RE: Hindi Sex Kahaniya छोटी सी जान चूतो का तूफान
कमला ने करीब दो मिनिट तक उसकी चूत में उंगलयों को पेला और उसकी चूत के दाने को चूस कर फूला दिया…फिर कमला जल्दी से खड़ी हुई, और बोली, सलवार बाँध कर जल्दी आ जा…और फिर वो जाकर वही बैठ गई..थोड़ी देर बाद नेहा भी वहाँ आकर बैठ गई….
जैसे ही नेहा आकर वहाँ बैठी, कमला ने आँख नचाते हुए उससे पूछा, कुछ काम बना क्या….?
नेहा: क्या में समझी नही…?
कमला: अर्रे तेरी फुद्दि में मूत का प्रेशर बना क्या …?
नेहा: हां थोड़ा -2 (नेहा ऐसे शर्मा रही थी..जैसे वो कोई कुँवारी लड़की हो…और फिर वो दोनो बैठ कर कपड़े धोने लगी…..
दोनो फिर से कपड़े धोने लगी थी….अब बस कुछ ही कपड़े बचे थे….नेहा के कपड़े अब पूरी तरह भीग चुके थे….कमला ने देखा कि, मोहित अब वापिस आने ही वाला है….फिर दोनो चुप हो गई….मोहित फिर से वही आकर बैठ गया….इस बार मोहित बड़े गोर से नेहा की चुचियो को देख रहा था….और नेहा भी झुक-2 कर अपने मम्मो का दीदार उसे करवा रही थी….
बीच-2 में वो मोहित की तरफ देखती, और जब उन दोनो के नज़रे आपस में टकराती, तो नेहा उसकी तरफ देख कर वासना से भरी मुस्कान उसकी तरफ फेंकती….ये सिलसिला काफ़ी देर चलता रहा….कमला को लगा कि, अब अगला स्टेप लेने का समय आ गया है….उसने धीरे-2 से नेहा की कमर में अपनी कोहनी मारते हुए इशारा किया….नेहा थोड़ी देर बाद खड़ी हो गई. कमला जान बुझ कर अपने सर को झुकाए बैठी रही…
नेहा: कमला में ज़रा मूत कर आती हूँ….
जैसे ही मोहित ने नेहा के मुँह से ये बात सुनी, उसके लंड में सुरसुरी दौड़ गई….जब उसने नेहा की तरफ देखा तो, वो खड़ी थी. नेहा ने एक बार उसकी तरफ देखते हुए, अपनी सलवार के ऊपेर से ही, अपनी फुद्दि पर खुजाना शुरू कर दिया….जैसे ही मोहित के नज़रे उस जगह पर पड़ी. मोहित की तो मानो जैसे साँसे ही अटक गई हो….
उसकी सलवार भी गीली होकर उसके बदन से चिपक गई थी…अगर आगे उसकी कमीज़ का पल्ला ना होता, तो उसकी फुद्दि भी उसकी चिपकी हुई सलवार से सॉफ झलक पड़ती…तब तक कमला ने भी मोहित को आवाज़ लगाई, और उसे कपड़े देते हुए बोली…
कमला: ये ले इसे भी वहाँ डाल आ..सुख जाएँगे….
नेहा उस झाड़ियों की तरफ जा रही थी….यहाँ पर मोहित ने कपड़े सुखाने के लिए डाले थे….जैसे ही मोहित कमला के हाथ से कपड़े लेकर मूड कर जाने लगा…तो उससे एक और झटका लगा….इस बार नेहा ने भी अपने दिमाग़ से काम लिया. और उसने जो किया था…उसने आग में घी का काम किया…उसने जाने से पहले अपनी कमीज़ के पिछले पल्ले को पीछे से अपनी कमर में लपेट लिया था….गीले होने के कारण वो उसकी कमर से चिपक गया था.
जैसे ही मोहित मुड़ा तो उसकी नज़र नेहा की मटकती गान्ड पर पड़ी. उसकी सलवार गीली होकर उसके गान्ड से एक दम चिपकाई हुई थी, और उसकी सावलार उसके गान्ड के दरार में धँसी हुई थी…..ये सब मोहित के लिए बर्दास्त के बाहर था….क्रीम कलर की गीली सलवार में उसकी गान्ड का पूरा भूगोल सॉफ दिखाई दे रहा था….
उसका लंड उसकी पेंट में और तन गया….आगे चलती नेहा ने एक बार पीछे पलट कर देखा, उससे मोहित की पेंट लंड की जगह से उभरी हुई नज़र आई. उसके लंड ने तन कर आगे से पेंट को उठा रखा था….ये देख नेहा ने फिर से वही वासना और कातिलाना अंदाज़ में मुस्कुराते हुए, मोहित के आँखो में झाँका, और फिर चलते हुए, झाड़ियों के पीछे चली गई….और अपनी सलवार का नाडा खोलने लगी….
