता रहता है मुझे हर बार चुदाई का पूरा मज़ा देता है
मम्मी :- हाय अगर तुम बुरा न माने तो तो क्या मैं भी चुदवा लूँ
मोना :- अरे बुरा मानने की क्या बात है मम्मी घर का लण्ड है तुम्हारा तो बचपन का देखा सम्झा है जब चाहो चुदवा लो।”
उस रात को मेरे खलबली मची थी मैंने मोना से पूछा कि असली बात क्या है उसने साफ साफ सारी कहानी बता दी
मोना :- देख तू तो जानता है कि मेरी चाची जिन्हें मैं मम्मी कहती हूँ के पति के गुज़र जाने के बाद बल्लू चाचा ने मेरे परिवार को संभाला मेरी चाची यानि कि मम्मी धीरे धीरे उनके नजदीक होती गयीं एक दिन मम्मी ने मुझे भी आवाज़ दी मैं भी गयी तू तो जानता है कि मेरी तो बुर की सील भी तेरे कहने पर तेरे सामने ही उन्हींने तोड़ी थी। मैंने चाचा का लण्ड पकड़ कर कहा- “बल्लू चाचा भोसड़ी के मुझे अपने मोटे लण्ड पर बैठाकर मेरी बुर गरम भी तो करो।”
बल्लू चाचा ने मुझे अपनी गोद में बैठा इस तरह बैठाया कि बुर की दोनों फ़ाकों के बीच की दरार पर लण्ड साँप की तरह लम्बाई में लेटा था। और मैं इस तरह उनकी गोद में बैठकर चूत पर लण्ड रगड़ के गरम करने लगी। थोड़ी ही देरे में लण्ड की रगड़ खा खा कर मेरी बुर गरम हो गयी । तबसे मैं भी चुदवाने लगी।
अब मम्मी को तुम्हारा भी लण्ड चाहिए, मम्मी तुमसे चुदवाना चाहती है बोलो चोदोगे न ?
मैंने कहा –“जरूर।”
फ़िर मैंने चन्दू मामा वाली मामी को चोदने की बात साफ साफ बता दी कि मैं भी चन्दूमामा वाली मामी को चोदता रहा हूँ। मेरी बीवी बहुत खुश हो गयी और मुझसे लिपट गयी बोली –
“ये तो बहुत अच्छा है ऐसा करते हैं कि तुम मेरी मम्मी को चोदना और मैं तेरे चन्दू मामा से चुदवा लूँगी जिसकी तुम बीवी चोदते हो बस हम दोनों बराबर। ठीक है न।”
क्रमश:…………………
|