RE: Desi Sex Kahani गदरायी मदमस्त जवानियाँ
जाहिर था की वो सुनीता को और कष्ट नहीं देना चाहता. सुनीता रानी तो एकदम खुश हो गयी. उसने नीले रंग की एकदम टाइट जीन्स और लाल रंग का स्लीवलेस टॉप पहना. उसका टॉप काफी लो कट था और उनमेसे उसके भरे हुए वक्ष उभर कर दिखाई दे रहे थे. रेस्टारेंट घर से थोड़ा दूर था इसलिए हम तीनो मेरी मोटरसाइकिल पर चल दिए. चलानेवाला मैं , मेरे पीछे नीरज और उसके पीछे सुनीता रानी. तीन सवारी होने के कारण सबको नजदीक एकदम चिपक कर बैठना पड़ गया और सुनीता के मम्मे नीरज की पीठ पर गढ़ गए.
डिनर के समय भी वह जान बुझ कर नीरज के सामने बैठ गयी और नीरज उसके उभारोंको छुप छुप कर देख रहा था।
"राज और सुनीता, यह देखो मेरी पत्नी की फोटो," कहते हुए उसने अपने बटवे में से निकिता की दो-तीन फोटो हमें दिखाई.
निकिता तो बहुत ही सुन्दर गोरी और प्यारी लग रही थी. उसके भरे हुए स्तनों का आकार भी फोटो में साफ़ दिखाई दे रहा था.
उसके फोटो देखते ही मैं और सुनीता ने आँखों आँखों में कह दिया की अब किसी भी हाल पर इस दम्पति को पटाकर अदलाबदली की चुदाई का मजा लेना ही चाहिए . रेस्टारेंट से वापिस आने के समय मैंने जान बूझ के नीरज को सुनीता के और करीब लाने की तरकीब चलाई.
मैंने कहा, "नीरज, इतना अच्छा खाना खानेके बाद हम तीनों एक मोटरसाइकिल पर घर तक वापिस नहीं जा सकते. आप को तो घर का रास्ता मालूम नहीं इसलिए आप और सुनीता ऑटो रिक्शा में बैठ कर घर आ जाओ. मैं अकेला ही मोटरसाइकिल पर निकलता हूँ."
कोई भी मर्द मेरी सुन्दर और सेक्सी बीवी के साथ का मजा कैसे छोड़ देता?
उसने फट से कहा, "हाँ, राज बात तो आप की सच हैं."
हम दोनोने सुनीता की तरफ देखा. उसके तो मन ही मन लड्डू फूट रहे थे. मैं उन दोनोको एक ऑटो रिक्शा में बिठाकर घर चला आया.
जब तीनों भी घर पर मिले तब नीरज बोला, "राज, आप दोनोने मेरी इतनी सहायता पूरे अपनेपन से की हैं, जैसे की हम आज नहीं, कई सालोंके मित्र हैं.
मैं एक छोटे शहर से मुंबई आया हूँ, मुझे थोड़ा डर लग रहा था. अब ऐसा लगता हैं की मैं और निकिता आप दोनों के सबसे अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे. आप कितने अच्छे हो और ख़ास कर सुनीता जी ने तो मेरा बहुत अच्छा ख़याल रखा हैं. आज से आप लोग हमारे लिए सिर्फ पडोसी नहीं बल्कि एकदम अपने घरवाले है।"
इसके बाद वह अपने घर चला गया.
मैंने सुनीता को बाहों में भरते हुए पूंछा, "सुनीता रानी, ऑटो रिक्शा का सफर कैसा रहा?"
उसने कहा, " बस हम दोनों चिपक चिपक कर बैठे थे और निकिता के बारे में बाते कर रहे थे."
मुझे लगा चलो अच्छा हैं, नीरज अच्छा सभ्यतापूर्वक और समझदार इंसान हैं. हम दोनों ने साथ में शावर किया और बैडरूम में घुस गए.
रात में मैं जब सुनीता के मम्मे चूस रहा था तब सुनीता ने कहा, "राज, लगता हैं की अपनी सेक्सुअल फैंटसी पूरी होने की उम्मीद हैं. नीरज तो बहुत ही हैंडसम हैं और फोटो देख कर ऐसा लगता हैं की उसकी पत्नी निकिता बिलकुल तुम्हारी ड्रीम गर्ल हैं, गोरी, सुन्दर और एकदम सेक्सी।"
मैंने कहा, "हाँ मेरी जान, मुझे भी ऐसा ही लग रहा हैं. तुम नीरज को अच्छे से अपनी सुंदरता से लुभा दो. फिर वह दोनों भी हम दोनों के साथ वासना का खेल खेलने के लिए तैयार हो जाएंगे।"
उस रात को मैं सुनीता को निकिता के नाम से पुकारता रहा और वह मुझे नीरज के नाम से! हमने पूरी रात में चार बार चुदाई का लुत्फ़ उठाया. सुनीता इतनी ज्यादा एक्साइट हो गयी की जब मैं उसे डॉगी पोज़ में चोद रहा था तब उसने खुद अपने मुंहसे कहा, "नीरज डार्लिंग, चुदाई के साथ साथ तुम्हारी ऊँगली भी मेरी गांड में अंदर बाहर करो."
मैं भी निकिता का नाम लेकर उसको चोदता रहा और उसकी गांड में ऊँगली करता रहा. नीरज के नामसे सुनीता काफी उत्तेजित हुई थी. आज पहली बार हम दोनों किसी कपल के लेकर जबरदस्त फैंटसी सेक्स कर रहे थे.
अचानक सुनीता चढ़ गई मेरे लंड के ऊपर और जोर जोर से चिल्लाने लगी, "उम्म्ह... अहह... हय... याह..." और जोर जोर से चुदाई करने लगी.
मैं भी नीचे से धक्के लगा रहा था और फिर आवेश में आकर मैंने सुनीता को पागलपने की हद जैसा नीचे पलटा और लगा चोदने!
"हाय मेरी निकिता रानी तेरी गोरी गोरी जवानी चोदने में क्या मजा आ रहा हैं. आह आह," मैं पागलोंकी तरह उसके वक्ष मसलते हुए कहता गया.
जैसे की नए पार्टनर के साथ चुदने के स्वप्न का वहशीपन सा छा रहा था हम दोनों पर. अब मैंने सुनीता की गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया और उसकी चूत ऊपर उठ गई. ऐसी भरपूर चुदाई हो रही थी.
सुनीता बोल रही थी, "मेरे हैंडसम नीरज डार्लिंग, आ मेरी इस साफ़ और मुलायम चूत को अपने मोटे लौड़े से चोद कर पूरा खोल डाल."
इस घमासान लंड - चुत की लड़ाई में न सुनीता थक रही थी और मैं भी अपनी लंड की पिचकारी छोड़ने को तैयार न था.
"निकिता डार्लिंग तेरी चुत, गोरी जाँघे, भरी हुई गांड और बड़े बड़े बूब्स को सारा खा जानेवाला हूँ," मैं उसे चोदते हुए कह रहा था.
पांच मिनट के बाद अब मेरे लंड से वीर्य छुटने को तैयार था. मैंने सुनीता को नीचे लिटाया और उसकी मांसल टांग ऊपर अपने कंधे पर रखी और पूरा लौड़ा अंदर करके आखरी के चार जोरदार धक्के लगाये और सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया.
उस रात को मदहोशी की तरह हम दोनों एक दुसरे को नीरज और निकिता के बारे सोचकर प्यार करते रहे. कई महीनोंके बाद ऐसी धुआंधार चुदाई हुई थी.
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