RE: Real Sex Story नौकरी के रंग माँ बेटी के स�...
यह समझना मुश्किल नहीं था कि वंदना अपनी सहेलियों या यूँ कहें कि अपनी ख़ास सहेली से मेरे बारे में काफी दिनों से बातें करती आ रही होगी… यानि कि जिन दिनों में मैं रेणुका जी के साथ प्रेम लीला में व्यस्त था उन दिनों उसकी बेटी मन ही मन में मेरे साथ अपने प्रेम की लीला की संरचना में मस्त थी।
वाह रे ऊपर वाले… तेरी लीला भी अपरम्पार है !!
‘आइये समीर जी, आपको अपनी सहेलियों से मिलवा दूँ… सब आपसे मिलने को बेकरार हैं।’ ज्योति ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे खींच कर हॉल के बीच में ले गई और एक एक करके वहाँ मौजूद सभी से मेरा परिचय करवाया।
लगभग 35 लोग थे वहाँ जिनमें 10 से 12 लड़के भी थे। सभी लड़कियों ने बड़े ही गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और लड़कों ने भी मुझसे पहले तो हाथ मिलाये और फिर मेरे गले लग कर मेरा अभिवादन किया।
सच कहूँ तो ऐसा लग ही नहीं रहा था कि मैं कोई अनजान हूँ या उनसे पहली बार मिल रहा हूँ… यह अपनापन मेरे दिल को छू गया।
थोड़ी देर हम सब यूँ ही एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते रहे और इस पूरे समय के दरम्यान वंदना मुझसे चिपक कर रही और अपने हाथों से मेरा हाथ पकड़े रखा, उसके हाथों में मेरा हाथ यूँ देख कर लड़कियाँ तिरछी निगाहों से देख देख कर मुस्कुराती रहीं तो वहीं लड़कों की आँखों में मुझे जलन साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी।
आखिर मैं भी एक लड़का हूँ और मुझे पता है उस एहसास के बारे में जब आपके क्लास की सबसे खूबसूरत लड़की किसी और का हाथ थामे बैठी हो और आप बस अपना मन मसोस कर रह जाते हो।
खैर, समय बहुत हो चुका था और अब बारी आई केक काटने की…
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