वो झाड़ियों के पीछे कुछ चार पाँच फीट की दूरी पर थी…अब उनके बीच छोटी छोटी झाड़ियाँ थी….और कुछ सुखी झाड़ियाँ थी..जिस पर उसने कपड़े डाले थे….जिन झाड़ियों के पीछे वो खड़ी थी…वो मुस्किल से उसके घुटनो तक आ रही थी…मोहित झाड़ियों पर कपड़े डालते हुए, नेहा की ही तरफ देख रहा था….जो अपनी सलवार का नाडा खोलने में लगी हुई थी…और बीच-2 उसकी तरफ देख कर मुस्करा देती…
मोहित ने देखा कि, नेहा को सलवार का नाडा खोलने में दिक्कत हो रही है. पर वो वही खड़ा देखता रहा था….आख़िर कार नेहा ने उसे हाथ से अपने पास आने का इशारा किया….मोहित का दिल जोरो से धड़कने लगा…नेहा के तरफ बढ़ते हुए उसके हाथ पैर काँपने लगे…उधर नेहा का भी यही हाल था…हलकी मोहित साहिल के उम्र का ही था…पर फिर भी जैसे-2 मोहित उसकी तरफ बढ़ रहा था…उसका बदन भी अजीब सी बेचैनी के कारण काँप रहा था….
मोहित काँपते कदमो के साथ नेहा के पास पुहुच कर कांपती हुई आवाज़ में पूछा “जी जी आंटी” नेहा का भी वही हाल था….”वो मोहित वो लगता है नाडे की गाँठ अटक गई है…खुल नही रही….मुझे बहुत तेज मूत आ रहा है…देखो कैसे फँस गई…खोल दो ना” नेहा ने अपने नाडे की गाँठ मोहित को दिखाते हुए कहा….
नेहा की ये बात सुन कर मानो जैसे उसकी साँस उसके गले में अटक गई हो…उसने अपने गाले में अटके थूक को निग्लते कहा …” क्या आंटी”
नेहा: अर्रे इस तरह घबरा क्यों रहा है…नाडे की गाँठ ही तो खोलनी है…जल्दी कर कही मेरा मूत बीच में ही ना निकल जाए….
नेहा ने मानो ये सोच लिया था कि, आज वो मोहित को हर हाल में पता कर रहेगी. नेहा के मुँह से ऐसे बातें सुन कर मोहित का बुरा हाल था. वो अपने सर को झुकाए नेहा के सामने खड़ा था…नेहा ने अपनी कमीज़ के पल्ले को आगे से उठा कर कहा…” चल जल्दी खोल ना” जैसे ही उसकी नज़र नेहा की सलवार के अगले हिस्से पर पड़ी…
उसके दिल की धड़कने इस कदर बढ़ गई…मानो जैसे वो मीलो दौड़ कर आया हो….नेहा के सलवार उसकी चूत पर एक दम चिपकी हुई थी…उसकी चूत के झान्ट उसमे से सॉफ दिखाई दे रही थी….उसका लंड अब इतना अकाड गया था….उससे पेंट में दिक्कत होने लगी थी….मोहित ने नेहा के झांतो भरी चूत की ओर देखते हुए, अपने काँपते हाथों को नेहा के सलवार के नाडे की तरफ बढ़ाया…
और नेहा के सलवार के नाडे को पकड़ कर खोलने के कॉसिश करने लगा. नाडे की गाँठ फँसी नही हुई थी….ये बात नेहा भी जानती थी…पर मोहित जान बुझ कर कुछ ज़्यादा ही टाइम लगा रहा था….उसके काँपते हाथो की उंगलियाँ बार बार नेहा की नाभि पर रगड़ खाने लगी….जैसे ही नेहा को अपने नंगे पेट और नाभि पर मोहित के नरम उंगलियों का अहसास हुआ, नेहा के मुँह से सिसकारी निकल गई…”शियीयियीयियी अह्ह्ह्ह मोहित” और उसने ये कहते हुए, अपनी आँखें बंद करके, मोहित के कंधो को पकड़ लिया….
अब दोनो के जिस्मो में कुछ ही इंच का फाँसला था….नेहा का पेट और कमर थरथरा रहे थे…आख़िर कार मोहित ने नेहा की सावलार का नाडा खोल दिया. और फिर नेहा की ओर देखते हुए बोला, जो अपनी आँखें बंद किए किसी और ही दुनिया में पहुँच गई थी…
|